DesiMasalaBoard साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन
09-13-2020, 12:23 PM,
#47
RE: DesiMasalaBoard साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन
सुनील जोर शोर से अपनी बीबी की चूत में अपना लण्ड पेल रहा था। सुनीता भी अपने पति को पूरा साथ दे कर उन्हें, "जोर से... और डालो, मजा आ गया..." इत्यादि शब्दों से प्रोत्साहित कर रही थी। सुनीलजी की जाँघें सुनीता की जाँघों के बिच टकरा कर "फच्च फच्च" आवाज कर रही थीं। सुनीलजी का अंडकोष सुनीता की गाँड़ को जोर से टक्कर मार रहा था। सुनीता कभी कभी अपने पति का अंडकोष अपने हाथों की उँगलियों में पकड़ कर सहलाती रहती थी जिसके कारण सुनील का उन्माद और भी बढ़ जाता था।

अपनी बीबी को चोदते हुए हाँफते हुए सुनीलजी ने कहा, "डार्लिंग, हम यहां एक दूसरे से प्यार कर रहे हैं, पर बेचारे जस्सूजी इतनी रात गए अपने दफ्तर में लगे हुए हैं।"

सुनीताने अपने पति की बात सुनकर अपनी जिज्ञासा को दबाने की कोशिश करते हुए पूछा, "क्यों? ऐसा क्या हुआ? जस्सूजी इस समय अपने दफ्तर में क्यों है?"

सुनील ने कहा, "हमारे देश पर पडोशी देश की नजरें ठीक नहीं है। देश की सेना इस वक्त वॉर अलर्ट पर है। पाकिस्तानी जासूस भारतीय सेना की गतिविधियां जानने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। मुझे डर था की ऐसी परस्थितियों में कहीं हमारा यह प्रोग्राम आखिरी वक्त में रद्द ना हो जाए।"

यह सुन कर सुनीता को एक झटका सा लगा। सुनीता को उस एक हफ्ते में जस्सूजी के करीब रहने का एके सुनहरा मौक़ा मिल रहा था। अगर वह ट्रिप कैंसल हो गयी तो यह मौक़ा छूट जाएगा, यह डर उसे सताने लगा। अपने पति को चुदाई में रोकते हुए सुनीता ने पूछा, "क्या ऐसा भी हो सकता है?"

सुनील जी ने अपना लण्ड अपनी बीबी सुनीता की चूत में ही रखते हुए कहा, "ऐसा होने की संभावना नहीं हैं क्यूंकि अगर कैंसिल होना होता तो अब तक हो जाता। दूसरे मुझे नहीं लगता की अभी लड़ाई का पूरा माहौल है। शायद दोनों देश एक दुसरेकी तैयारी का जायजा ले रहें हैं। पर सरहद की दोनों पार जासूसी बढ़ गयी है। एक दूसरे की सेना की हलचल जानने के लिए दोनों देश के अधिकारी कोई कसर नहीं छोड़ रहे। सुरक्षा पत्रकार होने के नाते मुझे भी मिनिस्ट्री में बुलाया गया था। चूँकि हमारे सूत्रों से मुझे सेना की हलचल के बारे में काफी कुछ पता होता है इस लिए मुझे हिदायत दी गयी है की सेना की हलचल के बारे में मैं जो कुछ भी जानता हूँ उसे प्रकाशित ना करूँ और नाही किसीसे शेयर करूँ।"

यह सुनकर की उनका प्रोग्राम कैंसिल नहीं होगा, सुनीता की जान में जान आयी। सुनीता उस कार्यक्रम को जस्सूजी से करीब आने का मौक़ा मिलने के अलावा पहाड़ो में ट्रैकिंग, नदियों में नहाना, सुन्दर वादियों में घूमना, जंगल में रात को कैंप फायर जला कर उस आग के इर्द गिर्द बैठ कर नाचना, गाना, ड्रिंक करना, खाना इत्यादि रोमांचक कार्यक्रम को मिस करना नहीं चाहती थी।

सुनीता ने अपने पति को चुदाई जारी करने के लिए अपना पेडू ऊपर उठा कर संकेत दिया। सुनीलजी ने भी अपना लण्ड फिर से सुनीता की चूत में पेलना शुरू किया। दोनों पति पत्नी कामुकता की आग में जल रहे थे। अगले सात दिन कैसे होंगें उसकी कल्पना दोनों अपने अपने तरीके से कर रहे थे। सुनीता जस्सूजी के बारेमें सोच रही थी और सुनीलजी ज्योति के बारेमें।

सुबह होते ही सब नहा धो कर फ्रेश होकर ट्रैन में ले जाने के लिए नाश्ता बगैरह बची खुची तैयारी होते ही सब कपडे पहन कर तैयार होने लगे। सुनीता ने अपने पति के आग्रह पर परम्पराओं को तोड़ कर कैप्री (लम्बी सी शोर्ट या हाफ पेण्ट) पहनी। ऊपर से खुला टॉप पहना था। टॉप गले के ऊपर से काफी खुला हुआ था पर स्तनों के बिलकुल निचे तना हुआ बंधा था। बालों को एक क्लिप से बाँध कर बाकी खुला छोड़ रखा था।

शार्ट पहनने के कारण सुनीता की सुआकार करारी जाँघें कामुक और ललचाने वाला नज़ारा पेश कर रही थी। सुनीता ने पहनी हुई कैप्री (देसी भाषा में कहें तो चड्डी) निचे से काफी खुली थी, पर घुटने से थोड़ी ही ऊपर तक थी। सुनील ने पिछली शाम सुनीता के लिए एक वेणी खरीदी थी उसे सुनीता ने बालों में लटका रखा था। होँठों की कुदरती लालिमा को हलकी सी लिपस्टिक से उनका रसीलापन दिख रहा था। सुनीता के गाल वैसे ही काफी लालिमा भरे थे। उन्हें और लालिमा आवश्यकता नहीं थी।

तैयार हो कर जब सुनीता कमरे से बाहर आयी और दोनों टाँगें मिलाकर थोड़ा टेढ़ी होकर अपनी पतली कमर और उभरे हुए कूल्हों को उकसाने वाली सेक्सी मुद्रा में खड़ी हो कर जब उसने अपने पति को पूछा, "मैं कैसी लग रही हूँ?"

सुनील ने अपनी बीबी को अपनी बाहों में लेकर, उसके ब्लाउज में से बाहर उभरे हुए स्तनों पर अपना हाथ रख कर, उन्हें ब्लाउज के ऊपर से ही सहलाते हुए सुनीता के होँठों पर हलका सा चुम्बन करते हुए कहा, "पूरी तरह से खाने लायक। तुम्हें देख कर मुझे तुम्हें खाने को मन करता है।"

सुनीता ने अपने पति को हल्का सा धक्का मारते हुए टेढ़ी नजर कर कहा, "शर्म करो। कल रात तो तुम मुझे पूरा का पूरा निगल गए थे। पेट नहीं भरा था क्या?"

सुनील ने भी उसी लहजे में जवाब दिया, "वह तो डिनर था। मैं तो नाश्ते की बात कर रहा हूँ।"
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