RE: DesiMasalaBoard साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन
यह सुनकर सुनीलजी को बड़ा झटका लगा। अरे! वह यहां अपनी बीबी से प्यार करने आये थे और उनकी बीबी थी की जस्सूजी के सपने देख रही थी? सुनीलजी के पॉंव से जमीन जैसे खिसक गयी। हालांकि वह खुद अपनी बीबी सुनीता को जस्सूजी के पास जाने के लिए प्रोत्साहित कर तो रहे थे पर जब उन्होंने अपनी बीबी सुनीता के मुंह से जस्सूजी का नाम सूना तो उनकी सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी। उनके अहंकार पर जैसे कुठाराघात हुआ।
पुरुष भले ही अपनी बीबी को दूसरे कोई मर्द के से सेक्स करने के लिए उकसाये, पर जब वास्तव में दुसरा मर्द उसकी बीबी को उसके सामने या पीछे चोदता है और उसे उसका पता चलता है तो उसे कुछ इर्षा, जलन या फिर उसके अहम को थोड़ी ही सही पर हलकी सी चोट तो जरूर पहुँचती है। यह बात सुनीलजी ने पहली बार महसूस की। तब तक तो वह यह मानते थे की वह ऐसे पति थे की जो अपनी पत्नी से इतना प्यार करते थे की यदि वह किसी और मर्द से चुदवाये तो उनको रत्ती भर भी आपत्ति नहीं होगी। पर उस रात उनको कुछ तो महसूस जरूर हुआ।
सुनीलजी ने अपनी बीबी को झकझोरते हुए कहा, "जानेमन, मैं तुम्हारा पति सुनील हूँ। जस्सूजी तो ऊपर सो रहे हैं। कहीं तुम जस्सूजी से चुदवाने के सपने तो नहीं देख रही थी?"
अपने पति के यह शब्द सुनकर सुनीता की सारी नींद एक ही झटके में गायब हो गयी। वह सोचने लगी, "हो ना हो, मेरे मुंह से जस्सूजी का नाम निकल ही गया होगा और वह सुनील ने सुन लिया। हाय दैय्या! कहीं मेरे मुंहसे जस्सूजी से चुदवाने की बात तो नींद में नहीं निकल गयी? सुनील को कैसे पूछूं? अब क्या होगा?"
सुनीता का सोया हुआ दिमाग अब डबल तेजी से काम करने लगा। सुनीता ने कहा, "मैं जस्सूजी ना नाम ले रही थी? आप का दिमाग तो खराब नहीं हो गया?" फिर थोड़ी देर रुक कर सुनीता बोली, "अच्छा, अब मैं समझी। मैंने आपसे कहा था, 'अब खस्सो जी, फिर मेरी बर्थ पर क्यों आ गये? क्या आप का मन पिछली रात इतना प्यार करने के बाद भी नहीं भरा?' आप भी कमाल हैं! आपके ही मन में चोर है। आप मेरे सामने बार बार जस्सूजी का नाम क्यों ले रहे हो? मैं जानती हूँ की आप यही चाहते हो ना की मैं जस्सूजी से चुदवाऊं? पर श्रीमान ध्यान रहे ऐसा कुछ होने वाला नहीं है। अगर आपने ज्यादा जिद की तो मैं उनको अपने करीब भी नहीं आने दूंगी। फिर मुझे दोष मत दीजियेगा!"
अपनी बीबी की बात सुन कर सुनीलजी लज्जित हो कर माफ़ी मांगने लगे, "अरे बीबीजी, मुझसे गलती हो गयी। मैंने गलत सुन लिया। मैं भी बड़ा बेवकूफ हूँ। तुम मेरी बात का बुरा मत मानना। तुम मेरे कारण जस्सूजी पर अपना गुस्सा मत निकालना। उनका बेचारे का कोई दोष नहीं है। मैं भी तुम पर कोई शक नहीं कर रहा हूँ।"
बेचारे सुनीलजी! उन्होंने सोचा की अगर सुनीता कहीं नाराज हो गयी तो जस्सूजी के साथ झगड़ा कर लेगी और बनी बनायी बात बिगड़ जायेगी। इससे तो बेहतर है की उसे खुश रखा जाए।"
सुनीलजी ने सुनीता के होँठों पर अपने होँठ रखते हुए कहा, "जानूं, मैं जानता हूँ की तुमने क्या प्रण लिया है। पर प्लीज जस्सूजी से इतनी नाराजगी अच्छी नहीं। भले ही जस्सूजी से चुदवाने की बात छोड़ दो। पर प्लीज उनका साथ देने का तुमने वादा किया है उसे मत भुलाना। आज दोपहर तुमने जस्सूजी की टाँगे अपनी गोद में ले रक्खी थी और उनको हलके से मसाज कर रही थी तो मुझे बहुत अच्छा लगा था। सच में! मैं इर्षा से नहीं कह रहा हूँ।"
सुनीता ने नखरे दिखाते हुए कहा, "हाँ भाई, आपको क्यों अच्छा नहीं लगेगा? अपनी बीबी से अपने दोस्त की सेवा करवाने की बड़ी इच्छा है जो है तुम्हारी? तुम तो बड़े खुश होते अगर मैंने तुम्हारे दोस्त का लण्ड पकड़ कर उसे भी सहलाया होता तो, क्यों, ठीक कहा ना मैंने?"
सुनीलजी को समझ नहीं आ रहा था की उनकी बीबी उनकी फिल्म उतार रही थी या फिर वह मजाक के मूड में थी। सुनीलजी को अच्छा भी लगा की उनकी बीबी जस्सूजी के बारेमें अब काफी खुलकर बात कर रही थी।
सुनीलजी ने कहा, "जानूं, क्या वाकई में तुम ऐसा कर सकती हो? मजाक तो नहीं कर रही?"
सुनीता ने कहा, "कमाल है! तुम कैसे पति हो जो अपनी बीबी के बारे में ऐसी बाते करते हो? एक तो जस्सूजी वैसेही बड़े आशिकी मिजाज के हैं। ऊपर से तुम आग में घी डालने का काम कर रहे हो! अगर तुमने जस्सूजी से ऐसी बात की ना तो ऐसा ना हो की मौक़ा मिलते ही कहीं वह मेरा हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर ही ना रख दें! उनको ऐसा करने में एक मिनट भी नहीं लगेगा। फिर यातो मुझे उनसे लड़ाई करनी पड़ेगी, या फिर उनका लण्ड हिलाकर उनका माल निकाल देना पडेगा। हे पति देव! अब तुम ही बताओ ऐसा कुछ हुआ तो मुझे क्या करना चाहिए?"
अपनी बीबी के मुंह से यह शब्द सुनकर सुनीलजी का लण्ड खड़ा हो गया। यह शायद पहेली बार था जब सुनीता ने खुल्लमखुल्ला जस्सूजी के लण्ड के बारेमें सामने चल कर ऐसी बात छेड़ी थी। सुनील ने अपना लण्ड अपनी बीबी के हाथ में पकड़ाया और बोले, "जाने मन ऐसी स्थिति में तो मैं यही कहूंगा की जस्सूजी सिर्फ मेरे दोस्त ही नहीं, तुम्हारे गुरु भी हैं। उन्होंने भले ही तुम्हारे लिए अपनी जान कुर्बान नहीं की हो, पर उन्होंने तुम्हारे लिए अपनी रातों की नींद हराम कर तुम्हें शिक्षा दी जिसकी वजह से आज तुम्हें एक शोहरत और इज्जत वाली जॉब के ऑफर्स आ रहे हैं। तो अगर तुमने उनकी थोड़ी गर्मी निकाल भी दी तो कौनसा आसमान टूट पड़ने वाला है?"
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