RE: Incest Kahani मेराअतृप्त कामुक यौवन
एक दिन खाना बनाने के बाद मैंने अपने बच्चों को स्कूल भेजा और फिर आलोक को खाना खिलाकर घर के काम करने में लग गई। सब काम निपटाने के बाद में थक गई थी.. तो सोचा नहा लेती हूँ.. क्योंकि गर्मी बहुत पड़ रही थी।
मै नहाने के लिए तौलिया लेकर बाथरूम की तरफ चल पड़ी और नहाने लगी। नहाने के बाद मैंने तौलिये से अपने शरीर को पौंछा और फिर उसे अपने मम्मों के ऊपर से बांध लिया.. जिससे मेरा शरीर मम्मों से लेकर जांघों तक पूरा ढक गया।
जब मैं नहाकर बाथरूम से बाहर निकल रही थी.. तभी अचानक मेरा पैर फिसल गया और मैं गिर पड़ी। मेरी कमर और पीठ में बहुत चोट लगी थी और दर्द के मारे मैं रोने लगी।
मेरे गिरने और रोने की आवाज़ सुनकर आलोक भागकर बाथरूम की तरफ आया और मुझे गिरा हुआ देखकर अचानक से डर गया।
मैं खड़ी नहीं हो पा रही थी तो वो मुझे सहारा देने लगा.. पर मैं खड़ी होते-होते फिर से गिरने लगी.. तो उसने मुझे पकड़ लिया।
उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मेरे रूम की तरफ जाने लगा।
इसी बीच न जाने कब मेरा तौलिया खुल गया और मेरे आगे का बदन बिल्कुल नंगा हो गया। जैसे ही मुझे इस बात का अनुभव हुआ.. मैंने तुरंत खुद को फिर से ढक लिया।
फिर आलोक ने ले जाकर मुझे मेरे बिस्तर पर लिटा दिया। जब मैंने उसकी तरफ देखा तो वो आँखे झुकाए खड़ा था.. पर उसका लंड तना हुआ था।
मैं समझ गई कि इसने मेरे नंगे बदन को देख लिया है और मेरे बदन के स्पर्श से इसका लंड खड़ा हो गया है।
पर उस वक्त में कुछ कह पाने वाली हालत में नहीं थी और मेरे अन्दर इतनी भी ताकत नहीं थी कि मैं उठकर अपने कपड़े पहन सकूँ।
तब आलोक ने मुझसे पूछा- चाची आप ठीक तो हैं।
मैंने आलोक से कहा- आलोक मेरी कमर और पीठ में बहुत दर्द हो रहा है।
वो बोला- चाची मैं अभी बाजार से आपके लिए दवा लाता हूँ।
मैंने उससे मना किया- मेडिकल यहाँ से बहुत दूर है और बाइक भी नहीं है।
पर वो बोला- चाची मैं आपको ऐसी हालत में नहीं देख सकता।
मैंने उससे बोला- मेरी कमर की मालिश कर दे।
वो तैयार हो गया।
मैंने उसे ड्रावर से तेल की बोतल लाने को कहा और फिर वो बोतल लेकर आ गया और फिर मुझसे बोला- चाची मैं बोतल ले आया हूँ।
मैं- मेरी कमर और पीठ पर मालिश कर दे।
आलोक- पर चाची आप तो सीधी लेटी हो और तौलिया भी लगा हुआ है।
फिर मैंने उसे पीछे पलटने को कहा.. तो वो पलट गया और मैंने तौलिया खोलकर उसे अपनी कमर से नीचे बाँध लिया। अब मेरा कमर तक आधा शरीर पूरा नंगा था। फिर मैं बिस्तर पर उलटी लेट गई.. जिससे मेरे मम्मे बिस्तर में छुप गए और मेरी पीठ और कमर बिल्कुल नंगी आलोक से सामने थी।
मैंने उसे पलटने को कहा तो वो सीधा हो गया और मुझे देखकर मुझे निहारने लगा और फिर मेरी मालिश करने लगा।
अब मुझे थोड़ा आराम मिलने लगा था।
वो मेरी कमर पर बहुत ही प्यार से अपने हाथों को फेर रहा था। पीठ पर मालिश करते-करते उसके हाथ मेरे चूचों पर भी टच हो रहे थे.. पर मैंने उसे कुछ नहीं कहा.. क्योंकि मालिश करते टाइम अक्सर यहाँ-वहाँ हाथ लग जाते हैं।
अब वो मेरी कमर की मालिश करने लगा, उसने कहा- चाची जी आपके तौलिये के कारण कमर की ठीक से मालिश नहीं हो पा रही है।
मैं उस वक्त दर्द के कारण कुछ कर भी नहीं पा रही थी, मैंने उससे बोल दिया- तौलिया थोड़ा नीचे सरका दो।
उसने तौलिया को थोड़ा नीचे खिसका दिया.. जिससे मेरी गाण्ड की दरार उसे साफ नज़र आने लगी और फिर वो मेरी मालिश करने लगा।
फिर मालिश करते टाइम उसका हाथ कभी-कभी मेरी गाण्ड को भी छू लेता.. तो मैं एकदम से सिहर जाती। अब तो वो मेरी गाण्ड की दरार में भी तेल की मालिश करने लगा.. पर मैं उसे कुछ बोल नहीं सकी।
करीबन आधे घंटे मालिश करने के बाद मैंने उसको बोला- आलोक अब रहने दो। अब मुझे पहले से ठीक लग रहा है.. बाकी अब कल कर देना।
वो ‘जी चाचीजी’ बोलकर वहाँ से दूसरे कमरे में चला गया।
मैं भी वैसे ही पड़े-पड़े सो गई।
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