RE: Incest Kahani मेराअतृप्त कामुक यौवन
मैं उठी और अपनी पैंटी उठाकर अपनी चूत को साफ करने लगी जिसमें से अभी भी मेरा और देवेश का वीर्य निकल रहा था।
मैंने वो पेंटी उठाकर अपने पर्स में रख ली।
देवेश ने अपने कपड़े पहन लिए थे और मैं उसके सामने अभी तक नंगी थी।
मैंने नई पैंटी पहन कर साड़ी पहनी और फिर जल्दी से खुद को तैयार किया और सीढ़ियों की तरफ जाने लगी।
जाते वक्त देवेश ने मुझे एक अच्छे और स्टाइलिश ब्रा पैंटी गिफ्ट किया और बोला की आप पर ये बहुत अच्छे लगगे।
नीचे दुकान में मनीषा मेरा बहुत देर से इंतजार कर रही थी।
फिर हम लोग वहाँ से कार में बैठकर घर की तरफ आने लगे।
रास्ते में मनीषा मुझसे बोली- तुझे शॉपिंग करने में इतनी देर क्यों लग गई थी?
मैंने कहा- तेरे दोस्त की नज़र मुझसे हटती, तभी तो कुछ शॉपिंग हो पाती।
मनीषा बोली- मुझे सब पता है अंदर क्या हुआ था। जब तुम लोग अपनी चुदाई में व्यस्त थे, तब मैं ऊपर देखने आई थी पर फिर तुम्हारी चुदाई देखकर चली गई थी।
मनीषा के मुँह से यह सब सुनकर मैं घबरा गई पर मुझे पता था कि वो ये बात किसी को नहीं बोलेगी।
तभी मनीषा बोली- दी कोई बात नहीं, आपकी लाइफ है आप चाहे जैसे भी एन्जॉय करो! और वैसे भी देवेश मेरा अच्छा दोस्त है वो भी ये बात किसी को नहीं बताएगा।
मनीषा की बात सुनकर मैं थोड़ा सामान्य हुई और उससे बोली- थैंक यू मनीषा!
और उसके गाल पर एक चुम्मी दी तो वो बोली- बस बस, अब क्या मेरे साथ भी एन्जॉय करना है?
तो मैंने हंसते हुए कहा- इसमें बुराई क्या है?
और फिर हम दोनों हंसने लगे।
थोड़ी देर बाद हम दोनों घर आ गए।
मैंने मनीषा को रूम में बिठाया और फिर उसे अपनी नई ब्रा और पैंटी दिखाने लगी।
मनीषा को उनमें से एक जोड़ी बहुत ही अच्छी लगी तो मैंने उससे ट्राय करने का बोला।
पर उसे घर जाना था तो वो बोली दी मैं कल आऊँगी तब ट्राय कर लूँगी।
मैंने कहा- ठीक है।
और फिर वो चली गई।
शाम के पांच बज चुके थे, बच्चों के आने का टाइम भी हो गया था और अन्नू आ भी चुकी थी।
थोड़ी देर बाद रोहन आया और दरवाजे पर पहुँचते ही उसने मुझे गले लगा लिया और बोला- मम्मी, आज मैं बहुत थक गया हूँ!
तो मैंने उसके होठों पर एक चुम्मी दी और बोली- थोड़ी देर आराम कर ले!
फिर वो अपने रूम में चला गया।
शाम को रवि भी आ गए, फिर हम सब लोगों ने खाना खाया और सब अपने रूम में चले गए।
रूम में पहुँचकर मैंने अपने कपड़े उतार कर गाउन पहन लिया।
मैं गाउन के अंदर केवल पैंटी ही पहने हुई थी और फिर जाकर रवि को अपनी बाहों में भर लिया और उन्हें चूमने लगी।
रवि ने मुझे अपने नीचे लेटाया और मेरे गाउन को उतार दिया और फिर मेरे गोल मम्मों को दबाने और चूमने लगे।
मैंने उनके लंड को अपने हाथों में लिया जो बिल्कुल खड़ा हो चुका था, मैं उनके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
थोड़ी देर बाद उन्होंने लंड को मुख से निकाला और फिर मुझे घोड़ी बनाकर लंड को मेरी चूत पर लगाकर एक जोरदार धक्के के साथ पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया।
मेरी हल्की हल्की सिसकारियाँ पूरे रूम में गूंजने लगी- ऊफ्फ्फ आआहह.. ओओहह.. रवि ओऊहहह.. चोददो ममुझझे.. आहहह ओहहह माआ.. और जोरर से चोदद दो फक्क मीईई रवि..
मेरी आवाज़ें रवि को और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी, रवि भी जोरदार झटकों के साथ मुझे चोदे जा रहे थे।
मैं अब झड़ने वाली थी तो मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं रवि के लंड पर दबाव बनाते हुए झड़ने लगी।
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