RE: Incest Kahani मेराअतृप्त कामुक यौवन
रोहन ले सख्त लण्ड का आधा सुपारा मेरी गांड में घुस चुका था फिर रोहन ने एक और हल्के धक्के में अपना सुपाड़ा मेरी गांड के अंदर कर दिया।
मैं चिल्ला उठी मैंने दर्द में कराहते हुए रोहन को बोला- रोहन, मुझे गांड में दर्द हो रहा है। अब इससे ज्यादा दर्द मैं सहन नहीं कर पाऊँगी।
रोहन बोला- मम्मी, बस अब इससे ज्यादा दर्द नहीं होने दूँगा आपको।
मैं कुछ नहीं बोली और वैसे ही लेटी रही।
रोहन ने कुछ देर के लिये अपने धक्कों को रोक दिया, वो मेरे नॉर्मल होने का इंतेजार कर रहा था।
थोड़ी देर बाद जब उसे लगा कि अब मुझे दर्द नहीं हो रहा तो उसने धीरे धीरे ही अपने लंड के सुपारे को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
वो लंड को धीरे से बाहर करता और फिर थोड़े से दबाव के साथ ही उसे फिर से अंदर कर देता।
ऐसा करते करते उसका लंड मेरी गांड के अंदर जाने लगा था पर इसमें एक मीठे से दर्द के अलावा रोहन के प्यार का एहसास था।
वो इतना धीरे से ये सब कर रहा था कि कब रोहन का आधा लंड मेरी गांड के अंदर बाहर होने लगा, मुझे पता ही नहीं लगा।
मैं भी अब मस्त हो चुकी थी और ‘आआहहहह… रोहन… …आ…आ… हा.. हा.. ओह्ह… मेरे लाल… उफ्फ्फ…’ की सीत्कारें भर रही थी।
फिर रोहन ने अपने लंड का दबाव मेरी गांड पर बढ़ाना शुरू कर दिया और उसका थोड़ा और लंड मेरी गांड के अंदर चला गया।
मैं ‘अआई आअहूचच…’ करते हुए रोहन को बोली- रोहन बेटा, अब इससे ज्यादा अंदर मत डालो, मुझे दर्द हो रहा है।
वो रुक गया और फिर उतने ही घुसे हुए लंड से मेरी गांड को चोदना शुरू कर दिया।
पहले तो वो हल्के हल्के धक्कों से मेरी गांड को चोद रहा था फिर धीरे धीरे उसने अपने धक्कों की गति बढ़ा दी।
रोहन मेरी कमर को पकड़कर मुझे आगे की तरफ धक्के दे रहा था।
मैं भी मीठे से दर्द और मजे के साथ अपनी गांड को अपने बेटे रोहन से चुदवा रही थी।
फिर रोहन ने मुझे वैसे ही पकड़कर उठाया, उसका लंड अभी भी मेरी गांड के अंदर था, वो नीचे लेट गया और मुझे अपने ऊपर बैठा लिया।
अब मैं रोहन के ऊपर बैठी हुई थी और उसका लंड मेरी गांड के अंदर था।
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मैं थक चुकी थी तो मैंने अपना शरीर रोहन के शरीर के ऊपर रख दिया था।
मेरे मम्मे रोहन के सीने पर रगड़ खा रहे थे और फिर वो मेरे होंठों को चूमने लगा।
रोहन के दोनों हाथ मेरी गांड पर थे और वो उन्हें सहला और दबा रहा था।
रोहन ने फिर धीरे से अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और फिर लगातार धक्कों से मेरी गांड में अपना लंड डाल रहा था।
मैं भी कमर उठा कर उसका साथ दे रही थी।
रोहन अब तेजी से मेरी गांड मार रहा था और मेरे होंठों को चूमे जा रहा था।
मेरी कसी हुई गांड ने रोहन को ज्यादा देर तक नहीं टिकने दिया और उसने मेरी गांड को मजबूती से जकड़ लिया और जोर से झटके देते हुए मेरी गांड के अंदर ही झड़ने लगा।
उसका गर्म वीर्य मेरी कसी हुई गांड में काफी देर तक स्खलित हुआ।
रोहन अब निढाल होकर बेड पर ही लेट गया और मैं भी उसके ऊपर लेट गई।
रोहन का लंड अभी भी मेरी गांड के अंदर था।
थोड़ी देर बाद जब रोहन का लंड मुरझा कर बाहर आया तो मुझे दर्द का एहसास होने लगा और मेरी गांड में से रोहन के वीर्य का सैलाब बाहर आकर बहने लगा जो मेरी गांड से होते हुए रोहन के पैरों पर आने लगा था।
आज पहली बार रोहन का इतना वीर्य स्खलन हुआ था।
मैं रोहन से बोली- आज तो दवा खाकर बड़े ही जोश में हैं जनाब? और आज मेरी गांड को भी नहीं छोड़ा।
रोहन बोला- मम्मी, आज तो मैंने आपको थका दिया ना… और आपको दर्द हुआ उसके लिए सॉरी मम्मी।
मैं रोहन को बोली- चल ठीक है, अपनी मम्मी को भी सॉरी बोलेगा अब? और तूने मुझे इतने प्यार से चोदा कि ज्यादा दर्द नहीं हुआ मुझे। आज मैं पहले से ही थकी हुई थी तो ज्यादा देर तक एन्जॉय नहीं कर पाई तेरे साथ।
रोहन मेरे बालों पर हाथ फेरने लगा और मेरे माथे पर चुम्बन करते हुए बोला- मम्मी… आई लव यू… आपने मेरे लिए कितना कुछ किया। मैंने आपसे जो भी बोला आपने मेरी हर वो बात मानी… मम्मा… आई लव यू सो मच!
मैंने रोहन से बोला- आई लव यू टू बेटा… और मैं तेरी बात नहीं मानूँगी तो कौन मानेगा। भला माँ अपने बेटे का ख्याल नहीं रखेगी तो कौन रखेगा?
फिर मैंने रोहन से कहा- अब तूने जो मेरी गांड में फैलाया है उसे कौन साफ करेगा?
मेरे इतना बोलते ही वो उठा और मेरी नई पैंटी को उठाकर मेरी टांगों के बीच आ गया और मेरी गांड के छेद को साफ करने लगा।
मुझे साफ करने के बाद रोहन ने अपनी टांगों को भी साफ किया और फिर हम दोनों आपस में लिपट कर बाते करने लगे।
रोहन का लंड फिर से मेरे नंगे बदन का स्पर्श पाकर खड़ा होने लगा तो मैंने रोहन से कहा- ये महाशय तो फिर से खड़े हो गए लगता है इनका मन नहीं भरा अभी तक?
रोहन हंसने लगा और बोला- मम्मी, आप हो ही इतनी सेक्सी कि मन भर ही नहीं सकता।
मैं भी उसकी बात सुनकर हँसने लगी।
तो रोहन बोला- मम्मी, आप थक चुकी हो तो रहने दो… मैं बाद में आपको परेशान करूँगा।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, मैं इसे सहला देती हूँ।
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