RE: RajSharma Stories आई लव यू
मेरी दुनिया में शायद ऐसे लोगों की फेहरिस्त लंबी नहीं है।
सच ये भी है कि कभी किसी को इस फेहरिस्त में शामिल होने ही नहीं दिया हमने ।
कोई क्या कर रहा है, कोई क्या करता है और कोई क्यों कुछ करता है...
मुझे कभी फर्क नहीं पड़ता। लेकिन चंद पल्लों में कोई इतना खास हो जाएगा, कभी सोचा तक नहीं था।
चार साल का था, तो फेमिली दिप पर मुंबई गए थे। जुहू बीच पर ढेर सारे रेत के घर बना डाले थे... लेकिन जब वहाँ से चलने की बारी आई, तो बहुत मुश्किल था उन घरों को छोड़ के आना। आँख में आँसू थे और फोड़कर आगे बढ़ गया था उन घरों को। उनका नाम शीतल है और वो ठीक उसी रेत की तरह हैं, जिसका फिसलना तय है और मैं उस रेत को पकड़ने की कोशिश कर रहा है। शीतल नाम है उसका। इकत्तीस साल की है और मुझसे छह साल बड़ी हैं। तीन महीने पहले मैं और शीतल, चंडीगढ़ में एक प्रोग्राम कराने साथ गए थे। वहीं हमारी दोस्ती हुई और दोस्ती प्यार में बदल गई। शीतल की हरकतें, उनकी आदतें और उनका अंदाज सच में भा गया था मुझे। बेपरवाह हैं वो, बेफिक्र हैं वो, बेइंतहा हैं वो। शीतल, सच में बो पक्षी हैं, जिसकी फितरत होती है ऊँचा उड़ने की। दुःखों को दबाकर छोटी-छोटी खुशियों में जीना उन्हें अच्छे से आता है, तो अपनों को खुश रखना वो बखूबी जानती हैं। यही वजह है कि चंद दिनों में वो मेरे लिए मोस्ट स्पेशल बन गई हैं। मुझे नहीं पता कि पसंद, प्यार और मोहब्बत क्या होती है। लेकिन जो भी होती है, उस फीलिंग का पहला अहसास हैं वो।" ।
जानती हो डॉली, जब मैंने पहली बार उनका हाथ पकड़ा था न, तो उनकी आँखें बंद हो गई थीं। ऐसा नहीं था कि मैंने पहले किसी लड़की से हाथ नहीं मिलाया था... लेकिन जब शीतल का हाथ पकड़ा, वो पहले स्पर्श का अहसास था। उनके ठंडे हाथ की ठंडक को महसूस करने के लिए मैं कब से बेकरार था। बुशनसीब था कि वो मौका आया। ये पल बेहद हसीन था। ये वो पल था, जिसे मैं जिंदगी में कभी भुलाना नहीं चाहूँगा। जब मैंने पहली बार शीतल की तरफ अपना हाथ बढ़ाया, तो उनके चेहरे की मुस्कान उनके दिल की हालत को बयां किए बिना नहीं रह पाई। ये वो हँसी नहीं थी, जो पहली बार मिलने पर थी। इस हँसी के पीछे एक खुशी थी... किसी को पाने की खुशी। किसी को पाने की खुशी, दुनिया की सबसे बड़ी खुशी होती है। यही वजह है कि उस दिन शीतल का सामने बैठकर बात करने का अंदाज ही अलग था। उस दिन बात करने में करीबी झलक रही थी और एक झुकाव साफ था। वो बात करने में आँख चुरा रही थीं। बात करने में उनकी शैतानी थी और जिसके साथ ये सब होता है, वो मोस्ट स्पेशल ही होता है। सोते-जागते, चलते-फिरते बस शीतल का ही खयाल दिल में रहता है।
शीतल बहुत अच्छे से जानती हैं कि उनके मन में मेरे लिए प्यार का अहसास होना गलत है। वो जानती हैं कि एक दिन यह सब बहुत दर्द देगा... पर शायद वो अपने दिल के हाथों मजबूर थीं। शायद मेरी तरह उन्हें भी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है।
शीतल ने कहा था, तुम्हें पता है, पहली बार तुम्हारा हाथ पकड़ने को मैं तरस रही थी... चाहती थी तुमसे हाथ मिलाना; पर तुम भी राज मियाँ... हृद करते हो, बस हाथ हिला देते हो। इसीलिए कहना पड़ा कि तुमने कभी हैंडशेक क्यों नहीं किया। आज जब तुमने पहली बार हैंडशेक किया, तो उस एक पल के लिए मैं तुमसे आँख तक नहीं मिला पाई। शरमाते हुए नीचे मुंह करके हाथ मिलाया और तबसे उसी पल के दोबारा आने के इंतज़ार में बैठी हूँ। राज, तुम नहीं जानते हो, छब्बीस जनवरी की रात जब मैं और तुम साथ में बस में बैठे थे, तो मैं कितनी बेसब्री से लाइट बंद होने का इंतज़ार कर रही थी। जब बस की लाइट बंद नहीं हुई, तब मैंने घड़ी खुलवाने का बहाना बनाया, ताकि मैं ये महसूस कर मयूँ कि तुम्हारे हाथ का स्पर्श कैसा है। हमारे कमरे में जब आखिरी दिन साथ बैठे थे, तब भी मेरे अंदर बहुत कुछ चल रहा था। उस वक्त मैं लैपटॉप खोलकर जरूर बैठी थी, पर हकीकत ये है कि मैं तुमसे बहुत कुछ कहना चाह रही थी। अफसोस है कि उस रात अपने दिल की बात तुम्हें बता ही नहीं पाई। जानती हूँ, मैं गलत हूँ; मुझे कोई हक नहीं तुम्हें पसंद और प्यार करने का... कोशिश करूंगी कि खुद को रोक लूँ; पूरी कोशिश करूंगी।" । डॉली, छोटी-छोटी चीजों से मिलकर एक बड़ी चीज तैयार होती है... ठीक उसी तरह, जैसे एक-एक बूंद से कोई बर्तन पूरा भर जाता है। पहले एक ईट रखी जाती है और देखते ही देखते पूरा घर बन जाता है। कुछ भी शुरू होता है तो उसके बड़े रूप और स्वरूप की कल्पना ही नहीं होती है... जब वो चीज तैयार होती है, तब पता चलता है कि कितनी खूबसूरत है वो। हम मिले, बातें हुई, हंसी-मजाक भी हुआ, साथ वक्त बिताया। ये सब कुछ एक सुखद अनुभव दे रहा था हम दोनों को। मैं जो कह रहा था, शीतल सुन रही थीं; वो जो कह रही थी, उसे मैं सुन रहा था।
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