RE: RajSharma Stories आई लव यू
'टिंगटोंग' होटल के कमरे की घंटी बजी थी। कमिंग- मैंने बिस्तर पर लेटे हुए ही कह दिया था। सुबह के साढ़े सात बज चुके थे अब तक। दरवाजा खोला तो सामने शीतल खड़ी थीं।
"हाय! गुड मॉर्निंग।"
“गुड मानिंग... इतनी जल्दी तैयार हो गई!"
"हाँ राज मियाँ... दिन निकले हुए कई घंटे हो गए हैं... जल्दी तैयार हो जाइए, नाश्ता करने चलना है"
"ओके, थोड़ी देर में बस।" नाश्ता करने के बाद हम दोनों को चंडीगढ़ ऑफिस, एक मीटिंग के लिए निकलना था। मीटिंग के लिए पहुंचे और दो घंटे बाद ही वापस होटल के रास्ते पर थे।
"आज लंच बाहर करेंगे?"
"हाँ, बिलकुल।"
"और हाँ, मुझे मेरी बेटी के लिए शॉपिंग भी करनी है।"- शीतल ने कहा।
"तुम्हारी बेटी है ! कितने साल की है और क्या नाम है उसका?"
"हाँ, मालविका नाम है उसका और अभी चौदह अप्रैल को उसका पाँचवा बर्थडे है।"
"अरे वाह! मार्केट चलेंगे, कुछ खाएंगे और शॉपिंग भी करेंगे मालविका के लिए।" । मुझे ये पता था कि शीतल शादीशुदा हैं और उनकी बेटी भी है। इसलिए मेरे लिए यह कोई सरप्राइज होने वाली बात नहीं थी। बस मैं अनजान बनकर शीतल से पूछ रहा था। होटल के कमरे में, मैं और शीतल साथ थे।
तभी मैंने अचानक पूछा- “कब हुई तुम्हारी शादी?"
"शादी को कई साल बीत गए हैं, लेकिन करंटली आई एम हैप्पीली सिंगल; मेरा डिवोर्म हो चुका है।" - शीतल ने बड़े कूल अंदाज में जवाब दिया। __
मैं हैरान था। शीतल जैसी लड़की के साथ कोई कैसे कर सकता है ऐसा। आखिर क्या कमी है उनके अंदर? खूबसूरत हैं, नौकरी भी करती हैं और बेटी भी है... फिर ये सब कैसे? में सब जानना तो चाहता था, लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पाया कुछ भी पूछने की। कमरे से बाहर निकलकर हम मार्केट की तरफ चल दिए। सबसे पहले उनकी पाँच साल की बेटी के लिए ढेर सारे खिलौने खरीदे। पहली बार मैं किसी बच्चे के लिए शॉपिंग कर रहा था
और पहली बार मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी अपने के लिए कुछ खरीदने आया हूँ। मुझे शीतल के साथ चलना, साथ घूमना अच्छा तो लग रहा था लेकिन ये प्यार था या नहीं, मुझे नहीं पता।
एक बहुत ही छोटी-सी दुकान पर गर्मागर्म पकौड़े हमने ऑर्डर किए। शीतल साथ थीं, इसलिए शायद पकौड़े का स्वाद कई गुना बढ़ गया था। इसके बाद शीतल की पसंदीदा पावभाजी और मसाला डोसा।
"कैसे हुआ तुम्हारे साथ ये सब शीतल?"
"राज, मैंने उस इंसान से लव मैरिज की थी।"
"तो, फिर...ये सब.."
"हाँ, मैंने गलत आदमी चुन लिया था।"
"मुझे इसीलिए शादी से डर लगता है।"
“अरे राज मियाँ; मैंने गलत आदमी चुन लिया तो क्या हुआ, तुम तो प्यार कर सकते हो किसी से। जरूरी तो नहीं कि तुम जिससे प्यार करोगे, वो भी गलत निकलेगा।"
मैं नहीं जानता था कि जो शीतल मुझे प्यार करने के लिए कह रही हैं, आखिरकार बो मुझे पसंद करने लगी हैं।
होटल के रास्ते से लेकर होटल पहुँचने और शाम तक उनके कमरे में बैठे रहने तक शीतल ने अपनी जिंदगी के उन सभी पहलुओं से पर्दा उठा दिया था, जो मैं जानना चाहता था। उनकी जिंदगी एकदम खुली किताब की तरह थी। अपना रिलेशनशिप स्टेटस उन्होंने किसी से नहीं छिपाया था।
"राज, मैंने उस शख्स से इतना प्यार किया, कि अब मेरे पास प्यार बचा ही नहीं है। मैंने उसे दिल से चाहा था; मैं पागल थी उसके लिए। शायद यही वजह थी कि बाईस साल की उम्र में मैंने शादी भी कर ली थी।"
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