RE: RajSharma Stories आई लव यू
शीतल और मैं, उनके कोच सी-1 की तरफ बढ़ रहे थे। दो बैग उन्होंने पकड़े थे और कुछ लगेज मेरे पास था। शीतल अब अपनी सीट पर बैठ चुकी थीं। ये साथ बिताया हुआ आखिरी पल था चंडीगढ़ में।
"ठीक है शीतल, बॉय, टेक केयर।" मैंने उनसे नजरें चुराते हुए कहा था।
"नाइस मीटिंग यू।"
मैं बिना उनकी तरफ देखे, सी-1 कोच से बाहर निकल गया। कोच के भीतर अगर मैं शीतल की तरफ देख लेता, तो अपने आँसू रोक नहीं पाता। लेकिन सी-1 कोच से सी-5 कोच की तरफ जाते वक्त भी आँसू कहाँ रुके थे। ऐसा लग रहा था जैसे सब-कुछ खो दिया है मैंने। जिंदगी में कुछ नहीं बचा है मेरे पास। एक दुःख ये था कि शीतल को अपने दिल की बात नहीं बता पाया और एक दुःख उनके आज के व्यवहार ने दिया था। लगेज, मीट के ऊपर रखकर सीट में समा गया था मैं। बहती हुई मेरी आँखें विंडो से बाहर देखे जा रही थीं। फोन अभी भी मेरे हाथ में था; इस उम्मीद के साथ कि शायद शीतल का कोई मैसेज आएगा। अगले दो मिनट तक उनका मैसेज नहीं आया तो वाट्सएप खोलकर रात के मैसेज को पढ़ने लगा।
रात में जो शीतल ने कहा था, वो अब समझ में आया था। शीतल ने कहा था, 'दिन निकलने वाला है, सपना टूटने का वक्त हो गया है।'
शीतल किस सपने की बात कर रही थीं, मैं अब पूरी तरह समझ गया था। शीतल के दिल में मेरे लिए जगह बन गई थी। उन्हें हमारा साथ टूटने पर दुख हो रहा था। वो परेशान थीं इस बात से, कि कल हम वापस दिल्ली चले जाएंगे और फिर मब पहले जैसा हो जाएगा। जिंदगी के ये बेहद खूबसूरत तीन दिन फिर कभी लौट के नहीं आएंगे।
फोन पर मैसेज टोन ने एक खलल डाल दिया था, लेकिन खुशी इस बात की थी कि मैसेज शीतल का ही था।
“नाइस मीटिंग विद यू राज....सॉरी फॉर माई बिहेवियर.....बिल बि फाइन सून; थेंक्स फॉर गुड़ मेमारीज। - शीतल"
उनके इस मैसेज को पढ़कर मेरे आँसू मेरे कंदरोल से बाहर हो गए। आँख बंद की, तो भी आँसू बाहर बह निकले। पास बैठी एक मैडम मुझे रोते हुए देख भी रही थीं। मेरी नजर उन पर पड़ी तो खुद को सँभाला।
प्यार रुलाता बहुत है साहब । खुशनसीब होते हैं, जिन्हें प्यार में रोना नसीब होता है।
मैमेज का सिलसिला जारी था। मैंने भी उन्हें मैसेज में कह दिया, “आई डोंट नो शीतल, वॉट आर यू थिंकिंग: रात भी तुमने कुछ गलत नहीं कहा था, आई एम रीडिंग योर चैट... तुम भी फिर से पढ़ना, रीयली हैप्पी टू हेव यू एज ए फ्रेंड, काइंडली टेक केयर योरसल्फ।"
"चलो छोड़ो जी... क्या फालतू सोचना... आगे का पता नहीं, पर ये छोटी-मी मुलाकात खूबसूरत थी, एनज्वॉय एंड टेक केयर।"- शीतल का मैसेज था।
"फालतू! गोट...तुम एनज्वॉय करो।
"जी, मैं फालतू बहुत सोचती हूँ, बुद्धि खराब है मेरी... और हाँ, कभी मौका मिले तो ऑफिस के पास जो समोसे बाला है, उसका रास्ता बता दीजिएगा, आई लब समोसे, गॉड ब्लेम यू।" - उनका मैसेज था। होटल में यूं ही ऑफिस के पास समोसे बाले का जिक्र कर दिया था शीतल से। मैं हैरान था, उन्हें ये छोटी-सी बात तक याद थी मेरी।
“अगर सिर्फ रास्ते की बात है, तो ऑफिस की पाकिंग से थोड़ा आगे है; आई एम श्योर, यू विल रियली एनज्वॉय देयर।" - मैंने थोड़ा गुस्से में रिप्लाई कर दिया था।
“थॅंक यू राज जी।" उन्होंने मैसेज किया।
“नो नीड टू से 3क्स शीतल; इतनी दोस्ती है तुमसे, कि बिना थॅंक्स के कुछ बता सकें तुम्हें एंड आई बिल रियली मिस योर कंपनी ऑलवेज।"- मैंने भी लिख दिया था।
"सेमहीयर। विश यू बेस्ट ऑफ लक इन योर फ्यूचर।"
“थैक्स, एनज्वॉय योर जर्नी, अपना खयाल रखना।"
"श्योर...जर्नी के शुरू में ही बॉय बोल देती हूँ...क्योंकि हमारी सीट अलग हैं, हमारे कोच अलग हैं... हमारे स्टेशन अलग हैं, डिपार्टमेंट अलग हैं...जिंदगी अलग है; बाय!"
“गुड...थोड़ा मुश्किल है मेरे लिए बाय बोलना।"
“जिंदगी बहुत-सी चीजें हमसे करा लेती है। कभी किसी के लिए तुम्हारे मन में कुछ खूबसूरत अहसास होगा, तब जरूर समझोगे तुम; अभी शायद मुश्किल होगा तुम्हारे लिए। राज, कभी प्यार हुआ नहीं तुम्हें किसी से। बेहद खूबसूरत और मुश्किल होता है। कभी भगवान ने चाहा तो जरूर मिलेंगे।'- शीतल का मैसेज था ये।
"इतना सब मुझे बताने की बजह और जरूरत?"
"वजह बताई नहीं जाती...जरूरत महसूस कराई नहीं जाती। राज, पागल हूँ मैं; बम दिल में कुछ रख नहीं पाती, छुपाना नहीं आता कुछ भी... तुम इग्नोर मार दो।" उन्होंने कहा था।
"तुम तो छुपा ही रहे हो। इग्नोर करने वाली बातें नहीं हैं ये सब; बताएंगे तो अच्छा लगेगा मुझे। मैं फोर्स नहीं कर रहा हूँ आपको... एज यू विश।"
“राज, क्या मेरे बताने से कुछ बदल जाएगा? जिस दिन तुम ये जवाब दे पाओगे, उस दिन बहुत कुछ बताऊँगी तुम्हें, वादा है मेरा... वर्ना जाने देंगे सच में।"
"शीतल आई वॉन्ट टू नो, प्लीज टेल मी... चीजें बदलती भी हैं, समझे।" __
|