RE: RajSharma Stories आई लव यू
"शीतल और पास आहए न कम के हग कर लीजिए न।" - मैंने कहा था। शीतल ने अपनी बाँहों को और कस लिया। जैसे ही उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में भरा, तो मैं बिलकुल पागल हो गया। मैंने अपने एक हाथ से उनकी उँगलियों को कसकर पकड़ लिया। अब मेरी उँगलियाँ धीरे-धीरे उनके हाथ की कलाई की तरफ और उसके बाद ऊपर तक बढ़ती जा रही थीं। उन्होंने अपनी बाँहों को और कस लिया। उनकी मॉमें एक बार फिर गर्म होने लगी, उनका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा था। उनका पेट भी ऊपर-नीचे होने लगा था। मैंने अपना हाथ पीछे की तरफ किया, तो उनके होंठों से मेरी उँगलियाँ टकरा गई।
दूर-दूर तक कोई गाड़ी आती और जाती नहीं दिख रही थी। मैं इस मौके को जाने देना नहीं चाहता था। शायद यही वो मौका था, जब मैं शीतल को सबसे बड़ी खुशी दे सकता था। उनको तो शायद कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। वो तो बस मुझे कस कर पकड़े हुए थीं। तभी मैंने स्कूटी रोकी और हेलमेट उतारा, तो वो डर गई।
"क्या हुआ राज? चलिए न।"- उन्होंने कहा। “
शीतल, ये मौका दोबारा नहीं आएगा, प्लीज।”- मैंने कहा। मेरे इतना कहने पर उन्होंने एक गहरी साँस ली और अपनी आँखें बंद कर ली। मेरे और उनके रिश्ते में एक अच्छी बात ये थी, कि वो क्या चाहती हैं, मैं अच्छे से समझता था और मैं क्या चाहता है, वो अच्छे से समझती थीं।
उनकी आँखें बंद होते ही मैंने अपना चेहरा पीछे घुमाया और अपने हाथों से उनके चेहरे को पकड़ लिया। इसके बाद अपने होंठों को धीरे-धीरे उनके होंठों की तरफ बढ़ाया। मरे होंठ उनके नजदीक आ रहे थे और उनके होठ काँप रहे थे। जैसे ही मेरे होंठों ने उनके होंठों को छुआ, तो ऐसे लगा जैसे हम दोनों आसमान में सैर कर रहे हैं। आस-पास कुछ भी नजर नहीं आ रहा था। हम दोनों भूल गए थे कि हम सड़क पर है। तकरीबन एक मिनट एक इस बेहद खूबसूरत चुंबन के दौरान मेरे हाथ उनके बालों में चले गए। हम दोनों एक दूसरे में खो गए थे। सामने से आती कार की रोशनी अगर कुछ देर न आती, तो इस हसीन पल का आनंद कुछ देर और ले सकते थे।
उनकी आँखें अभी भी बंद थीं। मैं कुछ भी बोलकर शीतल को उस पल से बाहर नहीं लाना चाहता था। स्कूटी चल चुकी थी।
शीतल ने इतना कस कर मुझे पकड़ रखा था, कि उनके नाखून मुझे लग रहे थे, फिर भी मैं कुछ नहीं कह रहा था।
स्कूटी अपने रास्ते खुद चल रही थी, क्योंकि दिल-दिमाग में तो बही पल चल रहा था। शीतल को छोड़कर मैं कब घर पहुंच गया, पता ही नहीं चला। आज जो हम दोनों के बीच हुआ, वो खुमारी के लिए काफी था। खाना खाकर वाट्सएप चालू किया तो शीतल का मैसेज सबसे ऊपर था।
“राज, हम दोनों सिर्फ दोस्त हैं और उसी नाते आपसे कुछ कह रहे हैं। सच में आज आपके साथ स्कूटी पर आकर बहत अच्छा लगा। एक पल के लिए हम अपने सारे दुःख और अपने अतीत को भूल गए थे। आपने चंडीगढ़ के दिनों की याद दिला दी।
आपको पता है, पहली मंजिल पर आजकल कुछ ज्यादा ही आने लगी हूँ। हँसी भी आती है, जब कई बार उटपटाँग हरकतें करती हूँ आपके प्यार में। सच बोलूँ तो कई बार आपके लिए भी बुरा लगता है।
हैरान हो गए न? पर राज जी, सच में कई बार बुरा लगता है आपके लिए।
हमें आपके दिल की बात पता है, कि आप हमें बेहद प्यार करते हैं; बावजूद इसके, हम आपसे उसे भूलने को कहते हैं। चाहते भी हैं कि हम दोस्त बने रहें... फिर सोचते हैं कि वो आपके साथ ज्यादती होगी।
अगर आपको लगता है कि आप हमें सिर्फ दोस्त की नज़र से नहीं देख पाएँगे, तो अभी भी समय है, बता दीजिये; क्योंकि उससे ज्यादा हमसे कुछ हो न पायेगा... हम आपको कोई खुशी दे नहीं पाएंगे और आपको आगे कोई परेशानी हो, बो हम बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। यकीन मानिए, हम आपसे दूरी बना लेंगे।"
"शीतल, चंडीगढ़ से पहले और चंडीगढ़ में पहले दिन तक आपके चेहरे की हँसी मैंने देखी ही नहीं थी। अगर आप मुस्कराए भी हों, तो कभी गौर नहीं किया। चंडीगढ़ ने आपके चेहरे पर जो मुस्कान दी है, उसके लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ। मैं अपना दु:ख बर्दाश्त कर लूँगा, पर आप खुश रहें, मैं यही चाहता है। आपके साथ चलते-चलते, कदम मिलाते-मिलाते, लगता है दुनिया की सबसे बड़ी खुशी मेरी झोली में ही है। आप बात करते हैं, तो लगता है सब-कुछ है मेरे पास । मैं हमेशा आपसे बात करते रहना चाहता हूँ, मैं हमेशा आपके चेहरे पर मुस्कान देखना चाहता हूँ। आपकी छोटी-छोटी हरकतें, आपका बेफिक्रपन, सच में बेहद खूबसूरत है; आपका अंदाज तो जुदा है सबसे।
आप मेरी परवाह किए बिना यूँ ही बात करते रहिए, मिलते रहिए।
आप जैसा कोई शब्म मुझे कभी मिलेगा भी, यह तो मैंने सोचा भी नहीं था। मुझे भी कभी किसी से प्यार हो जाएगा, विश्वास ही नहीं था। लेकिन अब आप मिले हैं, तो मैं खोना नहीं चाहता हूँ।"- मैंने जवाब दिया था।
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