RE: RajSharma Stories आई लव यू
"कल का याद हैन, मालविका का बर्थ-डे।" ।
“हाँ बाबा, याद है; मैं सुबह सात बजे आ जाऊँगा।"
"पहले हम लोग मंदिर चलेंगे, पूजा कराएँगे, फिर मालविका के स्कूल और उसके बाद घूमने।"
ओके। बारिश तेज हुई तो मैं मयूर विहार पार्क के सामने एक साउथ इंडियन कॉर्नर पर ठहर गया। अक्सर कभी कॉफी पीने या डोसा खाने का मन करता था, तो मैं यहाँ चला आता था। दुकान के मालिक भुबन भैय्या थे। बिहार के रहने वाले थे। सुबह-सुबह चाय के टाइम उनसे खूब गप्पे मारा करते थे। बारिश के बढ़ने के आसार देखकर मने एक हॉट कॉफी ऑर्डर कर दी थी।
"हाय राज ! कैसे हो?"- डॉली का मैसेज था।
"ओह हाय। मैं अच्छा हूँ, तुम बताओ।"
“यार बहुत थकान हो गई थी...जल्दी भी उठे थे आज...मो गई थी मैं तो...अभी उठी हूँ। मॉम-डैड कहीं बाहर गए हैं: तुम ऑफिस में हो अभी- उसने कहा।
"नहीं नहीं, मैं घर के पास ही हूँ।"
"घर के पास कहाँ? मयूर विहार में ना।"
"हाँ...इम्फेक्ट तुम्हारे घर के पास...पार्क बाले साउथ इंडियन कॉर्नर पर: तुम भी आ जाओ, कॉफी पीते हैं..."
“आई लव कॉफी; पर बाहर तो बारिश हो रही है न... कैसे आ पाऊँगी?"
"अरे दर थोड़ी है...तुम्हारे तो घर के सामने ही है: आ जाओ न यार।"
"ओके डियर...बेट, आई एम कमिंग।"
"भैय्या थोड़ी देर से देना कॉफी...एक फ्रेंड भी आ रही है।" मयूर विहार में सिंगल रहने वाले लोगों का अड्डा यही हुआ करता था। सुबह और शाम के समय चाय, कॉफी, ब्रेड बटर के साथ नाश्ते की बाकी चीजों के लिए यहाँ भीड़ लगा करती थी। आज तो मौसम भी काफी खुशमिजाज था। बारिश की बूंदों के बीच गर्मागर्म डोसा, इडली साँभर की खुशबू और चाय-कॉफी के कपों से निकलता धुआँ किसी को भी मदहोश करने और मुँह में पानी लाने के लिए काफी था। दुकान के सामने राउंड टेबल पर चार-चार के सेट में कुर्सियाँ लगी हुई थीं। खड़े होने के लिए भी कई स्टेंडिंग सेट लगे थे। कुल मिलाकर पचास लोग यहाँ बड़े आराम से बैठ सकते थे। मैं भी एक राउंड टेबल सेट पर बैठकर बारिश की बूंदों को निहार रहा था। शीतल के साथ बिताए सुबह के पलों के बारे में सोचकर चेहरे पर मुस्कान आ गई थी। इस पल के लिए भगवान का शुक्रिया भी अदा कर चुका था।
'हेलो!'- डॉली ने हाथ हिलाते हुए कहा।
"हाय! आओ अंदर...भीगो मत बाहर।"
"तो कैसा रहा तुम्हारा दिन?"
"बहुत खूबसूरत।"
"भैय्या अब दो कॉफी देना।”
"कोई खास वजह इस खूबसूरत दिन की?"
“बजह तो तुम जानती ही हो।"- मैंने कहा।
"हम्म...तो जनाब मिल लिए अपनी जान से?"
"हाँ यार, सच में जान ही तो हैं वो मेरी।"- मैंने कहा।
“कितना प्यार करते हो न तुम शीतल को...और कितनी सच्चाई से उस प्यार को बयां भी कर देते हो...गुड।"- डॉली ने कहा।
"अगर किसी को सच्चा प्यार करते हो, तो बयां करने में प्राब्लम क्या है? मुझे प्यार छिपाना नहीं आता है डॉली।"
"जानती हूँ, तभी तो तुमने सब बता दिया था अपने और शीतल के बारे में...ये अच्छाई है तुम्हारी।"- डॉली ने कहा।
कॉफी आ चुकी थी। डॉली ने कॉफी का कप उठाया और उसे अपनी नाक के पास ले जाकर कहा, “आई लव कॉफी।"
“यू नो राज, मुझे न कॉफी की खुशबू बहुत प्यारी लगती है...मैं कॉफी पीने से पहले उसकी खुशबू एनज्वॉय करती हूँ।"-डॉली किसी छोटी बच्ची की तरह कॉफी के कप को अपनी नाक के पास ले जा रही थी।
'अच्छा । "हम्म... तुम भी करके देखो...ऐसे लगता है जैसे जन्नत मिल गई हो; करके देखो।" डॉली मुझसे कह रही थी।
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