RE: RajSharma Stories आई लव यू
शीतल का फ्लैट फन्ट फ्लोर पर था। सीढ़ियों तक बच्चों की आवाजें आ रही थीं। मैं समझ गया था कि पार्टी में शामिल होने बच्चे आ चुके हैं। मैंने डोरबेल बजाई। दरवाजा शीतल ने ही खोला। व्हाइट और गोल्डन रंग का सूट, कानों में बड़े से झुमके, खुले बाल, आँखों में काजल और सेंट की महकती खुशबू। एक पल के लिए मैं सब-कुछ भूल गया। न मैंने कुछ बोला और न शीतल कुछ बोल पाई। हम दोनों स्तब्ध होकर एक-दूसरे की आँखों में देखते रहे। मैं शीतल को देखकर हैरान था और शीतल मुझे वहाँ देखकर। तभी मालविका ने हम दोनों को एक सपने से जैसे बाहर निकाला।
"हेलो अंकल ।"
"हैप्पी बर्थ-डे बेटा।"- यह कहते हए मैंने मालविका को गोद में उठा लिया। मालविका और शीतल ने बिलकुल एक जैसी रैस पहनी थी। शायद दोनों ने जान बूझकर एक जैसी ड्रेस इस खास मौके के लिए तैयार कराई थी। मालविका बिलकुल शीतल पर गई थी।
"आओ राज, अंदर आओ।"- शीतल ने कहा। मैं मालविका को लेकर अंदर बढ़ा। शीतल मुझे सामने रखे सोफे पर बैठने के लिए कहकर परिवार के बाकी लोगों को बुलाने चली गई। मालविका अभी भी मेरे पास थी।
उसके कुछ और दोस्त भी मेरे पास आ गए थे। मैंने ढेर सारे गिफ्ट मालविका को दिए और एक पैकेट से चॉकलेट निकालकर उसके बाकी दोस्तों को बाँट दी। तब तक शीतल अपने मम्मी-पापा को लेकर आई। नमस्ते हुई,हालचाल पूछे गए। ___“पापा, ये राज हैं; ऑफिस में मेरे साथ काम करते हैं और मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं।" - शीतल ने ये कहकर मेरा परिचय कराया था।
वैसे ऑफिस में केवल मैं ही पार्टी में पहुंचा था। मेरी और शीतल की उम्र का अंतर साफ झलक रहा था, तो ये उनके पापा और मम्मी के लिए चौंकने वाली बात नहीं थी। पार्टी में शामिल होने के लिए लगभग सभी लोग आ चुके थे।
केक तैयार था। सभी बच्चों ने बर्थ-डे बाली टोपी पहन ली थी। शीतल ने हल्का म्यूजिक चला दिया था। शीतल के पापा और मम्मी ने मालविका के साथ खड़े होकर केक कटबाया, तो पूरा घर हैप्पी बर्थ-डे टू यू मालविका' से गूंज उठा। शीतल बहुत खुश थीं। तभी मैंने उनसे ये पूछ भी लिया "खुश हो न तुम?"
शीतल का जवाब था- "हाँ, बहुत खुश है। मालविका पाँच साल की हो गई है और इस खुशी के मौके पर वो मेरे साथ है, जिसे मैं दिल-जान से ज्यादा प्यार करती हूँ... ये खुशी तुम्हारे बिना अधूरी ही रहती।"
मैंने इसका जबाब मुस्कराकर दिया। मालविका और उसके छोटे-छोटे दोस्त डांस कर रहे थे। मैं, शीतल के पापा-मम्मी और बाकी बच्चों के पैरेंट्स साथ बैठे थे। खाना भी लग चुका था। शीतल ने मुझसे खाने के लिए कहा, तो मैंने यह कहकर टाल दिया कि पहले बाकी लोगों को कराओ। मैं और आप बाद में करते हैं। इसके बाद शीतल ने बच्चों के पैरेंट्स और बच्चों को खाने के लिए बुलाया। मैं साइड में खड़ा था।
“राज बेटा खाना लोन ।'- शीतल के पापा ने पास आकर कहा।
"अंकल मैं लेताहूँ...बाकी लोगों को पहले करने दीजिए।"
"चलिए फिर ये सभी लोग डिनर कर लें, उसके बाद हम और आप साथ डिनर करेंगे; आप तो घर के हैं।"
शीतल के पापा की इस बात ने मेरे चेहरे पर खुशी ला दी थी। अब तक मेरे अंदर जो डर था, कि अंकल मेरे बारे में क्या सोच रहे हैं, बो इस बात के बाद निकल गया था। मैं और अंकल अभी भी साथ ही खड़े थे। बीच में शीतल भी हालचाल पूछ गई थीं। थोड़ी देर बाद सब लोग खाना खाकर चले गए।
अब घर में बचे तो मैं, शीतल, अंकल-आंटी, शीतल की बहन, भाई-भाभी और मालविका।
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