RE: RajSharma Stories आई लव यू
शाम के ठीक सात बजे थे। मैं और शीतल, डॉली से मिलने के लिए कनॉट प्लेस जा रहे थे। फोन की घंटी बजी थी। ऑक्सफोर्ड बुक स्टोर के सामने स्कूटी रोककर फोन निकाला, तो डॉली का ही फोन था।
"हेलो डॉली, कहाँ हो तुम?"
“मैं ऑफिस से फ्री हो गई हूँ: तुम लोग आ रहे हो न?"
"हाँ, मैं और शीतल कनॉट प्लेस में ही हैं...ऑक्सफोर्ड बुक के बाहर।"
“ओके...तो कहाँ मिलना है?"
"ऐसा करते हैं, हम लोग कॉफी हाउस मिलते हैं।" शीतल ने भी कॉफी हाउस के लिए हामी भर दी।
"इंडियन कॉफी हाउस न?"
"हाँ...वहीं मिलते हैं।"
"डॉली कहाँ है अभी?"
"वो कॉफी हाऊस के पास ही है, बस पहुँच रही है।"
“यहीं रहती है क्या वो?"
"नहीं, यहाँ वकिंग है बो।" कुछ ही देर में मैं और शीतल कॉफी हाउस पहुंच गए। कॉफी हाउस के टैरेस पर पहुँचे, तो डॉली पहले से बेट कर रही थी। मुझे और शीतल को देखकर वो खड़ी हो गई।
"हेलो राज!"- उसने कहा।
"हेलो...कैसी हो?"- मैंने कहा।
“एकदम बढ़िया....एंड यू आर शीतल!''- उसने शीतल की तरफ देखते हुए कहा।
"हाय...आई एम शीतल।"- शीतल ने डॉली की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा।
"यू आर रियली बेरी प्रेटी...ऐसे ही कोई पागल नहीं है तुम्हारे लिए।"- इतना कहकर डॉली हँसने लगी।
"तो क्या ऑर्डर करना है?"- मैंने टेबल पर बैठते हुए कहा।
"क्या लोगी डॉली?"-
शीतल। "कुछ भी।"-
"अरे, कुछ भी क्या...बताओ क्या ऑर्डर करना है? शीतल, तुम्हारे लिए?"- मैंने पूछा।
“मैं चॉकलेट मिल्क लूँगी; तुम बताओ डॉली।"- शीतल ने पूछा।
"मेरे लिए हॉट करीम कॉफी।"- डॉली ने मेन्यू देखकर बताया।
"ओके...एक चॉकलेट मिल्क, एक हॉट क्रीम कॉफी और एक मैंगो शेक; साथ में दो प्लेट चीज़ टोस्ट।" - मैंने ऑर्डर किया।
"डॉली, यही हैं शीतल।" __
_हम्म...बहुत अच्छी हैं...और जानती हो शीतल, जब हम ऋषिकेश से लौट रहे थे, तो पूरे रास्ते बस आपकी ही बात होती रही थी।"- डॉली ने मुस्कराते हुए कहा।
"अच्छा ...बताया हमें राज ने।"- शीतल।
"सच में राज और आप एक-दूसरे के लिए ही बने हैं। दोनों साथ बैठकर बहुत अच्छे लगते हैं आप...और राज बहुत प्यार करता है तुम्हें ।"- डॉली।
"आई नो...तो डॉली क्या करती हो तुम?"-
शीतल।। “मैं एक कंपनी में कॉस्टयूम डिजाइनर है...यू कैन से फैशन डिजाइनर आलसो।"
डॉली। “वाओ! बेरी गुड; तुमको देखकर ही लग रहा है कि कितनी स्टाइलिश हो तुम।" –
शीतल।
"थॅंक यू मैम।"-
डॉली। “दिल्ली से ही हो? कहाँ है घर तुम्हारा?"-
शीतल। "हाँ, आई एम फ्रॉम दिल्ली...मेरा घर मयूर विहार में है...राज के पास ही।"
टेबल पर बेटर हमारा ऑर्डर रखकर चला गया था। सबने अपनी-अपनी चीजें ले ली थीं। डॉली और शीतल एक-दूसरे से बातें करने में मशगूल थीं। दोनों को एक-दूसरे से बातें करने में मजा आ रहा था। दोनों एक-दूसरे की कंपनी एनज्वॉय कर रही थी। मैं उनकी बातों में शामिल होकर भी शामिल नहीं था। मैंगो शेक का गिलास हाथ में लिए, मैं उस दिन के बारे में सोच रहा था, जब पापा और लड़की वाले मिलने आएँगे। अगर मैं चुप रहा और लड़की वालों ने मुझे पसंद कर लिया, तो क्या होगा? मेरी शादी तय हो जाएगी एक ऐसी लड़की मे, जिसे मैं जानता तक नहीं हूँ। और अगर मैंने शादी के लिए मना कर दिया, तो पापा घर से बाहर निकाल देंगे। इस बारे में मम्मी से भी बात कर चुका था। मम्मी भी समझाने वाले लहजे में ही बोली थी
“राज, तुम्हारे पापा बहुत टेंशन में है शादी को लेकर; तुमसे जब भी शादी की बात की जाती है, तुम मना कर देते हो...कोई वजह भी नहीं बताते हो। तुम्हारे सारे दोस्तों की शादी हो चुकी है; नमित और शिवांग की शादी को दो साल हो चुके हैं, तुमने ही बताया था...ज्योति की भी शादी है अगले महीने बेटा कब करोगे शादी? यही उम्र है शादी की। जिन लड़की वालों के साथ पापा तुमसे मिलने आ रहे हैं, वो देहरादन के रहने वाले हैं; अच्छा परिवार है, लडकी गवर्नमेंट टीचर है देहरादून में। फोटो हमने देखा है, सुंदर है लड़की; हाइट भी पाँच फीट चार इंच है... ठीक-ठाक रुपया भी खर्च करेंगे शादी में; तुम बस हाँ करो शादी के लिए।"
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