RE: RajSharma Stories आई लव यू
मुझे उम्मीद थी कि मम्मी शायद मुझे समझेंगी... पर उनकी इन बातों ने मेरी वो उम्मीद भी खत्म कर दी। मम्मी ने भी साफ-साफ शादी के लिए हाँ करने के लिए कह दिया, तो मैं शीतल के बारे में उन्हें बताने की हिम्मत ही नहीं कर पाया।
"बात रुपये-पैसे की नहीं है... मैं खुद अच्छा कमाता हूँ; बस मुझे शादी के लिए वक्त चाहिए थोड़े दिन और।"- मम्मी से बस मैं इतना ही कह पाया था।
"राज, तुम कहाँ खो गए हो?" - शीतल ने मुझे खयालों से बाहर निकाला।
"कहीं भी नहीं...आप दोनों की बातें सुन रहा हूँ और मैंगोशेक एंज्वाय कर रहा हूँ।"
"पर मैंगोशेक तो तुमने पी ही नहीं; कब से हाथ में लेकर बैठे हो।"- शीतल।
"अरे, आराम से पी रहा हूँ।" ।
"चलिए जल्दी फिनिश करिए, हमें घर भी जाना है; मालविका इंतजार कर रही है जनाब।"- शीतल।
'ओके।'
"डॉली बहुत अच्छा लगा तुमसे मिलकर...बी बिल कीप इन टच ।"- शीतल ने डॉली से कहा।
"श्योर मैम...आई एम रियली वैरी हैप्पी टूमीट यू।"-
'फिनिश।'- मैंने मैंगोशेक का गिलास टेबल पर रखते हुए कहा।
"तो फिर चलें?"- शीतल।
“मैम फिर मिलते हैं कभी...आई विल बी रियली वेरी हैप्पी अगर आप लोगों की शादी में आऊँ।"- डॉली ने इतना कहा तो हम सबके चेहरे पर मुस्कराहट छा गई।
"काश! ऐसा हो पाता डॉली।"- शीतल ने कहा।
“मैम बिलीव इन गॉड...जरूर होगा ऐसा।"- डॉली ने शीतल की हथेली को पकड़ते हुए कहा।
शीतल अपनी स्कूटी पर बैठते हुए बस मुस्करा रही थीं।
"राज, तुम तो मयूर विहार ही चलोगे न?'- डॉली ने पूछा।
'हाँ।
देन आई विल ड्रॉप यू।"- डॉली ने कहा।
"तुम कार से हो?'- मैंने पूछा।
'हाँ।'- डॉली ने कहा।
"ओके शीतल...आराम से जाना; मैसेज करना पहुँचकर।" - शीतल को हग करते हुए मैंने कहा।
“ओके बॉय...यू बोथ टेक केयर ।”- शीतल इतना कहकर आगे बढ़ गई, मैं और डॉली, कार से घर के लिए चल पड़े।
___“राज, तुम्हारी प्रॉब्लम मैं समझ सकती हूँ; मैं जानती हूँ तुम टेंशन में हो...पर डोंट बरी, सब ठीक होगा।"- डॉली ने कहा।
___“पता नहीं डॉली, कैसे होगा सब ठीक...माँ से भी बात की। उन्होंने भी मेरी बात सुनी ही नहीं...वो भी बस ये ही बोली कि शादी के लिए हाँ कर दो...कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या करे?" - मैंने कहा।
"तुमने शीतल को बताया?"
"हाँ यार...सुबह बताया उन्हें भी; बो भी काफी परेशान हैं। सिर्फ कल का दिन बीच में है...परमों बो लोग आएंगे दिल्ली: मुझे कल ही कुछ करना होगा, बरना प्रॉब्लम हो जाएगी।"
“पर राज, शीतल सच में बहुत प्यारी हैं. हमी तो उनकी रुकती ही नहीं है...उनकी आँखों में तुम्हारा प्यार दिखता है। वो दिल से तुम्हें अपना मान चुकी हैं..तुम अगर उनकी जिंदगी में नहीं रहोगे, तो टूट जाएँगी बो; तुम एक उम्मीद हो उनके लिए जीने की।" ___
“डॉली, जान हैं वो मेरी...और उनकी जान मुझमें बसती है। हम दोनों एक-दूसरे के लिए ही बने हैं...अगर अलग होना पड़ा, तो जिंदगी थम जाएगी दोनों की ही।" ___
“राज, आई नो यार, शीतल के लिए तुम्हारा प्यार भी दिखता है..तुम्हें बताने की जरूरत ही नहीं है। भगवान करे तुम दोनों जल्दी से एक हो जाओ।"
“पर कैसे डॉली...कैसे?" ।
“राज, सच बताऊँ तो तुम लोगों के लिए मुझे टेंशन होने लगी है अब।
" बात करते-करते हम मयूर बिहार कब पहुँच गए पता ही नहीं चला। डॉली ने गाड़ी अपने घर के बाहर पार्क कर दी।
"अच्छा डॉली, फिर मिलते हैं।"- मैंने उतरते हुए कहा।
"राज, घर आओ न।"
"डॉली, तुम जानती हो आज टेंशन में हूँ... फिर कभी; जब ये सब शार्ट आउट हो जाएगा।" __
"ठीक है, पर तुम टेंशन मत लो; भगवान ने चाहा तो सब ठीक हो जाएगा...तुम परमों का सोचो, क्या करना है...जो भी करना ऐसे करना कि किसी को भी प्रॉब्लम न हो।"
'हम्म..:- मैंने मुस्कराकर जवाब दिया।
"चलो फिरटेक केयर...गुड नाइट।"
"गुड नाइट...'
|