RE: RajSharma Stories आई लव यू
"ठीक है,टेक केयर...बाय!"
डॉली कार से अपने घर चली गई थी और मैं पैदल-पैदल घर की तरफ बढ़ रहा था। डॉली ने जितनी आसानी से कहा था कि सब ठीक होगा, उतना आसान नहीं था सब कुछ। शीतल के साथ ऋषिकेश जाने का प्लान तो बना लिया था, लेकिन घर पर इस बारे में बताया नहीं था।
रूम पर पहुँचकर सबसे पहले बिना कुछ सोचे-समझे पापा को फोन लगा दिया।
"हेलो पापा, कैसे हैं आप?"
"हम बढ़िया है बेटा, तुम बताओ"
“मैं भी ठीक हूँ...मम्मी और बाकी लोग कैसे हैं...?"
“सब बढ़िया हैं।"
“अच्छा पापा, मेरा मुंबई जाना कैंसिल हो गया है, तो संडे को मैं ऋषिकेश ही आ रहा हूँ एक दिन के लिए।"
"अच्छा, आओ-आओ; तो फिर लड़की वालों को यहीं बुला लें घर पर?"
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"पापा, मैं आप लोगों के साथ दिन बिताने आ रहा हूँ, लड़की वालों से मिलने नहीं... और हाँ, एक फ्रेंड भी साथ आएगी, तो उसके सामने ठीक नहीं रहेगा।"
"अरे यार, आ ही रहे हो तो लड़की वालों से मिल ही लेते..."
“पापा प्लीज...शादी की बातें अभी मत शुरू करो; मैं फिर नहीं आऊँगा।"
“ठीक है तुम आओ।"
"ओके, तो हम संडे सुबह कार से ही आएँगे।"
“ओके...गुड नाइट ।"
“गुड नाइट पापा।" फोन रखकर मैं बिस्तर पर बैठ गया था। घर पर ये तो बता दिया था कि मंडे को साथ एक फ्रेंड आएगी... लेकिन उनको ये नहीं बताया था कि ये वहीं फ्रेंड है, जिसे मैं पसंद करता हूँ। पापा जब शीतल से मिलेंगे और उन्हें ये पता चलेगा कि मैं शीतल से शादी करना चाहता हूँ, तो क्या होगा? ये सब बातें बार-बार मेरे दिमाग में घूम रही थीं।
संडे को घर के लिए निकलना था। आज मैं और शीतल दोनों ही ऑफिस में थे। काम में मन तो नहीं लग रहा था, लेकिन अब दिमाग इस बात को लेकर बिलकुल क्लियर था, कि शीतल को मम्मी-पापा से मिलवाना है और अब जो भी होगा वो देखा जाएगा।
शाम के चार बजे थे। शीतल को ऑफिस के कैफेटेरिया में बुलाया था। मैं और शीतल एक-दूसरे के सामने बैठकर कॉफी का आंनद ले रहे थे। पापा-मम्मी से मिलने के लिए शीतल भी काफी उत्साहित लग रही थीं। आज शीतल का मूड बहुत अच्छा था। सच कहूँ, तो मुझे उनके इस मूड से हैरानी हो रही थी... लेकिन मैं इस बात से खुश था कि शीतल खुश हैं।
“शीतल, तुम परेशान तो नहीं हो न?"
“नहीं तो, बिलकुल भी नहीं, बल्कि मैं तो ये जानना चाहती हूँ कि आप तो टेंशन में नहीं हैं?"
“नहीं यार, मैं टेंशन में नहीं हूँ; पर कल क्या होगा घर पर, इसे लेकर थोड़ा सोच में हूँ। जानती हो शीतल, मैं घर का बड़ा बेटा हूँ और छोटे शहरों में शादी की बातें कितनी जल्दी शुरू हो जाती हैं, ये तो तुम जानती ही हो। अभी बस पच्चीस साल का हूँ मैं, फिर भी घर पर सब शादी के लिए पीछे पड़े हैं।"
"अरे तो इसमें चिंता की क्या बात है... राज, शादी तो करनी ही है आपको; कब तक टालेंगे? हर माँ-बाप और परिवार की उम्मीद होती है बेटे की शादी करने की; इसमें इतना परेशान होने वाली बात क्या है? - शीतल ने बड़ी बेफिक्री से कहा था।
“परेशान होने वाली बात बस ये है शीतल, कि मुझे शादी तुमसे करनी है।"- मैंने शीतल की आँखों में देखकर कहा।
“हाँ, तो हम दोनों कोशिश कर रहे हैं न...और कोशिश करेंगे, तो कोई-न-कोई हल जरूर निकलेगा।"- शीतल ने मेरा हाथ थामते हुए कहा। __
“शीतल, मैं एक कोशिश करना चाहता हूँ मम्मी-पापा को इस शादी के लिए राजी करने के लिए; वरना शादी तो मेरी तुमसे ही होगी।"
"काश! राज...वरना मर जाऊँगी मैं।"
“शीतल मेरी कसम तुम्हें, अगर मरने की बात भी की तो।"
"अच्छा बाबा, गुस्मा मत करो, नहीं करूँगी मरने की बात।"
"तो कब और कैसे चलना है?"
"सुबह चार बजे निकलेंगे कार से... मैं आ जाऊँगा तुम्हें पिक करने।"
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"ओके, फिर शाम को वापस न?"
"हाँ बस सब ठीक हो।"
"होगा राज,सब ठीक होगा।"
"अच्छा, अभी मैं चलती हैं: कुछ काम पेंडिंग हैं उन्हें निपटा लूँ, कल घर पर तो कर नहीं पाऊँगी।"
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