RE: RajSharma Stories आई लव यू
शीतल थोड़ी शरमाई, फिर आगे बताया। वहीं माँ ने पारंपरिक कुछ सवाल पूछे... क्या पसंद है? खाना बनाना आता है या नहीं: हॉबीज क्या हैं?
करीब एक-डेढ़ घंटे की बातचीत के बाद पापा ने शीतल से घर चलने को कहा, तो शीतल मेरी तरफ देखने लगीं। शीतल का यह इशारा दिल्ली लौटने की ओर था, लेकिन मेरे चेहरे पर इस बात की खुशी थी कि पापा शायद मान गए हैं और शीतल उन्हें पसंद हैं।
दोपहर हो चुकी थी और हमें वापस दिल्ली लौटना भी था। शीतल की परेशानी को देखते हुए मैंने पापा को समझाने वाले अंदाज में कहा भी, कि शीतल सिर्फ आपसे मिलने के लिए ही आज यहाँ आई हैं; कल इन्हें ऑफिस ज्वॉइन करना है, इसलिए आज शाम ही बापस लौटना होगा। ___
“शाम को निकलना आराम से, अभी तो टाइम है; तब तक शीतल घर भी देख लेंगी, वहाँ कुछ और बातें हो जाएंगी।"- पापा ने कहा।
अब पापा की बात कौन टाल सकता था। मम्मी ने घर चलने के लिए कहा, तो मैं और शीतल घर चलने के लिए राजी हो गए।
"अच्छा फिर राज, हम लोग निकलते हैं।"- नमित ने कहा।
"रुको यार अभी, घर चलो साथ में।"- इतना कहते हुए मैं और शीतल दोस्तों के साथ फेमिली से थोड़ा अलग आ गए थे।
"तो फ्रेंड्स, कैसी लगी शीतल तुम लोगों को?"- मैंने पूछा।
"शीतल इज रियली बैरी प्रैटी.. हमें पसंद हैं।"- ज्योति ने मुस्कराते हुए जवाब दिया।
'रीयली?'- मैंने कहा।
"हाँ मेरे दोस्त।"- नमित और शिवांग ने एक साथ कहा।
“और हाँ शीतल, अगले हफ्ते मेरी शादी है मुंबई में...यू आर इनवाइटिड ..."- ज्योति ने शीतल से कहा।
“अरे वाह! कांग्रेचुलेशंस।"- शीतल ने कहा।
"इससे काम नहीं चलेगा; आपको राज के साथ आना पड़ेगा और हाँ राज, मैं तो कल निकल जाऊँगी, तुम लोग जल्दी आना प्लीज।"- ज्योति ने कहा।
“श्योर ज्योति,हम सब आएंगे।"- मैंने कहा।
"चलो भाई देर, क्यों कर रहे हो?" - पापा ने कहा।
"चलो यार, फिर तुम लोग निकल जाओ, फोन पर बातें करते हैं।"- मैंने अपने दोस्तों से कहा।
उन सभी से विदा लेकर मैं और शीतल, सबके साथ घर आ गए थे। आते ही मम्मी रसोई में चाय बनाने के लिए पहुँच गई, तो पीछे-पीछे शीतल भी मदद करने के लिए पहुंच गई। चाय बनाते हुए शीतल ने मम्मी से कहा- "आंटी, एक बात और बतानी थी आपको।"
"हाँ बेटा, बताओ।"- मम्मी ने कहा।
“आपको शायद राज ने पहले ही बता रखा हो, लेकिन मैं भी बता रही हूँ... दरअसल, मेरी पहले शादी हो चुकी है, जो कि असफल रही; उस शादी से मेरे पास एक बेटी भी है।"- शीतल ने कहा। ___
मम्मी, चाय में चीनी डाल रही थीं और यह बात सुनकर कुछ क्षण के लिए वह जैसे प्रौज हो गई। उनके लिए यह बात शॉकिंग थी, लेकिन स्थिति को सँभालते हुए उन्होंने कहा- “नहीं, हमें तो राज ने ऐसा कुछ नहीं बताया।"
“शायद बताने वाले ही हों आंटी; लेकिन मुझे लगा एक बार मैं भी जिक्र कर दें। दरअसल वह एक बुरा दौर था मेरे लिए... आज उस शख्म से मेरा कोई संबंध नहीं हैं; आज बस मेरी बेटी ही मेरे लिए सब-कुछ है।"- शीतल ने कहा।
उन दोनों की बातचीत चल रही थी, तभी बाहर से राज के पापा ने आवाज दी- “चाय में कितना बक्त है?"
"बस, तैयार है।" -अंदर से माँ ने आवाज लगाई। चाय पीते हुए अचानक पापा ने शीतल की डेट ऑफ बर्थ पूछ ली। शीतल ने जैसे ही बताया, तुरंत हिसाब लगाते हुए पापा चौंककर बोल पड़े- “मतलब आप राज से छह साल बड़ी हैं!" ।
“जी... जी अंकल ।" शीतल ने तुरंत कहा। इस वक्त माँ के चेहरे के भाव गायब हो चुके थे। शुरुआत में उनकी तरफ से जो थोड़ी बहुत खुशी नजर आ रही थी, वह भी खत्म हो चुकी थी। चाय खत्म होते ही पापा ने शीतल और राज को दिल्ली के लिए जाने की सलाह देते हुए कहा
"बेटा तुम लोगों को अब निकल जाना चाहिए: अगर आज रात रुकना संभव हो, तो रुक सकते हो; इसे अपना ही घर समझिए।" _
_“नहीं पापा, मुझे भी कल ऑफिस जाना है।"
तभी माँ ने रसोई से आवाज लगाई। जैसे ही मैं माँ के पास पहुँचा, उनका गुस्सा निकल पड़ा
"राज बेटा, क्या सोचकर तुम उस लड़की को यहाँ लेकर आए हो? तुम अपने पापा को जानते नहीं हो क्या? पूरी बातें भी नहीं बताई और इतना बड़ा फैसला ले लिया। इतना प्यार करते हो उसे, तो उसके बारे में कुछ तो सोचा होता।
"माँ, क्या हुआ? ऐसे क्यों बोल रही हो?"
“चाय बनाते वक्त शीतल ने मुझे अपनी पहली शादी के बारे में बताया; सोचो, अगर यह बात वह तुम्हारे पापा के सामने कह देती तो क्या होता। तुम्हे पहले बताना चाहिए था न बेटा... अगर तुम बता देते, तो मैं हरगिज तुम दोनों को यहाँ नहीं आने देती।"- माँ ने कहा। ___
“माँ मैं आपको बताने वाला था; सोचा फोन पर क्या बताऊँ, यहीं आकर बताऊँगा... फिर यहाँ वक्त नहीं मिला... इस तरह टलता रहा, आपसे छिपाकर करने का इरादा मेरा नहीं था।"- मैंने माँ को समझाते हुए कहा।
"बात छिपाने की नहीं है राज; बात एक लड़की की इज्जत और मान-सम्मान की है। तुम अपने पापा की आदत और व्यवहार से अच्छी तरह वाकिफ हो; बात सिर्फ उम्र के अंतर की थी, तभी देखा, किस तरह शीतल की तरफ उन्होंने देखा और अगर यह बात उन्हें पता चलती, तो तुमको अंदाजा है बह क्या करते? शीतल से कुछ भी गलत बोल सकते थे वो। देख बेटा, शीतल एक शरीफ लड़की है। पहली बार हमारे घर आई है... मैं नहीं चाहती उसके साथ कुछ गलत व्यवहार हो या उसे यहाँ अनकंफर्टेबल लगे; पहले ही वह कम समस्याओं से नहीं गुजरी। लेकिन तुम्हारे पापा बहुत कठोर इंसान हैं: हर जगह उनकी नाक सामने आ जाती है, वह कभी इस बात की इजाजत नहीं देंगे कि एक तलाकशुदा औरत उनके बेटे की बहू बने; उस पर भी वह, जिसके पहले से ही एक औलाद हो।"- माँ ने कहा। ___
“माँ ऐसे मत बोलिए प्लीज! आप पापा को मनाइए: माँ, मेरे लिए इतना कर दीजिए बस।" ___
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