RE: RajSharma Stories आई लव यू
ऋषिकेश से आने के बाद शीतल बदल-सी गई थीं। मैं शीतल को सुबह से फोन मिला रहा था, लेकिन उनका फोन लगातार स्विच ऑफ था। आज पहली बार वो मुझे ऑफिस के लिए लेने नहीं आई थीं। मैं अकेले कैब से ऑफिस आया था। क्या हुआ है, क्यों हुआ है और शीतल कहाँ है? ये सारे मवाल मेरे दिमाग में न जाने कितनी अनहोनी की आशंकाएँ खड़ी कर रहे थे। ऑफिस पहुँचकर सबसे पहले शीतल के एक्सटेंशन नंबर पर फोन किया, लेकिन कोई रेस्पांस नहीं आया। उनके पास वाले एक्सटेंशन पर फोन किया, तो पता चला कि शीतल ऑफिस तो आई हैं, लेकिन अभी सीट पर नहीं हैं।
मैं दौड़कर उनके डिपार्टमेंट की तरफ पहुँचा, तो शीतल सामने आ गई। मैं उन्हें रुकने के लिए आवाज देता, उससे पहले बो मुझे अनदेखा करके अपने केबिन में चली गई। मैं स्तब्ध था। मुझे समझ में नहीं आया कि शीतल को क्या हुआ है। रात जब उन्हें घर ड्रॉप किया था, तो सब ठीक था। फिर अचानक बो ऐसे रिएक्ट क्यों कर रही हैं?
शीतल अभी भी मेरा फोन नहीं उठा रही थीं। में सुबह से तीस बार उन्हें फोन कर चुका था। वो एक्सटेंशन भी नहीं उठा रही थीं। मेरे पास उनसे बात करने का कोई और रास्ता नहीं था।
तभी मेरे दिमाग में आया कि शीतल को मेल करता हूँ। अक्सर जब हम एक-दूसरे से नाराज होते थे, तो मेल से ही बात होती थी।
मैंने लिखा
"शीतल, मुझे नहीं पता कि तुम आज ऐसे क्यों रिएक्ट कर रही हो; जब मैं तुम्हारे सामने आया, तो मुझे ऐसा क्यों लगा जैसे तुम मेरी तरफ देखना नहीं चाह रही थीं? शायद तुम आँखें चुरा रही थीं मुझसे...ठीक वैसे ही, जैसे चंडीगढ़ में प्रोग्राम के दौरान बचा रही थीं। जब मैं आपकी तरफ देख रहा था, तो तुम मुँह फेर ले रही थीं और जब मैं चेहरा घुमा लेता था, तो तुम देखने लगती थीं। शीतल, मैं जानता हूँ कि तुम ऋषिकेश की बातों को लेकर टेंशन में हो, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि एक-दूसरे के प्रति हमारा प्यार कम हो गया है। कल जब घर जाते वक्त तुम्हारी आँखों से आँसू निकलने लगे थे, तो याद है मैंने तुम्हारा हाथ थाम लिया था और तुम्हारे जाते कदमों को रोक लिया था। जानती हो, तुम्हें उस वक्त अपनी बाहों में भर लेना चाहता था और तुम्हारे आँसू पोंछना चाहता था।
शीतल, मैं बहुत परेशान हूँ; सुबह से बात नहीं हुई है तुमसे, चेहरा भी नहीं देखा है तुम्हारा... प्लीज एक बार बात कर लोन, में मर रहा हूँ शीतल: प्लीज बात करो।"
करीब एक घंटे तक मैं मेल रिफ्रेश ही करता रहा, लेकिन शीतल का कोई जवाब नहीं आया। लंच के बाद शीतल ने मेल भेजा था।
उन्होंने लिखा था, “राज, जब मुझे पहली बार प्यार हुआ था, तो मुझे लगा था कि सब-कुछ मिल गया है और ये इंसान मेरी जिंदगी को जन्नत बना देगा। मैंने अपने पापा से लड़-झगड़कर उस इंसान से शादी की और उसने क्या किया, आप जानते हैं... उसने हमारी जिंदगी को नर्क बना दिया। जब हमारा तलाक हुआ था, तो मुझे लगा था कि सब कुछ खत्म हो गया है, मेरी सारी खुशियाँ बह गई हैं। जीने की कोई उम्मीद नहीं बची थी मेरे पास । बम, मैं अपनी बेटी के लिए जिंदा रही। जब तुम मेरी जिंदगी में आए, तो लगा कि जिंदगी फिर से रोशन हो सकती है।
खुशियाँ फिर से मेरी झोली में आने लगीं। जो शीतल अपने डिपार्टमेंट से कभी बाहर नहीं निकलती थी और जो किसी से बात नहीं करती थी, वो अब दिनभर हँसने लगी थी। मैं नाचने लगी थी, जिंदगी को जीने लगी थी और एक बार फिर सपने देखने लगी थी। कल जब तुम और आंटी रसोई में बात कर रहे थे, तो मैं बाहर ही खड़ी थी। मैंने वो सब मुना, जो आंटी ने कहा। राज, मैं उससे बुरी तरह टूट चुकी हूँ। मैं पहले भी बिखरी हुई थी, लेकिन तुमने मुझे समेट लिया था... लेकिन अब मैं इस कदर बिखर गई हूँ कि समेटना मुश्किल है। मैं अंदर तक हिल गई है। ऐसा लग रहा है जैसे जीने की आखिरी बजह भी नहीं बची है मेरे पास अब; इसलिए मैंने डिसाइड किया है कि कभी तुम्हारे सामने नहीं आऊँगी; क्योंकि तुम्हारे सामने आऊँगी, तो खुद को रोक नहीं पाऊँगी और तुम्हारी बाँहों में खो जाऊँगी। राज, मेरी रिक्वेस्ट है, तुम भी मुझे भूल जाना; कभी बात करने की कोशिश मत करना... मुझे बस आपके पागलपन से डर लगता है।
"प्लीज!'
शीतल का जवाब पढ़कर मैं घबरा गया था। मेरे माथे पर पसीना आ गया था। दिल बैठने लगा था। ऐसे लग रहा था जैसे कुछ छूट गया हो। शीतल से बातें अभी खत्म नहीं हुई थीं। मैंने भी इसका जवाब मेल पर लिखा
"शीतल, ऐसे क्यों बोल रही हो? कल की बातों से ऐसे हिम्मत हार गए हो तुम? मुझ पर भरोसा नहीं है क्या तुम्हें? शीतल, तुम मेरी ताकत हो... तुम्हारे साथ होकर मैं जमाने से लड़ सकता हूँ; मगर तुम ही मुझे यूँ बीच में छोड़कर चली जाओगी तो कैसे कदम आगे बढ़ाऊँगा मैं? शीतल, बस आँख बंदकर मेरा साथ देते रहो, मुझे पूरा विश्वास है सब ठीक होगा। शीतल बहुत प्यार करता हूँ मैं तुमसे; बहुत मुश्किल है मेरे लिए तुम्हें भूल पाना।
"क्या तुम भूल पाओगी मुझे?"
जवाब में शीतल ने लिखा था, "राज, इस दुनिया में अगर मैं अपनी बेटी के बाद किसी को सबसे ज्यादा प्यार करती है, तो वो तुम हो; मेरी जान हो तुम...लेकिन तुम्हारे लिए तुम्हारे मॉम-डैड पहले हैं: मेरी वजह से तुम्हारा परिवार बिरबर सकता है और मैं जानती हूँ कि परिवार से अलग होकर कोई खुश नहीं रहता है। तुम मेरी खुशी हो, तुम मेरी आँखों की चमक हो... लेकिन तुम्हें अपने परिवार से अलग करके मैं अपनी खुशियों की दुनिया मजाना नहीं चाहती हूँ।
तुम मुझे भूल जाओ और अपने पापा की पसंद की लड़की से शादी करो; मेरा और तुम्हारा कोई मेल ही नहीं है। तुम्हें अपनी उम्र की लड़की से ही शादी करनी चाहिए, वही तुम्हें खुशी दे सकती है; मैं तो तुम्हारी जिंदगी बर्बाद कर दूंगी। मेरे पास कुछ है नहीं तुम्हें देने के लिए। एक बात बताना चाहती है राज...तुम मेरी जिंदगी के हर मोड़ पर मेरे साथ रहोगे... भले ही मैं तुमसे बात नहीं कर पाऊँगी कभी, लेकिन तुम मेरे दिल में हमेशा रहोगे, तुम्हारी जगह भी कोई कभी नहीं ले पाएगा। जिंदगी का हर फैसला मैं तुमसे पूछकर ही करूंगी... हर कदम तुम्हें महसूस करूंगी।
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