RE: RajSharma Stories आई लव यू
_“डॉली, दोस्ती में विश्वास बहुत जरूरी है और मैंने तुम्हें अपना दोस्त माना है। यही वजह है कि मैंने अपनी जिंदगी से जुड़ी हर बात बताई। सच कहूँ डॉली, मैं हमेशा तुम्हें एक दोस्त के रूप में अपने साथ रखना चाहता हूँ।"
"मैं हमेशा तुम्हारे साथ हैं और रहँगी राज।"- डॉली ने मुस्कराते हए कहा।
"अच्छा, सत्ताइस को मैं और शीतल मुंबई जा रहे हैं; ज्योति की शादी है और वो दिन हम दोनों आखिरी बार साथ बिताएंगे।"
“ओह, बाह! वैरी गुड...आई होप सब अच्छा हो; तुम लोगों के बीच सब अच्छा हो जाए वहां।"
"लेट सी, क्या होता है।" बालकनी में बैठे, कॉफी पीते-पीते कब दोपहर से शाम हुई, पता ही नहीं चला। डॉली के साथ बातें करते, कभी हँसते-कभी रोते, वक्त कितनी आसानी से कट गया था। शीतल के जाने का दु:ख था, पर डॉली जैसी दोस्त मिलने की खुशी भी थी। डॉली अपने घर जा चुकी थीं। शाम ढलने के साथ-साथ मैं फिर शीतल की यादों में खो गया।
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सत्ताईस अप्रैल। ज्योति की शादी का दिन । मैं कैब लेकर अपने घर से कनॉट प्लेस के लिए निकल चुका था। शीतल को साथ लेकर एयरपोर्ट निकलना था।
"शीतल, आर यू रेडी?" - मैंने फोन पर पूछा।
"हाँ, एकदम रेडी...कहाँ हो तुम?"
“मैं रास्ते में ही हूँ... पन्द्रह मिनट में तुम्हारे पास पहुंच रहा हूँ।"
"ओके...आई एम वेटिंग फॉर यू।"
"ओह, रियली!"
"हाँ राज, सुचमुच ... तुम हर वक्त मजाक क्यों करते हो; आई एम डाइंग फॉर यू।" शीतल ने मजाकिया लहजे में कहा।
"चलो अब मजाक मत करो, मैं पहँच रहा है।"
"लेकिन बाबा, मिलोगे कहाँ, ये तो बताऔ? घर के नीचे नहीं, क्योंकि यहाँ किसी को नहीं पता कि मैं तुम्हारे साथ जा रही: घर पर बोला है कि ऑफिस के इवेंट के लिए मुंबई जा रही हूँ।" ___
“ठीक है, फिर ब्लॉक-ए के इनर सर्कल के पास रहना, वहीं से पिक करूँगा... देखो बहुत लेट हो रहा है, फटाफट पहुँचो तुम।" ___
कनॉट प्लेस पहुँचकर, बताई गई जगह पर मैंने कार के शीशे से बाहर झाँका तो शीतल दिखाई दे गई। लगेज ट्रॉली साइड में रखी थी और शीतल किसी से फोन पर बात कर रही थीं। इस वक्त शीतल मेरी तरफ पीठ करके खड़ी थीं। उनके खुले और बिखरे बालों पर मेरी नजर ठहर-सी गई थी। बजाय शीतल के पास जाने या उन्हें बुलाने के मैं वहीं ठहरकर उन्हें देखने लगा। एयरपोर्ट पहुँचने के लिए देर हो रही है, यह खयाल मेरे मन से अब गायब सा हो चुका था। शीतल को देखकर मैं खो-सा गया और सोचने लगा कि ये मेरे बारे में इतना कैसे सोच लेती हैं। मैंने तो नहीं कहा था इनसे, काली ड्रेस पहनकर आने के लिए। कार से बाहर निकलकर मैं यह सब सोच ही रहा था कि शीतल फोन काटकर एकदम से पलटी। शीतल ने मेरी तरफ कुछ इस अंदाज में देखा, जिसमें गुस्सा और प्यार दोनों था।
"अच्छा , तो जनाब, चुपचाप से आकर खड़े हो गए और बता भी नहीं रहे... ये क्या बात हुई?" __
“देख रहा था कि कहाँ इतनी इंपॉर्टेट बातें हो रही है, जो पीछे मुड़ने तक की फुरसत नहीं हो रही मैडम को; उस पर भी कह रही थीं कि आई एम डाइंग हेयर ।"
"ओह राज प्लीज, ऐसे मत बोलो।"- इतना कहते हुए शीतल गले से लग गई।
"चलो, फ्लाइट का टाइम हो रहा है, कैब में बैठते हैं।" हम दोनों कैब में बैठ गए। कैब अपनी तेज रफ्तार से चल रही थी। हम दोनों एक-दूसरे के बारे में सोच रहे थे। मुंबई के खयाल मन में चल रहे थे, मगर आपस में बात करने के बजाय हम कार के शीशों से बाहर की ओर झाँक रहे थे।
पहल करते हुए मैंने शीतल से कहा- “तो आखिर तुमने प्लान बना ही लिया शादी में चलने का...शुक्रिया इसके लिए।"
"कैसी बातें कर रहे हो राज ...शुक्रिया तो तुम्हारा करना चाहिए मुझे; लेकिन मुनिए, शादी में जा रहे हैं, इसका मतलब यह नहीं कि शादी में ही रहेंगे।"
शीतल, कैसी बातें कर रही हो बच्चों जैसी; शादी में जा रहे हैं तो शादी में ही रहेंगे न।"
"नहीं राज, मेरे कहने का मतलब है कि हम शादी में जा रहे हैं और मुंबई में जा रहे हैं... यू नो मुंबई; मुंबई बहुत अच्छा है, मुझे घूमना है... मैं तुम्हारे साथ समुदर की लहरें देखना चाहती हूँ, जब साथ में जा रहे है, तो पूरी तरह एंज्वाय करना चाहती हूँ।"- शीतल ने मेरी आँखों में देखकर कहा और फिर शीशे से बाहर देखने लगीं। __
“देखते हैं क्या होता है...जैसा टाइम होगा, उसके हिसाब से प्लानिंग करेंगे। पहले हम लोग ज्योति की शादी के वेन्यू पर ओशीवारा जाएंगे, फिर हो सकता है मुझे वहाँ थोड़ा बहुत काम कराना पड़े... और हाँ, एक बात मुनिए मैडम, कोई गारंटी नहीं है, वहाँ हम हरदम आपके साथ ही रहेंगे।"- ये कहते हुए मैंने इतनी सारी बातें एक साथ शीतल को बता दी कि शीतल वहीं चुप हो गई।
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