RE: Hindi Antarvasna - कलंकिनी /राजहंस
संतरी आगे बढ़ गया और विनीत फिर अपने ख्यालों में गुम हो गया। कभी क्या नहीं था उसकी जिन्दगी में? गरीबी ही सही, परन्तु चैन की सांसें तो थीं। जो अपने थे उनके दिलों में प्यार था और जो पराये थे उन्हें भी उससे हमदर्दी थी। जिन्दगी का सफर दिन और रात के क्रम में बंधकर लगातार आगे बढ़ता चला जा रहा था।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अर्चना का कॉलिज खुला तो वह भी नियमित रूप से कॉलिज जाने लगी। अर्चना एक रईस बाप की इकलौती सन्तान थी। खूबसूरत ब अमीर होने के कारण वह कालेज में चर्चित थी। अर्चना अपनी पढ़ाई में ध्यान देती। पढ़ाई के अतिरिक्त उसे किसी चीज में कोई इन्ट्रेस्ट नहीं था। कॉलिज के कुछ लड़के उससे दोस्ती करना चाहते थे। मगर अर्चना बहुत ही रिजर्व रहती। लड़के-लड़कियों के साथ ही पढ़ती थी लेकिन किसी भी लड़के से उसकी मित्रता नहीं थी। लड़कियों से भी कम ही थी, जिनके साथ उठती-बैठती थी वह। कॉलिज को वह मन्दिर से भी ज्यादा महत्त्व देती थी और पढ़ाई को पूजा का दर्जा देती थी। कॉलिज के प्रोफेसर उसकी प्रशंसा करते नहीं थकते थे। उसके पास किसी चीज की कमी न थी। वह शानदार चरित्र, बेहिसाब पैसा, खूबसूरती और इज्जत की मालिक थी। इतना सबकुछ होने के बाद भी उसमें घमण्ड नाम की कोई चीज न थी। आज तक उसने कॉलिज में किसी से कोई बदतमीजी नहीं की थी....। मगर, कॉलिज के कुछ लड़के उसे घमण्डी, रईसजादी, पढ़ाकू, आदि नामों से आपस में बातचीत करते। अन्दर-ही-अन्दर अर्चना से खुन्दक खाए बैठे थे क्योंकि वह कभी किसी को फालत् लिफ्ट नहीं देती थी। वह लोग अर्चना को कुछ कहने की हिम्मत नहीं रखते थे....। मगर उसे बेइज्जत करना चाहते थे। एक दिन अर्चना अपनी एक दोस्त कोमल के साथ लाइब्रेरी में बैठी पढ़ रही थी। कॉलिज के बे ही बदतमीज छात्र अर्चना पर नजर लगाए बैठे थे।
"कोमल, मैं एक मिनट में अभी आई.....” अर्चना ने किताब पर नजर जमाए बैठी कोमल से कहा।
"कहां जा रही हो अर्चना?" कोमल ने किताब बंद करते हुए पूछा।
"अभी आई पानी पीकर! तुम मेरे सामान का ध्यान रखना।" यह कहकर वह लाइब्रेरी से बाहर निकल गई। तभी कोमल की कुछ दोस्तों ने, जो सामने ही थोड़ी दूरी पर थीं, उसे अपने पास बुलाया।
कोमल एक मिनट, इश्वर तो आना।" कोमल अपना सामान हाथ में लिये थी। यूं ही उनके पास चली गई। अर्चना की किताबें मेज पर भी भूल गई।
"हां, क्या बात थी?" कोमल ने वहां जाकर अपनी दोस्तों से पूछा।
“यार, एक मिनट बैठ तो सही। तू तो हमसे बिल्कुल ही बात नहीं करती आजकल।”
कोमल उनके साथ बैठ गई। अर्चना को बिल्कुल ही भूल गई कि वह पानी पीने गई है....। उन आवारा छात्रों ने मौका देखकर एक प्रेम-पत्र अर्चना के आने से पहले उसकी पुस्तक में रख दिया और थोड़ी दूर जाकर बैठ गये।
तभी विनीत लाइब्रेरी में आया और बिना इधर-उधर देखे, वह जहां अर्चना की किताबें रखी थीं, दो-तीन कुर्सी छोड़कर पढ़ने बैठ गया। अर्चना बापस आयी तो कोमल को सामान के पास न देखकर वह सकते में आ गई। दो-तीन कुर्सी छोड़कर बैठे विनीत पर एक सरसरी निगाह डालकर वह पुनः पढ़ने के लिए बैठ गई। जैसे ही पढ़ने के लिए किताब खोली—वह तुरन्त चौंकी। किताब का पन्ना पलटते ही एक पत्र रखा नजर आया। उस पर लिखा था-'आई लव यू अर्चना। मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं। मगर कहने से डरता हूं तुम्हारा विनीत।' बस उसके तन-बदन में आग लग गई। आज तक किसी ने उस पर कोई व्यंग्य तक न कसा था....फिर इसका इतना साहस कैसे हुआ? मन-ही-मन सोच लिया, इसे सबक सिखाना चाहिये....वर्ना यह और भी आगे बढ़ सकता है।
|