Hindi Antarvasna - कलंकिनी /राजहंस
09-17-2020, 12:47 PM,
#6
RE: Hindi Antarvasna - कलंकिनी /राजहंस
अर्चना को अपनी गलती का अहसास सता रहा था। अर्चना के कदम अनायास ही आगे बढ़े। दो कदम चलकर वह फिर से ठिठक गई....। अर्चना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे....? विनीत के इर्द-गिर्द लोगों की भीड़ जमा थी। जो शायद बस की प्रतीक्षा में वहां खड़ी थी। वह यह सोच रही थी कि कैसे वह भीड़ में खड़े विनीत के पास जाकर माफी मांगे? अगर विनीत ने सबके सामने मेरी इन्सल्ट कर दी तो....?

'तो क्या हुआ?' अर्चना की अन्तरात्मा बोल उठी—“तुमने भी तो लाइब्रेरी में उसका सबके सामने, बिना किसी गलती के, अपमान किया है और स्वयं गलती करके भी नतीजा भुगतने को तैयार नहीं हो....। गलती करने के पश्चात् नतीजा भुगतने के लिये व्यक्ति को तैयार रहना चाहिये मिस अर्चना!' अब उसने विनीत के पास जाकर क्षमा मांगने का निश्चय किया। गर्दन ऊपर उठाकर सामने देखा तो वह घबराई। विनीत वहां नहीं था। शायद वह बस में बैठकर जा चुका था—मगर शायद कोई बस तो अभी तक नहीं आयी थी—वह दुःखी मन से इधर-उधर देखकर वापस कॉलिज में जाने के लिये मुड़ी। बोझल कदमों से वह इधर-उधर दृष्टि घुमाए कॉलिज की ओर जा रही थी, तभी निगाह पास के एक पार्क की बेन्च पर बैठे विनीत पर पड़ी। अर्चना लम्बे-लम्बे कदम से बढ़ती हुई पार्क की ओर बढ़ने लगी। शीघ्र ही वहविनीत के पीछे पहुंच गई। थोड़ी देर तक वह विनीत के पीछे खड़ी रही। काफी देर तक वह बहीं बैठा पता नहीं क्या सोचता रहा। अर्चना के मन में सहसा ही अनेक प्रकार के भाव चक्कर काटने लगे। उसकी इतनी हिम्मत नहीं हो पा रही थी कि वह विनीत को पुकारे या पास बैठ जाए। उसने बहुत हिम्मत जुटाकर विनीत को धीमे से पुकारा —“विनीत ...."

विनीत ने चौंककर पलटकर देखा—"आप?" फिर मुस्कराकर बोला-"अभी दूसरा गाल बाकी है मिस! थप्पड़ लगवाने के लिये।"

विनीत के इस वाक्य पर अर्चना झेंप गई और बोली "आई एम बैरी बैरी सॉरी।" वह विनीत पर नजरें गड़ाए हुए बोली- मैं अपनी गलती पर शर्मिन्दा हूं।" वह विनीत के बराबर में थोड़ी दूर को बैठती हुई बोली।

विनीत स्पष्ट लहजे में बोला-"अमीर आदमी किसी भी बात पर शर्मिन्दा नहीं होते मिस! सारी शर्म तो हम गरीबों के हिस्से में आई है।" विनीत का स्वर भीगता चला गया। वह कुछ सेकेण्ड के लिये रुका और फिर बोला-"जिस कॉलिज में कोई मुझ पर एक उंगली भी नहीं उठा सका, आपने उसी कॉलिज के छात्रों के सामने मुझ पर हाथ उठा दिया मिस....! ये आपने मेरे पर नहीं....बल्कि मेरी गरीबी के मुंह पर तमाचा मारा है।" वह भाबुक हो उठा-"आप महसूस भी नहीं कर सकतीं उस समय मैं किस कदर शर्म से पानी-पानी हुआ हूंगा।" वह चुप हो गया।
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RE: Hindi Antarvasna - कलंकिनी /राजहंस - by desiaks - 09-17-2020, 12:47 PM

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