RE: Hindi Antarvasna - कलंकिनी /राजहंस
वह अपनी अन्तरात्मा से उलझ पड़ी। 'मैं बकतीह?'आत्मा को गुस्सा आ गया— मैं ठीक कह रही हूं। तुम करोड़पति बाप की इकलौती औलाद! कहां वह गरीब मां-बाप का साधारण-सा बेटा। तुम और बो नदी के दो किनारों के समान हो....जो कभी आपस में मिल ही नहीं सकते।' अर्चना की आंखें भर आईं। मगर उसके दिल ने मोर्चा सम्भाले रखा—'वह साधारण नहीं है, वह लाखों में एक है। उसके जैसे चरित्रवान व्यक्ति आजकल कम ही देखने को मिलते हैं। उसके चरित्र के विषय में मैं कोमल से भी सुन चुकी हूं। दुनिया में पैसा ही सब कुछ नहीं है। पैसा चला जाए तो दुबारा आ सकता है, लेकिन किसी के चरित्र पर एक छोटा-सा भी दाग लग जाये तो वह कभी नहीं मिटता और विनीत का चरित्र बेदाग है।' अन्तरात्मा अर्चना के दिल की मजबूत दलीलों से कुछ ढीली पड़ गई। फिर बोली- चलो मान ली तुम्हारी बात, मगर क्या तुम्हारे पिता....उसे....अपना दामाद स्वीकार कर लेंगे?'
'अब ये दामाद बाली बात कहां से आ गई?' अर्चना सकपका गई।
'क्यों....प्यार के बाद बिबाह नहीं करोगी?'
'विवाह के विषय में मैंने अभी कुछ नहीं सोचा।'
'तो क्या विनीत से विवाह नहीं करोगी?'
'अगर वह तैयार न हुआ तो क्या करोगी?'
अब अर्चना ने अपनी गर्दन गर्व से ऊपर उठाई_नहीं, ऐसा नहीं हो सकता। मेरा प्यार। मेरा नेचर, मेरा करेक्टर उसे इन्कार ही नहीं करने देगा। एक बार उससे मेरी बात हो जाए, फिर देखना वह भी मेरी चाहत का दीवाना हो जाएगा। वह भी बैसी ही बेचैनी महसूस करेगा जैसी आज मैं उसके लिये कर रही हूं।"
'लेकिन अर्चना, मुझे नहीं लगता कि तुम्हारे पिता उस फटीचर से तुम्हारी शादी करने को तैयार हो जाएंगे।' अन्तरात्मा ने कहा।
'सांच को आंच कहां? अगर मेरा प्रेम सच्चा है और उसे पाने की लगन सच्ची है तो दौलत तो क्या दुनिया की कोई भी ताकत हमें अलग नहीं कर सकती।'
'तुम जैसे प्रेम की भावनाओं में वहने बाले, ख्याली पुलाब पकाने बालों की भावनाएं हकीकत के समुद्र की एक लहर से ही वह जाती हैं।'
अर्चना का दिल चीख उठा—'नहीं! मेरी मौहब्बत में बहाब नहीं है। वह चट्टान की तरह बुलन्द और मजबूत है....उसे कोई नहीं बहा सकता....कोई नहीं।'
'कहने और करने में बहुत फर्क है मिस अर्चना जी! देखते हैं कितना अमल करती हो अपनी बातों पर.....।' '
अब इसमें अमल करने वाली बात कहां से आ गई....?' अर्चना का दिल असमंजस में पड़ गया।
'जहां तक मैं समझ सकती हूं कि तुम जैसी अमीर लड़की विनीत जैसे गरीब ब्यक्ति के साथ गुजारा नहीं कर सकती।'
'मगर जहां तक मेरा ख्याल है....आप एकदम गलत सोच रखती हैं।' इतना कहकर अर्चना मुस्करा उठी। अर्चना की आत्मा और दिल में होने वाला वार्तालाप विच्छेद हुआ तो वह अपने घर के समीप थी। उसने गाड़ी की स्पीड थोड़ी तेज की और घर पहुंच गई।
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