Hindi Antarvasna - कलंकिनी /राजहंस
09-17-2020, 01:01 PM,
#76
RE: Hindi Antarvasna - कलंकिनी /राजहंस
"विनीत ।" विनीत का नाम सुनकर अर्चना को एक झटका-सा लगा। कहीं यह बही विनीत तो नहीं है? मगर उसने कहा नहीं।

“यहीं कहीं रहते हैं?"

"नहीं।"

"और फिर?"

"इस दुनिया से अलग भी एक दुनिया है। हर समय उदासी और खामोशी में डूबी हुई दुनिया। मुझ जैसे लोगों का ठिकाना बहीं होता है।” विनीत ने कहा।

“मैं कुछ समझी नहीं।"

"क्या करेंगी समझकर!" विनीत बोला—"भगबान किसी दश्मन को भी उस दनिया में न भेजे। लेकिन....जिनका कहीं ठिकाना नहीं होता, उन्हें तो कहीं न कहीं अपना आशियाना बनाना ही पड़ता है। बहुत से नहीं चाहते, फिर भी उन्हें जाना पड़ता है....."

"बड़ी अजीब-सी बातें हैं आपकी....” लड़की ने उसकी ओर देखकर कहा-"ऐसा लगता है जैसे आप दार्शनिक हों....."

विनीत खामोश रहा। वह उस लड़की की बात के उत्तर में क्या कहता। उसने उस लड़की के विषय में भी कुछ अधिक नहीं सोचा। केवल इतना ही कहा कि वह उसकी गाड़ी से टकरा गया था, अस्पताल में मरहम-पट्टी कराना उसका फर्ज था। जिस समय वह गिरा था, उस समय तो चोट मालूम न दी थी, परन्तु बाद में उसके माथे से चोट में पीड़ा होने लगी थी। खून वह नहीं रहा था बल्कि रिस रहा था। उसने अपनी उंगली से उसे पोंछा। लगभग पन्द्रह मिनट बाद लड़की ने अपनी गाड़ी को रोका, सामने एक क्लीनिक था। विनीत को अपने पीछे आने का संकेत करके वह अन्दर दाखिल हो गयी। चोट मामूली थी, कम्पाउन्डर ने माथे पर पट्टी बांध दी। लड़की उसे लेकर फिर बाहर आ गयी। "अब....?" उसने विनीत की ओर देखा। उसका अर्थ था कि अब वह उसे कहां छोड़ दे।

“जी...?"

"आपको मैं आपके घर छोड़ दूं। बताइये कहां रहते हैं आप?"

"बताया तो था....."

"कहां....?"

"दूर....ख्यालों की दुनिया में।" विनीत ने कहा—“जहां किसी के लिये कोई अपना-बेगाना नहीं होता। केबल बिचार होते हैं। कोई उन्हें अपना समझ ले या पराया।"

"इसका मतलब....कहीं आपका घर नहीं है?"

“जी।" उसने लम्बी सांस ली—"ऐसा ही है।"

लड़की को उसकी बातें बड़ी अजीब-सी लग रही थीं। विनीत समय के हाथों सताया गया इन्सान था, इतना तो वह समझ ही चुकी थी। इसके अलावा विनीत के प्रत्येक शब्द से टपकती पीड़ा से अनायास ही वह दुःखी हो उठी थी। वह धनाढ्य परिवार की लड़की थी। अभावों तथा दुःखों को उसने कभी करीब से नहीं देखा था। परन्तु आज उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे उसने भी पीड़ा को काफी निकटता से देख लिया। विनीत के प्रति उसके हृदय में सहानुभूति उमड़ आयी। केवल इसलिये नहीं कि उसकी गाड़ी से उसे चोट आयी थी बल्कि इसलिये कि विनीत के प्रत्येक शब्द में पीड़ा थी। उसने चुप्पी को तोड़ते हुये कहा-“आइए...."
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RE: Hindi Antarvasna - कलंकिनी /राजहंस - by desiaks - 09-17-2020, 01:01 PM

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