RE: Antarvasnax क़त्ल एक हसीना का
बर्गिता की भौहें काफी चढ़ गई थीं और वह विचलित सी दिखाई दे रही थी।
'लेकिन तुम स्टीयानसेन के अभिभावक को यह बात कैसे कह सकते थे कि वह गाड़ी चला रहा था? ये लोग शायद पूरी तरह से भावनाविहीन होते हैं। कैसे...?'
'जैसा मैंने कहा पुलिस में निष्ठा बहुत मजबूत होती है। कई बार तो परिवार से पहले पुलिस बल आ जाता है। लेकिन इस मामले में स्टीयानसेन के परिवार की जी बात बताई गई उस बात की हजम कर पाना आसान था। बॉस ने बताया कि स्टीयानसेन ने जानबूझकर एक संदिग्ध ड्रग डीलर और हत्यारे का पीछा करने के लिए खतरा मोल लिया था और दुर्घटना तो काम के दौरान किसी के भी साथ हो सकती है। आखिरकार, दूसरी कार में जो ड्राइवर था वह अनुभवहीन था और कोई और ड्राइवर रहा होता तो उस हालात में उसने अधिक तेजी से काम किया होता और उसने हम लोगों के सामने गाड़ी नहीं चलाई होती। यह याद रखिये कि गाड़ी में सायरन लगा हुआ था।
'और गाड़ी 110 किलोमीटर प्रति घंटे के रफ्तार से चल रही थी।'
'जबकि वह इलाका था, जहां गाड़ी 50 किलोमीटर प्रति घंटे के रफ्तार से चलाई जानी चाहिए थी। जाहिर है उस आदमी को दोष नहीं दिया जा सकता है। बात यह है कि इस मामले को किस तरह से रखा जाए। परिवार को यह क्यों कहा गया कि उनका लड़का यात्री था? क्या यह किसी माता-पिता के लिए अच्छा होगा कि उनके बेटे को किसी ऐसे आदमी की तरह देखा जाए जिसने अपने नशे में धुत्त सहकर्मी की गाड़ी चलाने की चुपचाप अनुमति दे दी? बॉस ने वही बात फिर-फिर कही। मेरे सिर में इतना अधिक दर्द हो रहा था कि मुझे लग रहा था कि वह फट जाएगा। आखिर में मैं बिस्तर के किनारे पर आ गया और जब नर्स आई तो मैं उठ रहा था। अगले दिन स्टीयानसेन का परिवार आया। उसके माता-पिता और उसकी छोटी बहन। वे फूल लेकर आए थे और उनको इस बात की उम्मीद थी कि मैं जल्दी ही ठीक हो जाऊंगा। उसके पिता ने कहा कि वे इस बात का दोष खुद को देते हैं क्योंकि मैं अपने बेटे पर तेज गाड़ी चलाने को लेकर सख्ती नहीं बरतता था। मैं बच्चों की तरह रोने लगा। हर पल ऐसा लग रहा था जैसे मुझे धीमे-धीमे फांसी दी जा रही हो। वे मेरे साथ एक घंटे से अधिक देर तक बैठे रहे।'
'ओह भगवान, तुमने उनसे क्या कहा?'
'कुछ नहीं। वे ही बात करते रहे। रोनी के बारे में। उसकी सारी योजनाओं के बारे में, वह जो करने जा रहा था उसके बारे में। उसकी प्रेमिका के बारे में, जो अमेरिका में पढ़ती थी। उसने मुझे उसके बारे में बताया था। कहा था कि मैं एक अच्छा पुलिस अफसर हूं और एक अच्छा दोस्त भी। ऐसा आदमी जिस पर भरोसा किया जा सकता हो।'
'फिर क्या हुआ?'
'मैं दो महीने तक अस्पताल में था। बॉस मुझसे मिलने आता रहता था। एक बार उसने वही बात कही जो कि उसने पहले कही थी। “मुझे पता है कि तुम क्या सोच रहे हो। इसका ख्याल निकला दो।” और इस बार वह सही था। मैं बस मरना ही चाहता था। शायद इस बात को छिपाने के पीछे कुछ परोपकार का भाव थाः झूठ बोलना अपने आपमें कोई खराब बात नहीं थी। खराब बात यह थी कि मैंने अपने आपको बचाया था। यह बात अजीब लग सकती है, मगर मैंने इसके बारे में कई बार सोचा था, इसलिए मुझे बताने दो।
'1950 के दशक में एक युवा यूनिवर्सिटी प्राध्यापक था, जिसका नाम था चार्ल्स वान डोरेन, अमेरिका भर में उसकी ख्याति इस बात को लेकर थी कि वह गेम शो में आता था। हफ्ते दर हफ्ते उसने अनेक प्रतियोगियों को हराया। सवाल कई बार बहुत ही अधिक कठिन होते थे और उसकी प्रशंसा में सभी लोग अवाक् रह जाते थे, कि वह जिस तरह से उन सभी सवालों के जवाब दिया करता था। उसे लड़कियां चिट्टियां लिखकर शादी का प्रस्ताव दिया करती थीं, उसका अपना फैन क्लब था और विश्वविद्यालय में जब वह बोलता था, तो सुनने वालों की भीड़ जुटी रहती थी। आखिर में उसने सार्वजनिक तौर पर इस बात को स्वीकार कर लिया कि कार्यक्रम के निर्माता उसकी पहले से सवाल दे दिया करते थे।
'जब उससे यह पूछा गया कि उसने इस घपले का खुलासा क्यों किया, तो उसने उनको अपने चाचा के बारे में बताया जिसने वान डोरेन की चाची से यह बात स्वीकार कर ली थी कि वह बदचलन था। इससे घर में काफी हंगामा हुआ और आखिरकार वान डोरेन ने उनसे पूछा कि उन्होंने चाची को बताया क्यों। वह संबंध काफी साल पहले हुआ था, और अब वे उस महिला के संपर्क में नहीं थे। चाचा का जवाब यह था कि अविश्वासी होना कोई उतनी बड़ी बात नहीं थी, बल्कि वे इस बात को छिपा गए, यह बात उनको खलती थी। और यही बात चार्ल्स वान डोरेन के लिए भी सही थी।
'मुझे लगता है कि लोगों को ऐसा लगता है कि उनको इस बात के लिए थोड़ी सी सजा की जरूरत महसूस होती है, जब वे अपनी कारस्तानियों को स्वीकार नहीं करते हैं। मैं किसी भी कीमत पर इसकी कामना करता हूं: मैं सजा चाहता हूं, मुझे प्रताड़ित किया जाए, मुझे अपमानित किया जाए। कुछ भी जिससे मुझे यह लगे कि हिसाब बराबर हो गया। लेकिन मुझे सजा देने वाला कोई नहीं था। वे मुझे बर्खास्त भी नहीं कर सके, आधिकारिक तौर पर मैं शांत बना रहा, मुझे नहीं रहना चाहिए था। इसके विपरीत, मुझे पुलिस के प्रमुख की ओर से प्रेस में सम्मान मिला क्योंकि मैं सेवा करते हुए गंभीर रूप से घायल हुआ था। इसलिए मैंने खुद को सजा दी। मैं जितना बुरा सोच सकता था खुद को उतनी बुरी सजा दीः मैंने यह फैसला किया कि मै जियूंगा और शराब पीना छोड़ दूंगा।'
'और उसके बाद ?'
'मैं अपने पैरों पर खड़ा हो गया और काम करने लगा। बाकि लोगों से ज्यादा देर तक काम करने लगा। प्रशिक्षित था। लंबी सैर पर जाता था, किताबें पढ़ता था, कुछ कानून की किताबें होती थीं। बुरे दोस्तों से मैंने मिलना-जुलना बंद कर दिया। अच्छे दोस्तों से भी, वैसे। इस तरह से मैंने शराब पीना छोड़ दिया। मुझे पता नहीं कि क्यों, लेकिन वह बहुत बड़ी सफाई की तरह था। मेरे पुराने जीवन का जो भी था वह चला गया, अच्छा और बुरा दोनों। एक दिन मैंने बैठकर उन सभी मित्रों को फोन किया, जिनको मैं पिछले जीवन में जानता था और उनसे कहाः “हाय, हम अब नहीं मिल सकते। तुमको जानना अच्छा रहा।” ज्यादातर लोगों ने इस बात को स्वीकार कर लिया। कुछ लोग तो खुश भी हुए। कुछ का यह कहना था कि मैं अपने लिए घेरा बना रहा था। खैर, हो सकता है कि वे सही रहे हों। पिछले तीन सालों में मैंने किसी से भी अधिक समय अपनी बहन के साथ बिताया है।'
'और तुम्हारे जीवन की औरतें?'
'यह कोई और कहानी है और कम से कम उतनी ही लंबी और पुरानी भी। दुर्घटना के बाद कोई ऐसी नहीं बची जो हो, मेरे ख्याल से मैं अकेला ही भेड़िया हूं जिसकी अपनी चिंताएं हैं। कौन जानता है कि जब मैं शराब के नशे में होता होऊं तो अधिक आकर्षक हो जाता होऊं ।'
'उन्होंने तुमको यहां क्यों भेजा ?'
'ऊपर कोई अफसर जरूर है जो यह सोचता है कि मैं उपयोगी हूं। शायद यह एक तरह से मेरे लिए इम्तेहान है कि मैं दबाव में किस तरह काम करता हूं। अगर मैं बिना कोई गड़बड़ किए इस काम की कर लेता हूं तो हो सकता है कि यह देश में मेरे लिए कई नई संभावनाओं के दरवाजे खोल दे।'
'और तुमको क्या लगता है कि यह महत्वपूर्ण है?'
राजने कंधे उचकाए। कोई उतना भी महत्वपूर्ण नहीं है।'
एक पुराना रूसी जहाज गुजर रहा था, और दूर पोर्ट जैक्सन में उन्होंने देखा कि सफेद पालों वाले जहाज खड़े थे, लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे वे चुपचाप पड़े हों।
'अब तुम क्या करने वाले हो?' उसने पूछा।
'अब मैं यहां कुछ खास नहीं कर सकता। इंगर होल्टर का ताबूत घर वापस भेजा जा चुका है। ओस्लो से उसकी अंतिम यात्रा का इंतजाम करने वाले आदमी ने मुझे फोन किया था। मुझे यह बताया गया कि एम्बेसी ने भिजवाई थी लाश। उन्होंने 'कैवेदार' के बारे में बात की। किसी प्यारे बच्चे के कई नाम होते हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि उस मरने वाली लड़की के कई नाम थे।'
'तो तुम कब जाने वाले हो?'
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