RE: Antarvasnax क़त्ल एक हसीना का
सांद्रा से पसीने और लहसुन की गंध आ रही थी। राजछत की तरफ देख रहा था। उसे हैरानी हो रही थी कि ऐसी हालत में भी उसे गंध महसूस हो रही थी।
‘यह गंध उस आदमी की है, जिसके साथ तुम आज रात थी?' राजने पूछा।
‘दोनों, मेरे ख्याल से,' सांद्रा ने जवाब दिया। 'क्या इससे तुमकी परेशानी हो रही है?'
‘नहीं,' राजने जवाब दिया, बिना इस बात को समझे कि वह गंध के बारे में बात कर रही थी या दूसरे पुरुष के बारे में।
'तुम बहुत नशे में हो राज। तुमकी जरूरत नहीं है--'
'महसूस करने की,' राजने उसके गर्म हाथों को लिया और अपने पैरों के बीच रख लिया।
सांद्रा हंसने लगी। ‘मदहोश । और मेरी मां कहती थी कि जो आदमी पीता है वह बड़ी-बड़ी बातें करता है बस।'
‘मेरे साथ इससे उलट है,' राजने कहा। ‘शराब मेरी जीभ को थाम लेती है, लेकिन मेरे शिश्न को जगा देती है। यह सच है। पता नहीं क्यों लेकिन हमेशा से यह रहा है।’
सांद्रा उसके ऊपर बैठ गई, उसने अपनी पैंटी खोली और बगल में रखकर उसे बिना किसी परेशानी के अंदर ले लिया।
वह ऊपर नीचे हो रही थी और वह उसे देख रहा था। उसकी नजरें उससे मिली, उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान आई और वह दूसरी तरफ देखने लगा। यह मुस्कान उसी तरह की थी जब आप ट्राम में सफर कर रहे होते हैं और आपकी निगाहें किसी को बहुत देर से देख रही होती हैं।
राजने अपनी आंखों को बंद कर लिया, बिस्तर की संगीत ध्वनि को सुनता रहा और सोचता रहा कि यह बिल्कुल सही नहीं था। शराब के कारण सब कुछ को लकवा मार जाता है। वह संवेदनशीलता जिससे उसने सोचा था कि यह झटपट होगा, जैसा कि उसने वादा किया था, वह जा चुकी थी। सांद्रा साहस के साथ मेहनत में लगी हुई थी जबकि राजके ख्याल उसके चादर से निकल गए थे, बिस्तर से बाहर और खिड़की से बाहर। वह सितारों भरे उलटे आकाश के नीचे समुद्र तक की यात्रा कर आया जब तक कि वह तट पर सफेद रेत के विस्तार तक पहुंच गया।
जब वह नीचे आया तो उसने देखा कि समुद्र तट से टकरा रहा था, और भी नीचे, एक शहर आया जहां वह पहले जा चुका था और जहां एक लड़की थी जो रेत पर लेटी हुई थी। वह सोई हुई थी और वह उसके बगल में लेट गया ताकि उसकी नींद न खुले। फिर लेटकर उसने अपनी आंखें बंद कर लीं। जब वह जगा सूरज डूब रहा था और वह अकेला था। उसके पीछे जो लोग टहल रहे थे जिनके बारे में उसे लगा कि वह उनको जानता था, वे सैर में लगे थे। क्या इनमें से कुछ लोगों को उसने फिल्मों में नहीं देखा था? कुछ ने धूप के चश्मे पहन रखे थे, वे अपने छोटे-छोटे कुत्तों के साथ टहल रहे थे और सामने सड़क की दूसरी तरफ एक विशाल होटल दिखाई दे रहा था।
राजपानी के किनारे छप-छप कर रहा था और वह उसके भीतर जाने ही वाला था कि उसने देखा कि उसमें समुद्री बिच्छू भरे हुए थे। वे सतह पर लेट लाल धागे निकाल रहे थे, और मुलायम जेली जैसे शीशे में वह चेहरों की आकृतियों को देख सकता था। समुद्र के विपरीत दिशा में एक मोटरबोट आ रही थी, नजदीक और नजदीक और अचानक राजकी नीद खुल गई। सांद्रा उसे हिला रही थी।
‘कोई आया है,' उसने फुसफुसाकर कहा।
राजने सुना कि कोई दरवाजे पर दस्तक दे रहा था।
‘जरूर रिसेप्शनिस्ट होगा!’ उसने कूदते हुए कहा और अपने सामने तकिया लगा लिया और दरवाजा खोला ।
बर्गिता थी।
‘हाय,' उसने कहा, लेकिन उसकी मुस्कान जम गई जब उसने राजके चेहरे पर परेशानी के भाव को देखा।
‘क्या बात है? क्या कुछ हुआ है राज?’
‘हां, राजने कहा। 'कुछ गड़बड़ हुआ है।' उसका सिर हिल रहा था और उसकी हर धड़कन उसके दिमाग को खाली किए दे रही थी। 'तुम यहां क्यों आई हो?'
'उन्होंने फोन नहीं किया। मैं इंतजार करती रही, करती रही फिर मैंने घर फोन किया लेकिन किसी ने उठाया नहीं। हो सकता है कि उनको समय का गलत अंदाजा हो गया होगा और उन्होंने तब फोन किया होगा जब मैं काम पर थी। समय के अंतर को समझने में उनसे गलती हो गई होगी। मेरे डैड भी न।'
उसने जल्दी से कहा और ऐसे जताने की कोशिश कर रही थी मानी आधी रात में होटल के गलियारे में खड़े होना दुनिया की सबसे स्वाभाविक बात हो, एक ऐसे आदमी से सामान्य सी बातें करती हुई जो लग नहीं रहा था कि उसे अंदर आने देना चाहता था।
वे एक-दूसरे को देखते हुए खड़े रहे।
‘क्या अंदर कोई है?' उसने पूछा।
‘हां, उसने कहा। थप्पड़ की आवाज ऐसे आई जैसे सूखे पते की खड़खड़ाहट ।
‘क्या तुम नशे में हो!' उसने कहा। उसकी आंखों में आंसू थे। 'बर्गिता सुनो '
उसने उसे जोर का धक्का दिया और उसे वापस कमरे में धकेल दिया, और उसके पीछे-पीछे आ गई। सांद्रा पहले ही मिनी स्कर्ट पहन चुकी थी। वह बैठकर जूते पहनने की कोशिश कर रही थी। बर्गिता ऐसे झुक गई जैसे उसके पेट में दर्द हुआ हो।
‘रंडी!' वह चीख पड़ी।
‘हां पहली बार,’ सांद्रा ने रुखाई से जवाब दिया। वह उन दोनों से अधिक शांत थी, लेकिन वह जल्दी से निकलने की कोशिश में थी।
‘अपना सामान उठाओ और यहां से निकल जाओ!' बर्गिता ने चिल्लाते हुए कहा, कुर्सी पर सांद्रा का बैग फेंकते हुए। वह बिस्तर पर जाकर गिरा और सामान बिखर गया। राजबीच में खड़ा था, नंगा और अपने पैरों पर हिलता डुलता और उसे आश्चर्य हुआ कि उसके बिस्तर पर एक छोटा सा कुत्ता बैठा हुआ था। उसकी बगल में एक हेयरब्रश था, सिगरेट ने पहले कभी नहीं देखा था। सांद्रा ने अपनी नजरें घुमाई, कुत्ते को गर्दन से पकड़कर बैग में डाल लिया।
‘पैसे का क्या है स्वीटी?’ सांद्रा ने कहा ।
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