मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-08-2021, 12:45 PM,
#30
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मुंबई की बारिश और माँ बेटे का प्यार--2

रश्मि को अपने बेटे की आवाज़ में एक अजब सी प्यास एक अजब सा दर्द महसूस होता है. वो अपने बेटे को कड़ाई से घूरती है. वो दरवाजे से टेक लगाए नीचे देख रहा था. वो उसे उसके पति राजिंदर की याद दिलाता था. असलियत में वो बिल्कुल वैसा ही था जैसा उसका बाप 18 वर्ष की आयु में था. अपने बेटे में अपने पति का अक्श देखकर उसके मन में एक बिजली सी कौंध जाती है. उसे वो समय याद आता है जब राजिंदर उसे पूरी रात चोदा करता था और उसे उत्तेजना और आनद के मारे सिसकियाँ भरने पर मजबूर कर देता था. वो अपने जिस्म में एक दर्द की लहर सी दौड़ती हुई महसूस करती है जो उसकी चूत तक पहुँचकर उसमे आग लगा रही थी.

रश्मि धीरे से अपने बेटे की आँखो में देखते हुए अपने हाथ अपने मम्मों और जाँघो पर से हटा लेती है और गीले और बदन से चिपके वस्त्रो में क़ैद अपनी लगभग नंगी काया अपने बेटे की आँखो के सामने कर देती है.

"क्या तुम्हे...क्या तुम्हे अच्छा लग रहा है जो तुम इस समय देख रहे हो?" वो धीरे से फुसफुसाती है

"माँ...आप..आप अंदाज़ा भी नही लगा सकती!" रवि धीरे से उखड़ते स्वर में जवाब देता है.

"क्या तुमने कभी चोरी छिपे मुझे देखने की भी कोशिश की है?"

"हां ...कुछ एक बार मेने झाँका है" रवि बुदबुदाता है. "केयी बार जब आप नीचे बैठती हैं और आपकी स्कर्ट उपर हो जाती है तो मेने आपकी कच्छि देखी है और कयि बार आपके सूट्स में जब आप नीचे झुकती हैं तो आपके गले में झाँका है"

इसके अलावा और क्या क्या किया है तुमने? बताओ मुझे?" कुतूहलवश और उत्तेजना में वो अपने बेटे के हर राज़ को जानना चाहती थी.

"उम्म...मम्मी... वो मेने आपकी कच्छि के साथ कयि बार.......उनको सूँघा है ...और उनमे अपना....अपना माल गिराया है. में यह सब जान बूझकर नही करता बस अपने आप हो जाता है, मुझसे कंट्रोल नही होता" रवि की आवाज़ अभी भी लड़खड़ा रही थी.

अपने बेटे की मुख से पाप स्वीकृति ने रश्मि के बदन की मादक तपिश को और भी भड़का दिया था. यह जानकर कि उसका सगा बेटा उसे चोदने के सपने देखता है और अपनी सग़ी माँ की कच्छि अपने लौडे पर लपेटकर मूठ मारता है और उसमे अपना माल गिराता है, उसे अपना जिस्म उत्तेजना से काँपता हुआ महसूस हो रहा था. उसके निपल बढ़ कर कड़े हो गये थे और गीली ब्रा में से उभरे हुए नज़र आ रहे थे. उसके मन पर जैसे किसी और का अधिकार हो गया हो और जो भी वो इस वक़्त कर रही थी उसमे उसे कोई शर्म या संकोच महसूस नही हो रहा था. उसे इसमे कुछ भी ग़लत नही लग रहा था बल्कि उसे एसा लग रहा था जैसे वो अपने जिस्म की एक मूल माँग पूरी कर रही थी जिसका कि उसे पूर्णतया अधिकार था.

"अब तक सिर्फ़ काल्पनिक मज़ा ही लिए हो?" रश्मि अपने बेटे की आँखो की गहराई में देखते हुए बोलती है उसके चेहरे पर एक कुटिल और रहस्यमयी मुस्कान थी जैसे उसके दिमाग़ में कोई साज़िश चल रही थी. और तब उसने वो लफ़्ज कहे जिनकी रवि ने कभी अपने सपने में भी आशा नही की थी.

"उम्म्म..म्मथम्म....अगर में तुम्हे एक मौका दे दूं जिसका तुमने आज तक सिर्फ़ सपना ही देखा है.....अगर तुम्हे वाकई में अपनी मम्मी चोदने को मिल जाए तो......" रश्मि बड़े ललचाने वाले अंदाज़ में अपने होन्ट चाटते हुए पूछती है.

"माँ....माँ...आप..सच में...मगर"

रवि की ज़ुबान लड़खड़ा रही थी, उसे यकीन नही हो पा रहा था मगर उस समय उसकी आँखे अविश्वास से फैल जाती हैं जब वो माँ को अपनी ड्रेस की ज़िप खोलते हुए देखता है. ज़िप खुलते ही ड्रेस नीचे फर्श पर गिर जाती है. उसकी मम्मी उसके सामने सिर्फ़ ब्रा और कच्छि पहने खड़ी थी. रश्मि की त्वचा गीली होने के कारण चमक रही थी. वो अपने बेटे की ओर बढ़ती है और उसका हाथ अपने हाथों में लेकर बेड पर जाती है.

रश्मि बेड पर बैठ कर रवि की शर्ट उतारती है और अपने बेटे की मर्दाना छाती पर हाथ फेरते हुए उसकी तारीफ करती है. वो अपनी उंगलियाँ उसके पेट पर नाज़ुकता से घुमाती है और उसके बदन को कसते हुए महसूस करती है जब वो उसे सहलाती है. रवि एक गहरी साँस लेता है जब रश्मि उसकी पेंट की हुक खोल कर उसे नीचे खींचते हुए पैरों से बाहर निकाल देती है. उसका लंड अंडरवेर में एक लोहे की रोड की तरह सख़्त होकर झटके मार रहा था जैसे बहुत गुस्से में हो.

रश्मि अपने बेटे के लंड से निकलने वाले प्रेकुं की मस्की स्मेल को सूंघति है तो उसकी चूत में करेंट दौड़ जाता है. वो अपनी उंगलियाँ उसके अंडरवेर में फँसा कर उसे नीचे खींचते हुए बाहर निकाल फेंकती है. अपने बेटे के उस तगड़े लौडे पर पहली नज़र पड़ते ही उसके मुँह खुला का खुला रह जाता है. रवि का लंड काफ़ी लंबा होने के साथ साथ बहुत मोटा भी था और बुरी तेरह से झटके मार रहा था. उसका लॉडा उसके बाप के लौडे से बड़ा और मोटा था.

रश्मि अपने बेटे के टट्टों को बड़ी नाज़ुकता से सहलाती है और अपना मुँह उसके फूले हुए लंड के बिल्कुल सामने लाती है. वो गहरे लाल सुपाडे को चूमती है और फिर उसका मुँह अपने बेटे के लौडे के अग्रभाग पर कस जाता है. वो धीरे धीरे अपने होंठो को उसके लंड पर पीछे की ओर ले जाती है और साथ ही सुपाडे की चमड़ी को खींच कर पूरी तरह से नंगा कर देती है.

रश्मि अपने बेटे के लौडे को चूस्ते हुए1

अपनी सग़ी मम्मी द्वारा अपना लंड चूसे जाने पर रवि कराहने लगता है. उसकी माँ! उसकी अपनी सग़ी माँ! उसने आज तक किसी सपने में भी नही सोचा था कि एसा मुमकिन हो सकता है मगर यह हो रहा था. उसकी अति सुंदर अति मोहक माँ जिसके बदन के अंग अंग से मादकता टपकती है आज उसके लंड को चूस रही थी. वहाँ हो रहे उस अनुचित कार्य ने उसकी काम पिपासा को कयि गुना बढ़ा दिया और उसका लंड अपनी माँ के मुँह में झटके मारने लगा. उसके हाथ रश्मि की पीठ पर पहुँचते है और उसकी ब्रा की हुक खोल कर उसके उन संदर मम्मों को क़ैद से आज़ाद कर देती हैं.

रवि अपनी मम्मी के मम्मो को हाथों में भरते हुए कस कर मसलता है और हल्के से उसके निप्प्लो को मरोडता है तो रश्मि के मुँह से सिसकियाँ फूटने लगती हैं. उसके निप्प्लो से कामुकता की तरंगे निकल कर उसकी चूत तक फैल जाती हैं और वो अपनी टाँगे कस कर बंद करते हुए अपनी चूत के होंठो को आपस में रगड़ती है.

"आअहह...उफ़फ्फ़...बहुत मज़ा आ रहा है मम्मी. चूसो मेरा लंड.....ज़ोर से चूसो मम्मी!" रवि कराहते हुए बोलता है.

रश्मि अपने हाथ पीछे ले जाकर रवि के चुतड़ों को कस कर पकड़ती है और फिर उसे आगे अपनी ओर खींचती है और अपना मुँह तेज़ी से उसके लौडे पर चलती है. बेटे के लौडे का स्वाद रश्मि को इतना टेस्टी लगा था कि वो लगभग तीन चौथाई लंड मुँह में लेकर चूस रही थी, शायद वो पूरा लंड मूँह में ले लेती अगर यह मुमकिन होता, मगर इतना लंबा मोटा लंड पूरा मुँह में लेकर चूसना उसके बस के बाहर की बात थी. दो साल से भी ज़यादा समय बाद आज वो एक लंड चूस रही थी वो भी आने बेटे का. लंड की रब्बर जैसी त्वचा और उसके मुख से निकलने वाले हल्के हल्के नमकीन रस का वो भरपूर मज़ा ले रही थी.

अपनी माँ द्वारा अपना लंड पूरी कठोरता से चूसे जाने पर रवि संतुष्टि भरी गहरी साँसे लेता है. वो उसके बाल पकड़ कर अपना लंड धीरे धीरे उसके मुँह में आगे पीछे करते हुए अपनी माँ का मुँह चोदने लगता है.

रश्मि अपना हाथ नीचे ले जाकर अपनी चूत को कच्छि के उपर से सहलाती है जिससे उसकी कामुकता और उत्तेजना और भी बढ़ जाती है. कच्छि के अंदर हाथ डालकर वो एक उंगली चूत के होंठो पर फेरती है और फिर अंदर डालकर दाने को मसलती है. रवि अपनी मम्मी को अपनी चूत में उंगली करते हुए देख कर आनंदित होता है और उसका चेहरा और भी जोरों से चोदने लग जाता है, उसे अपने टट्टों में अपना वीर्य उबलता हुआ महसूस होता है.

रवि रश्मि के सिर को पकड़े हुए तेज़ तेज़ धक्के लगाने लगता है. उसका लॉडा उसकी मम्मी के मुँह में झटके मारते हुए ऐंठने लगा था. रश्मि भी बेटे के लंड पर तेज़ी से जीभ चलाते हुए ज़ोरों से सुपर्र सुपर्र कर चूस रही थी. रवि का बदन अकड़ जाता है और फिर एक उँची कराह भरते हुए उसका लंड अपना रस उगलने लगता है.

रश्मि को अपने बेटे के लंड में ऐंठन महसूस होती है और वो खुद को तैय्यार करती है. अपने गालों को फुलाते हुए वो उसके लौडे को ज़ोर से चूस्ति है जब उसका लंड फूलता है और फिर गर्म और गाढ़े रस की पिचकारियाँ उसके मुँह में छूटने लगती हैं. एक के बाद एक गर्म रस की धारा उसके मुँह में फूटती है और वो हर्षौल्लासित होकर अपने बेटे के नमकीन रस का आनंद उठाती है. जब उसे यकीन हो जाता है कि उसके लंड से पूरा रस निकल चुका है तो वो धीरे से अपना मुँह उसके लंड से हटा लेती है.

रवि आँखे फाडे अपनी माँ को अपने लंड से मुँह हटाते हुए देखता है. वो आँखे उठाकर उसे देखती है और अपना मुँह खोलती है और अपने मुँह में भरा वीर्य उसको दिखाती है. और उसी तरह मुँह खुला रखकर वो सिर थोड़ा पीछे की ओर झुकाती है और उसका सारा वीर्य निगल जाती है.

रश्मि द्वारा लंड की जबरदस्त चुसाइ के पश्चाताप रवि अपना रस अपनी मम्मी के मुँह में छोड़ देता है

"एम्म्म....बहुत ही स्वादिष्ट था" रश्मि अपने बेटे की आँखों में बेलगाम कामवासना देखते हुए उत्तेजक स्वर में बोलती है. राजिंदर के मरने के बाद आज उसने पहली बार वीर्य का स्वाद चखा था और राजिंदर के अलावा यह एकमात्र लंड था जिसे उसने देखा था, छुआ था, अपने मुँह में लेकर उसे चूसा और चाटा तभी था.

"ओह मम्मी! आप तो कमाल का लॉडा चुस्ती हो. आज तक किसी ने भी मेरा लॉडा इतने जबरदस्त तरीके से नही चूसा था. मुझे इतना मज़ा आया कि मैं बता नही सकता. आप तो लाजवाब हो!" रवि अत्यधिक उत्तेजित स्वार में बोलता है. यह जानकर के उसके बेटे का लंड किसी ने पहले भी चूसा है, रश्मि का दिल जल उठता है. मगर वो उसकी ओर देखकर मुस्कराती है.

"तो अब तैयार हो मेरी चूत मारने के लिए. अपनी सग़ी माँ की चूत में अपना लंड डालकर उसे ठोकने के लिए" रश्मि बड़े ही नखरीले अंदाज़ में रवि से पूछती है. रवि का लंड झड़ने के बाद कुछ छोटा ज़रूर हो गया था मगर अभी भी पूरी तरह से कठोर था. उसे सेक्स करते हुए गंदे लफ़्ज बोलने में बहुत मज़ा आता था और यह राजिंदर को भी बहुत पसंद था. बेड पर चुदाई के समय वो बहुत सेक्सी अश्लील बातें बोलती थी जिससे चुदाई का मज़ा और भी बढ़ जाता था. वो जानने को उत्सक थी कि क्या उसका बेटा भी अपने बाप की तेरह उसकी इन अश्लील गंदी बातों से उत्तेजित होता है?

रश्मि अपनी टांगे उँची उठाती है और रवि के सामने पूरा नज़ारा पेश करती है अपनी कच्छि उतारने का. वो कच्छि को धीरे धीरे अपनी गान्ड से नीचे खिसकाती है और फिर अपनी गान्ड उपर उठाकर धीरे धीरे टाँगो से नीचे करती जाती है. अब उसकी कच्छि उसके पावं के अंगूठे में झूल रही थी. रवि आगे झुकते हुए उसकी कच्छि उसके पावं से खींच लेता है और उसे अपनी नाक से लगा कर गहरी साँस लेते हुए उसकी खुसबु सूँघता है. अपने बेटे द्वारा अपनी गंदी कच्छि को सूँघते हुए देखकर रश्मि के अंदर का कामवासना का तूफान और भी तेज़ हो जाता है.

"उन्हे फेंक दो रवि और इधर आकर इसे चखो और बताओ इसका स्वाद कैसा है" रश्मि सीसियाते हुए बोलती है.

रवि उसकी टाँगो के बीच में देखता है . उसकी माँ की चूत पर गहरे काले रंग के छोटे छोटे बाल थे. उसकी चूत के होंठ मोटे और सूजे हुए नज़र आ रहे थे और रवि अब और इंतज़ार नही कर सकता था. उसका लॉडा अब बुरी तरह से झटके मार रहा था और अब वो बस उसकी गीली चूत में अपना लॉडा घुसेड देना चाहता था.

अपनी माँ की फैली टाँगो को पकड़ कर वो उसे बेड के किनारे की ओर खींचता है और फिर उन्हे पूरी तरह से फैला देता है. अब रवि अपनी माँ की चूत के अंदर का गुलाबीपन देख रहा था, उसकी चूत बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी. वो अपना लॉडा चूत के मुहाने पर टिकाटा है और उसे अंदर की ओर घुसेड़ता है. उसकी चूत काफ़ी संकरी थी.
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-08-2021, 12:45 PM

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