मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-08-2021, 12:46 PM,
#33
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
Maa bete ki kahani-बेटा ये तेरी माँ की चूत है

मेरी उम्र 21 साल की है और मेरी प्यारी माँ 43 साल की है। घर पर मेरी माँ और में रहता हूँ। मेरी माँ एकदम सेक्सी है। उनकी बहुत मद मस्त जवानी है। उसके कूल्हे बहुत अच्छे लगते हैं। मैंने एक बार जब वो सोई हुई थी तो तब उसके कमरे में जाकर उसकी गांड देखी थी और बड़ा उत्तेजित हुआ था। मुझे उनकी गांड चाटने का बहुत मन होता था। लेकिन मौका नहीं मिलता था और भी हिम्मत नहीं होती थी। लेकिन एक दिन मौका भी मिला मुझे।

मेरी माँ भी मेरे खड़े हुए लंड को बार बार देखती थी। मैं सोने की एक्टिंग करता था और वो मेरे पास सो कर मेरे पीछे से मेरे लंड को पकड़ कर सहलाती थी और मैं आँखे बंद करके बहुत मज़ा लेता था। माँ अपनी छाती को मेरे हाथो से दबवाती थी और एक बार तो मेरा लंड चूस भी लिया था। में भी एक्टिंग करता था और माँ की गांड को मसलता रहता था।

एक बार मैंने बाथरूम खोला तो देखा की माँ आधी नंगी बैठ कर कपड़े धो रही थी और उसकी गांड का छेद साफ दिख रहा था। मैं चुपके से पीछे बैठ गया और माँ के गले लग गया। मेरा लंड खड़ा हो गया था पीछे से माँ के बदन को छू रहा था और माँ को अच्छा लग रहा था। मैंने धीरे से अपने हाथ माँ के कूल्हों पर रख दिया और उसे मसलने लगा। माँ तो अपने काम में मस्त थी और मजा ले रही थी।

कूल्हों को मसलते मसलते मेरी नज़र माँ के सिकुड़ते फैलते हुए गांड के छेद पर गई मेरे मन मैं आया की क्यों ना इसका स्वाद भी चखा जाए देखने से तो माँ की गांड वैसे भी काफ़ी खूबसूरत लग रही थी। जैसे गुलाब का फूल हो मैंने अपनी लपलपाती हुई जीभ को उसकी गांड के छेद पर लगा दी और धीरे-धीरे ऊपर ही ऊपर लपलपाते हुए चाटने लगा। गांड पर मेरी जीभ का स्पर्श पा कर माँ पूरी तरह से हिल उठी।
“ओह ये क्या कर रहा है ओह बहुत अच्छा लग रहा है, ये सब कहाँ से सीखा, तू तो बड़ा कलाकार है। हे राम देखो कैसे मेरी चूत को चाटने के बाद मेरी गांड को चाट रहा है। तुझे मेरी गांड इतनी अच्छी लग रही है, कि इसको भी चाट रहा है, ओह बेटा सच में गजब का मज़ा आ रहा है। चाट चाट ले अब पूरी गांड को चाट ले ओह ओह।

मैंने पूरी लगन के साथ गांड के छेद पर अपनी जीभ को लगा कर दोनो हाथो से दोनो कुल्हो को पकड़ कर छेद को फैलाया और अपनी नुकीली जीभ को उसमे डालने की कोशिश करने लगा। माँ को मेरे इस काम में बड़ी मस्ती आ रही थी और उसने खुद अपने हाथो को अपने कुल्हो पर ले जा कर गांड के छेद को फैला दियाऔर मुझे जीभ डालने के लिए उत्साहित करने लगी। ईईईईई डाल दे जीभ को जैसे मेरी चूत में डाला था वैसे ही गांड के छेद में भी डाल दे और चोद के खूब चाट मेरी गांड को मर गई रीईईई, ओह इतना मज़ा तो कभी नहीं आया था। ओह देखो कैसे गांड चोद रहा है,,,,,,,,सस्स्स्स्स्सीईई चाटो इसे चाटो और ज़ोर से चाटो।

मैं पूरी लगन से गांड चाट रहा था। मैंने देखा की चूत का गुलाबी छेद अपने रस को टपका रहा है, तो मैंने अपने होंठो को फिर से चूत के गुलाबी छेद पर लगा दिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा जैसे की कोकोकोला पी रहा हूँ। सारे रस को चूसने के बाद मैंने चूत के छेद में जीभ को डाल कर अपने होंठो के बीच में चूत के छेद को क़ैद कर लिया और खूब ज़ोर ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया।

माँ के लिए अब बर्दाश्त करना शायद मुश्किल हो रहा था। उसने मेरे सिर को अपनी चूत से अलग करते हुए कहा फिर से चूस कर ही झाड़ देगा क्या? अब तो असली मज़ा लूटने का समय आ गया है। बेटा राजा अब चल मैं तुझे जन्नत की सैर कराती हूँ। अब अपनी माँ की चुदाई करने का मज़ा लूट मेरे राजा चल मुझे नीचे उतरने दे साले।

मैंने माँ की चूत पर से मुँह हटा लिया वो जल्दी से नीचे उतर कर लेट गई और अपने पैरो को घुटनो के पास से मोड़ कर अपनी दोनो जाँघो को फैला दिया और अपने दोनो हाथो को अपनी चूत के पास ले जा कर बोली “आ जा राजा जल्दी कर अब नहीं रहा जाता। जल्दी से अपने मूसल को मेरी ओखली में डाल कर कूट दे जल्दी कर बेटा डाल दे अपना लंड माँ की प्यासी चूत में, मैं उसके दोनो जाँघो के बीच में आ गया पर मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करू। फिर भी मैंने अपने खड़े लंड को पकड़ा और माँ के ऊपर झुकते हुए उसकी चूत से अपने लंड को सटा दिया।

माँ ने लंड को चूत से सटाते ही कहा “हाँ अब मार धक्का और घुसा दे। अपने सांप जैसे लंड को माँ के बिल में। मैंने धक्का मार दिया पर ये क्या लंड तो फिसल कर चूत के बाहर ही रगड़ खा रहा था। मैंने दोबारा कोशिश की फिर वही नतीज़ा तीन धक्के मारे फिर लंड फिसल कर बाहर इस पर माँ ने कहा “रुक जा मेरे नासमझ खिलाड़ी, मुझे ध्यान रखना चाहिए था, तू तो पहली बार चुदाई कर रहा है, अभी तुझे मैं बताती हूँ, फिर अपने दोनो हाथो को चूत पर ले जाकर चूत के दोनो फांको को फैला दिया और चूत के अंदर का गुलाबी छेद नज़र आने लगा था। चूत एक दम पानी से भीगी हुई लग रही थी। चूत छोड़ी करके माँ बोली ले मैंने तेरे लिए अपनी चूत को फैला दिया है, अब आराम से अपने लंड को ठीक निशाने पर लगा कर चोद ले जितना चाहे उतना चोद।

मैंने अपने लंड को ठीक चूत के खुले हुए मुँह पर लगाया और धक्का मारा लंड थोड़ा सा अंदर तो घुसा पानी लगे होने के कारण लंड का मुहं अंदर चला गया था। माँ ने कहा “शाबाश ऐसे ही मुहं चला गया अब पूरा घुसा दे मार धक्का कस के और चोद डाल मेरी चूत को बहुत खुजली मची हुई है। मैंने अपनी गांड तक का ज़ोर लगा कर धक्का मार दिया, पर मेरा लंड में ओर दर्द की लहर उठी और मैंने चीखते हुए झट से लंड को बाहर निकाल लिया। माँ ने पूछा क्या हुआ चिल्लाता क्यों है।

ओह माँ लंड में बहुत दर्द हो रहा है। माँ उठ कर बैठ गई और मेरी तरफ देखते हुई बोली देखूं तो कहा दर्द है। मैंने लंड दिखाते हुए कहा देखो ना जैसे ही चूत में घुसाया था, वैसे ही दर्द करने लगा माँ कुछ देर तक देखती रही फिर हंसने लगी और बोली साले अनाड़ी चुदक्कड़, चला है माँ को चोदने, अभी तक तो तेरे लंड की चमड़ी ढंग से उतरी ही नहीं है, तो दर्द नहीं होगा तो और क्या होगा, चल कोई बात नहीं मुझे इस बात का ध्यान रखना चाहिए था, मेरी ग़लती है मैंने सोचा तूने खूब मूठ मारी होगी तो चमड़ी अपने आप उतरने लगी होगी, मगर तेरे इस गुलाबी सुपाड़े की शक्ल देख कर ही मुझे समझ जाना चाहिए था, कि तूने तो अभी तक ढंग से मूठ भी नहीं मारी, चल नीचे लेट, लगता है अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा।

मैंने तो अब तक यही सुना था की लड़का लडकी के ऊपर चड़ कर चोदता है। मगर जब माँ ने मुझे नीचे लेटने के लिए कहा तो मैं सोच में पड़ गया और माँ से पूछा नीचे क्यों लेटना है, माँ क्या अब चुदाई नहीं होगी। मुझे लग रहा था कि माँ फिर से मेरा मुठ मार देगी। माँ ने हँसते हुए कहा नहीं अनाड़ी चुदाई तो होगी, जितनी तुझे चोदने की आग लगी है मुझे भी चुदवाने की उतनी ही आग लगी है, चुदाई तो होगी ही, तुझे तो अभी रात भर मेरी चूत का बाजा बजाना है, मेरे राजा तू नीचे लेट अब उल्टी तरफ से चुदाई होगी। उल्टी तरफ से चुदाई होगी इसका क्या मतलब है। माँ बोली इसका मतलब तुझे लिटाके में खुद ही तेरे लंड से चुदवाउंगी, ये तो तू खुद ही थोड़ी देर के बाद देख लेना मगर फिलहाल तू नीचे लेट और अपना लंड खड़ा कर के रख फिर देख मैं कैसे तुझे मज़ा देती हूँ।

मैं नीचे लेट तो गया पर अब भी मैं सोच रहा था, कि माँ कैसे करेगी माँ ने जब मेरे चेहरे पर हिचकिचाहट के भाव देखे तो वो मेरे गाल पर एक प्यार भरा तमाँचा लगते हुए बोली सोच क्या रहा है, तू अभी चुपचाप तमाशा देख फिर बताना की कैसा मज़ा आता है, कह कर माँ ने मेरे कमर के दोनो तरफ अपनी दोनो टाँगे कर दी और अपनी चूत को ठीक मेरे लंड के सामने ला कर मेरे लंड को एक हाथ से पकड़ा और लंड को सीधा अपनी चूत के गुलाबी मुँह पर लगा दिया।

लंड को चूत के गुलाबी मुँह पर लगा कर वो मेरे लंड को अपने हाथो से आगे पीछे कर के अपनी चूत की दरार पर रगड़ने लगी। उसकी चूत से निकला हुआ पानी मेरे लंड पर लग रहा था और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मेरी साँसे उस अगले पल के इंतज़ार में रुकी हुई थी जब मेरा लंड उसकी चूत में घुसता।

मैं बहुत देर से इंतज़ार कर रहा था। तभी माँ ने अपनी चूत की फाँक को एक हाथ से फैलाया और मेरे लंड के मुहं को सीधा चूत के गुलाबी मुँह पर लगा कर उपर से हल्का सा ज़ोर लगाया। मेरे लंड का मुहं उसके चूत की फांको के बीच में समा गया। फिर माँ ने मेरी गांड पर अपने हाथो को जमाया और ऊपर से एक हल्का सा धक्का दिया मेरे लंड का थोड़ा सा और भाग उसकी चूत में समा गया था। उसके बाद माँ स्थिर हो गई और इतने से ही लंड को अपनी चूत में घुसा कर आगे पीछे करने लगी। थोरी देर तक ऐसा करने के बाद उसने फिर से एक धक्का मारा। इस बार धक्का थोड़ा ज्यादा ही जोरदार था और मेरे लंड का लगभग आधा से अधिक भाग उसकी चूत में समा गया। मेरे मुँह से एक ज़ोरदार चीख निकल गई।
क्योकि मेरे लंड के मुहं की चमड़ी एक दम से पीछे उलट गई थी। पर माँ ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और उतने ही जोर से लंड को आगे पीछे करते हुए धक्का मारते हुए बोली, बेटा चुदाई कोई आसान काम नहीं है, लड़की भी जब पहली बार चुदती है, तो उसको भी दर्द होता है और उसका दर्द तो तेरे दर्द के सामने कुछ भी नहीं है, जैसे उसकी चूत की सील टूटती है, वैसे ही तेरे लंड की भी आज सील टूटी है। थोड़ी देर तक आराम से लेटा रह फिर देख तुझे कैसा मज़ा आता है।

माँ अब उतने लंड को ही चूत में ले कर धीरे धीरे धक्के लगा रही थी। वो अपनी गांड को उछाल उछाल के धक्के पर धक्का मारे जा रही थी। थोड़ी देर में ही मेरा दर्द कम हो गया और मुझे गीलेपन का अहसास होने लगा था, माँ की चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था और उसकी चूत से निकलते पानी के कारण मेरे लंड का घुसना और निकलना भी आसान हो गया था, माँ अब और ज़ोर ज़ोर से अपनी गांड उछाल उछाल के धक्के लगा रही थी और मेरे वीर्य का ज्यादा से ज्यादा भाग उसकी चूत के अंदर घुसता जा रहा था।

माँ ने इस बार एक ज़ोरदार धक्का मारा और मेरे लंड का ज्यादातर भाग अपनी चूत में छुपा लिया और सिसकते हुए बोली ईईईइ दैयया, कितना तगड़ा लंड है, जैसे कि गरम लोहा हो एक दम सीधा चूत की दीवारो को रगड़ मार रहा है, मेरे जैसी चुदी हुई औरत की चूत में जब ये इतना कसा हुआ है। तो जवान लड़कियों की चूत तो फाड़ के रख देगा, मज़ा आ गया, ले साले और घुसा लंड और घुसा” कह कर तेज़ी से तीन चार धक्के और मार दिए।

माँ ने तेज़ी से लगाए गये इन धक्को से मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया। माँ ने सिसकते हुए धक्के लगाना जारी रखा और अपने एक हाथ को चूत के मुहं के पास ले जाकर देखने लगी की पूरा लंड अंदर गया है की नहीं। जब उसने देखा की पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में घुस चुका है। तब उसने अपनी गांड को उठाते हुए एक तेज धक्का मारा और मेरे हाथो का चुम्मा ले कर बोली कैसा लग रहा है। बेटा अब तो दर्द नहीं हो रहा है ना।
नहीं माँ अब दर्द नहीं हो रहा है, देखो ना मेरा पूरा लंड तुम्हारी चूत के अंदर चला गया है। हाँ बेटा अब दर्द नहीं होगा अब तो बस मज़ा ही मज़ा है। मेरी चूत के पानी के गीलेपन से तेरी चमड़ी उलटने में अब आसानी हो रही है। इसलिए तुझे अब दर्द नहीं हो रहा होगा बल्कि मज़ा आ रहा होगा। क्यों बेटा बोल ना मज़ा आ रहा है या नहीं, अपनी माँ की चूत में को चोदकर। अब तो तुझे पता चल रहा होगा की चुदाई क्या होती है, बेटा ले मज़े चुदाई का और बता कि तुझे कैसा लग रहा है, माँ की चूत में लंड घुसाने में। माँ सच में गजब का मज़ा आ रहा है, ओह माँ तुम्हारी चूत कितनी कसी हुई है। मेरा लंड तो इसमे बड़ी मुश्किल से घुसा है, जबकि मैंने सुना था की शादीशुदा औरतो की चूत ढीली हो जाती है।

माँ बोली “बेटा ये तेरी माँ की चूत है, ये ढीली होने वाली चूत नहीं है, कहकर माँ ने लंड को पूरा खींच कर बाहर निकाला और फिर ऊपर से गांड का ज़ोर लगा के एक ज़ोरदार धक्का मारा कि पूरा लंड एक ही बार में गप्प से अपनी चूत के अंदर चला गया। माँ अब तेज तेज धक्के लगा के पूरा का पूरा लंड अपनी चूत में एक ही बार में गप्प गप्प से लेती रही थी।

उसने मेरा उत्साह बड़ाते हुए कहा अबे साले नीचे क्या औरतो की तरह से पड़े रह कर चुदवा रहा है, अपनी गांड उछाल उछाल के तू भी धक्का मार साले चोद अपनी माँ को ऐसे पड़े रहने से थोड़े ही मज़ा आएगा, देख मेरी चूत कैसे तेरे सारे वीर्य को एक ही बार में निगल रही है, तेरा लंड मेरी चूत की दीवारो को कुचलता हुआ कैसे मेरी चूत के लास्ट तक ठोकर मार रहा है और तू भी नीचे से धक्का मार मेरे राजा और बता की कैसा लग रहा है, माँ की चुदाई करने में मज़ा आ रहा है या नहीं।

मैंने भी नीचे से गांड उछाल कर धक्का मारना शुरू कर दिया और माँ के कुल्हो को अपनी हथेलियों के बीच दबोच कर बोला, माँ बहुत मज़ा आ रहा है, सच में इतना मज़ा तो जिंदगी में कभी नहीं आया। ओह तुम्हारी चूत में मेरा लंड एकदम धीरे धीरे जा रहा है और ऐसा लगता है जैसे कि मैंने किसी गरम भट्टी में अपने लंड को डाल दिया है। ओह सस्सस्सस्सीईईईई कितना गरम है तेरी चूत माँ और ज़ोर से मरो धक्का और ले लो अपने बेटे का लंड अपनी चूत में ऊऊओह साली मज़ा आ गया कह कर मैंने अपनी एक उंगली को माँ की गांड की दरार पर लगा कर उसको हल्का सा उसकी गांड में डाल दिया।

माँ का जोश मेरी इस हरकत पर दुगुना हो गया और वो अपनी कुल्हो को और तेज़ी के साथ उछालने लगी और कहने लगी गांड में उंगली डालता है। तेरी माँ को चोद और ले मेरा चूत का धक्का तेरे लंड पर दूँगी मुँह क्या देख रहा है, चूची दबा साले मुँह में लेकर चूस और चुदाई का मज़ा ले। मुझे कितने वर्षो के बाद ऐसी चुदाई का आनंद मिल रहा है ।।

मैंने माँ के आदेश पर उसकी चूचियों को अपने हाथो में थाम लिया और उसकी चूची को खींच कर उसके निप्पल से अपने मुँह को सटा कर चूसते हुए दूसरी चुचि को खूब ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा। माँ अब अपनी गांड को पूरा उछाल उछाल कर मेरे लंड को अपनी गरम चूत में डलवा रही थी। उसकी चूत एक दम अंगीठी की तरह से गरम हो चुकी थी और खूब पानी छोड़ रही थी मेरा लंड उसकी चूत के पानी से भीग कर सटा सट उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था।

माँ के मुँह से गालियों की बौछार हो रही थी। वो बोल रही थी, चोद मेरी चूत को दम लगाके, कितना मज़ा आ रहा है, तेरे बाप से अब कुछ नहीं होता अब तो तू ही मेरी चूत की आग को ठंडी करना, मैं तुझे चुदाई का शहनशाह बना दूँगी, तेरे उस बाप को छूने भी नहीं दूँगी में अपनी चूत, तू ही चोदना मेरी चूत को और मेरी आग ठंडी करना, कहाँ था तू, अब तक तो मैं तेरे लंड का कितना पानी पी चुकी होती, चोद रे चोद अपनी गांड तक का ज़ोर लगा, चोदने में आज अगर तूने मुझे खुश कर दिया तो फिर मैं तेरी गुलाम हो जाउंगी।

मैं माँ की चूचियों को मसलते हुए अपनी गांड को नीचे से उछलता जा रहा था। मेरा लंड उसकी कसी चूत में गपागप…फ़च फ़च की आवाज़ करता हुआ अंदर बाहर हो रहा था, हम दोनो की साँसे तेज हो गई थी और कमरे में चुदाई की माँदक आवाज़ गूँज रही थी और दोनो के बदन से पसीना छूट रहा था और सांसो की गर्मी एक दूसरे के बदन को महका रही थी। माँ अब शायद थक चुकी थी। उसके धक्के मारने की रफ़्तार अब थोड़ी धीमी हो गई थी और अब वो हांफने भी लगी थी।

थोरी देर तक हाँफते हुए वो धक्का लगाती रही फिर अचानक से पस्त हो कर मेरे बदन के ऊपर गिर गई और बोली ओह मैं तो थक गई इतने में आम तौर पर मेरा पानी तो निकल जाता है। पर आज नये लंड के जोश में मेरा पानी भी नहीं निकल रहा। ओह मज़ा आ गया आज से पहले ऐसी चुदाई कभी नहीं हुई, अब तो तुझे मेरे ऊपर चढ़ कर धक्का मारना होगा। तभी चुदाई हो पाएगी साले, कह कर वो अपने पूरे शरीर का भार मेरे बदन पर दे कर लेट गई।

मेरी साँसे भी तेज चल रही थी मगर लंड अब भी खड़ा था। दिल में चुदाई की ललक थी और अब तो मैंने चुदाई भी सीख ली थी। मैंने धीरे से माँ के कुल्हो को पकड़ का नीचे से ही धक्का लगाने का प्रयास किया और दो तीन छोटे छोटे धक्के मारे मगर क्योंकी माँ थोड़ा थक गई थी, इसलिए वो उसी तरह से लेटी रही बिना हिले।

माँ के भारी शरीर के कारण मैं उतने ज़ोर के धक्के नहीं लगा पाया जितना लगा सकता था। मैंने माँ को बाँहो में भर लिया और उसके कान के पास अपने मुँह को ले जाकर फुसफुसाते हुए बोला, ओह माँ जल्दी करो ना और धक्का मारो ना अब नहीं रहा जा रहा है, जल्दी से मारो ना। माँ ने मेरे चेहरे को गौर से देखते हुए मेरे होंठो को चूम लिया और बोली थोड़ा दम तो लेने दे साले कितनी देर से तो चुदाई हो रही है। थकान तो होगी ही ना।
पर माँ मेरा तो लंड लगता है फट जाएगा मेरा जी कर रहा है कि खूब ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाऊं। तो मार ना, मैंने कब मना किया है, आजा मेरे ऊपर चड़ के खूब ज़ोर ज़ोर से चुदाई कर दे। माँ धीरे से मेरे ऊपर से उतर गई, उसके उतरने पर मेरा लंड भी फिसल के उसकी चूत से बाहर निकल गया था। लेकिन माँ ने कुछ नहीं कहा और बगल में लेट कर अपनी दोनो जाँघो को फैला दिया।

मेरा लंड एक दम रस से भीगा हुआ था और उसकी चूत लाल रंग की किसी पहाड़ी आलू के जैसे लग रही थी। मैंने अपने लंड को पकड़ा और सीधा अपनी माँ की जाँघो के बीच डाल दिया। उसकी जाँघो के बीच बैठ कर मैं उसकी चूत को गौर से देखने लगा। उसकी चूत पूरी पिचक रही थी और चूत का मुँह अभी थोड़ा सा फूला हुआ लग रहा था। चूत का गुलाबी छेद अंदर से झाँक रहा था और पानी से भीगा हुआ महसूस हो रहा था। मैं कुछ देर तक रुक कर उसकी चूत की सुंदरता को निहारता रहा।

माँ ने मुझे जब कुछ करने की बजाए केवल घूरते हुए देखा तो वो सिसकते हुए बोली “क्या कर रहा है। जल्दी से डाल ना चूत में वीर्य को, ऐसे खड़े खड़े खाली घूरता रहेगा क्या? कितना देखेगा चूत को, अबे उल्लू, देखने से ज्यादा मज़ा चोदने में है, जल्दी से अपना मूसल डाल दे मेरी चूत में अब नाटक मत कर। माँ ने इतना कहकर मेरे लंड को अपने हाथो में पकड़ लिया और बोली ठहर मैं लगाती हूँ। साले और मेरे लंड के मुहं को चूत के खुले छेद पर घिसने लगी और बोली चूत का पानी लग जाएगा और चिकना हो जाएगा समझा फिर आराम से चला जाएगा चूत मैं। माँ के ऊपर झुक गया और अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर लिया अपने जीवन की पहली चुदाई के लिए।

माँ ने मेरे लंड को चूत को छेद पर लगा कर स्थिर कर दिया और बोली हाँ अब मारो धक्का और चोद दो चूत में मैंने अपनी ताक़त को समेटा और कस के एक ज़ोरदार धक्का लगा दिया मेरे लंड का मुहं तो पहले से भीगा हुआ था। इसलिए वो आराम से अंदर चला गया उसके साथ साथ मेरे लंड का आधा से अधिक भाग चूत की दीवारो को रगड़ता हुआ अंदर घुस गया। ये सब अचानक तो नहीं था मगर फिर भी माँ ने सोचा नहीं था कि मैं इतनी ज़ोर से धक्का लगा दूँगा, इसलिए वो चौंक गई और उसके मुँह से एक चीख निकल गई।

मगर मैंने तभी दो तीन और ज़ोर के झटके लगा दिए और मेरा लंड पूरा का पूरा अंदर घुस गया। पूरा लंड घुसा कर जैसे ही मैं रुका तो माँ के मुँह से निकला पड़ा साले हरामी क्या समझ रखा है रे, कमीने ऐसे धक्का मारा जाता है क्या? सांड की तरह से घुसा दिया सीधा एक ही बार में, धीरे धीरे करना नहीं आता है तुझे, साले कमीने पूरी चूत हिल गई और एक तेरा बाप है कि घुसाना ही नहीं जनता और बेटा है कि घुसाता है तो ऐसे घुसाता है कि जैसे की मेरी चूत फाड़ने के लिए घुसा रहा हो हरामी कहीं का।

माफ़ कर देना माँ मगर मुझे नहीं पता था कि तुम्हे चोट लग जाएगी। तू तो जानती है ना कि ये मेरी पहली चुदाई है। फिर मैंने माँ की दोनो चुचियों को अपने हाथो में थाम लिया और उन्हे दबाते हुए एक चूची के निप्पल को चूसने लगा। कुछ देर तक ऐसे ही रहने के बाद शायद माँ का दर्द कुछ कम हो गया और वो भी अब नीचे से अपनी गांड उचकाने लगी और मेरे बालो में हाथ फेरते हुए मेरे सिर को चूमने लगी। मैंने पूरी तरह से स्थिर था और चुचि को चुसने और दबाने में लगा हुआ था। माँ ने कहा बेटा अब धक्का लगाओ और चोदना शुरू करो अब देर मत करो तेरी माँ की प्यासी चूत अब तेरे लंड का पानी पीना चाहती है।

मैंने दोनो चुचियों को थाम लिया और धीरे धीरे अपनी गांड उछालने लगा। मेरा वीर्य माँ की चूत के अंदर से बाहर निकलता और फिर घुस जाता था। माँ ने अब नीचे से अपने कुल्हो को उछालना शुरू कर दिया था। इस तरह झटके मारने के बाद ही चूत से ,,,फ़च फ़च की आवाज़े आनी शुरू हो गई थी। ये इस बात को बतला रहा था कि उसकी चूत अब पानी छोड़ने लगी है और अब उसे भी मज़ा आना शुरू हो गया है। माँ ने अपने पैरो को घुटनो के पास से मोड लिया था और अपनी टॅंगो की कैंची बना के मेरे कमर पर बाँध दिया था। मैं ज़ोर ज़ोर से धक्का मारते हुए उसके होंठो और गालो को चूमते हुए उसके चुचियों को दबा रहा था।

माँ के मुँह से सिसकारियों का दौर फिर से शुरू हो गया था और वो हांफते हुए बोलने लगी, मारो और ज़ोर से मारो राजा चोदो मेरी चूत को चोद चोद के बिगाड़ दो बेटा कैसा लग रहा है। बेटा चोदने में मज़ा आ रहा है या नहीं, मेरी चूत कैसी लगा रही है। मुझे बता ना राजा, पूरी जड़ तक लंड से चोद दो राजा और कस कस के धक्के मार के पक्के बन जाओ। बता ना राजा बेटा कैसा लग रहा है। माँ की चूत में वीर्य डालने में मैंने धक्का लगते हुए कहा, हाँ.. माँ बहुत मज़ा आ रहा है, बहुत कसी हुई है तुम्हारी चूत, मेरा लंड तो एक दम मस्त होकर जा रहा है तेरी चूत में, ऐसा लग रहा है जैसे किसी बोतल में लकड़ी का ढक्कन फँसा रहा हूँ। क्या सच में मेरा बापू तुझे चोदता नहीं था, या फिर तुम उसको चोदने नहीं देती थी।

इस पर माँ ने अपने पैरो का शिकंजा और कसा दाँत पीसते हुए कहा, साले तेरा बाप तो क्या चोदेगा मुझे उसने तो मुझे ना जाने कब से चोदना छोड़ा हुआ है, पर मैं किसी तरह से अपनी चूत की खुजली को अंदर ही दबा लेती थी। क्या करती किस से चुदवाती और फिर जिसके पास चुदवाने जाती वो कही मुझे संतुष्ट नहीं कर पता तो क्या होता। बदनामी अलग से होती और मज़ा भी नहीं आता। तेरा लंड जब देखा तो मुझे लग गया की तू ना केवल मुझे संतुष्ट कर पाएगा, बल्कि तुझसे चुदवाने से बदनामी भी नहीं होगी और तू भी मेरी चूत का प्यासा है। फिर अपने बेटे से चुदवाने का मज़ा ही कुछ और ही है। जब सोचने में इतना मज़ा आ रहा था, तो मैंने सोचा की क्यों ना चुदवा के देख ही लिया जाए।
माँ तो फिर कैसा लग रहा है अपने बेटे से चुदवाने में मज़ा आ रहा है ना मेरा लंड अपनी चूत में लेकर, बोलो मेरा लंड तुझे मज़ा दे रहा है या नहीं।

गजब का मज़ा आ रहा है राजा, तेरा लंड तो मेरी चूत के कोने तक टकरा रहा है और मेरी चूत के दीवारो को मसल रहा है और मेरी नाभि तक पहुँच रहा है। तू बहुत सुख दे रहा है अपनी माँ को मार कस के मार धक्का चोद ले अपनी माँ की चूत को और इसकी दो फाँक कर दे।
मेने कहा जब चुदवाने में इतना मज़ा आ रहा है तो फिर सोते वक्त इतना नाटक क्यों कर रही थी। जब मैं तुझे नंगा हो कर दिखाने को बोल रहा था।

अरे मेरे भोलू राम इतना भी नहीं समझता क्या? इसको कहते है नखरा, औरते दो तरह का नखरा दिखा सकती है या तो सीधे तेरा लंड पकड़ के कहती की चोद मुझे या फिर धीरे धीरे तुझे तडपा तडपा के एक एक चीज़ देखती और तब तुझसे चुद्वाती, मुझे सीधे चुदाई में मज़ा नहीं आता, मैं तो खूब खेल खेल के चुदवाना चाहती थी। चक्की जितनी धीरे चलती है उतना ही बारीक़ पीसती है। साले इसलिए मैंने थोड़ा सा नखरा दिखाया था, अब बाते चोदना बंद कर और लगा ज़ोर ज़ोर से धक्का और चोद मेरी चूत को लंड डाल चूत में।

ठीक है, अब तो मैं भी पूरा सीख गया हूँ। देख अब मैं कैसे चोदता हूँ। तेरी इस मस्तानी चूत को और कितना मज़ा देता हूँ तुझे, देख साली फिर ना बोलना की बेटे ने ठीक से नहीं चोदा। रंडी जितना तूने मुझे सिखाया है मैं उस से कही ज्यादा मज़ा दूँगा, साली मैं अब पूरे जोश के साथ धक्का मरने लगा था और मेरा पूरा लंड मुहं तक निकल कर बाहर आ जा रहा था। फिर सीधा सरकते हुए गच्च से अंदर माँ की चूत की गहराइयों में समा जा रहा था। लंड की चमड़ी तो अब शायद पूरी तरह से उलट चुकी थी और चुदाई में अब कोई दिक्कत नहीं आ रही थी। माँ की चूत एक दम से गरम भट्टी की तरह तप रही थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं जन्नत की सैर कर रहा हूँ।
मेरी गांड पर माँ का हाथ था और वो ऊपर से दबाते हुए मुझे अपनी चूत पर दबा रही थी और साथ में नीचे गांड उछाल कर मेरे वीर्य को अपनी चूत में ले रही थी। चूत के होंठो को मसलते हुए मेरा लंड सीधा चूत की दीवार से टकराता था और फिर उतनी ही तेज गति से बाहर आ कर फिर घुस जाता था। कमरे का माहौल फिर से गरम हो गया था और वातावरण में चुदाई की महक फैल गई थी। पूरे कमरे में गछ गछ फ़च फ़च की आवाज़ गूँज रही थी। हम दोनो की साँसे गर्म चल रही थी। दोनो के बदन से निकलता पसीना एक दूसरे को भिगो रहा था। लेकिन इसकी फ़िक्र किसे थी।
ऐसे ही धक्का मारे जा ऐसे ही चोद कर मुझे ठंडा कर दे, तेरे लंड से ही ठंडी होगी तेरी माँ, पंखे से ठंडे होनी वाली नहीं हूँ मैं, तेरी माँ को तो तेरा मोटा मूसल चाहिए जो की उसकी चूत की दो फांके कर के उसकी चूत के अंदर की ज्वाला को ठंडा कर दे।

ले साली और ले मेरे लंड को अपनी मस्तानी चूत में, ले खाजा मेरे लंड को अपनी चूत से, ओह मेरा तो जन्म सफल हो गया और कस कस के दे बेटा इसी लंड के लिए तो मैं इतनी प्यासी थी, ऐसे ही लंड से चुदवाने की चाहत को पाले हुए थी मैं, आज मेरी तमन्ना पूरी हो गई। अब तो बस आंधी आए या तूफान कोई भी हमे नहीं रोक सकता था। हम दोनो अब पूरे चरम पर पहुँच चुके थे और चुदाई की रफ़्तार में कोई कमी नहीं चाहते थे। माँ की सिसकारिया तेज हो गई थी और अब दोनो में से कोई भी एक दूसरे को छोड़ने वाला नहीं था। दोनो जी जान से एक दूसरे से चिपके हुए धक्के धक्के पर धक्का लगाए जा रहे थे।

माँ सिसकते हुए बोली राजा ऐसे ही मेरा निकालने वाला है। मारता रह धक्का धीरे मत कर। मेरा भी अब निकालने वाला था और मैं भी ज़ोर ज़ोर से धक्का लगाते हुए चोदने लगा और झड़ने लगा ओह साली मेरा भी निकल रहा है। मेरा वीर्य तो पूरा का पूरा चूत में निकल गया, कह कर मैं माँ के ऊपर लेट गया। हम दोनो की आँखे बंद थी और थकान के मारे दोनों एक दूसरे बदन से चिपके हुए थे।।
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-08-2021, 12:46 PM

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