मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-08-2021, 12:48 PM,
#46
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
nonvegstory-माँ की चुदास और बेटी की प्यास

मेरा नाम डॉली है.. मैं 18 साल की हूँ। यह बात उन दिनों की है.. जब मैं स्कूल में पढ़ती थी। मेरी माँ कोमल एक प्राइवेट स्कूल में इंग्लिश की टीचर हैं और मेरे पापा दुबई की एक कंपनी में हैं। वह साल दो साल में इंडिया आया करते हैं और 25-30 दिनों के लिए ही आते हैं। जब वे घर आते थे.. तब माँ बहुत खुश रहती थीं.. लेकिन उनके जाने के बाद माँ बहुत उदास हो जाती थीं।
हमारा घर शहर की आबादी से दूर था, हम किराये के मकान में रहते थे, यह घर पापा के दोस्त जय अंकल का था। जय अंकल पापा के दोस्त थे। यही वजह थी कि वह हम लोगों से किराया नहीं लिया करते थे। जय अंकल हमारे घर अक्सर आया करते थे। उनके आने पर माँ बहुत खुश रहती थीं। उनके आने से माँ का अकेलापन दूर हो जाता था।
कभी-कभी हम लोग जय अंकल के साथ बाहर उनकी कार से आउटिंग पर भी जाते थे। धीरे-धीरे वह हमारे साथ बेहद घुल-मिल गए थे।
एक दिन मैं स्कूल से घर आई तो देखा कि मेरे पापा के दोस्त जय अंकल आए हुए हैं।
माँ दोपहर का खाना बना रही थीं। मैंने अपना स्कूल बैग कमरे में रखा और किचन की तरफ बढ़ गई.. लेकिन अन्दर का नज़ारा देख कर मेरे पाँव ठिठक गए थे।
मैंने चुपके से किचन में झांक कर देखा.. जय अंकल ने माँ को अपने आगोश में लिया हुआ था। वह अपने हाथों को माँ के बदन पर घुमा रहे थे। माँ अंकल की कमर पर हाथ फिरा रही थीं.. फिर गर्दन पर.. और फिर सर पर.. उधर अंकल माँ के होंठों को छोड़ कर उनके गालों को चूमने लगे और फिर गर्दन पर अपने होंठ फिराने लगे।
माँ लगातार उनका साथ दे रही थीं और अंकल भी उनके गुदाज स्तन लगातार दबा रहे थे। अंकल ने माँ का जालीदार सफ़ेद कुरता ऊपर उठा दिया था। माँ ने नीले रंग की ब्रा पहनी थी। जय अंकल अब अपने होंठों को उनकी गर्दन पर लेकर आए और फिर उनके कंधों पर चूमने लगे।
यह सब देख कर मैं पागल हुए जा रही थी, मैंने ऐसा पहली बार देखा था। मेरे जिस्म में आग सी लग गई थी। मैं यह समझ चुकी थी कि एक शादीशुदा औरत को पूरे-पूरे साल बिना शौहर के रहना बेहद मुश्किल होता है। पेट की भूख तो खाने से मिटाई जा सकती है.. लेकिन जिस्म की भूख का क्या?
यही वजह थी कि माँ ने अपना जिस्म जय अंकल को सौप दिया था।
वैसे भी मेरी माँ एक कॉलेज में टीचर थीं। वह खुले विचारों वाली महिला थीं। लेकिन मुझे फिर भी अपनी माँ से यह उम्मीद नहीं थी कि जय अंकल माँ को चोदेंगे।
किशोरावस्था में होने के कारण मेरी इसमें दिलचस्पी और बढ़ गई थी, मैं न चाहते हुए भी उन दोनों को देखे जा रही थी।

अभी कॉलेज से आकर मैंने अपना ड्रेस भी नहीं बदला था। मैं अपनी चूचियों को शर्ट के ऊपर से ही मसलने लगी। अंकल और माँ को बड़ा मजा आ रहा था।
माँ ने अंकल की पैंट में अपना हाथ डाला हुआ था। वह अंकल के लण्ड को सहलाने लगीं.. जिससे अंकल का लण्ड खड़ा होकर 6 इंच का हो चुका था।
अंकल ने अपना एक हाथ माँ की सलवार में डाल दिया.. शायद उनकी चूत गीली हो चुकी थी और थोड़ा-थोड़ा चिपचिपा पानी निकल रहा था।
अंकल ने माँ की सलवार का इज़ारबंद खोलना चाहा.. तो माँ ने हाथ पकड़ कर रोक दिया- अभी नहीं, डॉली आ गई है स्कूल से.. रात को..
माँ अपने कपड़े सम्हालते हुए किचन से बाहर आ गई थी। उन्होंने खाना लगाया और मुझे आवाज़ दी। हम तीनों ने मिलकर लंच किया।
फिर मैं टीवी देखने लगी माँ और अंकल आराम करने लगे। मैं यह समझ चुकी थी कि आज रात को मेरी माँ जय अंकल से चुदवायेंगी।
मैं यही सोच-सोच कर खुश हो रही थी कि आज मुझे अंकल-माँ की चुदाई देखने को मिलेगी।
फिर रात को जय अंकल माँ और मैं खाना खाकर रात साढ़े दस बजे सोने लगे, मुझे नींद तो आ नहीं रही थी।
तकरीबन दो घंटे ऐसे ही बीत गए। मेरी आँख हल्की सी लगने लगी थी। तकरीबन 15 मिनट बाद मेरे कानों में चूड़ियों के खनकने की आवाज सुनाई पड़ी। मेरी नींद खुल चुकी थी.. मैंने धीरे से अपने कमरे की खिड़की खोली.. जो कि माँ के कमरे की तरफ खुलती थी।
जय अंकल मेरी माँ के बदन पर अपना हाथ फेर रहे थे, वो शरमा रही थीं, अंकल ने उनका सफ़ेद दुपट्टा निकल कर अलग कर दिया था और उनके कन्धे पर हाथ रख दिया।
वो वहाँ से उठकर जाने लगीं.. अंकल ने माँ को पीछे से कस कर पकड़ कर अपने होंठ उनकी गर्दन पर रख दिए।
वो थोड़ा छूटने के लिए कसमसाईं.. उनके चहरे पर एक घबराहट सी थी- जय.. है तो यह गलत ना..
कुछ गलत नहीं है कोमल.. तुम्हारे शौहर मेरे दोस्त हैं.. और फिर तुम्हारी भी तो कुछ ज़रूरतें हैं।
जय अंकल ने माँ की गर्दन पर अपने होंठ फिराते हुए कहा।
माँ ने एक लम्बी सी सांस लेते हुए आँखें बंद कर ली थीं- मुझे डर लगता है.. किसी को मालूम पड़ गया तो?
माँ थोड़ा झिझक रही थीं.. लेकिन फिर धीरे-धीरे उनका विरोध कम हो गया और माँ ने खुद को ढीला छोड़ दिया।
अंकल ने उन्हें अपने पास खींचा और माँ के गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
वो थोड़ा ना-नुकर करते हुए बोलीं- तुम्हें नहीं लगता कि हम जो कर रहे हैं, ये सब गलत है.. मुझे अपने शौहर को धोखा नहीं देना चाहिए।
अंकल ने कहा- कोमल.. हम दोनों जो कर रहे हैं.. वो दो जिस्मों की जरुरत है.. तुम्हारे शौहर रंगीला मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं.. दुबई जाने से पहले उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं आपका और आपकी बेटी डॉली का ख्याल रखूँ.. यदि तुम्हारा शौहर तुम्हारी इस जरूरत को पूरा करता है.. तो तुम बेशक जा सकती हो.. इस उम्र में ये सब सामान्य बात है। इसे धोखा नहीं कहते हैं.. यह तुम्हारी ज़रूरत है।
जय अंकल ने अपनी बात को जोर देते हुए माँ को समझाया था।
माँ मन ही मन में अंकल साथ देना चाहती थीं.. पर सीधा कह न सकीं। अंकल भी उसके मन की बात समझ गए और उसे चूमने लगा। धीरे-धीरे माँ ने खुद को समर्पित कर दिया था और अब उनका विरोध समाप्त हो चुका था।
मैं खिड़की से झांकते हुए अपनी माँ को अपने पापा के दोस्त से चुदते हुए देख रही थी।
उन दोनों ने तकरीबन दस मिनट तक किस किया। अब माँ की शर्म खत्म हो गई थी.. वह भी खुल गई थीं और अंकल का भरपूर साथ दे रही थीं।
अंकल उनके गाल के बाद उनके वक्ष स्थल पर चुम्बन करने लगे, इससे वो उत्तेजित हो गईं। वह उनके स्तनों को सहला रहे थे.. और उनके चूचुकों को अपनी उँगलियों से दबा कर मसल रहे थे.. माँ पूरी तरह गर्म हो गई थीं।
यह सब देख कर मेरे दिल में एक अजीब सी बेचैनी होने लगी थी। मेरा हाथ खिड़की पर खड़े हुए ही अपनी सलवार के अन्दर न चाहते हुए भी चला गया था।
उधर अंकल ने अपना हाथ माँ के पेट के ऊपर से सहलाते हुए उनकी सलवार में सरका दिया था.. शायद उनका हाथ माँ की चूत पर था।
‘आह्ह्ह.. जय..’
माँ मचल उठी थीं.. फिर अंकल माँ को अपनी गोद में उठाकर बिस्तर पर ले गए। उनको बिस्तर पर लेटा कर पीछे से उनकी कुर्ती की डोरियाँ खोलने लगे।
माँ ने फिर से थोड़ी ना-नुकुर की..
पर अंकल ने कहा- अब मुझे मत रोको.. जब भी मैं तुम्हारे जिस्म को मज़ा देता हूँ, हर बार तुम ऐसे करती हो कि जैसे मैं पहली बार तुम्हारे साथ ऐसा कर रहा होऊँ? हर बार तुम ना नुकुर करती हो?
प्यासी माँ की चूत पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी.. इसलिए जय अंकल को भी कोई दिक्कत नहीं हुई। पाँच मिनट बाद जय अंकल बिस्तर पर माँ के ऊपर जा पहुँचे और माँ के पीठ की चुम्मियाँ लेने लगे।
मैं यह सब देख रही थी.. लेकिन मैंने अपनी खिड़की अधखुली कर रखी थी इसलिए माँ.. अंकल को कोई शंका नहीं हुई।
जय अंकल धीरे माँ के दूध दबाने लगे.. माँ के मुँह से आवाजें निकलनी शुरू हो गई थीं। जय अंकल ने धीरे से माँ की गुलाबी सलवार का इजारबंद खोल दिया और धीरे से कुर्ती भी ऊपर सरका दी। माँ अब अधनंगी हो चुकी थीं। उन्होंने अपनी कमर पर एक काली डोरी बांधी हुई थी। जय अंकल के द्वारा माँ की चुदाई को देख कर मैं पागल हो रही थी।
जय अंकल ने इतनी जोर से माँ के दूध दबाए और चूसे कि माँ ‘आ.. आहा.. अआ.. हह्हा..आआह्ह.. धीरे से..’ करने लगीं।
जय अंकल ने धीरे-धीरे माँ की सलवार घुटनों तक सरका दी और उनकी काली चड्डी के ऊपर से ही माँ के चूतड़ दबाने और चूमने लगे। माँ ने करवट बदली और खुद ही अपने जम्पर को उतार कर फेंक दिया। माँ अब ब्रा और पैंटी में थीं।
मैंने आज पहली बार अपनी माँ का गोरा जिस्म देखा था। ब्रा-पैंटी में वो मुझे उस समय बहुत ही कामुक.. सुन्दर और मासूम लग रही थीं, वे 34 साल की होने के बावजूद इस वक़्त जवान लड़की लग रही थीं।
अंकल माँ को अपनी बाँहों में लेकर.. उनके होंठों को चूसने लगे, अब वो भी अंकल का साथ दे रही थीं।
मेरे लिए यह अनुभव जन्नत से कम नहीं था। जय अंकल ने उठकर माँ के पाँव सहलाने शुरू कर दिए और उसमें गुदगुदी करने लगे। माँ अपना पाँव हटाने लगीं।
वह दोनों किसी प्रेमी जोड़े की तरह एक-दूसरे से खेल रहे थे, उनके अन्दर कोई जल्दबाजी नहीं थी, दोनों एक-दूसरे को प्यार कर रहे थे।
जय अंकल उनकी पायल को चूमने लगे और हाथ से पाँव पर मालिश करने लगे। जय अंकल धीरे से माँ की पैंटी की तरफ पहुँचे और उसे उतार कर किनारे रख दी।
उनका लण्ड जो इतना खड़ा हो चुका था कि चड्डी फाड़ रहा था। अंकल पूरे नंगे हुए और माँ की टांगें ऊपर करके अपना सात इंच का लण्ड माँ की फूली हुई चूत में डाल दिया।
माँ सिसकार उठीं- अअह आआ.. आआह.. अहह..हाहा आआहह्ह..हा जय धीरे-धीरे.. डॉली उठ जाएगी.. अहह्ह..सिइइइ..
माँ ने मेरे जाग जाने के डर से अपनी आवाजें बंद कर लीं। जय अंकल धीरे-धीरे चुदाई की गति तेज करने लगे। माँ की चूड़ियाँ खन-खन कर रहीं थीं।
अंकल उनको तेज-तेज चोदने लगे।
माँ भी अंकल के कंधे को पकड़ कर अपनी तरफ खींच रही थीं.. वैसे ही जय अंकल भी तेज स्पीड में उनकी चूत में धक्के लगा रहे थे। उनका सात इंच का लण्ड माँ की चूत में पूरा पेवस्त हो रहा था। माँ अपनी टांगें ऊपर किए हुए बिस्तर पर पड़ी लम्बी-लम्बी साँसें भर रहीं थीं।
तकरीबन आधे घंटे तक जय अंकल माँ को लण्ड डालकर चोदते रहे.. उसके बाद वे दोनों शांत हो गए। इसी के साथ उनकी पायलों की ‘छुन-छुन’ भी बंद हो गई थी। शायद जय अंकल झड़ चुके थे।
वह दोनों काफ़ी देर बिस्तर पर नंगे ही पड़े रहे.. उसके बाद फिर वो दूसरी बार के लिए तैयार हुए।
कुछ देर बाद उन्होंने माँ को फिर से चूमना-चाटना शुरू कर दिया। माँ ने भी जय अंकल के लण्ड को मुँह में लेकर उनके लौड़े को चूसना शुरू किया। पहली ठोकर के सारे वीर्य साफ़ को किया।
जय अंकल माँ को फिर से प्यार करने लगे। उनके दूध दबाने शुरू कर दिए। अब जय अंकल का लौड़ा फिर से हाहाकारी हो गया था। इस बार उन्होंने माँ को उल्टा किया.. मतलब अंकल ने माँ को कुतिया बना दिया।
‘ऐसे पीछे नहीं जय…’
‘तुम जानती हो मुझे कुतिया बना कर तुम्हारी गाण्ड मारना बहुत अच्छा लगता है.. कोमल..’
जय अंकल ने अपना मूसल माँ की गाण्ड के छेद में लगाया और उनके चूतड़ों पर एक थपकी दी।
मैं सोच भी नहीं सकती थी कि मेरी माँ आज पूरी रंडी बनी हुई थीं।
माँ समझ गईं कि अब ये थपकी देने का मतलब है कि उनकी गाण्ड में लौड़े की शंटिंग शुरू होने वाली है। उन्होंने खुद को गाण्ड मराने के लिए तैयार कर लिया था।
जय अंकल ने माँ की गाण्ड में शॉट मारा.. ‘आआह्ह्ह.. धीरे-धीरे जय..’
‘बस बस कोमल.. हो गया..’
माँ के हलक से एक घुटी सी चीख निकली.. जय अंकल का हाहाकारी लण्ड माँ की मुनिया की सहेली उनकी गाण्ड में पूरा घुस चुका था।
कोमल- प्लीज जय.. धीरे-धीरे दर्द हो रहा है..
माँ के चेहरे पर दर्द साफ़ झलक रहा था।
‘क्यों.. क्या रंगीला तुम्हारी गाण्ड नहीं मारता था?’
‘नहीं.. वह गाण्ड मारने के शौक़ीन नहीं हैं.. मुझे इन्हीं धक्कों का और तुम्हारे लण्ड का बड़ी बेसब्री से इन्तजार था। मुझे नहीं मालूम था जय कि तुम्हारा लौड़ा इतना बड़ा है.. आह्ह.. चोदो मुझे और जोर से चोदो..’
जय अंकल माँ के ऊपर कुत्ते जैसे चढ़े थे.. माँ की गाण्ड पर जैसे ही चोट पड़ती.. उनके दोनों चूचे बड़ी तेजी से हिलते। जय अंकल ने उनके हिलते हुए दुद्धुओं को अपने हाथों से पकड़ लिया.. जैसे जय अंकल ने माँ की चूचियों का भुरता बनाने की ठान ली हो।
उनकी गाण्ड को करीब दस मिनट तक ठोकने के बाद वे माँ की पीठ से उतरे और फिर उन्होंने माँ को चित्त लेटा दिया। अब उन्होंने माँ की कमर के नीचे तकिया लगाया और उनके पैर फैला कर उनकी चूत में अपने मूसल जैसे लौड़े को घुसेड़ दिया।
माँ भी नीचे से अपनी कमर उठा कर थाप दे रही थीं, माँ के मुँह से अजीब सी आवाजें निकलने लगीं थीं- चो..द.. जय.. और..ज्जोर.. स्से..धक्के.. मारर.. मेरेरेरे.. राज्ज्ज्ज..जा !
और फिर वो अचानक शिथिल पड़ गईं.. माँ झड़ चुकी थीं।
जय अंकल ने भी तूफानी गति से धक्के मारते हुए उनकी चूत में अपने लण्ड का लावा छोड़ दिया।
उन दोनों की चुदाई देखकर मेरी भी चूत गीली हो गई थी.. मैंने अपनी उंगली से अपनी चूत को सहलाना शुरू कर दिया था।
मुझे मालूम था कि आज जय अंकल माँ को देर तक चोदेंगे.. मैंने महसूस किया था कि जब चुदाई होती है.. तो फिर उन दोनों को.. मेरी तो जैसे सुध ही नहीं रहती है।
जय अंकल का इंजन अभी माँ की चूत में शंटिंग कर रहा था। मेरी आँखें मुंदने लगी थीं.. कुछ देर बाद मैं सो गई।
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-08-2021, 12:48 PM

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