मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-08-2021, 12:48 PM,
#51
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
Hindi sexi stori-माँ के साथ भाभी फ्री

मित्रो मेरे घर में मेरी सौतेली माँ.. भाभी और भैया रहते थे। मेरे पिताजी ने कम उम्र की लड़की से शादी कर के उन्हें मेरी माँ बना दिया था।
मेरी सौतेली माँ की उम्र 35 साल है। मेरे पिताजी और भाई एक दिन शहर जाते हुए एक्सिडेंट में मारे गए थे। भाई की शादी को सिर्फ 3 महीने ही हुए थे। तब से घर खेत के काम माँ ही देखती हैं और घर के सभी काम भाभी देखती हैं।
मैं माँ और भाभी का लाड़ला हूँ। बचपन से मैं माँ के साथ ही खेतों में लेट्रिंग के लिए जाता था। हमारे गाँव में सभी बाहर ही खेतों में लेट्रिंग जाते थे। हमारे घर के पीछे ही कुछ दूरी पर खेत हैं.. वहीं सभी गाँव की औरतें भी लेट्रिंग जाती थीं।
लेट्रिंग के लिए माँ मुझे अपने पास ही बिठाती थीं, हमेशा अपनी माँ की चूत गाण्ड रोज देखता था। लेट्रिंग के बाद माँ मुझे नहलाया करती थीं। नहाने से पहले.. माँ मेरे लण्ड की तेल से मालिश करती थीं।
भाभी के आने के बाद कई बार मैं भाभी के साथ भी जाता था। कई बार भाभी ने भी मेरे लण्ड की मालिश की है। भाभी भी मुझे अपने पास ही लेट्रिंग के लिए बिठाती थीं।
अब जब मैं बड़ा होने लगा.. तो खुद अकेला ही लेट्रिंग जाता था और नहाता भी अकेला ही था।
अब मैं एक गबरू जवान हो गया था.. और रोज कसरत करता था। मेरी मस्त बॉडी बन गई थी। रोज सुबह जब नहाने जाता था.. तब मेरे लण्ड की मालिश के लिए भाभी मुझे रोज हाथ में तेल जरूर देती थीं.. कभी माँ भी देती थीं।
एक दिन माँ की तबियत खराब हो गई तो माँ जल्दी सो गईं। मैं अब लेट्रिंग के लिए जाने वाला था.. हाथ में पानी का डिब्बा उठाया.. तो भाभी हँसते हुए बोलीं- कहाँ जा रहे हो देवर जी?
मैं- भाभी अभी आता हूँ हग कर..
भाभी- पहले तो मेरे साथ हगते थे.. और अब अकेले-अकेले हग कर आते हो.. क्या आजकल किसी गाँव की दूसरी औरतों के साथ हगते हो?
इतना कह कर वे जोर-जोर से हँसने लगीं।
मैं शरमाते हुए बोला- भाभी आपने ही तो मेरे हगना बंद कर दिया.. और अब ऐसा कहती हो?
भाभी- कोई बात नहीं.. बंद कर दिया तो क्या हुआ.. अब फिर चालू कर देते हैं।
मैं- ठीक है.. चलो चलते हैं।
भाभी और मैं लेट्रिंग के लिए हमारे घर के पीछे वाले खेतों में निकल पड़े। रास्ते में चलते-चलते मैं भाभी के पीछे चलने लगा, भाभी पीछे से मस्त गाण्ड मटका मटका कर चल रही थीं।
कुछ देर में हम दोनों खेत में काफी अन्दर आ गए थे। अच्छी साफ़ जगह देखकर हम दोनों बैठने लगे। भाभी ने अपनी साड़ी ऊपर की और अपनी चड्डी नीचे कर ली और मेरे सामने लेट्रिंग बैठ गईं।
मैं भी पैन्ट और अन्डरवियर नीचे करके लेट्रिंग बैठ गया।
भाभी ने मेरे लण्ड को घूरते हुए कहा- अरे वाह देवर जी.. अब तुम्हारी नुन्नी तो लण्ड बन गई है।
मैं- हाँ.. ये तो माँ और आप की मेहरबानी है।
हम दोनों हँसने लगे।
भाभी- पर इतने बाल हैं लण्ड पर.. कभी निकालते नहीं हो क्या..?
मैं- नहीं इनके बारे में ख्याल ही नहीं आया… और आपने भी बाल निकालना कहाँ सिखाया।
मैं भी भाभी की चूत को गौर से देख रहा था.. और भाभी भी ये देख रही थीं कि मैं उनकी चूत देख रहा हूँ।
भाभी ने हँसते हुए कहा- क्यों देवर जी किसी की चूत नहीं देखी क्या.. जो मेरी चूत इतनी गौर से देख रहे हो।
मैं- देखी तो बहुत हैं और पेली भी हैं भाभी।
भाभी- क्या? कब.. किसकी देख ली और पेल ली..
उन्होंने थोड़ा गुस्सा होते हुए और अचम्भे से पूछा।
मैं- क्या भाभी.. यहाँ तो रोज ही लेट्रिंग आता हूँ.. और गाँव की सारी औरतें भी लेट्रिंग के लिए यहीं आती हैं। अब तक गांव की सारी चूतें देख चुका हूँ। गाँव की हर लड़की.. भाभी और बुढ़ियों तक की देख ली है.. और तो और गाँव की नई-नई दुल्हनों की भी चूतें देखी हैं।
भाभी- अरे वाह.. मेरे शेर.. मैं तो तुम्हें बच्चा समझ रही थी और तुम तो काफी आगे निकले.. तो सिर्फ देखी ही हैं या कुछ किया भी है.. या यूँ ही कह रहे हो कि पेली हैं।
मैं- हाँ भाभी रोज रात में गाँव की जिस भी औरत की चूत में खुजली होती है.. तो वो यहीं आ जाती है और लेट्रिंग के बाद मैं उनकी मस्त पेलता हूँ।
भाभी- क्या रवि.. गांव की इतनी औरतों को चोदा.. और घर की चूतों का ख्याल ही नहीं रखा तुमने?
मैं- मतलब.. भाभी मैं समझा नहीं कुछ?
भाभी- ज्यादा भोले मत बनो। मैंने और सासू माँ ने इतनी मालिश की तुम्हारी.. और तुम हो कि कभी हमारे साथ कुछ किया ही नहीं..
मैं- भाभी आपको और माँ को कैसे चोद सकता हूँ मैं?
भाभी- वाह.. रोज लण्ड की मालिश करवा सकते हो.. हमारे साथ नहा सकते हो.. हग सकते हो.. तो फिर चोद क्यों नहीं सकते..?
मैं- ठीक है आपको तो चोद लूँगा.. पर भाभी.. माँ को कैसे चोदूँ?
भाभी- मैं सब बता दूँगी.. चलो अभी घर चलते हैं.. आज से ही शुरू करते हैं और माँ की चिंता मत करो.. वो खुद तुम्हारे लण्ड के इंतजार में हैं। इसी लिए तो बेचारी वे तुम्हारे लण्ड की मालिश रोज करती थीं।
मैं- क्या सच में?
भाभी- हाँ..
मैं- ये आपको कैसे पता..? और माँ ने भी मुझे कभी नहीं कहा.. वे तो रोज ही लण्ड हाथ में लेती थीं.. जब इतनी बात थी तो आप दोनों ने मेरे लण्ड को चूत में क्यों नहीं लिया?
भाभी- तब तुम बच्चे थे.. अब बड़े जवान और बड़े लण्ड वाले हो.. एक दिन मैंने तुम्हारी माँ को चूत में गाजर डालते देखा था.. तो उन्होंने मुझे देख लिया था। मुझे देखते ही वो थोड़ी डर गई थीं.. और मुझे बुला कर उन्होंने कहा भी था कि किसी को मत बताना। मैंने भी कहा कि इसमें किसी से कहने की क्या बात है। मैं भी तो रोज उंगली या गाजर-मूली डाल लेती हूँ। तब तुम्हारी माँ बोलीं कि अब समय आ गया है कि रवि का लण्ड लिया जाए और जीवन का सूनापन दूर किया जाए।
मैं- अगर ऐसी बात है.. तो मैं अब आप दोनों को कभी प्यासा नहीं रहने दूँगा.. रोज चोदूँगा। आज से गाँव की औरतों की चूत मारना बंद समझो..
भाभी- हाँ जरूर रोज चोदना हम दोनों सास-बहू को.. और हाँ गाँव की चूतें जो तुमने अपने बड़े लण्ड से भोसड़ा बना दी हैं.. उन्हें भी जरूर चोदते रहना। उन्हें क्यों नाराज करते हो.. उनकी भी प्यास मैं समझ सकती हूँ।
मैं- ठीक है भाभी.. जैसा आप कहें।
अब मेरा लण्ड हगते हुए खड़ा हो गया था.. भाभी की भी नजर उस पर पड़ी।
भाभी- अरे ये क्या.. तेरा लण्ड तो अभी से खड़ा हो गया.. शायद रोज इसी समय चुदाई करते हो.. तो इसी कारण खड़ा हो गया होगा।
मैं और भाभी हँसने लगे।
अब हमने अपनी-अपनी गाण्ड धोई.. और घर की तरफ निकलने लगे।
घर जाते ही भाभी ने देखा कि माँ सो रही थीं। भाभी ने घर का दरवाजा ठीक से बंद कर दिया और मुझसे चिपक गईं, भाभी मेरे होंठ चूसने लगीं, मैं भी भाभी के होंठ चूसने लगा।
क्या बताऊँ दोस्तों.. भाभी के होंठ इतने नर्म थे.. जैसे कोई गुलाब के फूल की पंखुरियाँ हों।
हमने लगातार 10 मिनट तक होंठ चूसे।
अब मैं भाभी के बोबे दबाने लगा। उनके बोबे काफी बड़े और सख्त थे.. दबाने में इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊँ। हम दो जिस्म एक जान बन गए थे। इसी में 30 मिनट निकल गए।
मैंने झट से भाभी की साड़ी ऊपर की और उनकी चड्डी निकाल दी, भाभी की झाँटों वाली चूत चाटने लगा।
हम दोनों कुछ देर पहले तो हग कर आए थे.. तो भाभी ने बिना हाथ-पैर धोए और चूत धोए चूमना चालू कर दिया।
क्या मस्त मादक गंध थी भाभी की चूत की.. कभी उनके मूत की गंध.. तो कभी उनकी मादक और प्यासी चूत की गंध..
मैंने चूत को हाथों से सहलाया और चूत चौड़ी करके चाटने लगा। कभी भाभी के मस्त काले हल्के भूरे रंग के दाने को चाटता.. तो कभी पूरी जीभ चूत के अन्दर डालने लगता।
भाभी मेरा सर अपनी चूत पर दबाने लगीं और जोर-जोर से चिल्लाने लगीं- चाट रवि.. चाट.. अपनी इस भाभी की प्यासी चूत को आज खा जा.. आह्ह.. चाट इसे.. आहह..उह्ह..

अब भाभी की चूत से मस्त खारा और चिकना पानी आने लगा। मैं पूरा पानी चाटने लगा और पीने लगा।
पानी छोड़ने के बाद भाभी अब थोड़ी शांत हो गई थीं।
अब भाभी उठीं और मेरे लण्ड को मेरी पैन्ट से निकालने लगीं।
लण्ड निकालने में दिक्कत आ रही थी क्योंकि लण्ड फूल कर काफी कड़ा और बड़ा हो गया था।
भाभी ने मेरी पूरी पैन्ट निकाल दी, अब मैं नीचे से पूरा नंगा हो चुका था, भाभी ने लण्ड हाथ में लिया और बोलीं- बापरे.. ये तो पहले से भी ज्यादा बड़ा दिख रहा है.. इतना लंबा और बड़ा हो गया है कि हाथ में भी नहीं आ रहा है।
मैं बोला- ये तो आप दोनों की मालिश की देन है और आज आपको चोदने की उत्सुकता भी बहुत हो रही है.. इसी कारण इतना फूल गया है।
भाभी ने लण्ड को सहलाना चालू किया और अब मेरे लण्ड को चूसने लगीं।
मैंने भी लेट्रिंग के बाद घर आकर लण्ड और हाथ-पैर नहीं धोए थे.. लण्ड पर लगी मूत की कुछ बूँदें भी भाभी चाट रही थीं।
मेरा गाँव का देशी लण्ड भाभी के मुँह में पूरा जा ही नहीं रहा था.. काफी मोटा था। भाभी सिर्फ मेरे लण्ड का टोपा ही चूस पा रही थीं।
मैं मादक आवाज में बोला- भाभी वाह्ह.. क्या मस्त लौड़ा चूसती हो आप.. अआहहह.. उम्मम.. ओहोहोहो.. हईईईईई..
भाभी मेरे लण्ड को 10 मिनट तक चूसती रहीं।
‘भाभी बस करो.. नहीं तो मुँह में ही झड़ जाऊँगा।’
उन्होंने मेरी बात को अनसुना कर दिया और लण्ड चूसती रहीं।
मैं समझ गया कि भाभी को मेरा वीर्य पीना है।
अब कुछ ही देर में मैंने मेरे लंड का पानी भाभी के मुँह में छोड़ दिया।
भाभी भी मस्त चटकारे लेते हुए पूरा पानी पी गईं.. एक बून्द भी नहीं बाकी रखी।
माल निकल जाने के बाद भी भाभी मेरा लौड़ा चूसती रही थीं.. जिस कारण मेरा लण्ड खड़ा ही था।
भाभी ने तुरंत बिस्तर पर अपनी टाँगें चौड़ी कर दीं.. मैंने भी समय ना गंवाते अपना लण्ड उनकी चूत में रख कर धीरे-धीरे घुसाने लगा। मेरा लण्ड काफी मोटा था तो चूत में घुसने में दिक्कत आ रही थी।
मैं सम्भलते हुए धीरे से डालने लगा, अब तक लण्ड 2 इंच तक जा चुका था।
मैंने धीरे से झटका मारा.. तो भाभी जोर से चिल्ला पड़ीं- रवि आराम से.. बहुत समय से इस प्यासी चूत में लण्ड अन्दर नहीं गया..
मैंने उनकी इस बात पर ध्यान नहीं दिया और एक जोर का झटका मार दिया। अब मेरा पूरा लण्ड चूत में घुस गया था।
भाभी दर्द से छटपटाने लगीं और उनकी आँखों से आंसू आने लगे।
कुछ देर ठहरने के बाद मैं चूत को पेलने लगा, भाभी को मजा मिलना आरम्भ हो गया- फाड़ दे रवि.. अपनी भाभी की चूत को आह.. आह.. उफ़..
भाभी को मैंने लगातार काफी देर तक चोदा.. इस चुदाई में भाभी एक दो झड़ चुकी थीं।
मैंने अपना सारा पानी चूत में नहीं डाला.. लण्ड निकाल कर भाभी के मुँह में डाल दिया।
भाभी के मुँह में 7-8 झटके मारते ही मेरा पानी उनके मुँह में चला गया।
भाभी पूरा पानी पी गईं।
रात भर भाभी की चूत मैंने 4 बार मारी, हम दोनों सुबह 4 बजे सोए..
पर रोज की तरह सुबह जल्दी उठ भी गए।
सुबह माँ भी जल्दी उठीं।
अब माँ की तबियत कुछ ठीक लग रही थी, मैं सुबह फिर लेट्रिंग गया.. पर आज मैं अकेला गया था।
खेत में अन्दर जाते ही मैं लेट्रिंग बैठ गया। उसी समय गाँव की एक लड़की.. जिसकी कुछ दिन पहले शादी हुई थी और आज ही अपने मायके वापस आई थी। मैं इसकी चूत पहले भी मार चुका था.. वो आकर मेरे बाजू में लेट्रिंग बैठ गई।
मैं- अरे सरिता.. कैसी हो.. कब आई ससुराल से?
सरिता भी हगते हुए बोली- मजे में हूँ.. तुम बताओ कैसे चल रहा है.. चुदाई का मजा..
मैंने हगते हुए उसकी चूत देखी और कहा- हाँ.. अब तो गाँव की बहुत चूतों को चोद चुका हूँ और ये क्या.. सरिता शादी के बाद भी तुम्हारी चूत तो पहले जैसे ही है।
सरिता- क्या करूँ.. मेरे ‘वो’ कुछ खास चुदाई नहीं कर पाते हैं। जब से तुमसे चुदी हूँ.. पति के लण्ड में मजा ही नहीं आता.. अब यहाँ आई हूँ.. तो तुमसे चुदवा लेती हूँ।
मैं- हाँ ठीक है.. पर अभी नहीं.. कभी और अभी थोड़ा बिजी हूँ।
सरिता ने हँसते हुए कहा- हाँ.. अब तो घर की चूतों को फाड़ने में लगे होगे।
मैंने चौंकते हुए पूछा- तुम्हें कैसे पता?
सरिता- कल रात तुम्हें डिब्बा लेकर लेट्रिंग जाते देख कर मैं भी तुम्हारे पीछे आई थी। मैंने सोचा था कि चलो आज फिर हगते हुए रवि के बड़े लण्ड से चुदा लेती हूँ.. पर साथ में तुम्हारी भाभी थीं.. इसी लिए कल छुप कर लेट्रिंग बैठी और तुम दोनों की सारी बातें सुन ली थीं।
मैं- क्या करूँ सरिता.. भाभी ठीक ही तो कह रही थीं.. भैया की और पिताजी की मौत के बाद से उन्हें कोई लण्ड ही नहीं मिला.. कैसे रहती होगीं बिना लण्ड के.. आखिर में उन्हें खुश रखना भी तो मेरी जिम्मेदारी ही है।
सरिता- हाँ तुम सही कह रहे हो.. तुम जरूर खुश रखना उन्हें.. और खूब चोद-चोद कर खुश रखना। अभी के लिए मैं बिना तुम्हारा लण्ड लिए चली जाती हूँ.. पर अगली बार 2-3 बार जरूर चोद देना।
मैं- बस इतना ही.. तू कहे तो तुझे मेरे बच्चे की माँ बना दूँ?
सरिता- सच?
मैं- हाँ.. बोल लेगी मेरा बच्चा अपनी कोख में?
सरिता- नेकी और पूछ-पूछ?
हम दोनों हँसने लगे।
अब हमने अपने चूतड़ धोए और घर निकल पड़े।
घर आते ही मैं नहाने घुस गया.. आज भाभी की जगह माँ ने लण्ड की मालिश के लिए तेल दिया।
माँ हँसते हुए बोलीं- ले बेटा.. तेल.. मालिश के लिए.. ठीक से लगाना.. पहले तो तू हमारे हाथों से लगवाता था.. पर अब खुद ही लगाता है.. माँ और भाभी से कैसी शर्म..
माँ के ऐसा कहने पर मैं थोड़ा हड़बड़ा गया.. पर मन में आया कि ऐसे भी कल भाभी को चोदा है और आगे माँ को भी तो चोदना ही है.. क्यों न आज लण्ड पर तेल लगवाते हुए कुछ प्रयास किया जाए।
‘नहीं माँ.. शर्म कैसी.. तेल से मालिश की वजह से शायद तुम्हारे हाथों में दर्द होता होगा.. इसी लिए मैं खुद ही लगा लेता हूँ।’
माँ की आँखों में चमक थी और मादक मुस्कान के साथ वे बोलीं- भला मेरे बेटे के लण्ड की मालिश से मेरा हाथ क्यों दुखेगा.. लण्ड की मालिश से आगे मेरे बेटे की पत्नी काफी खुश रहेगी.. इसी लिए मैं पहले से मालिश करते आ रही हूँ।
मैंने उनके मुँह से लण्ड शब्द सुना तो मैं उनकी चुदास को समझ गया और मैंने कहा- हाँ ठीक है न माँ.. आज तुम्हीं मेरे लण्ड की मालिश कर दो।
हम दोनों घर के बाथरूम में आ गए, माँ ने गर्म पानी की बाल्टी भरी और मुझे मेरे कपड़े निकालने के लिए कहा।
मैं कपड़े निकाल ही रहा था कि माँ ने मुझसे पहले अपने कपड़े निकाल दिए, अब माँ सिर्फ सफेद रंग की चड्डी में थीं।
माँ के बड़े तरबूज के जैसे बड़े-बड़े बोबे मेरे सामने खुले थे। माँ की लंबी-लंबी खुली नंगी टाँगें मेरे सामने थीं। सफेद पैन्टी में माँ किसी हूर जैसी लग रही थीं।
मेरा लण्ड तुरंत खड़ा हो गया।
माँ मेरे लण्ड को देखते ही बोलीं- बाप रे, बेटा रवि इतना बड़ा लण्ड हो गया तेरा.. मेरी मेहनत काफी रंग लाई है।
मैं- हाँ माँ.. ये तुम्हारी और भाभी की मेहनत का नतीजा है।
अब माँ ने मेरे लण्ड पर तेल लगाया और मालिश करने लगीं। माँ मालिश करते करते समय अपने बड़े बोबे मेरी टाँगों को लगा रही थीं.. आज काफी समय बाद माँ ने मेरे लण्ड को हाथ में लिया था।
अब मैं माँ की मालिश से मदहोश हो रहा था। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं। मेरे मुँह से ‘अअहह..आह.. आह्ह.. अ..अहहा.. हा..’ की आवाजें आ रही थीं।
अचानक माँ ने मेरा लण्ड मुँह में ले लिया.. मैंने झट से आँखें खोलीं।
मैं- आह्ह.. ये क्या कर रही हो।
माँ हँसते हुए बोलीं- नई तरह की मालिश.. क्योंकि बेटा अब तू बड़ा हो गया है न.. और वैसे भी कल रात में तेरी भाभी ने काफी जोरों से मालिश की थी। तेरी और तेरी भाभी की आवाजें कल रात को जब में पानी पीने उठी थी.. तब सुनी थी।
मैं- क्या सच में माँ.. अच्छा हुआ तुमने कल हमारी चुदाई की आवाज सुन ली.. तो फिर अब तुम भी भाभी के जैसी मालिश के लिए तैयार हो या नहीं?
माँ- मैं तो सालों से इसी दिन का इन्तजार कर रही हूँ बेटा।
माँ के ऐसे कहते ही मैंने माँ को खड़ा किया और चूमने लगा।
माँ के होंठ क्या मस्त नरम और मादक थे.. हर चुम्बन पर माँ के होंठों से रस टपक रहा था। मैं अब चूमते हुए माँ के बोबे दबाने लगा.. माँ के बड़े बोबे मेरे हाथों में समा नहीं रहे थे। बोबे मस्त मुलायम और नरम थे.. दबाने में बहुत मजा आ रहा था।
कुछ ही देर बाद मैं नीचे बैठ कर माँ की कच्छी हटा कर मां की चूत चाटने लगा था। उनकी मस्त बिना बालों की चिकनी बुर.. जो पानी छोड़ रही थी.. मस्त मादक गंध के साथ बहुत पानी छोड़ रही थी।
माँ अब मादक सीत्कार निकाल रही थीं ‘म्मम्म.. ऊऊऊ ऊऊह उम्म म्म.. आआअ.. ह्ह्ह्ह्ह.. ईईई ईईई.. चाट बेटा.. चाट.. बहुत सताया है इस बुर ने.. आज पूरी चूत का पानी खाली कर दे.. चाट जोर से चाट.. आआअ.. उम्म्म्म.. ईई..’
अब मैंने चाटना बंद किया और वहीं खड़े होकर माँ की एक टांग ऊपर करके अपना लण्ड माँ की चूत पर सैट किया और धीरे से लण्ड डालने लगा।
माँ की बुर अब भी काफी टाइट थी.. क्योंकि माँ ने पिताजी के मरने के बाद लोकलाज के चलते किसी से चुदाई नहीं करवाई थी।
मैंने एक झटका तेज मारा और लण्ड आधा अन्दर डाल दिया। माँ दर्द से कराहते हुए बोलीं- ओह्ह रवि मार डालेगा क्या.. आराम से चोद न..
मैंने सुनी अनसुनी कर दी और एक और झटका मार दिया। अब मेरा पूरा लण्ड माँ की चूत में था।
माँ और जोर से चिल्लाईं। अब मैं माँ के होंठ चूमने लगा और जब तक माँ का दर्द कम नहीं हुआ.. तब तक चूमता रहा और बोबे दबाते रहा।
अब माँ ने खुद एक झटका नीचे से मारा.. और मैं समझ गया कि अब माँ झटके लेने को तैयार हैं।
मैंने झटके लगाना चालू किया.. अब माँ मेरे झटकों का मजा ले रही थीं।
माँ बोलीं- फाड़ दे रवि.. आज मेरी बुर को.. फाड़ दे.. चोद दे अपनी माँ को.. और जोर से चोद..
हमारी चुदाई लम्बी चली.. मैंने मेरा सारा पानी माँ की प्यासी चूत में डाल दिया।
मैं हाँफते हुए माँ से अलग हुआ.. तो देखा कि भाभी बाथरूम के दरवाजे पर खड़ी होकर अपनी चूत साड़ी के ऊपर से मसल रही थीं और हमारी चुदाई देख रही थीं।
माँ.. मैं और भाभी एक-दूसरे को देख कर हँसने लगे।
अब मैं रोज मेरी माँ और भाभी को पेलता हूँ और कभी-कभी लेट्रिंग जाने पर गाँव की बुरें भी चोद लेता हूँ।
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-08-2021, 12:48 PM

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