मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-08-2021, 12:52 PM,
#73
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
परिवार का असली हिस्सा-1

ममता अपने गाँव छोड़ कर अपनी ससुराल मगतपुर आयी थी, उसके कई सपने थे जैसे कि एक बड़ा घर हो बड़ा परिवार हो. ससुराल में सब लोग उसे प्यार करें, उसका पति उसे इज्ज़त दे. और वैसा ही हुआ भी - उसके पति के तीन भाई और दो बहने थी. उसके पति अमर शहर में एक फैक्ट्री में कार्यरत थे. उसके दो देवर थे - विवेक और गगन. विवेक एमएससी कर रहा था और गगन बारहवीं कक्षा का छात्र था और इंजीनियरिंग कि तैयारी कर रहा था. उसकी पति की बड़ी बहन शोभना शहर में ब्याही थी. और छोटी बहन आहना बी ए कर रही थी. शोभना का विवाह हो चुका था और उसके दो बच्चे थे.

जब ममता घर से चली उसकी माँ ने उसे सारे घर को जोड़ कर रखने की सीख दी. उसे ये भी बताया कि वो घर कि सबसे बड़ी बहु है और उसे घर चलाने के लिए काफी मेहनत करनी होगी. कई समझौते करने होंगे. उसे कुछ ऐसा करना होगा कि तीनों भाई मिल जुल के रहें और उसे बहुत माने.अ.

ममता घूघट संभाले इस घर में आयी. जैसा होता है उसे शुरू शुरू में कुछ समझ में आ नहीं रहा था. उसकी सास उसे जिसके पैर छूने को कहती वो छु लेती. जिससे बात करने को कहती वो कर लेती इतना बड़ा परिवार था इतने रिश्तेदार थे कि कुछ ठीक से समझ नहीं आ रहा था कि कौन क्या है. उसे उसकी सास ने समझाया कि घबराने कि कोई बात नहीं है. धीरे धीरे सब समझ आने लगेगा.

और फिर उसकी जिन्दागी में वो रात आई जिसका हर लडकी को इंतज़ार रहता है. वो काफी घबराई हुई थी. उसे उसकी ननदों ने उसे सुहागरात के बिस्तर पर बिठा दिया. रात उसके पति अमर कमरे में आया. अमर काफी हैण्डसम जवान था - गोरा रंग मंझला कद अनिल कपूर जैसी मून्छे और आवाज दमदार. दूध वगैरह कि रस्म होने के बाद कुछ तनाव का सा माहौल था.

अमर ने चुप्पी तोडी और बोला, "अब हम पूरे जीवन के साथी हैं हमें जो भी करना है साथ में करना है."

ममता ने बस हाँ में सर हिला दिया.

अमर ने मुस्कुराते हुए बोला, "चलो अब हम वो कर लें जो शादीशुदा लोग आज कि रात करते हैं"

मामता को समझ आ गया कि अमर उसकी जवानी के मजे लूटने कि बात कर रहा है. उसने एक बार फिर शर्माते हुए हाँ में सर हिला दिया.

अमर को ममता कि ये शर्मीली अदा बड़ी भाई. वो उसे बाहोँ में भरने लगा, उसे गाल पे चूमने लगा और अपने हाथों से उसके पीठ और पेट का भाग सहलाने लगा. ममता के लिए ये नया अनुभव था. उसे अभी भी डर लग रहा था पर मज़ा आ रहा था.

पाठकों को बता देना चाहता हूँ कि, ममता एक बहुत सुन्दर चेहरे कि मालिक थी. उसका कद पांच फूट तीन इंच था. वह गोरी चिट्टी थी. चेहरा गोल था. होठ सुन्दर थे. आँखें सुन्दर और बड़ी बड़ी थीं. उसकी चुंचियां सुडौल और गांड भारतीय नारियों की तरह थोडा बड़ी थी. कुल मिला कर अगर आपको वो नग्नावस्था में मिल मिल जाएँ तो आप उसे चोद कर खुद को बड़ा भाग्यवान समझेंगे. उसके गाँव में कई लौंडे उसके बड़े दीवाने थे. कई ने बड़ी कोशिश की, कई कार्ड भेजे, छोटे बच्चों से पर्चियां भिजवाईं, कि एक बार उसकी चूत चोदने को मिल जाए. पर ममता तो मानों जैसे किसी और मिट्टी कि बनी थी. उसने किसी को कभी ज्यादा भाव कभी नहीं दिया. वो अपने आप को अपने जीवन साथी के लिए बचा कर रखना चाहती थी. और आज इस पल वो जीवन साथी उसके सामने था.

अमर अपने हाथ उसकी चुन्चियों पर ले आया और लगा सहलाने. उसने अपने होंठ ममता के होंठों पर रख दिये और लगा ममता के यौवन का रसपान करने. अमर उसके चुन्चियों को धीरे धीरे दबाने लगा. वो अपना दूसरा हाथ उसके चूत के ऊपर था. अमर ममता कि चूत को कपडे के ऊपर से ही सहलाने लगा. ममता अमर कि इस करतूत से बेहद गर्म हो चुकी थी. उसने अभी तक चुदाई नहीं की थी पर उसकी शासिशुदा सहेलियां थीं जिन्होंने उसे शादी के बाद क्या होता है इसका बड़ा ज्ञान दिया था उसे. ममता अमर का पूरा साथ दे रही थी और उसके होठों पर होंठ रख के उसे पूरा चुम्मा दे रही थी. उसने अपनी आँखे बंद कर रखीं थी, उसे होश नहीं था बिलकुल. इसी बीच उसने ध्यान दिया कि अमर बाबू ने उसकी साड़ी उतार दी है और वह बस पेटीकोट और ब्लाउज में बिस्तर मे लेटी हुई है. अमर ने उसका पेटीकोट उठा दिया. उसकी केले के खम्भें जैसी जांघे पूरी साफ़ सामने थीं. अमर ने अपना हाथ उसकी चड्ढी के अन्दर डाल दिया और उसकी मखमली झांटें सहलाने लगा. अमर कि एक उंगली कि गीली हो चुकी चूत में कब घुसी ममता को बिलकुल पता नहीं चला. ममता को बड़ा मज़ा आ रहा था इसका अंदाजा अमर को इस बात से लगा गया कि वो अपनी गांड हिला हिला कर उसकी उंगली का अपनी चूत में स्वागत कर रही थी.

अमर ने अपने स्कूल के दिनों में मस्तराम कि सभी किताबें पढीं थीं. उन किताबों से जो ज्ञान प्राप्त हुआ था आज उसका वो पूरा प्रयोग अपनी नयी नवेली पत्नी पर कर रहा था. ममता की गर्मी को हुये अमर ने उसकी चड्ढी उतार फेंकी. ब्लाउज और ब्रा के उतरने में भी कोई भी समय नहीं लगा. अब ममता केवल एक पेटीकोट में उसके सामने लेटी हुई थी. उसके मम्मे बड़े ही सुन्दर थे.

अमर ने कहां, "जब सामने इतनी सुन्दर नारी कपडे उतार के लेटी हो, तो मुझ जैसे मर्द का कपडे पहन कर रहना बड़े ही शर्म कि बात है".

ममता इस बात पर मुस्करा दी. अमर ने अपन सारे कपडे उतार फेंके. ममता ने अमर के सुडौल शरीर को देखा. अमर का लैंड ६ इंच से कम नहीं होगा. वो एकदम तना हुआ था. ममता की चूत अमर के आसमान कि तरफ तने लौंडे को देख कर उत्तेजना में बजबजा सी गयी. मन हुआ कि बस पूरा एक कि झटके में पेल ले अपनी गीली चूत में और जम के चुदाई करे, पर नयी नवेली दुल्हन के संस्कारों ने उसे रोक लिया.

अमर उसके पास आया और उसे एक बार होठों पर होठ रख के जोर से चुम्मा लिया.

फिर बड़े शरारती अंदाज़ में बोला, "इतनी बात इन होठों को चूमा है इस शाम. अगर दुसरे होठों को नहीं चूमा तो बुरा माँ जायेंगे जानेमन."

ममता बड़ी कशमकश में थी कि उसके दुसरे होंठ कहाँ हैं. पर जब अमर ने उसकी पेटीकोट उठा के उसकी चूत पर जब अपना मुंह रखा तो उसे साफ़ समझ आ गया कि अमर का क्या मतलब था. उसने अपनी सहेली के साथ ब्लू फिल्म देखी थी जिसमें एक काला नीग्रो एक अंग्रेज़ औरत कि चूत को चाटता है. पर उसे ये नहीं गुमान था कि हिन्दुस्तानी मर्द ऐसा करते होंगे. वो ये सब याद ही कर रही थी कि अमर ने उसकी चूत का भागनाशा अपने मुंह में ले कर उसे चूसना चुरू कर दिया. फिर वो चूत कि दोनों तरफ की फाँकें चाटने लगा. फिर अपनी जीभ उसकी चूत के छेद में दाल कर अपनी जीभ से उसे चोदने लगा. ममता इस समय सातवें आसमान पर थी. उसने सपने में भी कल्पना नहीं की थी कि ये सब इतना आनंद दायक होगा. उसकी चूत से प्रेम रस बह कर बाहर आने लगा और उसकी गांड के छेद के ऊपर से बहने लगा. अमर अपनी जीभ को ममता के अन्दर बाहर कर रहा था साथ ही उसने अपनी छोटी उंगली को गीला कर के ममता की गांड में डाल दिया. ममता आनंदातिरेक में सीत्कारें भर रही थी. उसे यह सब एक सपने जैसा लग रहा था.

अमर ने अपनी जीभ ममता कि चूत से निकाल ली और उसका पेटीकोट खींच कर उतार फेंका. वो ममता के बगल में आ कर बैठ गया. और ममता को इशारा किया अपने लण्ड कि तरफ. ममता समझ गयी कि उसकी चूत कि चटवाने का बदला अब उसे चुकाना है. वो झुक कर आनंद के लंड पर अपन मुंह ले गयी और अपने होठों से उसका सुपाडा पूरा अपने मुंह में ले लिया. अमर के लण्ड में एक अजीब सी महक थी जो उसे उसे पागल किये जा रही थी. वो अपने होंठों को ऊपर नीचे कर के उसका लंड को लोलीपॉप कि भांति उसे चूसने लगी. अमर तो जैसे पागल हो उठा. उसकी नयी नवेली दुल्हन तो मानों कमाल कर रही थी. उसने अपनी एक उंगली ममता कि गांड में पेल दी और लगा उसे उंगली से चोदने. ममता को अमर का उंगली का अपनी गांड में चोदना बड़ा अच्छा लग रहा था. वो जोरों से उसका लौंडा चूसने लगी. सारे कमरे में चूसने कि आवाजें गूँज रहीं थीं.

इसी बीच अमर ने उसका मुंह अपने लंड से उठाया और उसे सीधा दिया. फिर ममता कि टांगों को चौड़ा कर के उसने अपने लंड का सुपादा उसकी गीली और गर्म चूत में घुसा दिया.

"कैसा लग रहा है मेरी रानी" अमर ने पूंछा.

"पेलो राजा पेलो बड़ा मज़ा आ रहा है" ममता ने बोला.

फिर क्या कहना था. अमर ने अपना लंड अगले झटके में पूरा ममता कि गुन्दाज़ चूत में पेल दिया. और लगा अपनी कमर को हिलाने. ममता कि चूत तार तार हो गयी थी अमर के इस हमले से. वो मजे में चीख रही थी. वो अपनी गांड जोरों से हिला रही थी ताकि अमर के धक्कों का पूरा आनंद पा सके. अमर उसकी चुन्चियों को चाट रहा था दबा रहा था. ममता अमर के ६ इंच के लौंडें को अपनी जवान चूत में गपागप समाते हुए देख रही थी. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि चुदाई इतनी मजेदार होगी.

अमर ने इसी बीच अपना लंड निकाल लिया और उसे पलट के अपनी गांड उठाने को बोला. ममता थोडा डर गयी. अमर का लंड काफी मोटा था. अगर उसने उसे गांड में घुसेड दिया तो गांड में बड़ा दर्द होगा. पर अब क्या कर सकती थी. वो उलटा हो कर कुतिया के पोस में हो गयी. अमर घटनों के बल उसकी चूतडों के पीछे बैठ गया. उसने थोडा थूंक निकाल कर अपने लंड पर लगाया और लंड को ममता कि चूत के मुहाने पर टिका के एक झटके में पूरा का पूरा लंड ममता कि चूत में पेल दिया. अमर का लंड अपनी चूत में पा कर ममता की जान में जान आई. आज गांड मरते मरते बच गयी. कुतिया बन के चुदवाने का मज़ा ही कुछ और था. बड़ा आनंद आ रहा था. वो अपनी गांड को आगे पीछे करते हुए अमर का लंड अपनी चूत में गपागप लेने लगी. अमर उसकी पीठ पर जोरों से चुम्मा ले लेता, अपने हाथों से ममता कि चुंचियां दबा देता. और गांड पर चिकोटियां काट देता.

दोनों की साँसे भारी हो गयीं थीं. अमर के झटके बड़े तेज़ हो गए ममता भी अपनी गांड हिला हिला के उसका पूरा पूरा लंड अपनी चूत में पिलवा रही थी. चूत मस्त गीली थी. सारे कमरे में चप-चप की आवाज़ गूंज रही थी. और सारे कमरे में चूत और लंड कि जैसे महक भर सी गयी थी. ममता कि चूत से पानी दो बार छूट चूका था. पर अमर तो बस अपना लंड पेले जा रहा था. अब तीसरी बार वो झड़ने वाली थी.

"आह मैं गयी ...मेरा होने वाला है...."कहते हुए वो झड गयी.

अमर भी अब झड़ने वाल था. उसका लंड उत्तेजना में ममता कि गीली चूत के अन्दर मोटा फूल सा गया था. वो जोरों से अपना लंड पेलने लगा.

"आह ....आह ...ये ले मेरी रानी ....मेरा अपनी चूत में पहला पानी ले......"

और एक अंतिम झटका लगाया और वो झड गया. ममता ने महसूस किया कि बहुत सारा गरम पानी उसकी चूत के अन्दर जैसे बह रहा है. झड़ने के बाद अमर ममता की पीठ के ऊपर ही मानों गिर गया.

"कैसा लगा मेरी रानी" अमर ने पूछा.

"बहुत मज़ा आया मेरे राजा", ममता ने हँसते हुए जवाब दिया.

अमर का लंड अभी भी ममता कि चूत के अन्दर था. झड़ने के बाद तो छोटा हो कर बाहर निकल आया. ममता कि चूत से अमर का वीर्य और उसकी अपनी चूत का पानी बाहर बह कर आने लगा.

दोनों बिस्तर पर थक के गिर गए. ममता ने तौलिये से उसे साफ़ किया.

अमर और ममता ने एक बार फिर से किस किया. ममता कपडे बिना पहने अमर की बाहोँ में अमर का लंड अपने हांथों में ले कर नंगे ही सो गयी..

ससुराल का पहला दिन इतना मजेदार होगा ये ममता को पता नहीं था. पर उसे क्या पता था कि ये बस छोटी सी शुरुआत थी और आगे के दिनों में उसका मज़ा दिन दूना रात चौगुना होने वाला है.

ममता सुहागरात के बिस्तर पर पूरी नंगी हो कर अपने पति अमर कि बाहो में मस्त सो रही थी. सुहागरात की रात अमर ने उससे पहले आगे से चोदा और फिर कुतिया बना के पीछे से चोदा. इस चुदाई के प्रोग्राम के दौरान ममता तीन बार झड़ी. उसकी शादीशुदा सहेलियों ने उसे बताया था कि सेक्स में बड़ा बजा है, पर इसमें इतना मज़ा होगा ये उसे आज रात पता चला.

चुदाई की थकान से नींद इतनी गहरी आयी कि सुबह के पांच बज कब गए थे पता ही नहीं चला. ममता की सास का अलार्म बजा और ममता की नींद खुल गयी. सो कर उठी तो उसने देखा कि वो ऊपर से नीचे तक पूरी कि पूरी नंगी है और बगल में अमर भी नंग धडंग लेटा हुआ है. उसे बड़ी शर्म सी आयी. वो उठी और उसने जल्दी जल्दी अपने कपडे पहने और कमरे से बाहर निकल गयी.

ममता किचेन में गए और अपनी सासु माँ के पैर छु लिए. सासु माँ ने उसे आशीर्वाद दिया. ममता चाय बनाने में अपनी सास कि मदद करने लगी. बीच बीच में रात की चुदाई की याद सी आ जाती थी और उस याद से उसकी चूत में बड़ा अजीब सा ही अहसास हो रहा था.

“मैं तेरे पापा जी के लिए चाय ले जाती हूँ, तू अमर के लिए चाय ले जा.” उसकी सास राजेश्वरी देवी ने कहा.

“जी मम्मी जी”, ममता ने जवाब दिया.

ममता चाय ले कर अपने बेडरूम में आई. अमर अभी भी बिस्तर पर नंगा हो कर मस्त सो रहा था. ममता ने अमर को हिलाया. अमर ने अपनी आँखे खोलीं तो देखा कि ममता उसके लिए चाय ले कर आई है.

ममता को देखते ही अमर रात की चुदाई याद आ गयी. ममता कि गोल और चौड़ी गांड कि याद करते ही उसका लंड झट से खड़ा हो गया.

ममता खड़े लंड को देख कर वक्त का इशारा समझ गयी. सास ससुर जगे हुए थे. मामला थोडा रिस्की था. ममता ने कमरे कि सिटकनी बंद कर दी. और अमर के ऊपर बैठ गयी. उसने अपनी साड़ी ऊपर उठा ली और अपनी जवान चूत को अमर के लंड के ऊपर भिड़ा दिया. ममता ने अपनी चूत को अमर के लंड के ऊपर रख कर आपने शरीर का वज़न जैसे ही छोड़ा अमर का पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में समा गया.

“रात में आपने मेरे ऊपर चढ़ कर जो किया न आज उसका बदला मैं निकालूंगी.” ममता फुस्गुसाते हुए बोली.
“पिलवाओ रानी पिलवाओ”, अमर बोला.

ममता को अपने बेशर्मी पर हैरानी हो रही थी. पर समय कम था. इसलिए जल्दी जल्दी अपने गुन्दाज़ चुतड अमर के लंड को अपनी चूत में पेले हुए ऊपर नीचे करने लगी.

अमर का लंड ममता कि गीली चूत में समा रहा था. जब ममता अपनी गांड उठाती, अमर का चमकता हुआ लंड उसे नज़र आता. अमर ममता के मम्मे दबा देता. उसकी गांड पर चपत रसीद देता. ममता कि चौडी गांड अमर के लंड के ऊपर नीचे हो रही थी.

अमर ने उठ कर ममता को पटक दिया और ममता के ऊपर चढ़ कर उसकी चूत में अपना लंड जल्दी जल्दी पेलने लगा.

“आह... आह.. जल्दी करो मेरे राजा मम्मी पापा जाग रहे हैं....पेलो पेलो ..”

थोड़ी ही देर का अमर का लंड फूल कर ममता की चिकनी एवं गरम चूत में पिचकारी छोड़ने लगा. ममता भी बहुत जोर से अपने चूत का पानी छोड़ने लगी.

“ये ले मेरी जान ...मेरा लंड ..इस की क्रीम अपनी चूत. में ले ..ए ...ए ....” कहते हुए अमर ममता की चूत में झड गया.

ममता भी इस चुदाई के मजे से झड गयी.

“चलो अब चाय पी लें.” ममता ने हँसते हुए बोला.

और वो दोनों अपनी शादीशुदा जिन्दगी की सुबह कि पहली चाय साथ में पीने लगे.

उधर राजेश्वारी देवी अपने पति जगमोहन के संग चाय कि चुस्कियां ले रहीं थी. घर में नया मेहमान आया है इसकी खुशी उन दोनों को थी.

अगले एक हफ्ते के अन्दर सारे मेहमान अपने घर चले गए. और घर में जीवन सामान्य दिनचर्या में चलने लगा. अमर सुबह जल्दी काम पर निकल जाता था और शाम को अँधेरा होने के बाद ही वापस आता था. पर रात में दोनों जम के जवानी के खेल खेलते थे.

कैसे कैसे लगभग एक साल गुज़र गया पता ही नहीं चला.

एक दिन दोपहर में घर का काम करने के बाद ममता को समझ नहीं आ रहा था कि शाम को खाने में क्या बनया जाए. वो सास से ये पूछने के लिए उनके कमरे कि तरफ जाने लगी. जैसे ही उसकी सास राजेश्वरी देवी का कमरा करीब आ रहा था वहां से कुछ अजीब सी आवाजें आ रहीं थीं. उसे लगा सासू माँ कोई टीवी सरियल देख रही हैं. उसने रूम का दरवाजा खोल दिया. अन्दर का नज़ारा देख कर उसके हालत फाख्ता हो गयी. उसकी सास राजेश्वरी देवी अपने घुटनों के बल हो कर पर कुतिया के पोस में बिस्तर पर थीं. पीछे से उसके ससुर उनकी चुदाई कर रहे थे. सासू माँ अपनी गोरी और मोटी गांड ऊपर उठा उठा कर लंड अपनी चूत में ले रही थीं. आह आह कि आवाजें पूरे कमरे में गूँज रहीं थीं. हर धक्के पर गांड पर पक पक की आवाज आती थी सासु मन के बड़े बड़े मम्मे हवा में झूल से जाते थे. कमरे में लाइट पूरी नहीं जल रही थी और खिड़की के परदे भी बंद थे इसलिए सारा दृश्य ममता कि साफ़ नहीं दिख रहा था. वो डर था कि अगर सास ससुर ने उसे इस समय देख लिया तो सबकी स्थिति थोडा खराब हो जायेगी. इस लिए ममता दबे पाँव उस कमरे से बाहर निकल आयी.

उसके पैरो में एक अजीब सी झुरझुरी हो रही थी. अन्दर कि चुदाई को देख कर उसे लग रहा था कि काश अमर यहाँ होता. वो लिविंग रूम में आ कर सोफे पर बैठ गयी. उसने टेबल पर से एक गृहशोभा उठाई और पढने के लिए जैसे ही पेज पलटती. उसने देखा उसके ससुर सामने के सोफे पर बैठ कर अखवार पढ़ रहे हैं. उसके मुंह से चीख निकल गयी. वो डर के मारे एकदम से खडी हो गयी. ससुर ने उसे देखा.

“क्या हुआ बहु. तुम इतना डरी डरी क्यों हो... क्या हुआ?” ससुर ने पूछा.

“पापा जी वो उधर ...उधर ...” ममता को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले.
वो सासु मन के कमरे की तरफ देख रही थी. और जैसे काँप रही थी.

“आप तो मम्मी जी के साथ थे न?......” ममता हकलाते हुए बोल रही थी.

जगमोहन को समझ में आ चुका था की ममता ने उनकी पत्नी राजेश्वरी को उनके भाई सुरजमोहन के साथ रंगरेलियां मनाते देख लिया है. जगमोहन और सूरजमोहन ने शुरू से अपने बीच में कोई पर्दा नहीं रखा, जवानी में नौकरानी से ले कर कॉलेज में रत्ना तक,जब भी किसी एक को चूत मिली तो उसने दुसरे के साथ मिल बाँट कर उसे चोदा. यहाँ तक शादी कि सुहागरात तक में दोनों नयी दुल्हन के साथ रहे. और आज भी दोनों एक दुसरे के घर जा कर एक दुसरे कि पत्नियों को नियमित रूप से चोदते थे.

जगमोहन को पता था कि ममता सारा दिन घर पर रहेगी तो किसी न किसी दिन उसे पता तो चलेगा ही. इसी लिए उन्होंने योजना बना रखी थी कि ममता को थोड़े दिन में किसी प्रकार से अपनी इन गतिविधिओं में शामिल कर लेंगे. पर आज अचानक से यह स्थिति आ गयी तो उन्हें लगा कि अब वो दिन आ गया है.

उसने ममता का हाथ पकड़ लिया और पूछा,

“उस कमरे में कुछ भूत है क्या? आओ चल कर देखते हैं बेटी.”

ममता इस सब बातों से अनजान थी. पर वो नहीं चाहती थी कि उसकी सास कि उसके ससुर इस अवस्था में देखे.

“नहीं पापा जी...कुछ नहीं हैं” वो बोली.

“अरे नहीं बहूँ. डर का हमेशा सामना करना चाहिए.” कहते हुए जगमोहन अपनी बहु को लगभग खींचता हुआ कमरे के अन्दर ले गया.

राजेश्वरी देवी अपनी पीठ पर सीधा लेती हुईं थीं. उनके दोनों पैर हवा में थे. और सुरजमोहन अपना मोटा लंड उनकी चूत में अन्दर बाहर पेल रहा था. चूत गीली थी हर झटके में चपर चपर की आवाज आती थी.

मनोरमा शर्म के मारे वो सब देख नहीं पा रही थी. अगर उसके ससुर ने उसका हाथ नहीं पकड़ रखा होता तो वो वहां से भाग ही जाती. पर उसकी हैरानी उस समय दुगुनी हो गयी जब उसने अपने ससुर मुस्कराते हुए देखा.

“सूरज भाई, और जोर से पेलो अपनी भाभी को. जरा हमारी बहू भी तो देखे की हम लोग भी किसी जवान लड़के से कम नहीं हैं.”
जब जगमोहन ये बोले, तब जा कर राजेश्वरी देवी और सुरजमोहन को पता चला कि कमरे में और दो लोग हैं. दोनों ने जगमोहन की तरफ देखा और मुस्करा दिए. उनके चुदाई के काम में को भी रुकावट नहीं आयी.
ममता अब थोडा थोडा समझ गयी कि मामला थोडा पेंचीदा है. पर उसकी समझ में ये गया कि सास ससुर खुल कर जीवन का आनंद लेते हैं. ससुर ने अपने दुसरे हाथ से अपना लंड पतलून से बाहर निकाल लिया. और ममता का हाथ अपने लंड पर रख दिया.

ममता तो मानों चौंक उठी. उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या कुछ हो रहा है, पर ये सब देख कर उसकी चूत थोड़ी गीली सी हो गयी थी. उसने सोचा कि अगर वो इस कमरे से जबरदस्ती भाग गयी, तो उसके सास ससुर उसे परेशान करेंगे. उसके बारे में पता नहीं क्या कुछ अमर के कान भर के उसे घर से निकलवा दें. उसने खुद को हालात के ऊपर ही छोड़ देना उचित समझा.
वह नीचे देख रही थी. उसका हाथ उसके ससुर ने जबरदस्ती खींच कर अपने लंड पर रखा हुआ था. ममता ने अपना हाथ से धीरे धीरे ससुर के लंड को सहलाने लगी. ससुर का लंड खड़ा हो चुका था. वो ममता को लेकर बिस्तर के कोने में बैठ गया. उसकी पत्नी और उसका भाई अभी चुदाई कर रहे थे और बिस्तर हर झटके पर हिल रहा था. जगमोहन ने ममता का ब्लाउज और ब्रा उतार दिए और उसकी गोल गोल चुंचियां सहलाने लगे. ममता एक दम गरम हो चुकी थी. ससुर ने उसे नीचे बैठा दिया और अपना खड़ा लंड उसके होठों पर लगा दिया. ममता ने ससुर का इशारा समझते ही उनका लंड मुंह मने ले लिया और उसे धीरे धीरे चुभलाने लगी. ससुर जी बहु के मुखचोदन करने लगे. थोड़े देर ममता के मुंह का आनंद लेने के बाद उन्होंने ममता को राजेश्वरी देवी के बगल में लिटा दिया.

“देखो तुम्हारी सास पूरी नंगी है, इस लिए तुम्हें भी नंगा होना पड़ेगा बहूँ”, जगमोहन बोले.

ममता के रहे सहे कपडे भी दो मिनट में उतार फेंके. दोनों हाथों से उसकी टाँगे चौडी कि और ममता की चूत कि फाँकें चाटने लगे. ममता गहरी सीत्कारें भर रही थी. इसी बीच उसकी सासू माँ उसकी चुंचियां दबाने लगीं. जगमोहन अपनी जीभ से ममता कि चूत जो चोदने लगा. ममता थोड़ी ही देर में झड गयी.

जगमोहन उठ कर बैठ गया. उसने अपना लंड ममता कि चूत के मुहाने पर टिकाया और एक जहतक लगाया. आधा लंड ममता कि चूत में घुस कर जैसे अटक सा गया. ममता निहाल हो उठी. ससुर ने दुसरे ही झटके में पूरा का लंड अन्दर पेल दिया.
इसी बीच सूरजमोहन और राजेश्वरी देवी कि चुदाई जोर पकड़ गयी थी. थोड़ी ही देर में दोनों झड गए.
जगमोहन ने ममता को चोदना चालू कर दिया. सूरजमोहन और राजेश्वरी उसके अगल बगल बैठे थे. राजेश्वरी उसकी चुन्चिया चूस रहीं थीं. सुरज्मोहन ने अपना लंड ममता के मुंह में दे रहा था. ममता को बड़ा अनद आ रहा था. एक लंड उसके मुंह कि चुदाई कर रहा था और दूसरा लंड उसकी चूत नाप रहा था. ऊपर से सास उसकी चुंचियां पी रही थीं. वह अपने ऊपर हो रही इस सारी कार्यवाही को बर्दाश्त न कर सकी और झड गयी. पर ससुर का लंड तो अभी भी ताना हुआ था और वो एक जवान छोकरे की तरह उसके पेले जा रहा था.

थोड़ी देर में ससुर ने उसको पलट के कुतिया के पोस में खड़ा किया. और खुद आ गया उसके मुंह के सामने.

“लो बहु थोडा मेरा लंड चुसो. अब मेरा भाई सूरजमोहन तुम्हारी लेगा”
ममता समझ गयी थी कि आ उसकी जम के चुदाई होने वाली है. और उसने वो स्थिति का पूरा फायदा उठाना चाहती थी. उसने गपाक से ससुर का लंड अपने मुंह में ले लिया. अपनी ही चूत के रसों से सना हुआ लंड चाटना थोडा अजीब तो लगा, पर यहाँ तो सब कुछ अजीब ही हो रहा था. वो लंड चूसने में इतना तल्लीन थी कि जैसे भूल ही गयी कि एक और लंड उसकी खैर लेने के लिए मौजूद है. उसने अपनी चूत के मुहाने पर कुछ गरम और टाइट सा महसूस हुआ. उसने अपनी गांड को उठा कर जैसे सूरजमोहन के लंड को निमंत्रण दिया. सूरज ने अपना लंड पूरा का उसकी चूत में समा कर गपागप उसे चोदने में बिलकुल देर नहीं लगाई.
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-08-2021, 12:52 PM

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