मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-08-2021, 12:52 PM,
#74
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
परिवार का असली हिस्सा-2

बड़ा ही रंगीन नज़ारा था. राजेश्वरी देवी बिस्तर पर नंगी खडी हुई थीं. उनके पति जगमोहन बिस्तर पर बैठ कर उनकी चूत चाट रहे थे. उन दोनों कि बहू ममता कुतिया के पोस में जगमोहन का लंड चूस रहीं थीं. जगमोहन के भाईसाहब सुरजमोहन पीछे से ममता कि चूत में अपना आठ इन्ची हथियार पेल पेल कर उसे जीवन का आनंद प्रदान कर रहे थे.
ममता ने महसूस किया कि उसके मुंह में ससुर जी का लंड फूल सा गया है. वह उसे और प्रेशर लगा के चूसने लगी. ससुर ममता के मुंह में झड गए. लगभग इसी समय ममता कि सास राजेश्वरी अपने पति से चटवाते हुए झड गयीं. ममता भी झड रही थी. और एक मिनट बाद ही सूरजमोहन ने अपने लंड को चूत से निकाल लिया और ममता कि गांड के ऊपर झड गए.

सारा परिवार इस चुदाई कि प्रक्रिया से थक चुका था. चारो लोग बिस्तर पर नंगे ही सो गए.

उस शाम ममता मन ही मन ये सोच कर परेशान थी कि जब उस का पति शाम को घर आएगा तो उसका सामना कैसे करेगी. आज दोपहर के घटनाक्रम के दृश्य उसकी आँखों के सामने बार बार घूम जाते थे. उसका सासु माँ के कमरे के कार्यक्रम का गलती से देख लेना, उसकी ससुर का उसको चोदना, चाचा जी का उसको कुतिया बना कर चोदना, चाचा जी की सासू माँ से चुदाई, सासु माँ का खड़े हो कर ससुर जी से चूत चुस्वाना सब बार उसकी आँखों के सामने घूम जाता था. वो इस बात से बड़ी हैरान थी कि उसे ये सब अच्छा लगा था. बात तो साचा है चुदाई का कोई न दीं है ना धर्म. लंड में चूत घुस कर की चूत की मलाई बनाता है, तो लंड और चूत धारकों जीवन का आनंद प्राप्त होता है.

रोज की तरह अमर शाम को कम से लौटा. ममता अपनी दिन की हरकत से इतनी शर्मिंदा थी कि जैसे ही उसने अमर की मोटर साइकिल की बात सुनी, वो घबरा कर बाथरूम में घुस गयी. बाथरूम में बैठ कर अपने मन को शांत किया और जब वो पूरा संयत हो गयी बाहर निकली. अमर सासु माँ के कमरे में था. वो जैसे ही उनके कमरे में घुसी, दोनों अचानक चुप हो गए. अमर ममता की तरफ देख रहा था. ममता को तो जैसे काटो तो खून नहीं था. उसे लगा कि उसके सास ससुर कोई गेम खेल रहे हैं उसके साथ. अमर उसकी तरफ देख कर मुस्कराया.

"मैं चाय बनाती हूँ आप के लिए", ममता ने जैसे तसे कहाँ और कमरे से जल्दी से बाहर निकल गयी.

उसे जाने क्यों लगा कि उसके पति और उसकी सासु माँ उसकी घबराहट को देख कर हंस रहे हैं. पर उसने जैसे खुद को बताया कि ये उसका वहम है.

वो शाम ममता के लिए बड़ी भारी थी. रात जब वो बिस्तर पर गयी, अमर उसके बगल में लेट कर मंद मंद मुस्करा रहा था. ममता ने आखिर पूछ ही लिया.

"क्या बात है जी, आज जब से आयें हैं घर बड़ा मुस्करा रहे हैं"

"अरे ऐसी कोई बात नहीं है", अमर बोला.

अमर ने उसकी चुंचियां मसलना शुरू कर दिया. और दुसरे हाथ से उसकी चूत को उसके गाउन के ऊपर से ही रगड़ने लगा. ममता आज की तारीख में दो दो मर्दों से चुद चुकी थी. पर उसके पति कि पुकार थी इस लिए चुदना उसका धर्म था. उसने झट से अपना गाउन उतार फेंका. अमर ने देखा कि उस की प्यारी पत्नी ममता ने आज गाउन के अन्दर न ब्रा पहनी हुई है न पैंटी. वो एक बार फिर मुस्कराया.

अमर ममता के गोर और नंगे बदन के ऊपर चढ़ गया. लंड तो खड़ा था ही और ममता की चूत भी गीली थी. तो लंडा गपाक से घुस गया.

"आह ...उई माँ ...मई मर गयी ..." ममता अचानक अपनी चूत पर ही इस हमले पर हलके से चीख उठी.

"क्यों क्या हुआ ..." अमर ने पूछा, वो अभी भी मुस्करा रहा था.

"क्या पापा और चाचा जी का लंड खाने के बाद मेरा लंड अच्छा नहीं लगा आज रात?" अमर ने पूछा.

ममता को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था. तो क्या अमर को शाम से ये सब पता था. और अगर उसे ये सब पता है फिर भी वो शाम से हंस रहा मुस्करा रहा है. और तो और वो उसे प्यार भी कर रहा है.

"क्या मतलब..." अमर के लंड के धक्के खाते खाते वो इतना ही बोल पायी.

"अरे ममता रानी मुझे आज तुम्हारी दिन कि सारी करतूत पता है..." अमर हंस रहा था और दनादन चोद रहा था उसे.

ममता को ये सब सुन कर एक अजीब तरह की अनुभूति हुई. उसे अपनी चूत में जैसे कोई गरम लावा सा छूटता हुआ महसूस हुआ. अमर का लंड भी अब पानी छोड़ने वाला था. दोनों थोड़ी देर में ही झड गए.

अमर उसके बगल में ढेर हो गया. ममता अभी भी बड़ी कन्फ्यूज्ड थी.

"क्या तुम्हें मम्मी जी और पापा जी ने कुछ बताया है" ममता ने पूछा.

अमर ने उसे बताया कि उसे सब पता हुई. अमर के परिवार में सब लोग आपस में काम क्रिया का आनंद लेते थे. पहले ये सब खुले में होता था. जब से अमर ममता का विवाह हुआ, ये सब छुप के हो रहा था. पर आज जब ममता ने ये सब देख लिया, जैसा कि पहले से प्लान था, उसे इस प्रक्रिया में शामिल कर लिया गया.

"चलो अच्छा हुआ जो हुआ, देर सबेर तुम्हें ये सब पता चलना ही था. उससे अच्छा ये हुआ कि तुम अब इस परिवार के इन आनंद भरें खेलों में शामिल हो गयी हो मेरी रानी." अमर ने शरारत भरी अदा से बोला.

"मुझे तो अभी तक यकीन नहीं हो रहा है कि एक ही परिवार के लोग आपस में ऐसा कर सकते है", ममता अभी भी हैरान थी.

"तुम्हारा सोचना भी जायज़ है. पर सेक्स इतना आनंद भरा काम है. जरा सोचो ये सब बाहर के लोगों से करना थोडा खतरे वाला काम हो सकता है. इस लिए हमारे परिवार में हम इतनी आनंददायक चीज को आपस में करते हैं." अमर ने बोला.

"पर फिर भी सोच के अजीब सा लगता है", ममता बोली.

"अरे जरा याद करो, आज दोपहर में जब चाचा जी पीछे से अपना लंड तुम्हारी चूत में पेल रहे थे, तब तुम्हें जरा भी बुरा लगा क्या. तब तो तुम मजे से पापा जी का लंड अपने मुंह में चुभला चुभला के चूस रहीं थीं. एक ही जिन्दगी मिली है. इसे एन्जॉय करें. इसे क्यों बेकार में ऐसे ही जाने दे जमाने के बेकार के नियम मान कर?" अमर बोला.

"ह्म्म्म.... तो तुम कब से चुदाई के खेल खेल रहे हो?"

"बस मेरी रानी, जब से अठारह का हुआ, तबसे पेलाई कि प्रैक्टिस कर रहा हूँ. ताकि जब भी तुम जैसी कोई मिले उसे जीवन का पूरा मज़ा दे सकूं."

"और कितने रिश्तेदार शामिल होते हैं इस समारोह में?"

"अब चाचा का तुम्हें पता ही ही है. चाची भी एक नम्बर की चुदाक्कड हैं. मैं जब उनके यहाँ जाता हूँ, मुझे चाचा चाची के रूम में सोना पड़ता है. बाकी के रिश्तेदारों के बारे में धीरे धीरे पता चल जाएगा"

"और गौरव और विवेक?"

"जब भी घर में कोई जन्मदिन वगैरह मनाते हैं. हम सब मिल के मम्मी कि चुदाई करते हैं. जिसका जन्मदिन होता है उसे सब से पहले लेने को मिलती है."

"हे भगवान्..." ममता अभी भी हैरानी में थी

"कल छुट्टी है, गौरव और विवेक को भी तुमसे मिलवा देंगे" अमर बोला

"नहीं अमर. इस परिवार ने मुझे इतना चुदाक्कड बना दिया है. गौरव और विवेक से तो मैं अब अपने अंदाज़ से मिलूंगी. थोडा मुझे भी नए जवान लड़कों को रिझाने का मज़ा लेने को तो मिले"

"अरे बिलकुल ममता रानी. उन सालों कि किस्मत खुल जायेगी."

"हाँ अमर. बड़ा मज़ा आएगा मुझे मेरे दोनों देवरों को एक साथ चोद के". ममता पूरे उत्तेंजना में थी.

"दो दो मर्दों को एक बार चोद लिया आज तो अब दो से कम में काम नहीं चलेगा तुम्हारा लगता

है."

"नहीं अमर. एक बात मैं एकदम साफ़ कर दूं. अब मैं किसी से भी चुदूं या कुछ भी करू. पर सच्चा प्यार मैं हमेशा तुमसे ही करूंगी." ममता ने बोला.

"ममता रानी तुम मेरी हो और सदा मेरी रहोगी. ये मेरा वादा है". अमर ने उसका हाथ अपने हाथ में ले कर वादा दिया.

"तो क्या तुम लोगों कि बहनें भी?"

"मैंने पहले ही बताया कि मेरा पूरा परिवार एक दुसरे से एकदम खुला हुआ है. जब भी हम में से कोई भी अठारह वर्ष का हुआ, उसे पारिवारिक चुदाई समरोह का टिकट तुरंत दे दिया गया", अमर ने बोला.

"धीरे धीरे सब पता चलेगा. अभी इन चीजों का मजा एक एक कर के लो. सब इकट्ठे ले नहीं पाओगी" अमर ने बोला.

"आप ठीक कहते हो" ममता ने बोला.

इस परिवार की इस सारी चर्चा पर ममता कि चूत में एक अजीब सी सरसराहट होने लगी . उसकी चुंचियां टाइट हो कर उठ गयीं. अमर के लंड में भी जैसे जान आ गयी थी.

अमर बिस्तर छोड़ कर जमीन पर खड़ा हो गया. ममता ने देखा उसका लंड एकदम टाइट हो चुका था.

"आ जाओ जानेमन ....इस खड़े लंड का कुछ इंतज़ाम कर दूं....दोपहर की बात याद दिला कर मेरी चूत में भी पानी आ रहा है...." ममता पुकार उठी.

"ये हुई न बात. पर आज के दिन को थोडा और स्पेशल बनाएंगे ममता रानी." कहते हुए अमर दरवाजे तक गया.

ममता हैरान थी कि नंगा बदन अमर कहाँ बाहर की तरफ जा रहा है.

दरवाजा खोल कर अपना चेहरा बाहर निकाल कर बोला,

"आ जाइए"

बस कहने की देर थी कि दो मिनट के अन्दर ही उसकी सासु माँ, उसके ससुर और ससुर के भाई साहब कमरे के अन्दर आ गए.

ममता को समझ आ गया कि उसकी जिन्दगी में अब चुदाई की तादाद अब जोरों से बढ़ने वाली है. और उसे इस बात से कोई शिकायत नहीं थी. जब उसके पति अमर की रजामंदी इसमें शामिल है तो उसे क्या ऐतराज़ होगा.

परिवार की इस सारी चर्चा पर ममता कि चूत में एक अजीब सी सरसराहट होने लगी . उसकी चुंचियां टाइट हो कर उठ गयीं. अमर के लंड में भी जैसे जान आ गयी थी.

अमर बिस्तर छोड़ कर जमीन पर खड़ा हो गया. ममता ने देखा उसका लंड एकदम टाइट हो चुका था.

"आ जाओ जानेमन ....इस खड़े लंड का कुछ इंतज़ाम कर दूं....दोपहर की बात याद दिला कर मेरी चूत में भी पानी आ रहा है...." ममता पुकार उठी.

"ये हुई न बात. पर आज के दिन को थोडा और स्पेशल बनाएंगे ममता रानी." कहते हुए अमर दरवाजे तक गया.

ममता हैरान थी कि नंगा बदन अमर कहाँ बाहर की तरफ जा रहा है.

दरवाजा खोल कर अपना चेहरा बाहर निकाल कर बोला,

"आ जाइए"

बस कहने की देर थी कि दो मिनट के अन्दर ही उसकी सासु माँ, उसके ससुर और ससुर के भाई साहब कमरे के अन्दर आ गए.

ममता को समझ आ गया कि उसकी जिन्दगी में अब चुदाई की तादाद अब जोरों से बढ़ने वाली है. और उसे इस बात से कोई शिकायत नहीं थी. जब उसके पति अमर की रजामंदी इसमें शामिल है तो उसे क्या ऐतराज़ होगा.

दो मिनट के अन्दर ही उसकी सासु माँ, उसके ससुर और ससुर के भाई साहब कमरे के अन्दर आ गए. ममता ने घबरा कर चादर खींच कर अपने नंगे बदन को धक् लिया. पर उन तीन लोगों ने अपने कपडे उतार फेंकने में एक पल भी नहीं लगाया.

"अरे ममता बेटी हम सब तो दोपहर में तुम्हें पूरा नंगा देख चुके हैं. अब हमसे कैसा पर्दा." ससुर जी कहा.

"हमारे इस खुले परिवार में तुम्हारा स्वागत है बेटी" सासु माँ ने कहते हुए उसकी चादर खींच कर फ़ेंक दी.

ममता की खुली दूध के जैसी गोरी चुंचियां छलक रही थीं. उसने अपनी टाँगे कास के बंद कर रखीं थी पर उसकी चूत का ऊपर का हिस्सा साफ़ नज़र आ रहा था. वो अभी भी शर्म से पानी पानी थी.

चाचा जी उसके बगल में बैठ कर उसकी चुंचियां सहलाने लगे. और पापा जी ने अपने हाँथ उसकी टांगों के बीच घुसा कर उसकी चूत खोल थी और और गीली चूत के ऊपर से अपनी उंगलिया फिराने लगे. ममता को ये सब अच्छा भी लग रहा था और अजीब भी.

इसी बीच ममता ने देखा कि उसका पति अमर बिस्तर पर खड़ा है. अमर कि माँ राजेश्वरी देवी अपने बेटे का खड़ा लंड अपने मुंह में लेकर चुभला रहीं हैं. अमर के लंड पांच मिनट पहले ही ममता की चूत का बाजा बजा रहा था. इसका मतलब ये था कि ममता कि सास अपनी बहु की चूत का रस अपने बेटे के लंड से चाट रहीं थीं.

ममता इस सबसे बड़ा गरम हो चुकी थी. उसने अपनी टाँगे अब पूरी खोल दीं. और चाचा जी को उनके होठों पर चूमने लगी. अमर ने अपनी "मासूम" बीवी का ये रूप आज तक देखा नहीं था. वो अपनी माँ के बड़े बड़े मम्मे जोरों से दबाने लगा.

ममता को बिस्तर पर लिटा दिया गया. पापा जी उसके ऊपर चढ़ गए और आना मोटा लंड उसकी गीली चूत में पेल दिया. चाचा जी ने अपना लंड उसके चेहरे पर लहराया तो ममता को इशारा समझने में एक पल भी लगा. उसने गपाक से चाचा जी का लंड अपने मुंह में ले लिया और उसके लेमन चूस कि भाँति चूसने लगी.

ममता ने अमर के तरफ देखा. अमर ने अपनी माँ को कुतिया के पोस में लिटाया हुआ था. अमर एक एक्सपर्ट खिलाड़ी कि तरह धीरे और लम्बे धक्कों से राजेश्वरी देवी कि चूत में लंड पेल रहा था. ममता और अमर कि नज़रें मिलीं और अमर ने उसको आँख मारी और बोला,

"ममता पापा जी और चाचा जी का आशीर्वाद ठीक से लो"

"बहु कि चूत इतनी टाइट है कि मज़ा आ रहा है कसम से" ससुर जी बोला.

"भैया अगर आपको ऐतराज़ न हो तो मैं थोडा इस टाइट चूत का आनंद ले लूं" चाचा जी ने ममता के ससुर से पूछा.

"अरे बिलकुल जरूर. ममता को हमारे घर में सब का प्यार मिलना चाहिए." कहते ही ससुर जी ने अपना लंड उसकी चूत ने निकाल लिया.

चाचा जी ने ममता को उठा कर कुतिया के पोस में बिठाया और अपना लम्बा और मोटा लंड उसकी चूत में एक ही झटके में पेल दिया.

ममता सिहर उठी.

ममता ने देखा कि ससुर जी बिस्तर पर बैठे है और उनका लंड तना हुआ है. इसी बीच सासु माँ ने अमर को अमर को हटा लिया और कुतिया बने बने ससुर के पास आईं और अपने पति का लंड चूसने लगीं. अमर चल कर ममता के पास आया और अपनी माँ के रस से सना हुआ लंड उसके मुंह में दाल दिया.

उधर सासु माँ अपने पति के लंड के ऊपर बैठ कर अपनी गांड ऊपर नीचे हिलाने लगीं. चाचा जी ममता की चूत में बहुत जोर से पेलने लगे. ममता अभी तक एक बार झड चुकी थी और उसे लगा कि वो एक बार और झड़ने वाली है. उधर सासु माँ चीख चीख कर चुद रहीं थीं. ममता को अमर का लंड अपने मुंह में फूलता हुआ महसूस हुआ.

थोड़ी ही देर में पाँचों लोग एक एक कर के झड गए. आज के दिन में ममता ने तीन लोगों का लंड अपनी चूत में लिया और दो दो लोगों के लंड का रस अपने मुंह में.

ममता वैसे तो इस परिवार में विबाह कर के लगभग एक साल बाद आयी थी, पर वास्तव में वो परिवार का असली हिस्सा आज बनी.
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-08-2021, 12:52 PM

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