मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-08-2021, 12:52 PM,
#79
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
दूध की जिम्मेदारी


‘दिया और बाती’ नाटक की संध्या एक ऐसी बहू है जो कोई भी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाती है और अब तो वह पुलिस ओफिसर भी है। तब क्या होता है जब भाबो (संध्या की सास) संध्या को दूध देने के बाद पिलाने की जिम्मेदारी देती है।

हम बता दें की संध्या जो की ‘दिया और बाती’ नाटक की एक आज्ञाकारी बहू है। संध्या का फीगर 36-30-34 है। संध्या की सास (भाबो) संध्या को दूध देने की जिम्मेदारी देती है।

***** *****
संध्या शाम को ड्युटी खत्म करके घर आती है। संध्या घर का दरवाजे खटखटाती है तो भाबो दरवाजा खोलती है। भाबो वैसे तो संध्या को रोज ही देखती है, लेकिन आज जब भाबो दरवाजा खोलती है तो संध्या को देखती रह जाती है, संध्या के चहरे में एक अनोखी चमक थी। संध्या अपने कमरे में चली जाती है भाबो समझ जाती है की संध्या ही इस जिम्मेदारी को उठा सकती है।

रात में खाना खाने के बाद संध्या किचेन में काम कर रही होती है तभी भाबो वहां आती है और संध्या से कहती है- “संध्या बींदड़ी मुझे तुझसे कुछ बात करनी है…”

संध्या- “हाँ बोलिये भाबो।

भाबो- “संध्या तू तो जानती है कि हमारे घर में किसी भी जानवर का दूध नहीं पिया जाता है। हमारे घर में केवल औरत का दूध ही पिया जाता है…”

संध्या- “हाँ… मुझे पता है भाबो, पर यह नहीं पता की वो कौन है जिसका इतना बढ़िया दूध निकलता है?

भाबो- “तू बता संध्या बींदड़ी, तुझे किसका दूध लगता है?”

संध्या- “भाबो, शायद मीना देवरानी जी का हो सकता है, क्योंकी वो मेरी शादी से पहले से हैं…”

भाबो- “संध्या, तू भी ना… तुझे लगता है की मीना बींदड़ी इतना अच्छा दूध दे सकती है? मीना बींदड़ी तो एकदम बेकार है। तुझे पता है संध्या बींदड़ी कि मीना बींदड़ी के मुम्मे तो ठीक हैं पर उसके मम्मों से कम दूध निकलता है, करीब आधा किलो…”

संध्या- “पर भाबो, इतना दूध तो एक औरत के हिसाब से बहुत है…”

भाबो- संध्या बींदड़ी, मीना बींदड़ी से ज्यादा दूध तो मैं देती हूँ।

संध्या- भाबो, आप कितना दूध देती हैं?

भाबो- “संध्या बींदड़ी, मीना बींदड़ी तो आधा लीटर दूध ही देती है और मैं एक लीटर दूध देती हूँ… वह भी दिन में दो बार…”

संध्या- इसका मतलब की भाबो आप एक दिन में दो लीटर दूध देती हैं।
भाबो- “हाँ संध्या बींदड़ी, दूध की जिम्मेदारी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। अगर एक बार इस जिम्मेदारी को उठा लिया तो जिन्दगी भर निभानी पड़ती है। मीना बींदड़ी और मैं दोनों मिलकर ढाई लीटर दूध अपने मुम्मोँ से निकालती हैं। पर अब परीवार बड़ा हो चुका है…”

संध्या- तो आप मुझसे क्या चहती हैं भाबो?

भाबो- संध्या बींदड़ी, मैं चहती हूँ की तू भी दूध की जिम्मेदारी उठा।

संध्या- भाबो, क्या मैं इस जिम्मेदारी को अच्छी तरह निभा पाऊँगी?

भाबो- “संध्या बींदड़ी, तू पूरी तरह इस जिम्मेदारी को उठा सकती है। घर में सबसे बड़े मुम्मोँ की रानी है तू। तू तो मुझसे भी अच्छी तरह निभा सकती है इस जिम्मेदारी को…”

संध्या- पर भाबो, मेरे मम्मों से तो एक बूंद दूध भी नहीं निकलता है।

भाबो- “अरे पगली, हम एक जड़ीबूटी से बनी एक गोली रात में खा लेते हैं और सुबह तक मम्मों में दूध भर जाता है…”

संध्या- तो मैं भी खा सकती हूँ भाबो?

भाबो- बिलकुल संध्या बींदड़ी, बल्की आज से ही खा सकती हो।

संध्या- तो मुझे भी दीजिये कुछ गोली भाबो।

भाबो- “संध्या तू ने आज से यह जिम्मेदारी उठाई है, इसलिए पहली बार में गोली नहीं मिलती। बल्की घर में जो-जो दूध की जिम्मेदारी पहले से उठाई होती है वे उस गोली का पेस्ट बनाकर अपने मम्मों की निप्पल पर लगा लेती हैं और जिम्मेदारी उठाने वाली औरत उनके मम्मों को चूसती है…”

संध्या- ठीक है भाबो, मैं मम्मों को चूसने को तैयार हूँ।

भाबो संध्या से बोली- “जा बींदड़ी, मीना बींदड़ी को भी बुला ले…”

संध्या जब मीना के कमरे में पहुँची तो उसे कुछ आवाज आई। संध्या ने दरवाजा खटखटाया।

तो मीना दरवाजा खोलती है और अपना सर दरवाजे से बाहर निकालकर कहती है- “क्या बात है संध्या, इतनी रात को आप क्या कर रहे हो?”

संध्या- “मीना, तुझे भाबो ने बुलाया है…” संध्या मीना का हाथ पकड़ लेती है और मीना को बाहर की तरफ खींचती है।

मीना- संध्या, मैं नंगी हूँ।

संध्या- मीना, तू नंगी क्या कर रही है?

मीना- संध्या, तू इतनी रात को नंगी होकर क्या करती है?

संध्या- मैं तो सूरज जी से चुदती हूँ।

मीना- वही मैं भी कर रही हूँ।

संध्या- पर देवर जी तो बाहर गये हैं, क्या वे आ गए हैं?

मीना- “मेरे वो तो अभी नहीं आए हैं, पर सबसे छोटे देवर जी तो घर पर हैं ना…”

संध्या- “मीना, तू सबसे छोटे देवर जी से चुद रही है? भाबो को पता चल गया तो तेरी खैर नहीं…”

मीना- “अरे संध्या, यह मेरा हक है और जो भी तुम्हें पूछना है भाबो से जाकर पूछो…”

संध्या- “ठीक है। पर मीना तू जल्दी किचेन में आ जाना…”

संध्या किचेन में जाती है और भाबो से इस सब के बारे में पूछती है- “भाबो, मीना छोटे देवर जी से चुदवा रही है, क्या यह ठीक है?”

भाबो- “संध्या बींदड़ी, तू सोच मीना बींदड़ी, मैं और अब तू भी इस घर के लिए कितना कुछ करते हैं? माँ, भाभी, बहन सभी औरतों का दूध हमारे घर के मर्द लोग पीते हैं, तो वे भी बदले में हमारी चुदने की इच्छा पूरी कर देते हैं। मतलब दूध पीना उनका हक है, और चुदना हमारा… और जहां तक चुदने का सवाल है तो मीना बींदड़ी घर के सभी मर्दो से चुदवाती है और मैं भी… बस चुदने की शर्त यह है की आपका पति या पत्नी घर पर नहीं हो, तभी आप दूसरे से चुदवा सकती हो…”

संध्या- “हाँ भाबो, मैं समझ गई हूँ। भाबो मुझे गले से लगा लो ना…”
भाबो- “यह भी कोई पूछने की बात है…” और भाबो ने अपनी और संध्या की साड़ी का पल्लू हटा दिया और अपने और संध्या के ब्लाउस का एक हुक खोल दिया। फिर भाबो ने संध्या को गले से लगा लिया।

कुछ देर बाद वहां मीना बींदड़ी आ गई और बोली- भाबो, आपने मुझे बुलाया था?

भाबो- “हाँ मीना बींदड़ी, आज संध्या बींदड़ी भी दूध की जिम्मेदारी उठाने जा रही है…”

मीना- यह तो आच्छी बात है। भाबो, मैं गोली का पेस्ट बनाकर लाती हूँ।

मीना और भाबो ने उस गोली का पेस्ट अपनी निप्पल पर लगाया और भाबो वोली- “चल संध्या बींदड़ी, मेरे मम्मों को चूस और जितनी देर तक तू चूसना चाहती है चूस सकती है…”

संध्या 30 मिनट तक बारी-बारी से भाबो के मम्मों को चूसती रही।

तभी मीना ने कहा- “संध्या देवरानी जी, आप भाबो के मम्मों को ही चूसोगी की मेरे मम्मों को भी चूसोगी?”

संध्या- “हाँ मीना, मैं तेरे मम्मों को भी चूसूंगी…” फिर संध्या मीना के मम्मों को भी चूसने लगी। 30 मिनट बाद तीनों अपने-अपने कमरे में चली गईं।

संध्या की छाती पर दबाव पड़ रहा था जिसकी वजह से संध्या की नीन्द खुल गई। संध्या ने देखा की उसका ब्लाउस, जो की रात में ढीला था वो अब एकदम कस गया था। संध्या के मम्मों के कटाव दिख रहे थे। संध्या उठी और नहाने चली गई। नहाने के बाद वो औफिस के लिए तैयार हो गई, लेकिन जो ब्रा संध्या ने पहनी थी वो संध्या को बहुत टाईट हो रही थी।

संध्या ने मीना को आवाज लगाई- “मीनाऽऽ…”

मीना- “हाँ जेठानी जी, अभी आई। हाँ बोलिये जेठानी जी। अरे जेठानी जी आपके मम्मों का साइज तो बढ़ गया है…”

संध्या- “हाँ मीना, यही तो परेशानी है। देखो मेरी कोई भी ब्रा मेरे बड़े मम्मों की वजह से छोटी हो गई है…”

मीना- “हाँ… तो इसमें क्या परेशानी है? मैं भाबो से उनकी ब्रा ले आती हूँ…”

और थोड़ी देर बाद मीना संध्या के पास जाती है- “जेठानी जी, आपको भाबो ने किचेन में बुलाया है…”

संध्या- “मैं अभी आती हूँ…” और संध्या किचेन में पहुँचती है।

भाबो- संध्या बींदड़ी, तू आ गई?

संध्या पुलीस की वर्दी पहने हुए थी- हाँ भाबो, क्या काम था?

भाबो ने हँसते हुए दूध का बर्तन संध्या की तरफ खिसका दिया, और कहा- “संध्या बींदड़ी, चल इस वर्तन को दूध से भर दे…”

संध्या ने अपनी वर्दी के 4-5 बटन खोले और अपनी समीज ऊपर करके अपने एक मुम्मे को बाहर निकाल दिया और मम्मों को दबा-दबाकर दूध निकालने लगी। वर्तन आधा भर गया था, संध्या ने भाबो से वोला- “भाबो, मेरे हाँथ में दर्द होने लगा है, मैं और दूध नहीं निकाल पाऊँगी…”

भाबो- मीना बींदड़ी, संध्या बींदड़ी की मदद कर दूध निकालने में।

मीना- “जेठानी जी, आप चिंता मत करो, मैं दूध निकालने में एक्सपर्ट हूँ…” और मीना संध्या के पीछे जाकर अपनी चूत से संध्या के पिछले हिस्से में रुक-रुक कर धक्के मारने लगती है, और मीना संध्या के दोनों मम्मों को खाली कर देती है।

भाबो- “संध्या बींदड़ी, तू ने तो कमाल कर दिया… दो लीटर का वर्तन पूरा भर दिया…”

मीना- भाबो, जेठानी जी को कोई भी ब्रा नहीं आ रही है।

भाबो- “तो क्या हुआ संध्या, तू मेरी ब्रा पहन ले…” और भाबो ने अपना ब्लाउस उतारकर भाबो ने जो ब्रा पहन रखी थी वो संध्या को देते हुए कहा- “ले संध्या बींदड़ी, ये ब्रा तुझे फिट होगी…”

संध्या ने अपनी समीज उतारी और भाबो की ब्रा पहन ली, कहा- “भाबो, आपकी ब्रा तो गर्म है…”

भाबो- “संध्या बींदड़ी, मेरी ब्रा ही नहीं, मैं भी गर्म हूँ। तेरा प्यारा सूरज रोज तेरे जाने के बाद मुझे जम के चोदता है और मेरी गर्मी का फायदा उठाता है…”

संध्या- “भाबो, तभी मुझे फोन पर कुछ आवाज सुनाई देती रहती है…” और संध्या ओफिस चली गई।
***** THE END समाप्त *****
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-08-2021, 12:52 PM

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