मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-10-2021, 11:59 AM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
हमारा टूर, पूरे 8 दिन का था..
जोधपुर, पुष्कर और आगरा जाकर, हम लोग वापस देहरादून आने वाले थे..
रश्मि दिखने में, मीडियम बिल्ड की थी..
सांवला रंग था पर हाँ, दूध मुझसे काफ़ी बड़े थे शायद 36 के होगें..
जिस दिन हमें जाना था, हम लोग बैग पैक करके देहरादून स्टेशन पहुँच गये..
शाम की ट्रेन थी..
हमारे टिकेट्स वैट लिस्ट से अब कन्फर्म हो गये थे..
मेरी सीट 3 नंबर कोच में कन्फर्म थी, जब के बाकी तीनों की सीट्स 10 नंबर बोगी में थीं..
रश्मि 3 नंबर की बोगी में जाने को तैयार हो गई पर मैंने ज़िद की के आप लोग साथ रहें और मैं 3 नंबर की बोगी में चली जाउंगी.. पर मेरे पति ज़ोर देकर, खुद ही 3 नंबर बोगी में चले गये और फिर 10 नंबर बोगी में विनय, रश्मि और मैं थे..
हमने कुछ देर बातें करके, फिर डिनर कर लिया..
मैंने उस वक़्त, काले रंग की साड़ी और काला ब्लाउज पहना था..
बातें करते वक़्त, विनय मेरे जिस्म को चुपके से घूर भी रहे थे..
मैंने कई बार नोटीस किया पर इग्नोर कर दिया..
मुझे उसकी नज़रें, अपने जिस्म पर बहुत अच्छी लग रहीं थीं और भागती ट्रेन में मेरी चूत गीली हो चुकी थी..
रात के 10 बजे होंगे..
बोगी के सब लोग सोने की तैयारी करने लगे और हमने भी अपनी बर्थ को खोल दिया..
रश्मि, मिडिल बर्थ पर सो गई..

मैं ऊपर बर्थ पर चढ़ने की कोशिश करने लगी, तब ऊपर चढ़ने मे विनय ने मेरी मदद की..
मदद क्या की बस मौका मार लिया, मुझे छूने का..
अब अप्पर बर्थ पर मैं थी और ठीक सामने वाली अप्पर बर्थ पर, विनय भी आ गये..
मैं लेटी हुई थी और वो भी..
वो मुझे देखकर, स्माइल दे रहे थे और मैं भी..
मेरी स्माइल से उसकी हिम्मत बढ़ गई थी सो उसने अब मुझे आँख मारना शुरू किया..
उसने 3 बार, मुझे आँख मारी..
छीनाल तो मैं भी खानदानी थी, सो मैंने भी स्माइल करके उसको एक आँख मार दी..
फिर तो उसकी हिम्मत और बढ़ गई और वो मुझे फ्लाइयिंग किस भेजने लगा..
मैंने शरमाने का नाटक किया और आँखें नीचे कर लीं..
जब भी मैं उसे देखती, वो मुझे आँख मारता या किस भेजता..
काफ़ी देर तक, ऐसे ही चलता रहा..
फिर उसने मुझे अपने साड़ी का पल्लू हटाने के लिए, इशारे से कहा..
पर मैंने, मना कर दिया और सो गई..
वो काफ़ी देर मेरा इंतेज़ार कर रहा था पर मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई..

रांड़ का मतलब ये तो नहीं है ना की पहली बार में ही चलती ट्रेन में, इतने लोगों के सामने अपना पल्लू गिरा दूँ..
अब हज़ारों के दूध, फ्री में थोड़ी ना इतने लोगों को दिखा देती..
अगले दिन सुबह सुबह, हम लोग जोधपुर पहुँच गये..
होटल पहले से बुक थे, सो हम होटल गये और फ्रेश हो गये..
रूम में जाते ही, मेरे पति ने मुझे पकड़ लिया और किस करने लगे..
मुझे गुस्सा तो बहुत आया पर मैंने संयम रखते हुए कहा – थोडा तो इंतेज़ार कीजिए.. !!
फिर मैं नहाने के लिए, बाथरूम में गई..
वो भी कुत्ते की तरह, पीछे पीछे आ गये..
मज़बूरी में हम दोनों ने साथ में स्नान किया और एक चुदाई का दौर भी चला..
दिन भर आराम करके, शाम के वक़्त जोधपुर घूमने के लिए हम सब बाहर गये और खूब मस्ती की और डिनर भी बाहर ही लिया..
रश्मि ने प्लान बनाया के कल सुबह आमेर फ़ोर्ट जाएँगे और उसके अगले दिन, पुष्कर जाएँगे..
इस सब के दौरान, विनय की नज़र अक्सर मुझ पर ही रहती थी पर अफ़सोस निर्मल के होने की वजह से उसे कोई मौका ही नहीं मिला.
इस पूरे ट्रिप पर विनय ने ही खर्च किया था, ये बात रश्मि को नहीं मालूम थी..
निर्मल भी इसी वजह से हर बात में, हाँ में हाँ मिला रहे थे..
फिर अगले दिन, हम लोग आमेर फ़ोर्ट के लिए निकल गये.
आमेर फ़ोर्ट, जोधपुर से 11 किलो मीटर दूर है.
हम वहाँ की सिटी बस से गये..
11 नंबर की बस, हमने सिटी पैलेस से ली..
फ़ोर्ट काफ़ी बड़ा, खूबसूरत और रोनाकदार था..
हम लोग अपने अपने साथी का हाथ, हाथ में लेकर ऊपर चढ़ रहे थे..
विनय और निर्मल, बीच बीच में हँसी मज़ाक कर रहे थे और मैं और रश्मि काफ़ी हंस रहे थे..
रश्मि भी अब तक, निर्मल से काफ़ी घुल मिल गई थी..
वो दोनों बातें कर रहे थे और मैं और विनय एक दूसरे को मौका देख कर, ताड़ रहे थे..

उस दिन मैंने, गुलाबी रंग का टी शर्ट और काले रंग का लंबा स्कर्ट पहना हुआ था..
आधा फ़ोर्ट चढ़ने के बाद, बीच में आमेर फ़ोर्ट में काफ़ी अच्छी दुकानें थीं और नज़ारा भी काफ़ी अच्छा था इसलिए रश्मि ने कहा के और ऊपर नहीं जाना है यहीं रुक जाते हैं..
रश्मि – हेलो!! अब यहीं रुक जाते हैं.. !! काफ़ी थक गई हूँ, मैं.. !!
निर्मल – हाँ यार, मैं भी काफ़ी थक गया हूँ.. !!
मैं – नहीं ना, चलते हैं ना.. !! सबसे ऊपर जाएँगे.. !!
विनय – हाँ, मुझे भी अच्छा लग रहा है.. !! चलो, चलते हैं.. !!
रश्मि – तो फिर एक काम करो, प्रिया और तुम चले जाओ.. !! निर्मल और मैं, यहीं रुकते हैं.. !! थोड़ी देर आराम करने के बाद, हम भी आ जाएँगें.. !!
निर्मल – हाँ, तुम दोनों चले जाओ.. !!
विनय – ठीक है.. !! प्रिया, चलो चलते हैं.. !! मज़ा आएगा.. !!
मैं – ठीक है तो रश्मि, हम जाते हैं.. !! पर आप लोग, जल्दी आ जाना.. !!
रश्मि और निर्मल, वहीं पर नज़ारा देखते बैठ गये..
विनय और मैं, ऊपर की तरफ जाने लगे..
विनय का चेहरा तो ऐसे खिल गया था, मानो उसे जन्नत मिल गई हो..
हो भी क्यों ना, क्यों के वो इसी बात का इंतेज़ार कर रहा था..
असल में, इसलिए तो उसने इतने पैसे खर्च किए थे..
मेरा “छरहरा बदन” ताड़ने के लिए..
थोड़ी दूर ऊपर जाने के बाद, हमने नीचे देखा तो रश्मि और निर्मल वहीं पर बैठे बातें करते नज़र आ रहे थे..
हम भी निश्चिंत हो गये, और ऊपर जाने लगे..

विनय – प्रिया, मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूँ.. !!
मैं – हाँ विनयजी.. !! बोलिए ना.. !!
विनय – तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा ना.. !!
मैं समझ चुकी थी के वो क्या कहना चाहता है पर मैंने उसे सताने का फ़ैसला कर लिया..
मैं – अगर बात बुरी है तो बुरा लगेगा और उसकी सज़ा भी मिलेगी.. !! ही ही ही.. !!
विनय – तो ठीक है, रहने दो.. !! मैं नहीं बताता.. !!
मैं – चलो भी, बताओ भी.. !! चलो अब, बुरा नहीं मानूँगी.. !! कहो ना.. !!
विनय – तुम बहुत ज़्यादा खूबसूरत हो.. !!
मैंने स्माइल दे दी और धन्यवाद कहा..
मैं – सच में.. !! बहुत बहुत, धन्यवाद.. !! पर बस, इतना ही.. !!
विनय – वैसे कहने को तो बहुत कुछ है, पर.. !!
मैं – पर, क्या.. !!
विनय – कुछ नहीं.. !!
इतने में सीडियों से मेरा पैर फिसलने लगा.. उतने में उसने, मुझे गिरने से बचा लिया..

मैंने उसे फिर से धन्यवाद कहा..
मैं – शुक्रिया, विनय.. !!
विनय – शुक्रिया नहीं, भाभी जी.. !! कुछ इनाम चाहिए.. !!
मैं – ठीक है.. !! अच्छा बोलो, क्या चाहिए.. !!
विनय – तुम नहीं दे सकती.. !!
मैं – अब कहो भी, क्या चाहिए.. !!
विनय – क्या मैं तुम्हें, छू सकता हूँ.. !!
मैं 2 मिनट के लिए, खामोश हो गई..
मैंने जवाब ही नहीं दिया..
वो भी थोडा चिंतित हो गया की कहीं उसने ज़्यादा जल्दी तो नहीं कर दी..

अब उसे क्या पता था की मुझ जैसे रांड़ तो तभी स्कर्ट उठा कर और पैंटी सरका कर, इतने लोगों के बीच ही उसके लण्ड पर कूद सकती थी..
पर आप लोग तो जानते ही हैं की शरीफ हो या रांड़, इतनी आसानी से अपनी नहीं देती..
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-10-2021, 11:59 AM

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