मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-10-2021, 11:59 AM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
विनय – कोई बात नहीं, मिसेस प्रिया शुक्ला.. !! मैं तुम्हें फोर्स नहीं करना चाहता.. !! बस तुम खूबसूरत ही इतनी हो के मेरा दिल तुम्हें बार बार छूने को करता है.. !! चलो, अब छोड़ो ये सब.. !! भूल जाओ, सब कुछ.. !!
बात बिगड़ी देख, मैंने आजू बाजू में देखा..
कोई भी आस पास नहीं था..
हम लोग, काफ़ी ऊपर आ चुके थे..
अब तो वो दोनों भी नहीं दिख रहे थे..
मैंने मौका देख कर, अपने हाथ में उनका हाथ ले लिया और कहा – अब हाथ तो पकड़ ही सकते हो.. !! कहीं मैं, फिर से गिर ना जाऊं..
वो काफ़ी खुश हो गया..
अब हम हाथ में हाथ लिए, पति पत्नी की तरह ऊपर जा रहे थे..
कुछ अच्छे सीन दिख रहे तो हम प्रकृति की तारीफ़ भी कर रहे थे..
वैसे सबको यहीं कहना चाहूँगी के इंडिया में वाकई में आमेर का फ़ोर्ट, सबसे प्यारा और अच्छा फ़ोर्ट है..
(यक़ीनन, खजुराहो के बाद..)
उनकी ठंडी ठंडी उंगलियाँ और मेरी गरम गरम उंगलियाँ, एक दूसरे से चिपक गई थीं..
मेरी धड़कन भी काफ़ी बढ़ गई थी..
काफ़ी दिनों से अपने पति का “सूखा और उजाड़ लण्ड” लेते लेते, मैं भी बोर हो गई थी..
धीरे धीरे, मैं सामान्य हो गई..
वैसे, विनय बहुत ही डीसेंट आदमी है..
वो काफ़ी प्यार से बात कर रहे थे..
मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था..
बात करते करते, हम लोग अब सबसे ऊपर पहुँच गये थे..
वहाँ का नज़ारा, वाकई में काफ़ी खूबसूरत था..

काफ़ी लोग थे पर सब अंजान थे, सिवाए विनय के..
हमने वहाँ रुक कर स्लाइस पिया और कुछ देर बैठने के बाद.. ..
विनय – प्रिया वो देखो, वहाँ पर जो कमान है वहाँ चलते हैं.. !! वहाँ से नज़ारा और अच्छा दिखेगा.. !!
वहाँ पर सब तरफ सीडियां थीं और दूर पर एक कमान थी पर वहाँ कोई नहीं था..
मैं – सच में.. !! मस्त आइडिया है पर वहाँ तो कोई नज़र नहीं आ रहा.. !! वैसे भी रश्मि और निर्मल भी ऊपर आ रहे होंगे.. !! हमें यहीं रुकना चाहिए.. !!
विनय – अरे, अब चलो भी.. !! उन्हें भी वहीं बुला लेंगे.. !!
मैं – ठीक है.. !! फिर, चलो जल्दी.. !!
हम वहाँ के लिए, निकल गये..
रास्ते में विनय ने अपना हाथ अब मेरे हाथ की जगह, मेरे कंधे पर रख दिया..
मैंने भी कुछ नहीं कहा..
फिर थोड़ी देर बाद, उसने मेरे कमर पर अपना हाथ रख दिया..
अब भी मैंने, कुछ नहीं कहा..
कुछ ही देर में, हम वहाँ पहुँच गये..
कमान के ऊपर से नज़ारा, काफ़ी अच्छा लग रहा था..
वो ऐसी जगह थी, जहाँ से हम सबको देख सकते थे पर कोई भी हमें देख नहीं सकता था..
मैं इतने उँचाई से बाहर का नज़ारा देखने में बिज़ी थी..
इतने में विनय कमर से धीरे धीरे अपना हाथ, अब मेरी गाण्ड पर ले गया..
उसका हाथ, मुझे अपनी नरम गाण्ड पर महसूस होने लगा..
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था..
चूत में मीठी सी चुभन चालू हो चुकी थी और चूत के होंठ खुलने चालू हो गये थे..
मैंने उसकी तरफ देखा..
मैंने भी बड़ी बेशर्मी से उसे मादक स्माइल दी और उसने भी..
लगभग, 1-2 मिनट वैसे ही अपना हाथ मेरी गाण्ड पर रखने के बाद उसने मेरी स्माइल मिलते ही, अब मेरी गाण्ड सहलाना शुरू कर दिया..
वो स्कर्ट के ऊपर से ही, मेरी गाण्ड को सहला रहा था..
उसे मेरी पैंटी भी महसूस हो रही थी..
इधर, हम अभी भी बड़ी सामान्य बातें कर रहे थे..
जैसे की कितना अच्छा व्यू है.. !! कितनी खूबसूरत जगह है.. !!
दोनों ऐसे व्यवहार कर रहे थे, जैसे कुछ अनोखा या अलग हो ही ना रहा हो..
कुछ देर मेरी गाण्ड सहलाने के बाद, वो मेरे पीछे आ गया और मुझे पीछे से पकड़ लिया..
उनका लण्ड, अब ठीक मेरी गाण्ड पर मुझे महसूस हो रहा था और वो मेरी गर्दन पर मुझे किस करने लगा..
मैं – प्लीज़ विनयजी.. !! मुझे छोड़ दीजिए.. !! कोई देख लेगा.. !!
विनय – डरो मत, प्रिया.. !! कोई नहीं है.. !!
फिर हम लोग, एक साइड में दीवार के पीछे गये और मैंने कहा – विनय, यहाँ करते हैं.. !! वहाँ कोई भी देख लेता, यार.. !!
विनय काफ़ी खुश हो गया और बोला – मुझे ऐसी औरतें बहुत पसंद है जो ज़्यादा नखरे ना करें.. !! पर आप तो ऐसे मान गईं, जैसे कोई रांड़ अपने ग्राहक के इंतेज़ार में बैठी हो.. !!
मुझे महसूस हुआ की मैंने बहुत जल्दी कर दी पर नखरे नौटंकी का वक़्त भी तो नहीं था..
निर्मल और रश्मि, कभी भी आ सकते थे..
खैर, अब विनय ने भी मेरी असलियत को समझ लिया और उसने अपने होंठ मेरे होंठ पर लगा दिए और बड़ी बेदर्दी से किस करने लगा..
अबकी बार वो सामने था इसलिए उसका लण्ड, मेरी चूत पर टकरा रहा था और उसके हाथ, मेरी गाण्ड को सहला रहे थे..
मैं उसके बालों को पकड़ कर, उसे किस कर रही थी..
किस करने के बाद, उसने मेरी टी शर्ट के अंदर हाथ डालकर मेरे मम्मों को सहलाना शुरू किया..
उसके एक हाथ में, मेरा एक संतरा आ गया..
अब मैं भी उसका साथ अच्छे से देने लगी और अपने हाथ उसके हाथ पर रख कर, अपने बूब्स उससे ज़ोर ज़ोर से दबवाने लगी..
धीरे धीरे उसका एक हाथ, अब मेरा स्कर्ट उठाने लगा लेकिन मैंने तुरंत उसे रोक दिया..

मैं – नहीं.. !! प्लीज़ नहीं.. !! ये सही जगह नहीं है.. !!
विनय – प्लीज़ प्रिया.. !! अब और इंतेज़ार नहीं होता.. !! कितने नरम दूध और गाण्ड है, तुम्हारे.. !! जी तो चाह रहा है, अभी तुम्हारे कपड़े फाड़ दूँ और तुम्हें पटक पटक कर चोद डालूं.. !! माँ चुदाए, निर्मल और रश्मि.. !!
मैं – अगर ऐसा है तो हट जाओ.. !! मुझे नहीं करना, तुम्हारे साथ अब कुछ.. !!
विनय, थोडा होश में आ गया..
विनय – ठीक है.. !! माफ़ करना, मैं बहुत ज़्यादा उतेज्ज़ित हो गया था.. !! पर फिर, कब करेंगे हम.. !!
मैं – ये टूर ख़तम होने के बाद.. !! देहरादून में.. !!
विनय – ठीक है.. !!
फिर कुछ देर तक हम हाथ में हाथ लिए, वहाँ पर बैठ गये..
बातें करते करते, वो मुझे सहला भी रहा था..
कुछ देर बाद, वो बोला..
विनय – मिसेस शुक्ला.. !! प्लीज़ कुछ प्लान बनाओ, यार.. !! इसी टूर पे मुझे तुम्हें चोदना है.. !!
मैं – मैं भी तुमसे चुदने के लिए बेताब हूँ पर बात को समझो.. !! मैं नहीं चाहती की कोई प्राब्लम हो.. !!
मैं तो शुरू से ही, विनय पर मेहरबान हो गई थी..
रांड़ तो मैं थी ही, अब तक समझ चुकी थी की विनय का बैंक बैलेंस काफ़ी अच्छा था..
उसके पिता एक होटेल के मलिक थे और मैं ताड़ चुकी थी के उससे मुझे काफ़ी फायदा होगा..
वैसे भी वो काफ़ी स्मार्ट था..
मैंने काफ़ी देर तक उसको सहलाने दिया.. फिर, हम लोग उठ गये और वापस सेंटर फ़ोर्ट पर आ गये..

अभी तक रश्मि और निर्मल, ऊपर नहीं आए थे..
फिर हम नीचे गये, उन्हें देखने पर वो वहाँ पर भी नहीं थे..
विनय और मैं, फिर उन दोनों को ढूंढने लगे..
उस वक़्त, निर्मल और रश्मि के मोबाइल्स भी नहीं लग रहे थे..
काफ़ी ढूंढने के बाद, विनय वापस वहीं पर आकर सोफे टाइप पठार पर बैठ गये..
फिर, मैं उन्हें ढूंढने के लिए दूसरे साइड में गई..
भूल भुलिया में एक जगह कॉर्नर पर, मुझे वो दोनों दिखाई दिए..
मैं दीवार के पीछे छुपकर, उन दोनों को देखने लगी..
निर्मल ने रश्मि की गाण्ड पर हाथ रखा हुआ था और रश्मि भी स्माइल दे देकर, उससे बात कर रही थी..
मुझे समझने में देर नहीं लगी के मामला क्या है..

मुझे बड़ा हल्का महसूस हुआ क्यूंकी मैं सोचती थी कि इतने शरीफ आदमी की शादी, मुझ जैसी “छमिया” से हो गई..
रश्मि की गाण्ड पे निर्मल के हाथ ने सच में, मेरे दिल का बोझ हल्का कर दिया था..
मैंने उन्हें डिस्टर्ब नहीं किया और वापस आकर, विनय के साथ बैठ गई..
थोड़ी देर में, वो दोनों आए..
विनय – कहाँ गये थे, आप लोग.. !! ?? हम ऊपर जाकर, वापस आ गये पर आप लोग ऊपर नहीं आए.. !! ??
रश्मि – मेरे पैरों में काफ़ी दर्द हो रहा है इसलिए मैंने ही निर्मल को कहा के ऊपर नहीं जाते हैं.. !! मुझे प्यास भी लगी थी इसलिए हम लोग स्प्राइट पीने, यहीं पर बाजू के स्टॉल पर गये थे.. !!
विनय – चलो, ठीक है.. !! अब काफ़ी देर हो गई है.. !! वापस चलते हैं क्यों के अभी एक और फ़ोर्ट पर भी जाना है.. !!
फिर हम दूसरे फ़ोर्ट से, सीधे होटल में आ गये..
मैं अपने पति निर्मल को काफ़ी अब्ज़र्व कर रही थी, उस दूसरे फ़ोर्ट पर..
वो और रश्मि, काफ़ी आँख मिचोली खेल रहे थे..
जैसा मैंने बताया की मैं भी खुश थी..
ऐसे भी, निर्मल अगर रश्मि में बिज़ी रहेगा तो मुझे विनय के साथ मौका मिल जाए..
अगले दिन, पुष्कर जाने का प्लान था..
पुष्कर, जोधपुर से लगभग 200-220 किलोमीटर पर होगा..
सुबह के 6 बजे, मैं उठ गई और निर्मल को उठाने लगी..
मैं – निर्मल, उठो अब.. !! मैं तो तैयार भी हो चुकी हूँ.. !! पुष्कर मंदिर के दर्शन के लिए जाना है.. !! उठो ना.. !!
निर्मल – मेरी तबीयत ठीक नहीं है.. !! पैर काफ़ी दर्द दे रहे हैं.. !! मैं नहीं जा पाउँगा.. !! प्लीज़, तुम उनके साथ चली जाना.. !!
मैं – नहीं, उठो जल्दी.. !! तुम्हें भी आना होगा.. !!
इतने में, डोर बेल बजी..
विनय आए थे..
वो अंदर आ गये..
मैं – देखो ना.. विनयजी.. !! ये उठ नहीं रहे.. !! काफ़ी देर हो चुकी है.. !! कहते हैं के पैरों में दर्द है.. !!
विनय ज़ोर से, हँसने लगे..
विनय – यही हाल, रश्मि का भी है.. !! उसकी भी तबीयत खराब हो गई है.. !! वो भी नहीं आना चाहती.. !!
विनय काफ़ी खुश लग रहा था, ये सब सुनकर क्यों के वो भी मेरे साथ अकेले वक़्त गुज़रना चाहता था..

मैं समझ चुकी थी के निर्मल और रश्मि ने कल ही मिलकर, ये प्लान बनाया होगा के तबीयत खराब होने का नाटक करके, इन दोनों को पुष्कर भेजेंगे और यहाँ होटल में दिन भर चुदाई करेंगे.. ..
मुझे शरारत सूझी और मैंने निर्मल की शराफ़त का एक बार और इम्तहान लेने का सोचा..
मैं – तो ठीक है.. !! आज का प्रोग्राम कैंसिल कर देते हैं.. !! हम सब कल, पुष्कर जाएँगे.. !! ठीक है, निर्मल.. !!
निर्मल के अंदर, एकदम होश आ गया..
उसका तो चेहरा ही लटक गया..
निर्मल – नहीं नहीं.. !! तुम हमारे वजह से, प्रोग्राम कैंसिल मत करो.. !! तुम दोनों पुष्कर, जाकर आओ.. !! वैसे भी मंदिर जाने का प्रोग्राम कैंसिल करोगे तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा.. !!
इस बात पर, विनय काफ़ी खुश हुआ..
मैंने मन ही मन सोचा – चूतिए साले.. !! जितनी तेरी उम्र है, उससे ज़्यादा लंड में अपनी चूत में निचोड़ चुकी हूँ.. !!

खैर,
विनय – हाँ.. !! ये ठीक है.. !! मैं और प्रिया मंदिर जाकर आते हैं.. !! आप दोनों यहीं आराम करो.. !! वैसे भी हमारे टूर में पुष्कर के लिए, एक दिन ही है.. !! कल का तो रिज़र्वेशन है, आगरा के लिए.. !! अगर आज नहीं गये तो पुष्कर मिस हो जाएगा.. !!
मैं – फिर भी मैं एक बार, रश्मि को पूछ कर आती हूँ.. !!
मैं रश्मि के रूम में गई..
उसने भी यही कहा के आप दोनों हो आओ.. उसका आना नहीं होगा..
मैं भी मन ही मन में, हंस पड़ी..

यहाँ मैं रात भर सोच रही थी के विनय के साथ चुदाई करने का प्लान कैसे बन पाएगा और यहाँ तो रश्मि और निर्मल ने ही हमारा चुदाई का प्रोग्राम सेट कर दिया था..
जितना मैं निर्मल को सीधा और शरीफ सा बंदा समझ कर खुद को शादी के बाद से कोस रही थी, वो तो हरामी, विनय से भी आगे निकला..
कुत्ते के मूत, मेरे पति निर्मल को ज़रा भी आइडिया नहीं था के उसकी छमिया पत्नी पुष्कर में विनय से चुदने वाली है..
असल में तो विनय को भी अंदाज़ा नहीं था के यहाँ जोधपुर में उसकी पत्नी निर्मल से चुदवाने वाली है..
और तो और, रश्मि भी नहीं जानती थी के पुष्कर में उसके पति विनय मेरी चूत पर सवार होने वाले हैं..
मैं ही ऐसी एकलौती “रांड़ बुद्धि” थी, जो ये ताड़ चुकी थी के यहाँ हर कोई एक दूसरे के पार्ट्नर के साथ स्वैप कर रहा था..
बिचारे, रश्मि और निर्मल ये सोच रहे थे के वो विनय और मुझे बेवकूफ़ बना कर, दिनभर जोधपुर के इस आलीशान होटल में चुदाई करने वाले हैं..
जबकि हक़ीक़त ये थी के उनसे ज़्यादा मज़ा, अब विनय और मैं पुष्कर में करने वाले थे..
आख़िरकार, सेट हो गया के विनय और मैं पुष्कर मंदिर में दर्शन के लिए जाएँगे..
सुबह लगभग 8 बजे, हम दोनों बस से निकल गये.
मैंने नारंगी रंग की साड़ी और उसी रंग का ब्लाउज पहना था..
विनय, काफ़ी खुश था..
वो मेरा हाथ, हाथ में लेकर बस मे मेरे से चिपक कर ऐसे बैठा था जैसे के मैं उसकी पत्नी हूँ..
आस पास के लोग भी यहीं सोच रहे होंगे के हम पति पत्नी ही हैं..

असल बात तो यह थी की मैं भी विनय जैसे ही स्मार्ट, हैंडसम, अमीर और मेरे हमउम्र लड़के से प्रेम विवाह करना चाहती थी पर मेरी माँ ने निर्मल जैसे चूतिए, मिडिल क्लास और बेकार से बोरिंग आदमी से मेरी शादी करा दी थी..
निर्मल मुझे तो फूटी आँख नहीं सुहाता था पता नहीं रश्मि को उसमें ऐसा क्या दिखा..
वैसे तो रश्मि का मुझे बहुत बहुत धन्यवाद करना चाहिए क्यूंकी उसने मेरे मन से “पछाताप की भावना” को ख़तम कर दिया था, जो मेरे मन में निर्मल को शरीफ और सीधा समझ कर आती थी..
रास्ते में मैंने मेरे पति, निर्मल को कॉल किया..
मैं – हेलो!! मैं प्रिया बोल रही हूँ.. !! हम लोग, अब 5-10 मिनट में पुष्कर पहुँचने ही वाले हैं.. !!
निर्मल – हाँ ठीक है!! आते आते, हम दोनों के लिए प्रसाद भी ले आना.. !!
मैं – ठीक है, बाइ.. !! अब मैं फोन रखती हूँ.. !! बाद में, बात करते हैं.. !!
ये कहकर, मैं चुप हो गई पर फोन डिसकनेक्ट नहीं किया..
निर्मल ने भी फोन डिसकनेक्ट नहीं किया.. शायद, ये सोचकर के मैंने कर दिया है..
फोन चालू था..
मैं उस कमरे में जो कुछ बातें हो रही है सॉफ तो नहीं पर कुछ कुछ सुन पा रही थी..
फोन पर –
निर्मल – उफ़ रश्मि.. !! तुम कितना अच्छा लण्ड चूसती हो.. !! उन्ह आअहह.. !! कितना मज़ा आ रहा है.. !! माँ की लौड़ी, प्रिया तो हाथ में लेने से भी शरमाती है.. !! कितना मज़ा आ रहा है.. !! नाटक तो ऐसा करती है, जैसे कभी लंड देखा भी ना हो और चूत इतनी बड़ी हो रखी थी पहली ही रात को की मेरा लंड क्या, मैं पूरा का पूरा घुस जाता उसकी चूत में.. !! साली, कुतिया ने ढोंग करने में तो डिग्री ले रखी है.. !!
रश्मि – उउम्म्म्ममम.. !! तुमने जो पागल कुत्ते की तरह मुझे चोदा है, ऐसी चुदाई तो वो विनय करता ही नहीं.. !! उसे तो अपने बिज़नेस से ही फ़ुर्सत नहीं है.. !! बस हमेंशा पैसा कमाने में लगा रहता है.. !! ना जाने क्या करेगा, इतने पैसे का.. !! अब तो निर्मल मैं तुम्हारी रंडी बनकर रहूंगी.. !! तुम्हें मैं पैसे दूँगी और तुम मुझे इसी तरफ चुदाई का मज़ा देना.. !! जितने पैसे कहोगे, उतने दूँगी.. !! बस, मुझे ऐसे ही चोदना.. !!
अब मैंने फोन बंद कर दिया..
मेरा पति भडुआ बन चुका था और इधर, विनय मेरे तरफ देख स्माइल दे रहा था..
मैं उसकी तरफ देख कर हंस रही थी पर उसे लगा के मैं स्माइल दे रही हूँ.. !!.
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-10-2021, 11:59 AM

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