मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-10-2021, 12:01 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
ऊऊऊहह दीदी बहुत मज़ेदार है तेरी

मैं सीमा हूँ.. और मेरी फिगर 36-25-38 है. गणेश मेरा भाई अभी कुँवारा है. मैं भी कई महीनो से एक अच्छे लंड की तलाश में थी, जो कहीं आज मिला था मुझे. मेरा पति साला 4 इंच का लंड लेकर मुझे चोदने लगता है तो मैं संतुष्ट नहीं हो पाती. कई मर्दों के साथ संबंध बना चुकी हूँ, लेकिन
मेरी चूत हमेशा भूखी रह जाती है. मेरे पति के बॉस ने मुझे एक बार अपने पार्ट्नर के साथ मिल कर दो दो लंड के साथ चोदा था, लेकिन कुछ वक्त से पति के बॉस का भी तबादला हो गया और अब मुझे लंड की कमी महसूस होती है.” सीमा, मेरी प्यारी दीदी, तू भी हमारी मम्मी जैसी चुदकर हो. मम्मी का भी एक मर्द से गुज़ारा नहीं होता।

आज सुबह जब वो रसोई में खाना बना रही थी तो उसकी चुचि ब्लाउस से बाहर झाँक रही थी. उसी वक्त फोन आया तो मम्मी ने उठाया. दूसरी तरफ से मनोहर अंकल ने कहा” रानी, आज अपनी चूत को शेव कर लो, तुझे मैं और दिलबाघ दोनो चोदने वाले हैं… दिलबाघ तुझे ना जाने कब से चोदने के लिए मिन्नते कर रहा है… तुम ठीक 5 बजे होटल संगम पहुँच जाना, मेरी रानी.., आज तेरी दीवाली मनाएँगे…” मैं उस वक्त उन दोनो की बातें सुन रहा था. मेरा तो दिल कर रहा था की मम्मी को वहीं चोद डालूं, पर मैं इस बात पर खुश था की आज शाम को अपनी सीमा दीदी के साथ मजे करूँगा. सच सीमा, मैने आज तक तेरे जैसी औरत नहीं चोदी…”

मेरे बारे में मेरे भाई को कुछ दिन पहले ही पता चला था. मेरा भाई मुझसे मिलने आया था. मेरा पति अपनी दुकान और मेरी सास बाज़ार गयी हुई थी. मुझे यही मौका था और मैं अपने जवान नौकर से चुदवाने लगी. मेरा नौकर रामू भी जानता था की मैं लंड की प्यासी हूँ क्योंकी वो मेरे पति की नामर्दानगी के बारे में जानता था।

रामू उस वक्त टेबल सॉफ कर रहा था जब मेरी सास बाज़ार गयी. मैने रामू को पीछे से पकड़ लिया और उसके मस्ताने लंड से खेलने लगी, ” क्या बात है.., मालकिन, आज बड़ी मस्ती में हो.., कहीं मेरा केला खाने का इरादा तो नहीं है?” मैने उसके पजामे को नीचे सरकाते हुए उसका लंड मुहँ में डाल लिया. रामू मेरी आदत जानता था की मुझे केला खाने की आदत है।
रामू बोला,” सीमा मालकिन क्यों ना आज तुझे तेरी सास के बिस्तर पर चोदा जाए… उसको भी मेरा केला बहुत पसंद है.. अब तो सास बहू दोनो को एक ही लंड से गुज़ारा करना पड़ेगा… साली बुडिया भी लंड की शौकीन है, आपकी तरह..”

रामू मुझे उठा कर सासू माँ के बिस्तर पर ले गया और मुझे नंगा करने लगा. मेरे चूतड़ पर हाथ फेर कर बोला,” सीमा आज ना जाने क्यों तुझे कुत्तिया बनाने का मन कर रहा है… तुम मालकिन भी हो और मेरी रांड़ भी… अगर मैने अपनी मालकिन की सवारी नहीं की तो दुनिया क्या कहेगी? आपकी सास तो मेरे लंड की सवारी करने का शौक रखती है… आपके चूतड़ मुझे बहुत आकर्षित करते है.. अगर एतराज़ ना हो तो जल्दी घोड़ी बन जाओ… बुडिया का कोई पता नहीं कब आ टपके..”
मैं झट से घोड़ी बन गयी. वैसे तो मैं हर आसन में चुदाई का आनंद ले चुकी हूँ, लेकिन घोड़ी बन के मर्द के सामने झुकना मुझे मर्द के आगे समर्पण करने के बराबर लगता है. मैं नौकर के आगे झुकी तो उसके चेहरे पर जीत भरी मुस्कान थी. उसने एक ही धक्के में अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया. उसके हाथों ने मुझे चूतड़ से कस के पकड़ रखा था. लंड मेरी चूत चोद रहा था और मेरी चूत सावन के गीत गा रही थी. रामू ने मुझे बालों से खींच कर चुदाई शुरू कर दी. वो मेरे बालों को एसे खींच रहा था जैसे घोड़ी की लगाम खींच रहा हो।

हम दोनो को पता ही नहीं चला की कब से मेरा भाई गणेश हम दोनो को देख रहा था. हम जल्दी में डोर बंद करना भूल गये. मैने उत्तेजना वश आँखें बंद कर रखी थी और एक कुत्तिया की तरह हाँफ रही थी. रामू का लंड किसी पिस्टन की तरह मुझे चोद रहा था,” अहह…..ज़ोर से चोद….रामू….चोद मुझे माँदरचोद….मेरी चूत की आग बुझा साले रामू, चोद ज़ोर से मेरी चूत….है मैं मरी जा रही हूँ…बहनचोद ज़ोर से डाल,” मैं चीख रही थी और रामू लगातार तेज़ धक्के मार रहा था।
उसका लंड भी अब झड़ने को था और वो बोल रहा था,” सीमा…साली रांड़…क्या मस्त माल है तू….अच्छी है तेरा पति नामर्द है वरना एसी मख्खन जैसी चूत मेरी किस्मत में कहा होती….वा मालकिन…मेरी रंडी मालकिन…..चुदवा रामू के मस्त लंड से,”

हम दोनो थोड़ी देर में झड़ गये और रामू काम करने लग गया. गणेश शायद हमारी बेशर्मी देख कर दरवाज़े से हट गया और बाहर चला गया था क्युकि वो थोड़ी देर से घर में दाखिल हुआ. मैं अपने कपड़े बदल चुकी थी और जब अपने छोटे भाई को देखा तो सिर पर दुपटा लेकर उसका स्वागत करने पहुची. मैने अपने भाई के चरण स्पर्श किए जैसे की हमारा रिवाज़ है. कमरे में कोई नहीं था. गणेश मुझे अजीब नज़रों से देख रहा था. उसने मुझे आलिंगन में लेते हुए सीने से लगा लिया।
मेरी चुचि जो के बहुत बड़ी है, मेरे भाई के सीने में धस गयी. उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए पूछा,” दीदी, क्या नौकर अब पति से बढ़ कर है तेरे लिए? जब मैने आपको उसके सामने मर्दजात नंगी होकर घोड़ी बने हुए देखा तो मुझे बहुत शर्म आई… क्या अब रामू का दर्ज़ा मेरे जीजा का हो चुका है? क्या अब मेरे घर की इज़्ज़त नौकर के लंड की मोहताज़ हो चुकी है? क्या अब इस घर में मर्दों की कमी है? अगर जीजा जी में दम नहीं था तो कम से कम अपने भाई तो अपना लिया होता… गणेश साला, रंडी के कोठे पर पैसे देकर चूत मागता फिरता है और उसकी बहन नौकरों को फ्री में बाँट रही है… सीमा, तुझे नंगी देख कर मैं पागल हो चुका हूँ… अब से रामू की छुट्टी कर दो और मुझे अपना पति बना लो… मेरे लंड को देख लो, पूरा 9 इंच का है,” कहते ही उसने अपनी पेंट की ज़िप खोल डाली।
उसका मोटा लंड बहुत प्यारा लगा. लेकिन एक बात मुझे सता रही थी,” गणेश, बहनचोद साले अपनी ही बहन को चोदोगे तुम? अगर ऐसा ही करना था तो मेरी शादी उस नपुंसक से क्यों की थी, जिसकी कमी मैं नौकर से पूरी कर रही हूँ… भाई, बहन को भाई नहीं चोदा करते… भाई के लिए तो भाभी होती है..”

गणेश मेरी बात पर हंस कर बोला,”सीमा, अगर रामू तुझे चोद सकता है तो गणेश में क्या कमी है? जीजा जी की कमज़ोरी का दुख तुझे ही क्यों उठना पड़े? भाई का फ़र्ज़ बनता है की अपनी बहन को हर मुश्किल से निकाले, उसको हर खुशी दे जिस पर उसका हक बनता है… और दीदी, तुझ जैसी सुन्दर और सेक्सी औरत की सेवा करना तो खुशकिस्मत भाई को ही मिलता है… मेरा बस चलता तो मैं तेरी शादी कभी ना होने देता… तुझे अपना बना कर रखता… लेकिन फिकर मत करना… अब तुम मेरी हो… आज से तुझे चूत ठंडी करवाने के लिए किसी के पास जाने की ज़रूरत नहीं है… मैं तेरी सास को बोल दूँगा की मेरे पास अपनी दीदी के लिए अपने ऑफीस में काम है जिसको कर के दीदी के पैसे भी बन जाएँगे और टाइम भी पास हो जाएगा… बुडिया लालची है, शक नहीं करेगी और मान जाएगी… तुम रोज़ मेरे ऑफीस चली आना और हम मेरे कमरे में खूब मौज करेगे… मैने वहाँ बिस्तर पहले ही लगा रखा है.” गणेश ने अपनी पूरी स्कीम मुझे बता डाली।
“लेकिन गणेश, लोग क्या कहेंगे? किसी को शक नहीं होगा?” मैने अपने मन की आशंका बताई.” दीदी, शक कैसा? तुम मेरी बहन हो… क्या बहन अपने भाई के ऑफीस में जॉब नहीं कर सकती? अब सोच विचार का वक्त नहीं है, तुम हां कर दो… बाकी मैं खुद देख लूँगा.” मेरी चूत ने मुझे सोचने का मौका ही नहीं दिया. साली अपने भईया के लंड की खुशबू सूंघ कर मस्ती से भर गयी और मैने भईया की ऑफर मान ली. सासू माँ ने गणेश की बात झट से स्वीकार कर ली. शायद उसके लिए अब रामू से चुदवाने का खुला मौका था. खैर अगले दिन मैं गणेश के ऑफीस जा पहुँची।

ऑफीस काफ़ी बड़ा था. ऑफीस के पीछे भईया का रूम था जिस में वो काम भी करता था और आराम भी. कमरा काफ़ी बड़ा था जिसमें गणेश ने एक फ्रिज, टीवी, कुछ Cd, एक ड्रिंकिंग बार और एक डबल बेड रखा हुआ था. डबल बेड पर सफेद रेशमी
चादर बिछी हुई बहुत सेक्सी लग रही थी. “क्यों कैसा लगा, सुहागदिन का बिस्तर, दीदी? साथ में बाथरूम भी है, जिसमे मेरी प्यारी दीदी बाथ ले सकती है… ऑफीस का कोई आदमी इस कमरे में नहीं आ सकता.. यहाँ हम पति पत्नी बन कर रहा करेंगे,”कहते ही गणेश ने मुझे पीछे से जकड़ लिया और मेरी चुचि को दबाने लगा। मेरी उतेज्ना बढ़ने लगी और चुचि खड़ी होने लगी. गणेश के गर्म साँसें मेरे गालो से टकराने लगी और वो ज़ोर ज़ोर से मेरी चुचियाँ भींचने लगा.”उहह गणेश, क्या कर रहे हो.. मुझे अभी साँस तो लेने दो… क्या मुझे बस चोदने के लिए ही बुलाया है… तू तो किसी चूत के भूखे लड़के लग रहे हो… उईईई धीरे से दबाओ ना, ये तेरी बहन की चुचि है, किसी रंडी की नहीं… भाई, तेरा लंड मेरे नितंभों में घुस रहा है, इसको संभालो ज़रा!”
गणेश कहा रुकने वाला था. भाई ने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए. खिड़की के शीशे में से बारिश होती दिख रही थी और उधर बहन नंगी हो रही थी. मेरा गोरा बदन पेंटी और ब्रा में खड़ा मेरे भाई के लिए हाज़िर था. गणेश मेरी सुडोल जांघों को घूर रहा था, मेरे उभरे नितंभ स्पर्श कर रहा था, मेरी चूची से खेल रहा था और मेरे मसल जिस्म के नशे में झूम रहा था. मेरी वाइट पेंटी के नीचे मेरी चूत किसी डबल रोटी जैसी फूली हुई थी. मेरी भूरी आँखें मदहोशी से बंद हो रही थी. चूत में चीटियाँ दौड़ रही थी. मेरा सारा बदन गंनगना चुका था. मेरे भाई ने अपना हाथ बढ़ा कर मेरी फूली हुई चूत को ज़ोर से मसल दिया. मेरी चूत से रस की धारा बहने लगी और मैने अपनी जांघें भींच ली. मैने अपना नंगा जिस्म जब मिरर में देखा तो अंदर की आग और भी भड़क उठी. मैने भईया की पेंट के ऊपर से उसका खड़ा लंड पकड़ लिया.. लंड किसी साँप की तरह फूंकार रहा था. मेरी चूत अब कामुकता की आग मैं जल रही थी।
“भईया, अब देर मत करो, मेरी चूत को तुम ने गर्म कर दिया है, अब जल्दी से डालो अपना लंड इसमे, प्लीज़,भईया ,” कहते ही मैने भईया की पेंट उतार डाली और उसके काली झांठो में उठ रहे लंड को देख कर मेरी हरामी चूत खुशी के आँसू बहाने लगी. आज मेरा सगा भाई, अपने लंड से मुझे चोदने वाला था. गणेश ने मेरी अंडरवियर नीचे सरका दी और मेरे ब्रा को खोलने लगा. ब्रा के खुलते ही मेरी गोरी चुचि के ऊपर ब्राउन रंग के चुचक भईया के हाथों में आ गये. गणेश ने मेरे चुचक मुह में ले लिए और चूस लिया,” आआआहह….भैय्आआआ,,,,,चूसो भईया….मेरे निपल्स चुसो….अपनी बहन का दूध पियो….याया….ऊऊऊओह…..मेरी फुददी मारो भईया,” मेरे मुख से बरबस ही निकल गया. मैं आप को बता देना चाहती हूँ की चुदाई के वक्त मैं गंदी गंदी गालियाँ बकती हूँ।
गणेश किसी बच्चे की तरह मेरा दूध चूसने लगा. मेरे चुचक उसके थूक से भीग गये और मैं मस्ती से झूमने लगी. गणेश का एक हाथ मेरी चूत पर रेंग रहा था. मैने चूत को बिल्कुल सॉफ किया हुआ था और मेरी चूत रस टपका रही थी. गणेश ने एक उंगली मेरी चूत में धकेल दी तो मैं सिसकारी भरने लगी. मैने भी हाथ नीचे कर के भईया के लंड को मुठियाना शुरू कर दिया और उसके अंडकोष से खेलने लगी।

गणेश मेरे निपल्स से अपने होंठ हटाता हुआ बोला,” सीमा, आज तक ऐसा जिस्म नहीं देखा मैने. अगर इजाज़त हो तो तेरी चूत का भी स्वाद चख लू… तेरी मख्खन जैसी चूत मेरे लिए आज तक एक सपना ही थी.. इसको चाट लेने दो मुझे.. दीदी” मैं भी यही चाहती थी. मेरा पति मेरी चूत बहुत चाटता था, लेकिन वो बहनचोद चोदने के लायक नहीं था और रामू चोद तो लेता था, मैं उसको कभी चूत चाटने का मौका नहीं देती थी. आज गणेश मुझे चाटने और चोदने वाला था. मैने कमरे की खिड़की खोल दी और बारिश की बोछारे मेरे नंगे चूतड़ पर गिरने लगी,” भईया, जब लाज शर्म छोड़ ही दी है तो जो दिल मैं आए सब कर लो, सीमा दीदी पर अब तेरे हक की कोई सीमा नहीं है… मुझे भईया अपना लंड चुसवाओ… मैने आज तक अपने पति का लंड नहीं चूसा, तेरा चूस लूँगी, तुझे ही अपने दिल से अपना पति मान लिया है मैने, लाओ मुझे भी अपना केला खिला दो..”
गणेश बिस्तर पर साइड लेकर लेट गया और मैं उसके पैरों की तरफ मुहँ करके लेट गयी जिस कारण मेरा मुहँ भईया के लंड के सामने आ गया और मेरी चूत गणेश के मुहँ के सामने आ गयी. हम ने 69 बना कर चूसना शुरू कर दिया. गणेश झूठ नहीं बोल रहा था जब उसने कहा था की उसका लंड 9इंच का है. उसका गुलाबी सूपड़ा मेरे मुहँ में फिट नहीं हो रहा था. उधर गणेश मेरी चूत को फैला कर अपनी ज़ुबान अंदर घुसेड रहा था. गणेश ने मेरे चूतड़ थाम रखे थे और मैं भईया के अंडकोष सहला रही थी. कमरा कामुकता से भरा हुआ था और चूमने चाटने की आवाज़ें सॉफ सुनाई पढ रही थी. गणेश का लंड एक लोहे के डंडे की तरह खड़ा था. मैने अचानक उसके अंडकोष मुहँ में ले लिए और चूसने लगी।
कोई 15 मिनिट के बाद गणेश ने अपना मुहँ मेरी चूत से हटा लिया और बोला,” सीमा अगर तुमने और अधिक लंड चूसा तो मैं झड़ जाउंगा… अब तुम एक बार घोड़ी बन जाओ… मैने जब से तुझे उस कमीने नौकर के सामने घोड़ी बने देखा है, तुझे घोड़ी बना कर सवारी करने का सपना देख रहा हूँ… चलो दीदी, अब घोड़ी बनो अपने भाई के लिए,” मैं अपने भाई की बात कैसे टाल सकती थी. मैं पलंग को पकड़ कर घुटनो के बल घोड़ी बन गयी.. गणेश ने मेरी गांड को प्यार से सहलाया और फिर अपने लंड को मेरे चूतड़ की दरार से मेरी चूत में धकेल दिया. मेरी चूत से रस बह रहा था लेकिन भईया का लंड इतना बड़ा था की मेरी चूत गंनगना उठी. ऐसा लगा की मेरी चूत में एक जलता हुआ शोला डाल दिया हो.
“हा..आई…..भईया….धीरे…ई….बहुत बड़ा है आपका भईया… गणेश साले तेरा लंड किसी गधे के लंड से कम नहीं है,,,,,,मुझे बहुत मजा दे रहा है……चोदो भईया पर धीरे धीरे….मैं तेरी बहन हूँ साले कोई बज़ारु औरत नहीं…..ओह भईया चोदो…” मेरे मुहँ से चीख निकली. गणेश नहीं रुका. उसने अपना लंड डालना जारी रखा. मेरी गांड को पकड़ कर वो धक्के मारने लगा और 9 इंच के लंड ने भी अब मेरी चूत में जगह बना ली थी. मेरी चुचि झूल रही थी जिसको भईया ने पकड़ लिया और ज़ोर जोर से मसलने लगा. भईया के अंडकोष मेरी गांड से टकराने लगे. मैं पसीने से भीग चुकी थी. भईया हाँफ रहे थे लेकिन मुझे चोद रहे थे।
“सीमा, तुम मेरी पत्नी बनने लायक हो…काश ऐसा हो सकता….ओह मेरी बहना…मेरी पत्नी बन जाओ…..कितनी सेक्सी और चुदकर हो तुम मेरी बहना,” गणेश बोल रहा था और मैं अपने चूतड़ पीछे धकेल कर उसका पूरा लंड अपनी चूत में ले रही थी.” भईया, मुझे अपनी पत्नी ही समझो…..अगर तुम कहो तो मैं तलाक़ ले सकती हूँ…तेरे जैसे मर्द के लिए तलाक़ तो क्या मैं क़त्ल भी कर सकती हू…..हम अदालत से कह देंगे की मेरा पति नामर्द है…साला खुद ही तलाक़ दे देगा अपनी इज़्ज़त की खातिर….फिर हम इस शहर को छोड़ देंगे और तुम मुझे बीवी बना लेना, ठीक है ना?” गणेश मेरी बात सुन कर बोला,
‘ मैं एक ऑफीस भोपाल में खोल रहा हूँ, तुझे वहाँ अपनी पत्नी बना के ले जा सकता हूँ, लेकिन हम माँ को क्या कहेंगे? क्या माँ मान जाएगी?” गणेश बोला।
मैने कहा,” भईया माँ को भी तो चुदवाने की आदत है, हम उसको ब्लॅकमेल करेंगे तो उसको हमारी शादी के लिए मानना ही पड़ेगा. और हो सकता है की माँ भी तुझ से चुदवाने को तैयार हो जाए. बस फिर तेरी तो दो दो पत्नियाँ हो जाएगी… माँ भी और बेटी भी!” गणेश मेरी बात सुन कर बहुत खुश हुआ. उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और बोला”पहले तुझे तो पूरी तरह अपना बना लू.. फिर माँ को चोद लूंगा… पहले पूरा बहनचोद तो बन जाऊ.. फिर माँ चोद भी बन जाउंगा… कहते है की जब तक लंड गांड में ना डाला जाए, औरत पूरी तरह अपनाई नहीं जाती, अब में तेरी गांड चोदने वाला हूँ, दीदी. औरत के जिस्म के तिन छेद होते है, मुहँ, चूत और गांड. मैं तेरे सभी छेद पर अपना क़ब्ज़ा करना चाहता हूँ. मुझे अपनी गांड समर्पित करने को तैयार हो बहना?”
“गणेश, तुमने ही तो कहा था की हम सुहाग-दिन मना रहे हैं.. अगर तुम मेरे सुहाग ही हो तो फिर सवाल कैसे? तेरी बहन ने अपनी गांड कुँवारी रखी है तेरे मस्त लंड के लिए.. अब इसकी सील तोड़ डालो मेरे भाई. लेकिन ध्यान रहे मुझे दर्द ना हो,” मैने सुन रखा था की गांड मरवाने में बहुत दर्द होता है… गणेश उठा और फ्रीज से मख्खन ले आया और उसने मख्खन मेरी गांड पर लगाया और उंगली से मुझे गांड में चोदा और फिर ढेर सारा मख्खन अपने लंड पर लगा कर मेरे पीछे खड़ा हो गया और मेरी गांड पर अपना टोपा रगड़ने लगा. मेरी गांड चाहती थी की लंड उसमे घुस जाए. मैं हाथ पीछे ले गयी और उसके लंड को अपनी गांड की तरफ खिचती हुई बोली,” भईया, अब क्यों तडपा रहे हो अपनी रांड़ बहन को.. अब चोद लो उसकी गांड भी…जमा लो दीदी पर क़ब्ज़ा…अपना लो अपनी सीमा को!”
गणेश ने धीरे से लंड अंदर डाल दिया. उत्तेजना अधिक होने से मुझे दर्द कम हुआ. मैने गांड को ढीला छोड़ दिया था. पहले तो मेरा मन घबरा रहा था लेकिन फिर मुझे मजा आने लगा. मेरा भाई मुझे चोद रहा था और मैं कुत्तीया की तरह मजे से गांड मरवा रही थी,’ ओह….सीमा मेरी रांड़ वाह तेरी गांड,,,,,मैं अब अधिक देर टिक ना पाऊंगा…मेरी रंडी सीमा,,,,मेरा लंड अब पिचकारी छोड़ने को है….ऊऊऊहह दीदी बहुत मज़ेदार है तेरी गांड….मैं झड़ने को हूँ…ऊऊऊऊहह गणेश का हाथ नीचे से मेरी फुद्दी सहला रहा था।

मेरी चूत में पानी छोड़ रही थी. मैं भी चाहती थी की अब भईया काम खत्म कर दे. मैने ज़ोर ज़ोर से अपनी गांड पीछे धकेलनी शुरू कर दी और मेरी चूत का रस भईया के हाथ पर जा गिरा,” अहह..भईया…मैं भी झड़ गयी…डालो ज़ोर से भाई….मेरी चूत गई…ऊऊऊहह उफफफफफफ्फ़…हइईईई…मेरी माँ”
ओर हम दोनों झर गये. ओर कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे ओर बाद में दोनों ने कपडे पहने।
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-10-2021, 12:01 PM

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