मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-10-2021, 12:06 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मै दोपहर मे माँ की मुँह चुदाई करके सोने चला गया था । माँ नींद में मेरा सारा वीर्य पि गयी थी ।मेरी नींद शाम को ५ बजे खुली जब माँ ने मुझे जगाया । वो चाय लेकर आयी थी मेरे कमरे में, वो बिलकुल नार्मल व्यवहार कर रही थी, क्योंकि उन्हें पता ही नहीं था की नींद की गोली के नशे में मैंने कौनसा काण्ड किया है । माँ अभी भी उन्ही कपड़ो में थी जिसमे मैंने उनके मुँह की चुदाई की थी। उनके ब्लाउज में कुछ धब्बे नजर आ रहे थे । शायद कुछ वीर्य की बुँदे उस पर भी गिर गयी थी ।

माँ " बेटा चाय पी ले, तुझे एनर्जी मिलेगी"

मै " माँ, एनर्जी तो दूध पीकर ही मिलती है ।" मेरी नजर उनके चूची पर थी ।

माँ मुस्कुराते हुवे " वो रात में पी लेना ।" मै असमंजस में पड़ गया की माँ मुझे रात में अपना दूध पिलाएगी या फिर गिलास वाला । फिर मैंने सोचा माँ तो मुझसे डबल मीनिंग वाली बात तो नहीं करती है । शायद रात में गिलास वाला ही दूध मिलेगा । और फिर मेरे शैतानी दिमाग ने दोपहर वाली योजना दौड़ गयी । पर अब नींद की गोलिया ख़त्म हो गयी थी और पता नहीं सुनील और गोलिया देगा भी या नहीं ।

फिर भी मैंने सोचा चलो ट्रॉय करने में क्या जाता है । अगर गोलिया मिली तो रात में दूध में मिलाकर माँ को पिलाया जायेगा और फिर से उनका मुँह चोदा जायेगा ।

माँ " नीरज, कहा खो गया तू? "

मै अपने पलानिंग के खयालो से बाहर आया और बोला " कुछ नहीं माँ मेरा सर दर्द कर रहा है, सोच रहा हु मेडिकल स्टोर से दवा ले लू"

माँ मेरा सर पकड़कर " क्या हो गया मेरे बेटे को"

मै " कोई प्रॉब्लम नहीं है माँ , मै चाय पीकर दवाई ले आऊंगा , ज्यादा दर्द नहीं है ।"

माँ " तू चाय पी ले मै तेरा सर दबा देती हु "

मै मन में "तब तो दर्द मेरे लण्ड में हो रहा है उसे दबाओ ।"

मै " माँ आप तकलीफ मत करो , आप खाना बनाओ तब तक मै दवा ले आता हु और थोड़ा फ्रेश एयर भी मिलेगा तो शायद मुझे अच्छा लगे ।"

माँ " ठीक है बेटा "

हम दोनों चाय पिने लगे । चाय ख़त्म होने के बाद मै तुरंत घर से निकल गया और मेडिकल स्टोर की तरफ जाने लगा ।

मेडिकल स्टोर पर सुनील को देखते ही मैंने कहा " भाई सुनील कैसे हो ?"

सुनील " भाई , मै ठीक हु । तुम वो दवा लाये हो जो मैंने तुम्हे दी थी "

मै तो डर गया क्योंकि मैंने तो इसे झूठ बोलकर खुद के लिए वो दवा मांगी थी और इसे लग रहा होगा की मै रात में खाऊंगा । पर कही इसके बाप को पता चल गया हो और वो इसे डांट रहा हो । मेरा डर बढ़ते ही जा रहा था की मै इसे दवा कहा से लाकर दू ।

फिर भी मैंने अपने आप पर काबू करते हुवे उसे बोला " भाई वो तो कही गिर गयी । मै दूसरी गोलिया लेने ही आया था ।"

सुनील " ओह्ह्ह, वैसे भी वो विटामिन की गोलिया थी मैंने गलती से नींद की गोली समझकर तुझे दे दी थी । इसलिए पूछ रहा था अगर हो तो वापस कर दे मै तुझे नींद वाली गोली दे दू ।"

अब मेरे डरने की नहीं चौकने की बारी थी । इसका मतलब की माँ ने विटामिन की गोलिया ली थी और वो जाग रही थी । मैंने जो भी उनके साथ किया उन्हें सब पता था । पर जब वो जाग रही थी तो कुछ बोली क्यों नहीं । मै यही सब सोचने लगा की सुनील ने फिर से बोला " भाई कहा खो गया, गोली चाहिए या नहीं "

मै " हाँ भाई चाहिए, दे दे।"

सुनील " ठीक है भाई ये ले " और उसने मुझे दूसरी २ गोलिया दी ।

कहानी में नया ट्विस्ट आ गया था। माँ की जानकारी में ही उनके मुँह की चुदाई हुई थी और उन्होंने बहुत ही बढ़िया सोने का नाटक किया था । सोना कहना ठीक नहीं होगा लगभग बेहोश होने का नाटक किया था। मुझे उनका ये नाटक वाला खेल पसंद आया अब मै इसे और रोचक बनाना चाहता था ।

मै जब घर पंहुचा तो माँ किचन में खाना बना रही थी।

मुझे देखते ही मां ने कहा "आ गया बेटा"

मैंने कहा हां मां मैं हाथ में दो कि कपड़े चेंज करके टीवी रूम में बैठता हूं।

मां "ठीक है बेटा"

मै अपने रूम में जाकर कपड़े चेंज किया, लोवर और टी शर्ट पहन ली । और टीवी रूम में जाकर टीवी देखने लगा।

मां खाना बनाकर टीवी रूम में आई और मेरे साथ बैठकर टीवी देखने लगी। रात के 9:30 बजे हम दोनों खाना खाए।

बर्तन साफ करने लगी और मैं दो गिलास में दूध लेकर शक्कर मिलाकर चम्मच से शक्कर को दूध में मिलाने लगा। मां ने मेरी तरफ देखा उन्हें लगा शायद मैं फिर से कोई नींद की गोली मिला रहा हूं और उन्हें दूंगा पीने के लिए। उन्होंने मेरी इस हरकत पर मुस्कुरा दिया।

मैं भी अपने चेहरे पर शैतानी मुस्कान लेते हुए उनके पास गया। जब वह बर्तन साफ कर चुकी थी तो मैंने दूध पिला दिया और दूसरा गिलास खुद लिया।

मां" बहुत सेवा कर रहा है मां की"

मैं "मेरा तो फर्ज है मां तुम्हारी सेवा करना"

मां मन में" हां पता है, गले में सुरंग बना दी अपने मोटे लोड़े से, ऐसी सेवा की"

मां " बहुत ही प्यारा बेटा है मेरा, बहुत ख्याल रखता है मेरा।"

मैं " कहां मां, मैं तो कुछ करता ही नहीं। चलो मैं आज आपके पैर दबाऊंगा ।"

मां मन में" हरामजादे मेरे सोने के बाद पैर क्या तू तो मेरी चूची और चुत्तड़ भी दबा देगा।

मां ने पहले तो मना किया पर मेरे थोड़े से रिक्वेस्ट पर मान गई वैसे तो वह भी वही चाहती थी।

हम दोनों दूध पीकर मां के कमरे में आ गए।

मां बिस्तर पर लेट गई।

मैं उनके पैर के पास बैठकर उनके पैर दबाने लगा।

10 मिनट पैर दबाने के बाद मैंने मां को आवाज लगाकर हिलाया " मां..... मां......मां........."

मां का बेहोशी नाटक-2 शुरू हो चुका था ।

मै उठा और माँ के पास आकर बोल " माँ पैर तो दबा लिया चलो अब चुची दबाने की बारी है ।"

इतना बोलकर मै उनके साड़ी का पल्लू हटा दिया और उनके ब्लाउज के बटन खोलने लगा । उनका ब्लाउज़ मैंने उनके शरीर से अलग कर दिया अब उनकी चुची सिर्फ ब्रा की कैद में थी जिसे मैंने बिना कोई समय गवाए उनकी ब्रा की कैद से आजाद कर दिया ।

अब मां की गोरी गोरी चूचियां मेरे हाथों में थी, बहुत ही मुलायम चूचियां थी मां की| मैं जोर-जोर से मम्मी के चुचियों को मसलने लगा | फिर मुझसे रहा नहीं गया मैंने उनकी एक चूची मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया | मैं हाथ से चूची को दबाकर मुंह से पी रहा था, मानो आम चूस रहा हूं दबा दबा कर| और दूसरे हाथ से उनकी दूसरी चूची को मसल रहा था|

मेरे आनंद की कोई सीमा नहीं थी| मैं एक एक करके उनके दोनों चुचियों को आधे घंटे तक चूसा और दबाया| बाद में जब मैंने देखा तो उनकी दोनों चूचियां लाल हो गई थी और उनका निप्पल का नोकिला भाग एकदम खड़ा हो गया था| मां के गालों का रंग भी लाल हो गया था|

उन्हें देखकर मैंने कहा" मजा आ गया मां दूध पी के"

फिर मैं उठा और अपने सारे कपड़े निकाल दिया| मेरा 7 इंच का लण्ड सलामी देने लगा था| मैं मां की साड़ी खींचकर निकाल दिया| अब मां मेरे सामने अर्धनग्न अवस्था में थी उसके पतन पर सिर्फ पेटीकोट और चड्डी थी| मैंने मम्मी के पेटीकोट और चड्डी उतार दी|

मां बिल्कुल नंगी हो चुकी थी| उनका चेहरा और भी ज्यादा लाल हो गया था और फिर भी उनकी आंखें बंद थी|

शायद शर्म के कारण उनका चेहरा लाल होते जा रहा था| यह देख कर कर मैंने कहा" मां तुम्हारी चूचियां तो चुस ली अब चुत चुसनी है |" यह पहली बार हुआ जब मैंने चुत और चूची का नाम मां के सामने लिया था| भले ही मां सोने का नाटक कर रही थी और मेरी हरकत का मजा ले रही थी पर उन्हें नहीं लगा था मैं सीधे शब्दों में बोलना शुरू करूंगा|

मुझे भी ऐसा बोल कर बहुत अच्छा लग रहा था| मैं मां के टांगों के बीच में गया और उनके दोनों पैर फैला दिया| जिससे उनके चुत के दोनों फांक अलग हो गए और मुझे चुत के अंदर का गुलाबी वाला भाग नजर आने लगा|

मैंने अपने होंठ मां की चुत से सटा दिया| मां के मुंह से ना चाहते हुए भी सिसकारी निकल आई " स्सिसस्स ..."| अब मैं मां की चुत चूसने लगा और मां आंखों को बंद किए हुए हैं अपने दोनों हाथों से बिस्तर को पकड़ कर भींच रखा था| जैसे-जैसे मैं मां की चुत को चाटता गया मां अपने पैरों को और खोलती चली गई| अब मैं चुत के अंदर जीभ डाल डाल के उनकी चुत की चुदाई करने लगा|
नीचे से मा अपने गांड को ऊपर उठा कर एरा साथ दे रही थी ।

मां से कहा" शकुंतला, मैं अब तुम्हारे चुत की चुदाई करने जा रहा हूं , लण्ड में तुम्हें सुबह नाश्ते के समय चुसाउँगा "

मेरे मुंह से अपना नाम सुनते ही मां चौक गई जो उनके चेहरे के भाव से साफ दिख रहा था | मैं फिर से मां के पैरों के बीच में आकर बैठ गया और ना मोटा लण्ड उनके चुत पर रगड़ने लगा| उनकी चुत पहले से ही गीली हो चुकी थी|

माँ के चहरे पर उनकी कामुकता साफ़ नजर आ रही थी । पर वह फिर भी अपने सिसकारियां को दबा रहे थे मैं उनकी आवाज बाहर निकालना चाहता था इसीलिए मैंने उनके चुत के मुंह पर लण्ड का दबाव बढ़ाया और मेरा सुपाड़ा उनके चुत में घुस गया| मैं तो सातवें आसमान पर था फिर मैंने अपना लण्ड चुत से बाहर निकाला और एक जोरदार झटका मारा जिसके कारण मां के मुंह से से चीख निकल गई "आह्ह्ह्हह्ह "| मेरा लण्ड 4 इंच तक चुत में घुस गया था अभी भी 3 इंच चुत के बाहर था |
मैंने अगले ही पल अपना लण्ड बाहर खींचा और फिर जोर से शॉट लगाया|
इस बार चीख के साथ मां पूरी तरह से कांप गई थी| पर इसके बाद मैं नहीं रुका और इसी स्टाइल में उनकी चुदाई करता रहा| 20 मिनट चुदाई करने के बाद मैंने नोटिस किया कि मैं भी नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर चुदाई में मेरा पूरा साथ दे रही है|

और उसके बाद वह झड़ गई पर मेरा पानी अभी निकला नहीं था | मुझे उनकी गांड मारने का बहुत मन कर रहा था|
इसलिए मैंने अपना लण्ड की चुत से बाहर निकाला और मां को पलट दिया और उनके पेट के नीचे दो तकिया रख दीया जिससे उनकी गांड ऊंची उठ गई | मैं अलमारी से नारियल का तेल लेकर आया और मां की गांड की दरार में मैं तेल गिराने लगा जो ऊपर से बहते हुए उनकी गांड की छेद की तरफ जा रही थी| फिर मैंने उंगली से वह तेल की बूंदे मां की गांड के छेद में डालने लगा तेल की चिकनाई के कारण मेरी उंगली आसानी से उनकी गांड में घुस गई |फिर मैं आराम से उंगली गांड के अंदर बाहर करने लगा |

अब मैंने बहुत सारा तेल अपने लण्ड पर लगाया और अपना लण्ड उनकी गांड के छेद में दबा दिया|
तेल की चिकनाई के कारण मेरा सुपाड़ा आसानी से उनकी गांड में घुस गया| मां की गांड बहुत ही टाइट थी जैसे कि मैंने आपको बताया है मेरा लण्ड पीछे की तरफ से और मोटा है मुझे ताकत लगानी पड़ रही थी लण्ड घुसाने में| मैंने बहुत सारा तेल उड़ेल दिया मेरे लण्ड और मां की गांड के ऊपर और फिर धीरे-धीरे उनके ठुकाई करने लगा, लगभग 5 मिनट की मेहनत के बाद मेरा पूरा लण्ड उनकी गांड के अंदर घुस चुका था|
धीरे-धीरे मैंने अपनी स्पीड बढ़ा ली और उनकी गांड की चुदाई करने लगा| 15 मिनट चुदाई करने के बाद मेरा पानी निकलने वाला था|

तभी मैंने अपना लण्ड उनकी गांड से बाहर निकाला और मां को पलट दिया और तकिया हटा दी| अब मां पीठ के बल लेटी थी| मैं उनके सिर के पास गया और अपना लण्ड उनके मुंह से सटाकर बोला " मां मैं झड़ने वाला हूं अपना मुंह खोलो"

पर मां तो बेहोशी का नाटक कर रही थी इसलिए उन्होंने अपना मुंह नहीं खोला|
मैं फिर से बोला " मां मुझे पता है तुम जाग रही हो, चलो जल्दी अपना मुंह खोलो"
मेरे ऐसा कहने से पता नहीं क्यों मा ने अपना मुंह खोल दिया और मैंने अपना लण्ड उनके मुंह में घुसा दिया और जोर जोर से अपने लण्ड को हिलाने लगा फिर मेरे लण्ड ने वीर्य की पिचकारी शुरू कर दी जो सीधा मां के मुंह के अंदर गई |जब मैं पूरी तरह झड़ गया तब मैंने मां का चेहरा देखा उनकी आंखें खुली हुई थी वह मुझे देख रही थी और मेरा लण्ड अभी भी उनके मुंह में ही था|

कहानी अभी बाकी है
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-10-2021, 12:06 PM

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