मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-10-2021, 12:06 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मैंने उन्हें कहा आपके मुँह से गालिया सुनना बहुत अच्छा लग रहा है । उन्होंने कहा गाली देकर सेक्स करने में बहुत मजा आता है ।

जब मैंने घडी की तरफ देखा तो रात के १ बज रहे थे ।
मैंने माँ से कहा " माँ चलो अब सो जाते है बहुत रात हो गयी है "

माँ "ठीक है, मेरी पेंटी और ब्रा कहा है "
मैंने कहा "ऐसे ही सो जाओ माँ सुबह दूसरी पहन लेना ।"

माँ ने कुछ नहीं कहा सिर्फ मेरी तरफ देखकर नॉटी वाली स्माइल दी । फिर हम दोनों नंगे ही सो गए एक दूसरे से चिपक कर । सुबह मेरी नींद ९ बजे खुली जब मैंने बेड पर देखा तो सिर्फ मै नंगे था और माँ नहीं थी रूम में । मै नंगे ही उठ कर सीधा किचन में गया । वहा माँ नाश्ता बना रही थी । माँ सुबह नाहा धोकर नयी साड़ी पहनी थी । मै जाकर उनसे चिपक गया और बोलै " माँ कपडे क्यों पहन लिए"
माँ बोली " तो फिर क्या मै नंगे रहु घर में "
मै " और नहीं तो क्या , जब तक मै रहुगा हम दोनों घर में नंगे ही रहेंगे "
तभी दूर बेल बजी ।
मैंने गुस्से में कहा " कौन कम्बख्त आ गया इतनी सुबह अपनी गांड मरवाने "
माँ हँसने लगी और बोली " इसलिए कपडे पहनना जरुरी है "
मै तुरंत अपने कमरे में जाकर कपडे पहनने लगा और माँ ने जाकर दरवाजा खोला ।
जब मै हाल में आया तो देखा की पड़ोस वाली सुधा आंटी आयी हुई है ।
मैंने उनका हाल चाल पूछा । तभी माँ ने मुझे आवाज लगाईं में कीचन में चला गया ।
हां दोस्तों मैं उनका इंट्रोडक्शन दे देता हु ।
सुधा आंटी उम्र 40 साल, चुत्तड़ की गोलाई ३८ और चूची नाप ३६ । उनका पति मेरे पिताजी के साथ काम करते थे । उनके और हमारे बीच में परिवार जैसा रिलेशन था ।
मै माँ से " ये आयी है गांड मरवाने , इनकी गांड मारने में तो बहुत मजा आएगा "
माँ " हट बदमाश कही का, हमेशा चुदाई ही दिखती है " और मेरे गाल पर एक प्यार वाली चपत लगा दी
फिर माँ ने मुझे नाश्ते की ट्रे पकड़ाई और खुद चाय का ट्रे लेकर हाल में आने लगी ।
हम हाल में बैठकर चाय पीते हुए बात करने लगे ।
सुधा " नीरज तुम्हारी जॉब कैसे चल रही है "
मै " अच्छी चल रही है"
सकुन्तला (मेरी माँ)" क्या अच्छी चल रही है हमेशा घर से दूर ही रहता है "
सुधा " दीदी ,इतनी अच्छी नौकरी नसीबवालों को मिलती है।अपना बेटा पढ़ने में इतनी मेहनत किया तभी उसे मिली है "
मै " थैंक यू आंटी "
सुधा" बेटा , तुमसे एक बात करनी थी । वो राजीव सर है ना जो निर्मला को टूशन पढ़ाते थे, उनके दादाजी की डेथ हो गयी है और वो गांव चले गए है। तू घर पर ही है, अगर एकाध घंटे पढ़ा सकता है निर्मला को तो अच्छा रहता "
निर्मला , उनकी एकलौती बेटी जो १० क्लास में पढ़ती थी और उसके बोर्ड के एग्जाम है । पढ़ने में वो बहुत ही कमजोर है उसके पढाई के लिए पर्सनल टुटर भी रखा है पर फिर भी वो जैसे तैसे पास होती है ।
और हां राजीव मेरे स्कूल का क्लासमात था जो १२ के बाद बीएससी करने चला गया (और मै इंजीनियरिंग )वही निर्मला को टूशन पढ़ा रहा था ।
मुझे बिलकुल भी उसे पढ़ाने का मन नहीं था , क्युकी उसे पढ़ाने का मतलब है पत्थर पर सर फोड़ना ।
मै कुछ कहता उससे पहले ही सकुंतला(मेरी माँ) बोल उठी " पढ़ायेगा , जरूर पढ़ायेगा जितने दिन है एकाध घंटे पढ़ा लिया करेगा और करना ही क्या है इसे "
मै मन में " तुम्हारी गांड मारनी है और क्या करना है "
सुधा " ठीक है बेटा आज दोपहर को आ जाना पढ़ाने "
मै उदास मन से " ठीक है आंटी "
फिर वो चली गयी ।
उनके जाते ही मैंने माँ से कहा " तुमने उनको ये क्यों कह दिया मै निर्मला को पढ़ाऊंगा , तुम्हे पता है उसके अकल में भूसा भरा है उसे कुछ समझ में नहीं आता । उसे पढ़ाऊंगा तो मै पागल हो जाउगा "
तब माँ ने मुझे कहा " हमारे गांव में कहावत है गाय को काबू में करने के लिए उसके बछड़े ( गाय का बच्चा ) को प्यार करना पड़ता है "
मै " क्या मतलब "
माँ" तुझे अगर सुधा की गांड चाहिए तो तुझे निर्मला को पढ़ाना ही होगा " यह कहकर वो हसने लगी ।
उनकी कमीनेपन वाली बात सुनकर मेरे अंदर का भी कमीनापन जाग गया और मेरे चहरे पर भी मुस्कान दौड़ गयी ।
मैं दोपहर को आंटी के घर पर गया| मुझे हॉल में बिठाया अभी निर्मला भी स्कूल से आई और वह स्कूल यूनिफॉर्म में ही थी|
आंटी ने उससे कहा "बेटी आज से नीरज भैया तुझे बनाएंगे जब तक तुम्हारे राजीव सर वापस नहीं आ जाते हैं "
निर्मला ने कहा ठीक है मां मैं भी हाथ मुंह धोकर आई|
निर्मला सांवले रंग की दुबली पतली लड़की है|
फिर वह हाथ पैर धोकर स्कूल ड्रेस में ही मेरे पास आकर बैठ गई बोली "भैया, मेरा मैथ बहुत कमजोर है | आज आप मैथ स्टार्ट करो ना"
मैं मन में" पहले दिन मुझे पागल बनाई गई क्या"
मैं "मैथ की बुक ओपन करो"
आंटी "बेटा तुम लोग पढ़ाई करो मैं आराम करती हूं"
मैंने निर्मला को पढ़ाना शुरू किया| एक सिंपल सा लेसन स्टार्ट किया| जो उसे थोड़ा थोड़ा समझ में आने लगा| फिर मैंने उसे कुछ प्रॉब्लम दिया कॉल करने को और कहा "अगर गलती हुई तो मैं पिटाई भी करूंगा पर आंटी को बताना मत| नहीं तो मैं कल से तुम्हें नहीं पढ़ाऊंगा |"
उसने हां में सर हिलाया|
उसे मैंने पहले बहुत सिंपल प्रॉब्लम दिए थे, जिसे उसने सॉल्व कर लिया था|
मैंने उसका हल देख कर उसे शाबाशी दी और थोड़े हार्ड प्रॉब्लम उसको दिया|
इस बार वह उन्हें सॉल्व नहीं कर पाई| तो मैंने कहा अब तुम्हें मार पड़ेगी तो उसका मुंह लटक गया|
और उसने अपने दोनों हाथों में मुट्ठी बांध ली| मुझे पता चल गया की इसकी स्कूल में बहुत पिटाई होती है इसलिए वह अपने हाथ छुपा रही थी|
मैंने उससे कहा "लगता है, तुम्हारे हाथों में बहुत पिटाई हुई है"
निर्मला ने हां में सिर हिला दिया|
मैंने उससे कहा "मैं तुम्हें हाथों में नहीं दूसरी जगह मारूंगा"
निर्मला" दूसरी जगह मतलब"
मैं"तुम्हें पता है डॉक्टर हाथों में सुई लगाता है और जिन्हें वो हाथों में नहीं लगाता तो कहां लगाता है"
मैंने एक चाल चली थी देखना यह था इसमें निर्मल फसती है या नहीं|
उसने कुछ नहीं कहा|
मैं "समझी या नहीं"
उसने इस बार फिर से हां में सिर हिलाया|
मैं "तो कहां खड़ी है मार"
वह मेरे पास आकर झुक गई| मैं खुश हो गया आज कम से कम इसकी गांड थपड़ियाने का मौका मिला है| मेरे आज की ट्यूशन की फीस वसूल हो गई थी|
तभी मैंने सोचा अभी अच्छा मौका है इसके चुत और गांड के दर्शन कर सकते हैं|
मैंने उसे कहा" ऐसे नहीं निर्मला, चलो सोफे पर घोड़ी बन जाओ"
उसने वैसा ही किया| मैं उसके पीछे गया और उसकी स्कर्ट उठा दी| उसने पिंक कलर की फ्लावर वाली पैंटी पहनी थी|
निर्मला बोली "भैया, यह क्या कर रहे हो"
मैं" डॉक्टर क्या कपड़े के ऊपर से सुई लगाता है"
फिर उसने कुछ नहीं कहा और सर झुका कर घोड़ी बनी रही| उसका कोई विरोध ना पाकर मैं खुश हो गया| और मैंने उसकी पेंटी इश्क घुटनों तक पहुंचा दी अब उसकी गांड मेरे सामने नंगी थी | मुझे उसकी गांड का छेद और चुत दोनों नजर आ रहे थे| मेरा लण्ड खड़ा हो गया था
मैं उसकी गांड निहार ही रहा था तभी निर्मला बोली "भैया, मारियेना | कब तक झुकाकर रखेंगे|"
मैं मन में "जब मैं मारने लगूंगा तब आधे घंटे तक तुम्हें झुकेही रहना पड़ेगा उससे पहले मेरा पानी नहीं निकलेगा"
मैं निर्मला से "अरे, डंडा नहीं मिल रहा, किससे मारु"
निर्मला" हाथ से ही मार लीजिए ना, डंडा से अगली बार मारिए गा"
मै मन में बोला हाथ से नहीं लण्ड से मरूंगा आज तो |
मैं " अरे हाँ, मेरे पास तो डंडा है 7 इंच का"
"ऐसे ही झुकी रहो" फिर मैंने लोअर नीचे करके लण्ड निकाला और उसके चुत्तड़ो पर अपने लण्ड से मारने लगा | मेरा मन तो कर रहा था की अभी उसके गांड की छेड़ में लण्ड पेल दू। पर आंटी घर में थी। मुझे अपने आप पर कंट्रोल करना था ।
मुझे बहुत मजा आ रहा था| मैंने उसके चुत्तड़ के दोनों गोलाई पर अपने लण्ड से १०-१० बार मारा । मैंने अपना लण्ड फिर से लोवर में डाल लिया और उसे बोला "हो गयी पिटाई तुम्हारी ।"
वो मुस्कुराते हुवे बोली " भइया आपके डंडे में तो दम ही नहीं है , मुझे तो बिलकुल दर्द नहीं हुआ "
मै मन में " मेरी जान अगर सही जगह पर मरता मेरे डंडे से तो तुम ठीक से दो दिन तक चल नहीं पाती, तब तुम्हे पता चलता डंडे का दम "
मै सिर्फ मुस्कुरा कहा " चलो अच्छा है तुम्हे मेरे डंडे से डर नहीं लगता , पर अगर तुम गलती करोगी तो इसी डंडे से तुम्हे मरूंगा फिर से "
मैंने उसे थोड़ा और पढ़ाया फिर अपने घर आ गया ।
घर पर आने के बाद भी मुझे निर्मला की गांड ही नजर आ रही थी । मेरा लण्ड साला बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था ।
मुझे अपना पानी जल्दी निकालना था और वो भी गांड में । और मेरे पास मरने के लिए सिर्फ माँ की ही गांड थी ।
रात का खाना खाने के बाद मैंने माँ से कहा " माँ जल्दी काम ख़तम करके नंगे ही बेडरूम में आओ अपना राउंड शुरू करना है "
माँ " बड़ा बेसब्र हो रहा है तू "
मैंने उनकी बात का बिना जवाब दिए बैडरूम में चला गया । मैं अपने कपडे निकाल कर नंगा हो गया और नारियल का तेल लेकर लण्ड पर लगाने लगा और लण्ड को हिलाने लगा ।
जब माँ कमरे में आयी तो वो पूरी नंगी ही थी । जैसा मैंने उनसे कहा था वैसे ही थी ।
मेरी ऐसे उतावलेपन को देखर वो बोली " क्या हो गया है तुझे लण्ड पर तेल लगाकर बैठा है , क्या करने का इरादा है ।
"माँ अभी तो तुम्हारी गांड मारनी है जल्दी से घोड़ी बन जाओ ।"
माँ बिस्तर पर आयी और घोड़ी बन गयी ।
मै उनके पीछे गया और उनके गांड के चीड़ में नारियल का तेल लगाया फिर अपना लण्ड उनके टाइट गांड के छेद में रखकर एक जोरदार का शॉट लगाया और पूरा लण्ड सरसराता हुआ जड़ तक उनकी गांड में घुसा दिया।
माँ के मुँह से चीख निकल आयी " आआह्ह्ह्हह.......... मार.......... डाला रे ..........गांड फाड़ दी रे "
"आराम से कर.......... माधरचोद , मै कही भागी थोड़े जा रही हु ........आआह्ह्ह्हह "
मैंने उनकी बात सुनकर अनसुनी कर di और तेज -तेज धक्के लगाने लगा ।
" हरामजादे.......... आआह्ह्ह्हह.......... मेरी गांड फाड़ डालेगा क्या "
मै " हाँ रंडी आज तेरी गांड फाड़ डालूंगा "
पहली बार मैंने माँ को गाली दी थी पर वो गुस्सा नहीं हुई बल्कि मुझे और गालिया देने लगी ।
"भड़वे , बहनचोद कल भी इतनी बेदर्दी से नहीं चोदा था जितनी बेदर्दी से आज चोद रहा है "
उनकी गांड बहुत ही टाइट थी, मुझे मजा आ रहा था । मै ये सोचने लगा की माँ की गांड इतनी टाइट है तो निर्मला की कितनी टाइट होगी। निर्मला की गांड का ख्याल एते ही मेरा जोश और बढ़ा गया और मै बहुत तेज झटके मारने लगा । मै माँ के कमर को पकड़कर पूरा लण्ड निकलता फिर एक ही बार में जड़ तक घुसा देता।
मेरे झटको साथ माँ पूरा हिल जा रही थी और उसकी आहे निकलने लगती थी ।
माँ मुझे गालिया दे रही थी " कमीने.......... माधरचोद.......... जंगली बन गया है क्या "
"बहनचोद......आआह्ह्ह्हह...... जानवर बन गया है............आआह्ह्ह्हह......... तू .........आआह्ह्ह्हह................. आराम से.......... पेल......आआह्ह्ह्हह "
मै निर्मला के ख्यालो में माँ की गांड का भुर्ता बना रहा था ।
करीब 30 मिनट की चुदाई के बाद मै झाड़ गया ।
मैंने 2-3 झटके और मारकर पूरा माल माँ की गांड में ही निकाल दिया ।
फिर मैंने अपना लण्ड माँ की गांड से निकाला उनकी गांड के छेद से वीर्य की धार बहने लगी जो उनके चुत तसे होते हुवे बिस्तर पर गिरने लगा ।
मैंने जैसे उनके कमर को छोड़ा वो बिस्तर पर लुढ़क गयी पेट के बल । मै उनके बगल में जाकर लेट गया ।
माँ मेरी तरफ देखकर बोली " मजा आया बेटा "
मैंने कहा "हां, और आपको "
माँ " मुझे भी बहुत मजा आया , तूने आज मेरी हालत ख़राब कर दी पर उसी में ज्यादा मजा आता है"
मैं फिर निर्मला के गांड के बारे में सोचने लगा की कैसे उसकी गांड ली जाए क्युकी अंकल तो जॉब पर चले जाते है पर आंटी तो उस समय घर पर ही रहती है ।
फिर मेरे शैतानी दिमाग में आईडिया आया । क्यों ना माँ की हेल्प ली जाए इसमें ।
मै " माँ , तुम मेरी हेल्प करोगी सुधा आंटी की लेने में "
माँ" कैसी मदद चाहिए तुझे "
मै उन्हें अपना प्लान बताया ।
मैंने कहा की आप उन्हें अपने साथ बैठाकर सेक्स की बाते करके उत्तेजित करो
और उन्हें मेरे लण्ड के साइज के बारे में भी बता दो उन्हें कह देना की तुमने सोते टाइम मेरा लण्ड देख लिया था और कितना बड़ा और मोटा है ।
माँ " समझ गयी, ये तो मै बड़े आराम से कर लुंगी । "
"लेकिन ये सब तेरे सामने कैसे बात करुँगी"
मै " मै जब निर्मला को पढ़ाने जाओ तो आप उन्हें यहाँ बुला लो किसी बहाने फिर आप अपना काम करना और मै अपना ।
माँ " तु कौनसा काम करेगा "
मै " बछड़ी (गाय की बच्ची ) को प्यार करना पड़ेगा ना गाय को काबू में करने के लिए "
माँ हसने लगी ।
फिर मैंने कहा " जब आपको लगे वो मुझसे चुद जाएगी तो मै बिमारी का बहना बना कर घर पर रूक जाऊंगा और आप उन्हें मेरा ख्याल रखने के लिए बोलकर दीदी के यहाँ चले जाना। फिर मै उन्हें पेल दूंगा "
माँ ने कहा " तेर कमीने दिम्माग ने बहुत बढ़िया प्लान बनाया है "
मै मन में " मेरा पूरा प्लान सफल होगा तब तुम कहोगी की मैंने एक तीर से दो निशाने लगा दिए "
मै माँ से " थैंक यू माँ "
मै "चलो अब सो जाते है कल बहुत काम है हमें ।"

दूसरे दिन सुबह मैं उठ कर नहा धोकर तैयार हो गया| मेरे दिमाग में बहुत सारे आईडिया आ रहे थे कि कैसे निर्मला की गांड ली जाए| दोपहर होने का इंतजार करने लगा|
जैसे ही निर्मला के स्कूल से आने का समय हुआ| मैंने मां से कहा "मैं सुधा आंटी के घर जाता हूं और उन्हें आपके पास भेज देता हूं"
मां "ठीक है"
जाने से पहले मैंने मां को एक 5 मिनट का लिप किस दिया| और उन्हें बेस्ट ऑफ लक बोल कर सुधा आंटी के घर चला गया|
सुधा आंटी के घर|
जब मैंने बेल बजाया तो निर्मला ने दरवाजा खोला| आज भी निर्मला स्कूल ड्रेस में थी| उसे देख कर मैंने उसे स्माइल दी और उसके उत्तर में उसने भी मुझे स्माइल दिया|
फिर मैंने उससे पूछा "आंटी कहां है"
निर्मला "किचन में"
मैं" आंटी को मम्मी ने बुलाया है"
निर्मला "क्या काम है"
मैं "पता नहीं, औरतों की बातें" और मैंने उसे आंख मार दी|
निर्मला मुस्कुरा दी |
फिर उसने सुधा आंटी को आवाज लगाया "मम्मी, भैया आए हैं और आपको आंटी बुला रही हैं"
और उसने मुझे हॉल में बिठा दिया|
आज निर्मला को सर्दी जुकाम हो गई थी| मैं मन में उदास हो गया इसकी तबीयत सही नहीं है आज तो कुछ कर ही नहीं पाएंगे|
तब तक सुधा आंटी आई और उन्होंने मुझसे पूछा " क्या हुआ बेटा दीदी क्यों बुला रही है"
मैंने कहा "पता नहीं आंटी वही जाने"
सुधा ने कहा" ठीक है, मैं मिलकर आती हूं"
सुधा आंटी निर्मला से " एक काम करना शहद ले ले तुझे आराम मिलेगा"
फिर आंटी चली गई|
निर्मला" भैया, आप बैठो में शहद खाकर आती हूं"
शहद के बारे में सोचते ही मेरे दिमाग में एक और आईडी आया| मैंने निर्मला से कहा" शहद को खाने से ज्यादा उसका लेप लगाने से फायदा मिलता है"
निर्मला आश्चर्य से "लेप लगाने से"
मैं" हां, तुम शहर लेकर आओ मैं बताता हूं"
किचन में गई और शहद लेकर वापस हॉल में आई| फिर मैंने उसे कहा" देखो अगर तुम शहद को खाया तो वह सीधा पेट में जाएगा, फिर वहां से वह धीरे धीरे अपना असर दिखाएगा और तुम्हारा सर्दी जुखाम कई दिनों में ठीक होगा"
वह मेरी बातों को बड़े ध्यान से सुन रही थी|
मैं आगे कहता है गया" इसलिए अगर तुम शहद को मुंह और गले में ही रखो तो वह ज्यादा असर करेगा, क्योंकि मुंह और गले का कनेक्शन नाक से है और शायद तुम्हारी सर्दी 2 दिन में ठीक हो जाए, "
मैंने निर्मला की तरफ देखा उसको मेरी बातों पर विश्वास हो गया था और मैं खुश हो रहा था चलो स्टार्टिंग तो हो जाएगी आज|
निर्मला " ऐसी बात है भैया"
मै" हां लेकिन याद रहे शहद खाना नहीं है मुंह और गले में सिर्फ लगाना है"
निर्मला" वह कैसे लगाऊं भैया"
मैंने कहा" ला मैं तेरी हेल्प कर देता हूं"
निर्मला" ठीक है भैया"
मैंने शहद का बोतल खोली अपनी एक उंगली उसने डुबो दी|
मैं निर्मला से " चलो मुंह खोलो"
उसने मुंह खोला और मैं उंगली उसके मुंह में डाल के शहद को उसके मुंह के अंदर लगाने लगा| जब मैंने उंगली पूरी तरह से उसके मुंह में चारों तरफ घुमा ली तो मैंने उसे कहा "मुंह में लग गया| अब गले में लगाना बाकी है|"
मेरे बात का जवाब देने के लिए उसने अपने मुंह का थूक गटक लिया और कहा "गले में कैसे लगाओगे"
मैंने कहा" गलती कर दी ना, जितना भी शहर लगा था सब पी गई"
निर्मला " सॉरी भैया"
निर्मला " आप फिर से लगा दीजिए"
मैं "नहीं, मुझसे बात करने के लिए शहद पूरा निकल जाओगी "
निर्मला " ठीक है भैया अब मैं नहीं बोलूंगी जब तक आप मुझे नहीं बोलेंगे तब तक, प्लीज"
मैं " वह सब तो ठीक है लेकिन मेरी उंगली तुम्हारे गले तक नहीं जा पाएगी, वहां पर कैसे लगाएं"
निर्मला " टूथब्रश यूज कर सकते हैं"
मैं " बेवकूफ, वह हार्ड होता है अगर गले में चुभ गया तो प्रॉब्लम हो जाएगी, कोई नरम सी चीज
डालनी पड़ेगी जो उंगली जैसी हो"
निर्मला " अब इतनी बड़ी उंगली किसकी है "
मैं " मुझे क्या पता"
निर्मला " इसका मतलब आप मेरी हेल्प नहीं करेंगे"
मैं " मैं कर सकता हूं, पर तुम बुरा मान जाओगी और अगर तुमने किसी और को यह बात बताई तो सब मुझे गलत समझेंगे, जाने दो"
निर्मला " भैया आप बताइए तो सही, मैं बुरा नहीं मानूंगी"
मैं " और किसी को बताओगी"
निर्मला " मैं कसम खाती हूं भैया मैं किसी को नहीं बताऊंगी"
मैं " मेरे पास एक लंबी चीज है उंगली जैसी"
निर्मला " यह तो अच्छी बात है भैया अपनी प्रॉब्लम सॉल्व"
मैं " पर यही तो प्रॉब्लम है"
निर्मला " क्या, मैं समझी नहीं"
मैं " मेरे पास जो चीज है उसे तो मुंह में नहीं लोगी"
निर्मला " क्यों भैया, गंदी है क्या, क्या उसे मुंह में नहीं ले सकते हैं"
मैं " गंदी नहीं है, लेकिन लोग उसे गंदी समझते हैं| और हां मुंह में तो ले सकते हैं"
निर्मला " तुम्हें भी ले लूंगी, आप सिर्फ शहद लगाइए, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है"
मैं " प्रॉमिस"
निर्मला " पक्का प्रॉमिस"
मैं " ठीक है उस चीज को देख लो शायद तुम अपना प्रॉमिस तोड़ दो"
निर्मला " निर्मला और प्रॉमिस तोड़े यह हो नहीं सकता"
मैं " गुड कॉन्फिडेंस"
फिर मैंने अपना लोअर नीचे करके मुरझाया लण्ड उसके सामने दिखा दिया "यह है वह चीज"
निर्मला मैं शरमा कर सर नीचे झुका दिया|
मैं" लगता है तुम्हारा कॉन्फिडेंस गिर गया, चलो जाने दो भूल जाओ तुम्हारा प्रॉमिस"
निर्मला" नहीं भैया मैं प्रॉमिस नहीं तोड़ सकती, पर आपका यह तो छोटा है मेरे गले तक नहीं जाएगा"
मैं" मेरे पास जादू है तुम्हारे मुंह में लगाते लगाते हैं इसे तुम्हारे गले तक जाने जितना बड़ा कर दूंगा"
निर्मला" लेकिन इससे गले में चुभेगा तो नहीं ना|"
मैं" इसे पकड़ कर देख लो कितना नरम है|
उसने मेरे लण्ड को अपने कोमल हाथों से पकड़ा तो मेरा लण्ड धीरे धीरे बड़ा होने लगा|
वो बोली "भैया, तो बड़ा हो रहा है"
मैं"मैंने कहा था ना यह इतना बड़ा हो जाएगा तुम्हारे गले तक चला जाएगा"
"चलो नीचे घुटनों के बल बैठ जाओ और मुंह खोलो मैं तुम्हें अच्छे से शहद लगा दू |"
" और हां याद रहे अब तुम्हें कुछ नहीं बोलना है जब तक अच्छे से शहर लग ना जाए और वह अपना असर दिखाना शुरू ना कर दे"
"ठीक है"
निर्मला"ठीक है, भैया"
मैं" हां और एक बात, मैं सोच रहा था की शहद लगाने के साथ साथ तुम्हारे गले की अंदर से मालिश भी कर दू, तुम्हें जल्दी आराम मिलेगा"
निर्मला"ठीक है, भैया"
मैं" आखरी बात, मुंह में लगा हुआ शहद बाहर मत आने देना बल्कि उसे पी जाना"
निर्मला"ठीक है, भैया"
मैं" ठीक है अब रेडी हो"
निर्मला" हां, भैया"
मैं" अब तुम्हें कुछ नहीं बोलना है याद है ना"
इस बार निर्मला ने हां में सिर हिलाया और अपना मुंह खोल दिया|
मैं शहद की बोतल लेकर उसके पास गया शहद में लण्ड का डूबा कर निकाला और सीधा निर्मला के मुंह में दे दिया|
निर्मला के मुंह में लण्ड को मैं घुमाने लगा जैसे शहद को मुंह के अंदर सब जगह लगा रहा हूं| ऐसा करते करते मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया|
फिर मैंने सुधा से कहा" शहद तो लग गया थोड़ी मुंह की मालिश कर दू |
उसने फिर से हां में सिर हिलाया|
फिर मैं धीरे धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करके उसके मुंह में धक्के मारने लगा|
उसके मुंह में 3 इंच तक लण्ड आसानी से जा रहा था| करीब 20 मिनट तक मैंने उसके मुंह को ऐसे ही चोदा प्यार से |
उसके बाद मैंने अपना लण्ड उसके मुंह से बाहर निकाला और उसे अपना 7 इंच का लण्ड दिखाया|
और निर्मला से कहा " देखा कितना बड़ा हो गया है अभी तुम्हारी गले क्या, गले के नीचे भी जा सकता है"
निर्मला ने हां में अपना सिर हिलाया| वह मेरे पूरे बात को मान रही थी जैसे अभी वह बिल्कुल चुप थी|
मैंने उससे कहा " चलो अब शहद तुम्हारे गले में लगाने और गले की मालिश करने की बारी है"
मैं पोजिशन चेंज करना चाहता था | मैंने नहीं मिला से कहा तुम सोफे पर पीठ के बल लेट जाओ और तुम्हारा सर सोफे के किनारे से नीचे झूलना चाहिए|
उठ कर सोफे पर लेट गई और अपने सर को सोफे के किनारे से बाहर रखा जिससे उसका सर हवा में झूल रहा था|
मैंने फिर से अपने लण्ड को शहद में डुबाया और निर्मला को कहा " अपना मुंह खोलो"
उसने मेरी आज्ञा का पालन किया और अपना मुंह खोल दिया| मैंने शहद से भीगे हुए लण्ड को उसके मुंह में पेल दिया| मेरा मन किया कि अभी उसके सर को पकड़ कर पूरा लण्ड पेल दूं| पर मुझे वह कहानी याद आई लालच का फल बुरा होता है|
"इसलिए मैंने उसे कहा निर्मला मेरा डंडा थोड़ा मोटा है अंदर जाएगा तो शायद तुम्हें परेशानी हो अगर तुम्हें ज्यादा परेशानी हो तो मुझे बता देना हम रुक जाएंगे| लेकिन थोड़ी परेशानी होगी उससे तुम्हें ही फायदा है तुम्हारे गले की अच्छे से मालिश हो जाएगी| और इससे यह भी पता चलेगा की तुम में सहने की कितनी ताकत है"
मैंने उसके ईगो को जगा दिया था| अब तो किसी भी कीमत पर उसे अपनी ताकत दिखानी थी|
मैंने उससे पूछा" मैं करूं"
उसने हां में अपना सिर हिलाया| और मेरे चेहरे पर विजयी मुस्कान दौड़ पड़ी|
मैंने कहा"ओके"
और उसके सर को पकड़ के लण्ड उसके मुंह के अंदर पेल दिया| मेरा लण्ड उसके गले तक पहुंच गया था वह पूरी तरह से हिल गई| मैंने लण्ड को पीछे की लेकिन सुपाडे को निर्मला के मुंह में ही रहने दिया|
मैंने कहा "लगता है तुमसे नहीं हो पाएगा" ऐसा है क्या मैंने उसके इगो को और बढ़ा दिया| फिर मैंने पूछा "हम रुक जाए"
पहली बार उसने ना में सिर हिलाया था जो मेरी योजना को सफल बना रहा था|
अब फिर से मैंने उसका सर पकड़ कर लण्ड अंदर पेल दिया तुरंत बाहर निकाला पर इस तरह सुपाडा उसके मुंह में ही रहे| और फिर दूसरा शॉट लगाया और बाहर निकाला| मैं ऐसे ही उसके मुंह की चुदाई करने लगा| मेरे हर झटके से उछल रही थी| मैंने इसी तरह तकरीबन 20 मिनट उसके मुंह की पिलाई की|
जैसा कि आप लोग मुझे जानते हैं जब तक मैं अपना पूरा लण्ड मुंह, चुत या गांड में नहीं घुसा लेता मुझे चैन नहीं मिलता |
पर मुझे डर था अगर मैंने पूरा मुंह में निर्मला कर दिया तो अगली बार से यह मुझे कुछ करने नहीं देगी| फिर भी मैंने एक ट्राई किया |
मैंने धक्के लगाने बंद किए| और निर्मला से कहा" तुम सच में बहुत बहादुर हो, और तुम्हारी सहनशक्ति भी बहुत है"

निर्मला के चेहरे पर जीत की चमक आ गई|
मैं अब तक समझ चुका था कि उसके अहंकार को चोट करो यह मेरा पूरा लण्ड भी ले लेगी| इसलिए मैंने उसे कहा " लेकिन पता नहीं तुम्हें इसे पूरा लेने की ताकत है या नहीं" मैंने अपने लण्ड की तरफ इशारा करके कहा |
हां दोस्तों मेरा लण्ड अभी भी उसके मुंह में था, मैंने धक्के देने बंद किए थे लेकिन लण्ड को उसके मुंह से निकाला नहीं था| इसलिए वह कुछ कह नहीं सकती थी| सिर्फ इशारों में बातें हो सकती थी|
उसने हाथों से इशारा किया जिसे हम अंग्रेजी में कहते हैं थम्स अप | उसके अहंकार को और हिलाने के लिए मैंने कहा" मतलब नहीं ले पाओगी"
निर्मला ने तुरंत ना में सिर हिलाया| जैसे वह मुझे चुनौती दे रही हो उससे भी बड़ा लण्ड हो तो उसे भी मुंह में ले लेगी|
मैंने कहा "चलो देखते हैं फिर"
ऐसा कहकर मैंने उसके सर को पकड़ कर पूरी ताकत से अपने लण्ड पर दबाया और लण्ड को भी उसके मुंह में कोई ताकत से घुसा दिया| मेरी ताकत का नतीजा सामने था, मेरा लण्ड निर्मला के गले के नीचे उतर गया था|
मैं अपनी जीत पर बहुत खुश हुआ पर इससे निर्मला की हालत बहुत खराब हो गई| मैंने तुरंत अपना
लण्ड बाहर निकाला| निर्मला लंबी लंबी सांस लेने लगी| मैंने फिर से उसे मुंह खोलने का इशारा किया और कहा" वेल डन, मान गए तुम्हें| चलो अब सिर्फ मालिश करेंगे"
और फिर उसके मुंह की चुदाई शुरू कर दी| करीब 1 घंटे से हमारा यह खेल चल रहा था अब मैं झड़ने वाला था|
मैंने निर्मला को याद दिलाया" याद है ना मुंह का शायद बाहर नहीं आना चाहिए|"
निर्मला ने हा में सर हिलाया |
मैंने उसे और कहा" अभी मेरा यह क्रीम निकालेगा, वह बहुत ही पौष्टिक होता है| इसलिए उसे पूरा पि जाना|"
निर्मला ने हा में सर हिलाया | मैंने उसके मुंह में धक्के तेज कर दिया और फिर अपना पूरा माल उसके मुंह में छोड़ दिया| जिसे वह पी गई|
मैं उठा और अपने लण्ड को लोवर में डाला | और उसे उठने का इशारा किया| वह भी उठी और अपने कपड़े ठीक किया और मेरे सामने बैठ गई|
मैंने उससे कहा" 1 घंटे हो गए हैं अब तुम बोल सकती हो"
उसने कहा" भैया मेरी तो हालत खराब हो गई थी"
मैं उसे प्रोत्साहित करते हुए" तुम्हें देख कर मुझे लगा नहीं था कि तुम्हारे में इतनी शक्ति है| मुझे तो अभी भी विश्वास नहीं हो रहा 7 इंच तक मुंह के अंदर ले लिया था"
तो उसने अपना हाथ गले के नीचे रख कर कहा यहां तक आ गया था|
फिर मैंने उससे पूछा" इस बारे में तो किसी को को होगी"
निर्मला ने कहा " निर्मला का प्रॉमिस मतलब पक्का प्रॉमिस"
मैंने कहा "ठीक है" तुम्हें आराम करने की जरूरत है|
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-10-2021, 12:06 PM

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