मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-11-2021, 12:26 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
भाई बहन की दोस्ती या वासना--1

मेरा नाम अदिती है और मै चन्डीगढ की रहने वाली हूं.आज मै आप को अपनी फ़ैमली की एक ऐसी काहानी बताने जा रही हूं जो मैने अबतक किसी से भी शेयर नही करी है. इस काहानी मे कुछ भी झूट नही है हर बात सच सच है लेकिन सिर्फ़ नाम बदल दिये हैं मैने. मै एक मिडल क्लास फ़ैमली से हूं. हमारी फ़ैमली एक बडी फ़ैमली है. मेरे दो भाई और एक बैहन हैं. सब से बडा भाई सुनील २५ साल फिर समीर २२ साल फिर मै २० साल और सबसे छोटी कल्पना १७ साल की है. मेरे पिताजी की एक ट्रांसपोर्ट कम्पनी है. मा ग्रिहणी हैं. बडा भाई शादी शुदा है और वो भी पिताजी के साथ काम करता है. हम सब साथ ही रहते हैं. बाकी बहन भाई शादी शुदा नही हैं. मै और समीर घर मे सब से अच्छे दोस्त हैं. हमारी सिटी मे शायद ही किसी बहन भाई मे इतनी दोस्ती हो जितनी के मेरी और समीर की है. मैने कभी भी ये सोचा ना था के मै ऐसा भी कर बैठूंगी. पता नही समीर के दिमाग मै ऐसी बातें कब से आ गयी थीं. अक्सर हम रात को देर रात तक बातें करते रहते थे. एक रात हम बातें करते करते टीवी भी देख रहे थे और हमारी बातों का टॊपिक लव मैरिज था. उस का कैहना था के शादी हमेशा मा बाप की मरज़ी से करनी चाहिये और मै लव मैरिज को वोट कर रही थी. क्यों के मुझे एक लडके से प्यार था लेकिन समीर को इस बात का पता नही था.. उस रात जब मैने लव मैरिज को इतना वोट किया तो अचानक समीर ने मुझसे एक सवाल किया जिसके लिये मै तय्यार नही थी. उसने काहा: अदिती एक बात तो बताओ. क्या तुम्हे किसी लडके मे इन्टरस्ट है? मेरा मतलब क्या तुम किसी से प्यार करती हो? मै अचानक इस सवाल को सुन कर चुप हो गयी. वो फिर बोला: बताओ तो सही........ .इस मे कोई बुराई तो नही. सब को हो जाता है. हो सकता है तुम को भी हो गया हो, मुझ से शेयर कर लोगी तो शायद मै तुम्हारी मदद कर सकूं. ये सुन कर मेरा कुछ हौसला बढ गया. और मैने सिर्फ़ सर हिला कर उसे हां काहा. वो बोला: कौन है वो? मैने उसे बता दिया के मै अपनी क्लास के लडके रिशी को पसन्द करती हूं. कुछ देर बाद वो बोला: एक बात बताओ..... ......सच सच बताना. क्या तुम दोनो मे कुछ हुआ है? मै ये सवाल समझ नही सकी तो मैने पूछा: क्या मतलब? वो फिर बोला........ .....मेरा मतलब कोई ऐसी वैसी हर्कत की है उसके साथ? अब मै उस का मतलब समझ गयी और बोली : नही. वो कई बार कोशिश कर चुका है. पर मैने कभी भी उसे अपने को छूने नही दिया. वो बोला: वैसे मै जानता हूं उसके बारे में. काफ़ी लडकियां हैं उसके जाल मे तुम्हारी तरह. और बहुतों के साथ तो वो काफ़ी कुछ कर भी चुका है. मै बोली: क्या कर चुका है? वो कुछ देर चुप रहने के बाद बोला........ ...सेक्स कर चुका है और क्या. मै सुन कर हैरान रह गयी और फ़ोरन समीर से लडने वाले अन्दाज़ मे बोली: नही वो ऐसा नही है......... .....हां मुझसे वो ज़रूर छेड छाड करता है मगर उसका किसी और लडकी के साथ चक्कर नही है. वो बोला: अरे तुम चाहो तो मेरे दोस्त की बहन सिमरन से पूछ लेना. वो उसकी शिकार बन चुकी है. ये सुन कर मै बहुत परेशान हो गयी लेकिन मुझे अब भी इस बात का यकीन नही था. एक दो दिन बाद मुझे सिमरन मिली तो मैने उससे रिशी के बारे मे पूछा. सिमरन ने समीर की बात को कन्फ़र्म कर दिया के दो साल पहले रिशी ने उसे पटा के उसके साथ सेक्स किया था. मुझे बहुत बडा धक्का लगा और मैने रिशी से अपना रिशता तोड दिया. उस दिन मै घर आके सारा दिन रोती रही. रात को भी ठीक से नही सोई और रोती रही. अगले दिन सन्डे था. जब मै उठी तो ९ बज चुके थे पर मेरी आंखें अभी भी लाल थी. मा ने देख कर पूछा क्या हुआ अदिती तुम को? मै बोली कुछ नही मा बस रात को नीन्द ठीक से नही आई. वो ये सुन कर दांटने लगी : एक तो तुम दोनो बहन भाई पता नही रात को इतनी देर तक क्या बातें करते रहते हो. कभी जलदी भी सो जाया करो, बीमार हो जायेगी और वो तुम्हारा भाई भी. मै बोली: कुछ नही होता मा. और बाथरूम मे चली गयी. नाश्ता करते हुए मा ने बताया के आज रोहित का मुन्डन है और हम सब जा रहे हैं, नाशते के बाद तय्यार हो जाओ. (रोहित मेरी चाची का दो साल का लडका है) मेरा जाने का मूड नही था इसलिये बोली: मा मेरी तबीयत ठीक नही है. मै नही जाना चाहती. मा ये सुन कर गुस्से मे बोली: और जागो सारी सारी रात, लेकिन तुम घर मै अकेली क्या करोगी? समीर बोला: मा मै भी नही जाना चाह राहा. मै अदिती के पास रहता हूं आप लोग चले जाओ. नाशते के बाद सब लोग तय्यार होने लगे और करीब ११ बजे सब चले गये. अब घर में सिर्फ़ मै और समीर थे. वो टीवी देख राहा था और मै अपने कमरे में थी. कुछ देर बाद समीर मेरे कमरे में आया और बोला : कैसी हो अदिती तुम अब? मै: ठीक हूं समीर. समीर: नराज़ हो क्या मुझसे? मै: नही समीर ये कैसे सोच लिया तुमने? समीर: बात तो करती नही मुझसे तो फिर ऐसा ही सोचूंगा ना. मै: कुछ नही समीर तुम भी ना..... अच्छा चलो कोयी और बात करो. समीर: पहले हंस कर दिखाओ. इस बात पर मै फ़ोरन ही हंस पडी और उसने मुझे हंस्ता हुआ देख कर उसने अपने गले लगा लिया. उसने मुझे माथे पर किस भी किया. ऐसा पहले कभी नही किया था उसने. मुझे बहुत ही अच्छा लगा और मै और भी चिपक गयी उसके साथ. हम ऐसे ही कोई २ - ३ मिनट तक रहे. फिर मैने भाई से पूछा: समीर एक बात तो बताओ? समीर: क्या? मै: क्या सब लडके हम लडकियों के बारे मै ऐसा ही सोचते हैं? समीर: म्म्म्म्म हां ज़्यादा तर लडके ऐसा ही सोचते हैं आज कल. मै: क्या तुम भी ऐसा सोचते हो किसी के लिये? समीर: म्म्म्म्म्*म्म्म्म्म हां मै: किसके लिये? समीर: हो सकती है कोई भी तुम्हे इससे क्या मतलब? मै : नही....मुझे बताओ ना? समीर: छोडो इस बात को अब..........किस तरह की बातें कर रही हो तुम? मै: तुमने रात को ही काहा था के हम सब कुछ शेयर कर सकते हैं. अब क्यों छुपा रहे हो? समीर:देख लो. तुम जानती हो की मै काफ़ी बोल्ड हूं. अगर कुछ बोला तो किसी को बताना नही. मै: नही बताऊंगी.........अब बताओ ना? समीर: तो सुनो...........मै रीना के बारे मै ऐसा सोचता हूं. (रीना मेरी भाभी हैं) मै ये सुन कर हैरान हो गयी.....और उससे पीछे हट गयी. वो अब मुझे सिर्फ़ मुसकुराता हुआ देखता राहा. मेरी समझ मे नही आ राहा था के अब मै उससे क्या कहूं. फिर मै बोली: क्या मतलब है तुम्हारा? क्या तुम भाभी की बात कर रहे हो? समीर : हां..........उसी की बात कर राहा हूं.........और बात बताऊं तुमको? उसे भी ये पता है और उसे ये सुन कर खुशी हुई थी. अब तो मेरी हैरानगी की कोयी हद नही थी. मेरी समझ मे नही आ राहा था के वो क्या कह राहा है. फिर मै बोली: समीर तुम को पता है ना तुम क्या कह रहे हो? वो तुम्हारी भाभी हैं. कैसे सोच लिया तुमने उसके बारे में? समीर: भाभी हैं तो क्या हुआ. हैं तो एक लडकी ही ना आखिर. खुबसूरत हैं मुझे अच्छी लगती हैं और उसे मै भी अच्छा लगता हूं. इसमे बुराई क्या है? मै: एक बात बताओ...........किस किसम का रिशता है तुम्हारा और रीना भाभी का? समीर: वैसा ही जैसा होता है इस सूरत मे. मै: क्या मतलब.....कैसा होता है इस सूरत मे? समीर: प्यार भरा और क्या मै: क्या तुम उसके साथ कुछ कर तो नही बैठे? समीर: हां थोडा बहुत कर चुका हूं मै: हे भगवान..........भाभी के साथ? समीर तुम पागल तो नही हो गये? किस हद तक गये हो तुम उसके साथ? समीर: हां पागल कर दिया था उसने........मै क्या करता........और रही बात हद की, तो प्यार मे कोई हद नही होती मै: क्या मतलब? समीर: वही जो प्यार करने वाले करते हैं...........कुछ किसिंग.......कुछ हगिंन्ग ...............और कुछ वो भी. मै: वो भी......................? सच सच बताओ..................कहीं सेक्स तो नही क्या तुम ने? समीर: हां हो तो गया है ..........इसमे मेरा क्या कसूर? इतनी खुबसूरत औरत जब पास हो तो आदमी से ये कुछ भी हो सकता है. मै: कसूर.............? क्या मतलब ? अगर कोई भी खुबसूरत औरत हो तुम उसके बारे मे ऐसा ही सोचोगे? चाहे वो तुम्हारी बहन ही क्यों ना हो समीर:म्म्म्म्म्*म्म्म्म्म्*म्म्म.................. ...........हां ................ऐसा ही है.............. ये सुन कर तो मेरा दिमाग खराब होने लगा........कुछ देर तो मै चुप रही...........फिर बोली: क्या तुम मेरे बारे भी इस तरह से सोचते हो? समीर: देखो अदिती..........तुम मेरी सब से अच्छी दोस्त हो.........बहन ही..........इस लिये तुमसे कुछ नही छुपाऊंगा..........हां तुम मुझे आकर्शित करती हो.............अगर तुम मेरी बहन ना होती तो मै तुमसे शादी करने की सोचता. मै: समीर!!.....................तुम पागल तो नही हो गये ..... मै तुम्हारी बहन हूं ............कैसे आदमी हो तुम? समीर: बहन तो हो.............पर खुबसूरत भी बहुत हो.............और सेक्सी भी..............अब मेरा क्या कसूर? पता नही क्यों समीर की इन बातों से मज़ा आ राहा था और मै भाभी वाली बात का धक्का भूल गयी थी.अजीब सी हालत थी मेरी.मै सोच रही थी की अब मै इसे क्या कहूं और कैसे कहूं...............दिमाग मै कुछ नही आ राहा था.......लेकिन मै एक बात ज़रूर नोट कर रही थी. वो ये के समीर की ये बातें बुरी नही लगी मुझे. मै अब कुछ नही बोल रही थी और वो मुझ को सिर्फ़ देख राहा था और मुसकुरा राहा था. मै कुछ डर भी रही थी..............पता नही क्या हो राहा था मुझे..................पता नही मै शर्मा कर या डर कर रूम से बाहर चली गयी..............समीर वहीं बैठा राहा....................मेरे अन्दर एक अजीब सी हालत थी..........मेरा भाई और मेरे बारे मै ये सोचता है..............क्या मै सच मे इतनी खुबसूरत हूं?.............अब मुझे क्या करना चाहिये?...........................कैसे हैन्डल करूं इस हालात को? अब मै समीर के बारे मै एक और ही तरह से सोच रही थी. ये बात तो सच थी के समीर है काफ़ी हैन्ड्सम और सेक्सी भी................लेकिन वो मेरा भाई है........................ये बात बार बार मेरे दिमाग मै आ रही थी. उस दिन मैने फिर समीर से इस टॊपिक पर ज़्यादा बात नही की क्योंकी मै पहले ही बहुत शॊक मे थी. मुझे अपने लव अफ़ेयर का सदमा कुछ ही दिन मे भूल गया क्योंकी मै अपने बॊयफ़्रेन्ड पर बहुत ही गुस्सा थी. मैने उससे बिलकुल मिलना छोड दिया और फिर उससे कोई रिशता ना रखने की कसम खा ली. एक दिन रात को टीवी देखते हुए मुझे एक खयाल आया के आखिर समीर ने जो भी मुझको रीना भाभी के बारे मे बताया है क्या वो सच हो सकता है के नही. इसलिये मैने सोचा क्यों ना इस बात का पता लगाया जाये और मै अब समीर से नही बल्के भाभी से इसके बारे में पूछूं. लेकिन कैसे?

अगले दिन मै लन्च के बाद भाभी के पास बैठ गयी और इधर उधर की बातें करने लगी और बातें करते करते मैने भाभी से पूछा की आज कल ज़िन्दगी भर किसी एक के साथ रहना काफ़ी मुश्किल होता है ना भाभी? क्या आप भैया से बोर नही हो जाती? वो मेरी यी बात सुन कर अजीब तरीके से मुसकुरा कर कहने लगी: इस के इलावा कर भी क्या सकते हैं. आखिर ज़िन्दगी भी तो गुज़ारनी है ना. मै: भाभी..... क्या भैया भी तुम से बोर नही होते? क्या तुमको यकीन है के उनका कोई बाहर चक्कर वक्कर नही है? भाभी: लगता तो नही है.....(फिर हंसते हुए बोली) अगर है भी तो मुझे क्या? वापस तो मेरे पास ही आना है ना. मैने फिर भाभी से सवाल किया: भाभी एक बात पूछूं?........... भाभी: हां पूछ क्या बात है? मै: अगर मेरा कोई चक्कर हो तो भैया क्या करेंगे? भाभी: बहुत गुस्सा करेंगे तुझे. अगर ऐसी कोई बात हो तो मुझ तक ही रहने देना. वैसे कोई चक्कर है क्या? मै: नही भाभी...अभी तक तो नही है............लेकिन एक लडका लाईन मार राहा है मुझ पर काफ़ी दिनों से. भाभी: कौन है वो और कैसा है? मै: मेरी क्लास मै पढता है और है भी हैन्ड्सम............. भाभी: तो तेरा क्या खयाल है........? पसन्द है क्या तुझे? मै: है भी और नही भी भाभी: म्म्म्म्म्*म्म ..........अगर तो तुम सीरिअस हो तो बात करूं घर वालों से? मै: नही नही भाभी...........इतना भी पसन्द नही है मुझे. भाभी: तो फिर टाईम पास कर और मज़ा ले के छोड देना. मै ये बात सुन कर हैरान हो गयी के भाभी मुझे क्या कह रही है और भाभी से पूछा: मज़ा लूं?.........इस का क्या मतलब? भाभी हंस्ते हुए आहिस्ता से बोली: अरे जवानी के मज़े ले और क्या. यही तो उमर है ऐश करने की. मै: भाभी अगर मैने कुछ किया तो मेरे होने वाले पती को पता नही चलेगा के मैने क्या कुछ किया हुआ है? भाभी: अरे नही पता चलता............(भाभी ने इधर उधर देखा और आहिस्ता से बोली) अब तुम्हारे भाई को पता चला है क्या मेरे बारे मे? मै: क्या मतलब भाभी? क्या आप भी? कब, कैसे और किस के साथ? भाभी: मै बहुत ही चालाक हूं. मैने एक काम किया की घर की बात घर मे ही रह जाये...................और किसी को शक भी ना हो............ मै: क्या किया आपने? भाभी: मै तो कसम खा सकती हूं के मैने आज तक तुम्हारे भाई के इलावा किसी के साथ सेक्स नही किया..............हां ये बात अलग है के वो सुनील के इलावा भी हो सकता है.............. मै: हे भगवान .भाभी.........समीर के साथ? कब? और कहां? भाभी: अब चुप ही रहो किसी से बात ना कर बैठना. मै: भाभी आप को मुझ पर यकीन नही है क्या? भाभी: है तभी तो इतनी बातें कर रही हूं ना..............वैसे तुम्हारे भाई समीर की क्या बात है..........बहुत ही सेक्सी है............. भाभी से बात करने के बाद मुझे पता चल गया के समीर की बात सच थी. फिर भाभी ने अपनी सारी कहानी सुनाई जो मै आप को किसी और दिन बताऊंगी. फिर मै ने इधर उधर की बातें करके बात खतम कर दी. उसी रात को जब मै और समीर टीवी देख रहे थे और बाकी सब सो चुके थे मैने समीर को बताया के आज मेरी भाभी से क्या बात हुई. वो मेरी बातें सुन कर सिर्फ़ मुसकुराता राहा. मैने समीर से एक सवाल किया : ऐसा करने के बारे मे तुम्हे खयाल कैसे आया? समीर: तुम को पता है मै कम्प्यूटर पर बहुत ज़्यादा टाईम बिताता हूं और नेट से बहुत कुछ पता करता हूं...बस वहीं से मेरा इन बातों पर ध्यान गया. मै: क्या ध्यान गया समीर: चलो अभी दिखाता हूं. वो ये कह कर मुझे कम्प्यूटर पर ले गया और नेट पर देसी सेक्स की कहानियों की एक साईट खोल दी और मुझे काहा लो तुम बैठ कर इन्हें पढो. मुझे अब शरम आ रही थी पर समीर मुझे कम्प्यूटर के समाने छोड कर चला गया. कुछ देर मै इधर उधर देखती रही फिर हिम्मत करके पढना शुरू कर दिया..........और जब मैने काहानियां पढनी शुरू की तो मेरी हैरानी की हद नही थी. इन काहानियों मे तो किसी किसम का भी रिश्ता माफ़ नही किया गया था. कोई अपनी भाभी या साली के साथ, कोई मां या बाप के साथ, कोई अपने कज़न और कोई अपने सगे भाई या बहन के साथ सेक्स की बातें बता राहा था.......मेरे अन्दर एक अजीब सी फ़ीलिन्ग हो रही थी. पता नही मुझे क्या हो राहा था. लेकिन जो भी था अच्छा लग राहा था और मै पढते ही जा रही थी. मुझे पता ही नही चला के कब सुबह के ४:०० बज गये. मैने जल्दी से कम्प्यूटर बन्द किया और सोने चली गयी. उस रात मैने एक सपना देखा की मै अपने बाथरूम में नाहा रही हूं और अचानक समीर बाथरूम मै आ गया और वो बिलकुल नंगा था लेकिन मै उसे देख कर खुश हो रही थी. समीर बाथरूम मै आते ही मुझे चूमने लगा और मुझे बहुत मज़ा आ राहा था. फिर मेरी आंख खुल गयी तो देखा की मेरा हाथ मेरे वैजाईना पर है..........और मै नीचे सी गीली हो चुकी थी. समीर जब नाश्ते पर मिला तो हंसते हुए आहिस्ता से मुझसे पूछा: कैसी रही रात की एन्टरटेनमेन्ट? मै:ठीक थी.........सिर्फ़ एक काहानी पढी और फिर सो गयी. कोई खास मज़ेदार नही थी...... मैने जान बूझ कर समीर से झूट बोला. पता नही क्यों मै उससे सच नही बोल पाई. वो मेरी बात सुन कर मुसकुराता हुआ चला गया. मुझे लग राहा था के मै अब समीर को किसी और नज़र से देख रही हूं पर किस नज़र से? इस का जवाब नही था मेरे पास. उस दिन जब समीर नही था मैने मौक देख कर फिर कम्प्यूटर ऒन किया और फिर से उसी साईट पर चली गयी और मज़े से कहानियां पढने लगी. एक अजीब मज़ा आ राहा था. हां उस काहानी को ज़रूर पढती थी जिस मै भाई और बहन का सेक्स होता था. मुझे वो अच्छी लगती थी. मै फिर से नीचे गीली हो चुकी थी. दो घन्टे तक काहानियां पढती रही. ऐसा कुछ दिनों तक चलता राहा और अब मै अक्सर भाई बहन के सेक्स के बारे में सोचती थी और मेरी पैन्टी गीली हो जाती थी. एक रात को जब मैने समीर से फिर से कम्प्यूटर पर बैठने की इजाज़त मंगी तो वो मुसकुराया और कहने लगा अभी नही.........जब सारे सो जायेंगे तब.........और आज मै भी तुम्हारे साथ बैठूंगा कम्प्यूटर पर. मै चुप हो गयी और टीवी देखने लगी. रात १०:०० बजे के करीब समीर ने काहा जाओ देख कर आओ सब सो गये हैं क्या? मै उठी और देखा के सब सो चुके थे. लेकिन सुनील भैया के रूम की लाईट ऒन थी. मैने समीर को ये बताया तो बोला: चलो आज मै तुम को कहानीयां नहीं बल्के असली चीज़ दिखाता हूं. मै बोली: वो कैसे समीर: जैसे मै कहूं वैसे करती जाओ. फिर देखो क्या होता है. ये कह कर वो मेरा हाथ पकड कर मुझे छत पर ले गया. छत पर सिर्फ़ एक ही कमरा है जिसमे सुनील भैया और रीना भाभी रेहते हैं. उसने जा कर उनके कमरे के दर्वाज़े को खटखटाया. रीना भाभी नाईटगाउन मे बाहर आयी और हमसे पूछा: क्या बात है? समीर ने ऊंची आवाज़ मे काहा: वो आज का अखबार चाहिये. हमे कुछ देखना था उसमे. अन्दर से सुनील भैया की अवाज़ आयी: रीना, यहां पर पडा है अखबार, आके ले जाओ और दे दो इसे. रीना भाभी अन्दर से अखबार लेकर आयीं तो समीर उन्हें खींच कर साईड पर ले गया और दबी ज़ुबान मे बोला: रीना, आज रात को सुनील के साथ सेक्स का प्रोग्रैम है क्या तुम्हारा? रीना बोली: हां, क्यों? समीर: तुम खिडकी पर से परदाआ थोडा हटा देना और थोडी सी लाईट भी आने देना रीन मुसकुराते हुए बोली: "क्यों, क्या करोगे तुम लोग देख कर" समीर: अरे कुछ नही, अदिती की बहुत इच्छा है सच मे सेक्स देखने की, इसकी उत्सुकता शान्त हो जायेगी रीना: समीर, तू इसको भी बिगाड रहा है समीर: अरे नही, इसको ग्यान दे रहा हूं. अच्छा शो दिखाना रीना: अच्छा मै देखती हूं क्या कर सकती हूं फिर भाभी अन्दर गयी और दर्वाज़ा बन्द करके चिटकनी लगा दी. उसने बडी लाईट बुझा कर एक छोटी लाईट ऒन कर दी और परदा खोल कर, खिडकी भी खोल दी. फिर उसने परदा किया, लेकिन पूरी तरह नही. फिर रीना अपने बेड पर बैठ गयी. सुनील भी बेड पर आकर लेट गया और रीना उसके साथ चिपक गयी. उसके दोनो मम्मे समीर के सीने से दबे थे. सुनील उसकी गान्ड को अपने हाथ से सहला राहा था और एक दूसरे को देख दोनो मुसकुरा रहे थे. तभी रीना ने झुक कर सुनील के होंठों पर किस किय. फिर सुनील ने उसके चेहरे को पकडा और उसके होंठों को अपने होंठों से कसकर चूसने लगा. अब वो दोनो एक दूसरे को किस कर रहे थे. ३-४ मिनट बाद रीना हांफ़ती हुई सुनील के ऊपर ढेर हो गयी और समीर ने भी उसे अपने बांहों में कस लिया. हमे कमरे की हल्की रोशनी मे ये सब कुछ साफ़ नज़र आ राहा था. हम चुपचाप खिडकी के पास खडे हो कर परदे की दरार मे से देख रहे थे. मुझे अजीब सा लग राहा था अपने भाई और भाभी को छुप छुप के देखना पर अन्दर ही अन्दर मज़ा भी आ राहा था. कुछ देर सुनील ने रीना की गान्ड को नाईटगाउन के ऊपर से सहलाया और फ़िर हाथ को नाईटगाउन के अन्दर डाल उसकी गान्ड को सहलाने लगा. फिर उसने नाईटगाउन को उठा कर निकाल दिया. अब वो सिर्फ़ पैन्टी और ब्रा में थी. फिर सुनील खडा हुआ और अपना शर्ट और पजामा उतार दिया और अपने अन्डरएयर मे रीना के सामने खडा हो गया. उसका लन्ड उसके अन्डर्वेयर मे तन के खडा था. मैं आंखें फाड फाड के ये नज़ारा देख रही थी. मेरी सांसें तेज़ी से चल रही थी. रीना ने खिडकी की तरफ़ देखते हुए अपने मम्मों को अपने हाथों मे पकड कर बोला: सुनील कैसी लग रही हूं आज? मै समझ गयी की वो असल मे हमे दिखा रही थी और ये सवाल समीर के लिये था. सुनील बोला: अरे तू तो है ही बहुत खूबसूरत यार. चल अब इनको बाहर निकाल. उसने भाभी के मम्मों की तरफ़ इशारा करके काहा. रीना ने अपनी ब्रा खोली और ब्रा हटाई तो मै देखकर दन्ग रह गयी. एकदम गोल और कसे कसे मम्मे थे. फिर वो लेटी और अपने मम्मों को उभार दिया. सुनील उसके ऊपर झुका और पहले दोनो निप्पल को चूमा और फ़िर जीभ निकल दोनो को १०-१५ बार चाटा. जीभ से चाटने के बाद दोनो मम्मों को हाथों से पकड मसला और फ़िर एक को मुंह में लेकर चूसने लगा. मै दोनो का खेल देख उत्तेजित हो गयी थी. मेरे से राहा नही गया और मै अपने मम्मों को पकड के हल्का सा दबाने लगी. मगर फिर मैने देखा की समीर मुझे ये करते हुए देख राहा है तो मैने अपना हाथ जलदी से हटा लिया. रीना सिसकियां ले रही थी और बार बार अपनी चूंचियों को ऊपर की ओर उचका के सुनील के मुंह में घुसेड रही थी. मै सोच रही थी की मम्मे चुसवाने और निप्पल चटवाने में कितना मज़ा आता होगा. सुनील कुछ देर तक मम्मे चूसने के बाद उठा और फ़िर रीना कि पैन्टी को खिसकाया. रीना ने अपनी गान्ड उठा के पैन्टी को उतरवाया और अब वो बिलकुल नंगी बेड पर लेती थी. सुनील ने अपना हाथ रीना की चिकनी टांगों पर रखा और सहलाते हुए चूत तक ले गया और पूरी चूत को हाथ से दबाया. फिर उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा और उसकी क्लिट को अन्गूठे से मसलने लगा. रीना बोली: मुंह से करो ना. सुनील उसकी दोनो टांगों के बीच आया और अपने मुंह को झुका कर उसकी चूत पर रख दिया. चूत से जीभ लगते ही भाभी के मुंह से हल्की सी सिसकारी निकल गयी. भाभी इस पोस में लेटी थी की हमे सब कुछ साफ़ साफ़ दिखायी दे राहा था. भैया जीभ को पेलकर चाट रहे थे और हाथ से दोनो मम्मों को भी दबा रहे थे. भाभी मज़े से भर करे अपनी गान्ड उछाल रही थी और तेज़ तेज़ अवाज़ में सिसक रही थी. मुझे भी अपनी पैन्टी गीली होने का ऐहसास हुआ क्योंकी मेरी चूत से भी पानी निकलने लगा था. १०-१२ मिनट तक चटवाने के बाद रीना हांफ़्ते हुए बोली: आह बस अब बस करो नही तो मैं झड जाऊंगी. हाय रुको और अब मुझे अपना लन्ड दो. फ़िर वो उठी और सुनील को लिटाया और उसके अन्डर्वेयर को हाथ से निकाल दिया. मै भैया के लन्ड को देख कर दन्ग रह गयी. खूब मोटा और लम्बा था. लन्ड एक्दम सख्त और ऊपर को तना था. उसने झुककर लन्ड को अपने मुंह में लिया और चूसने लगी. वो पूरे लन्ड पर चारों तरफ़ जीभ चलाती फ़िर मुंह में लेकर चूसती. मैने देखा की समीर का लन्ड भी पैन्ट के अन्दर तन के खडा है और वो उसे अपने हाथ से हल्के हल्के सहला राहा है. समीर ने देख लिया की मै उसके लन्ड को देख रही हूं और मुसकुरा दिया पर रुका नही. बलकी उसने अपनी पैन्ट की ज़िप खोल दी और अब उसका लन्ड अन्डर्वेयर के अन्दर तन के दिखने लगा.
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