मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-11-2021, 12:31 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
सारा मामला मैंने डैड को फ़ोन पर बता दिया. दो दिन में ही उन्होंने मेरी ही बिल्डिंग में एक छोटा सा कमरा पराग के लिए ले लिया. अब उसे हॉस्टल और खाने पीने का कोई भी खर्चा नहीं उठाना पड़ेगा. होशियार के साथ बहुत स्वाभिमानी भी होने के कारण पराग इस बात के लिए मान नहीं रहा था. फिर मैंने उससे कहा, "देखो, तुम्हे मेरी सौगंध, चलो इसे कर्जा समझ कर ले लो. जब तुम्हारी बढ़िया सी नौकरी लग जाए, तब सूत समेत सारा वापस कर देना."

आखिर कार मैंने उसे मना ही लिया. अब तो सुबह अपने फ्लैट में नहाकर वो सीधा मेरे कमरे पर ही आ जाता. हम दोनों मिलके नास्ता बना लेते थे. दोपहर के खाने के लिए कामवाली एक दिन पहले ही बना के जाती थी. फिर शाम को घर लौट कर पढ़ाई और रात का खाना भी साथ में ही खाते थे. ऐसे लगता था की पति पत्नी हैं सिर्फ रात को साथ में सोते नहीं हैं, बस!

रविवार के दिन हम घूमने या फिल्म देखने चले जाते थे. पराग अब मेरे लिए बहुत प्रोटेक्टिव हो गया था. मेरी छोटी से छोटी चीज़ का ख़याल रखता और मुझे भीड़ के धक्को से भी बचा लेता था. मैं भी उसके साथ अपने आप को सुरक्षित पाती थी. एक दिन हम फिल्म देखने थोड़ी देरी से पहुँच गए. पूरा थिएटर घना अँधेरा था. उसने मुझ से बिना पूंछे मेरी कमर मैं हाथ डाल कर मुझे धीरे धीरे सही जगह पर ले गया और सीट पर बिठा दिया.

मैंने उसका हाथ पकड़ कर धीरे से कहा, "थैंक यु पराग."

उसने मेरे हाथ को हलके से दबाया और मेरी तरफ मुस्कुराया.

कुछ देर तक हम दोनोंके हाथ मिले हुए थे. कुछ समय बाद उसने मेरे हाथ को बड़े प्यार से सहलाया और फिर अपना हाथ हटाना चाहा. तब मैंने उसके हाथ को रोका और फिर अगले ढाई घंटे वो मेरे हांथोको सहलाता रहा. मैंने स्लीवलेस ड्रेस पहनी थी, इसलिए उसके हाथोंकी उंगलिया मेरी भुजाओं पर भी बीच बीच में थिरकती थी. अब जभी भी हम दोनों फिल्म देखने जाते थे, पराग मेरी मुलायम बाहोंको और कंधोंको सहलाता. बगीचे में हम एक दुसरे के कमर में हाथ डालकर चलते.

शनिवार और रविवार की सुबह हम दोनों नजदीक के पार्क में सुबह पांच बजे दौड़ने जाते थे. मेरे तंग चोली नुमा टॉप और शॉर्ट्स में मचलते हुए भरपूर वक्ष, गदरायी हुई मांसल जाँघे और गोलाकार नितम्ब उसे दीवाना कर देते थे. पराग नहीं चाहता था की मेरी यह भड़कती जवानी कोई और आदमी देखे और मुझे छेड़े, इसीलिए हम इतनी सुबह जाते थे और छ बजने से पहले वापस आ जाते थे. गर्मी की दिनोंमें पराग टी-शर्ट नहीं पहनता था, सिर्फ शॉर्ट्स पर ही दौड़ता था. उसकी कसी हुई बालोंसे भरी छाती पर छलकता पसीना देखना मुझे भी अच्छा लगता था.

कुछ और समय के बाद परीक्षा समाप्त कर हम दोनों छुट्टिया मनाने के लिए सुरत आ गए. मेरे डैड मेरे लिए हवाई जहाज की टिकट कराना चाहते थे, मगर मैं और पराग दोनों एक साथ रेल्वे से आये. पहले दो-तीन दिन तो अपने सहेलियोंसे और रिश्तेदारोंसे मिलने में चले गए. फिर मैंने पराग से फ़ोन पर बात की.

"हाय अनु, कैसी हो तुम?" आजकल उसने मुझे अनु कहना शुरू कर दिया था.

"मैं तो एकदम मजे में हूँ, और तुम?"

"मैं भी ठीक हूँ मगर तुम्हारे साथ की इतनी आदत हो गयी हैं, की यहाँ कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा."

मैं समझ गयी की ये लड़का मेरे प्यार में पागल हुए जा रहा था. उसी शाम को हम दोनों मिले. वो अपने दोस्त की मोटरसाइकिल पर आया था. साथ में घूमे, बहुत सारी बाते की, डिनर और आइस क्रीम साथ में खाया. अब पराग बड़ा प्रसन्न लग रहा था. रात के करीब साढ़े नौ बजे उसने मुझे मेरे घर के करीब मोटरसाइकिल से उतार दिया.

"मुझे तुम्हारी बहुत याद आएगी अनु," पराग ने कहा.

"जब भी याद आये, फ़ोन कर दो," कहते हुए मैंने उसके हाथ को चूमा.

छुट्टियोंके दौरान हम बीच बीच में मिलते रहे. जब वापस जाने का दिन आया, तब वो प्लेटफार्म पर मेरा इंतज़ार कर रहा था. ट्रैन के चलते ही मैं नाइट सूट पहनकर आयी. बाजू की बर्थ पर लेटे लेटे हम धीरे धीरे बाते करते रहे. मुंबई सेन्ट्रल कब आया पता ही नहीं चला.

फिर से कॉलेज, पढ़ाई और प्रोजेक्ट का काम चलने लगा. एक दिन रात के ग्यारह बजे तक हम पढ़ रहे थे. पराग निकलने के लिए उठ रहा था तभी अचानक बिजली चली गयी. कड़कती बिजली और गरजते बादलोंके आवाज़ से मुझे बड़ा डर लगता हैं, इसलिए मैंने उसे रोक लिया. टॉर्च और मोमबत्ती के सहारे थोड़ा उजाला कर दिया. उसके सोने के लिए हॉल में बिस्तर बिछाया और मैं अंदर बैडरूम में चली गयी. जाते जाते मैंने मुस्कुराते हुए कहा, "पराग, क्योंकि बाथरूम बैडरूम के अंदर हैं इसलिए मैं दरवाजा खुला ही छोड़ देती हूँ."

थोड़ी ही देर में फिर से बादलोंका गरजना फिर शुरू हुआ, मैं तुरंत बाहर आयी और पराग को नींद से जगाया.

"तुम अंदर आ जाओ मुझे बहुत डर लग रहा हैं. "

तभी फिर से बिजली कड़की, और मैं परागसे लिपट गयी. पहली बार वो मेरे शरीर को इतने करीब से अनुभव कर रहा था. उसने मुझे बाहोंमें लेकर मेरे सर को प्यार से सहलाया. हम दोनों बैडरूम के अंदर तो आ गए, मगर अब साथ में सोते कैसे? फिर पराग ने मुझे बेड पर लिटाया और थोड़ी सी दूरी पर खुद लेट गया. बस मेरा हाथ उसके मजबूत हाथ में था, ताकि मुझे डर ना लगे. थोड़ी सी आँख लगी थी की पांच दस मिनट के बाद बिजली, बादल और तेज़ बरसात फिर से शुरू हो गयी. मैं डर के मारे करवट बदल कर उसके एकदम पास चली गयी और एक मोटे कम्बल के अंदर हम दोनों एक दुसरे से लिपट गए. हम दोनों एक दुसरे के नाम लेते हुए और भी करीब आ गए. अब मेरे कठोर स्तन उसकी छाती पर दब रहे थे और मेरी जाँघे उसकी हेयरी जाँघोंसे सटी हुई थी. उसका कड़क लौड़ा मेरी मुनिया पर अपना फन मार रहा था.

"सॉरी अनु, मैंने कण्ट्रोल करने की बहुत कोशिश की मगर.."

"पराग, ये तो स्वाभाविक हैं, और मुझे ख़ुशी हुई की मैं तुमको इतनी अच्छी लगती हूँ," यह कहकर मैंने उसके गालों पर एक हल्का सा चुम्बन जड़ दिया.

"ओह अनु, तुम कितनी स्वीट हो," पराग ने मेरे गालोंको चूमते हुए मुझे और करीब खींचा.

मेरे बालोंको हटाकर मेरी गर्दन पर जैसे ही उसने किस किया, मैं तो पूरी उत्तेजित हो गयी. समय न गंवाते हुए, पराग ने अपने होठ मेरे रसीले होठों पर रख दिए. यह हमारा पहला चुम्बन था, मेरे लिए भी और शायद पराग के लिए भी.

उसके टी-शर्ट के अंदर हाथ डालकर मैं उसकी पीठ सहलाने लगी. पराग अब मेरे होठोंको चूस रहा था. उसकी जीभ मेरी जीभ से खेलते हुए मेरे मुँह के अंदर चली गयी. अब उसका एक हाथ मेरी नाईट गाउन को ऊपर की तरफ सरकाने लगा. मैंने उसे रोकने की विफल कोशिश की मगर उसके बलिष्ठ हाथों ने नाईट गाउन को घुटने के ऊपर तक सरका दिया. अब मेरी गर्दन, गला, कान और क्लीवेज को चूमते हुए उसने मुझे पूरी तरह बेबस कर दिया.

जैसे ही पराग का हाथ मेरी मांसल, पुष्ट और मुलायम जांघोंको सहलाने लगा, मेरी भी चूत गीली होने लग गयी. अब पराग ने अपना चेहरा मेरे वक्षोंके बीच कर दिया और मेरे उन्नत स्तनोंको चूमने लगा. इतने दिनोंसे हम दोनों भी खुद को रोक रहे थे, मगर आज सब्र का बाँध टूट रहा था. मैंने दोनों हाथोंसे पराग की टी-शर्ट ऊपर उठा दी. उसने भी एक झटके में अपनी टी-शर्ट खोलकर फेंक दी. उसी पल वो नीचे सरक गया और मेरी मुलायम जांघोंको चूमने लगा. अब मेरी नाईट गाउन कमर तक आ गयी थी और नंगी जाँघों पर चुम्बनों की बौछार हो रही थी.

"ओह, पराग डार्लिंग, अब और मत तड़पाओ," आज पहली बार मैंने उसे डार्लिंग कहा था.

"अनु, मेरी जान, तुम कितनी सुन्दर, हॉट और सेक्सी हो," जांघोंको चूमते हुए उसने अब मेरी पैंटी को चूमना शुरू कर था.

अब मुझसे भी रहा नहीं गया, और मैंने अपनी नाईट गाउन सर के ऊपर से निकाल दी. मैंने पराग को ऊपर खींचकर बाहोंमें ले लिया. ब्रा में कैसे मेरे स्तनोंको वो फिरसे चूमने और चाटने लगा.

"तुम्हारी शार्ट निकाल दो ना डार्लिंग," मैंने चुपके से कहा.

अगले ही क्षण उसकी शार्ट और फ्रेंची अंडरवियर शरीर से अलग हो गयी. अब वो पूरा नंगा था और उसका लम्बा चौड़ा कड़क लंड मेरी चूत की गुफा में सवार होने के लिए मचल रहा था. अब पराग ने आव देखा न ताव, और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया. कन्धों पे से ब्रा के पट्टे हट गए और मेरे दोनों उन्नत कठोर वक्ष अपने बन्धनोंसे से मुक्त हो गए. बेताब होकर पराग बारी बारी दोनों वक्षोंको मुँह में लेकर चूसने लगा. एक वक्ष को चूसकर दुसरे को मुँह में लेने से पहले वो मेरी आँखों में देखता और मेरे मुख से सिसकारियां निकलती.

जोश में आकर मैं भी अब अपना आपा खो चुकी थी. अब पराग ने उसकी दोनों हाथो की उंगलिया मेरी पैंटी में डाल दी और उसे नीचे की तरफ खिसकाने लगा. मैंने भी अपने नितम्बोँको धीरे से उठाकर उसकी सहायता की. अब हम दोनों पूर्ण रूप से नग्नावस्थामें थे. मेरी गीली योनि से चिकनाहट का रिसाव हो रहा था.

"पराग, मेरी योनि को चूमो और चाटो न," मैंने अपनी आँखें मूंदते हुए कहा. सुरत में देखि हुई हर ब्लू फिल्म में ओरल सेक्स शुरू में हमेशा रहता था. इसीलिए, मैंने उसे फरमाइश की. तुरंत नीचे जाकर उसने मेरी टांगोंको खोल दिया और अपना मुँह घुसेड़ दिया. जैसे ही उसके होंठ और जीभ मेरी योनि को प्यार करने लगे, मैं पूर्ण रूप से कामोत्तेजित हो गयी. लगातार बीस मिनट तक वो मुझे चाटता और चूमता रहा.

"आह, ओह, यस्स, फक, चाटो मुझे, हाँ, वहीँ पर, आह, ओह पराग, यस्स हाँ.."

"आह, ओह, पराग, तुम उल्टा हो कर सिक्सटी नाइन में आ जाओ," अब मैं अपने जीवन के पहले सम्भोग के लिए पूरी तरह से तैयार हो रही थी.

जैसे ही पलट कर पराग का कड़क लौड़ा मेरे मुँह के पास आया, मैंने उसे निगल लिया. उसके लौड़े पर वीर्य की दो चार बूंदे थी जिन्हे मैंने अपनी जीभ से चाट लिया.

अब पराग के मुँह से सेक्सी आवाजे निकलने लगी और उसने मेरी चूत के होठोंको हटाकर जोर जोर से दाना चाटने लगा. थोड़े ही समय में मुझे एक और जबरदस्त ऑर्गैज़म आया और दो मिनट के बाद पराग का सख्त लौड़ा मेरे मुँह में झड़ गया. ये मेरा लंड चूसने का पहला अनुभव था फिर भी मैं बिना संकोच उसका सारा वीर्य पी गयी.

अब हम दोनों फिर से एक दुसरे की बाहों में आ गए और पराग मेरे वक्षोंको चूमते हुए बोलै, "अनु डार्लिंग, तुम कितनी प्यारी हो. आय लव यू जान."

"हाँ डार्लिंग, आय टू लव यू हनी." मैंने अपनी मीठी आवाज़ में उसके कानोंमें कहा.

"आज अपने पास कंडोम नहीं हैं और तूम पिल्स भी नहीं ले रही हो, इसलिए आज चुदाई नहीं कर सकते अनु डार्लिंग," पराग के मुँह से चुदाई जैसा शब्द नया और एकदम सेक्सी लग रहा था. हम दोनोंने तय किया की कंडोम पहनने के बाद सम्भोग का असली मज़ा नहीं आएगा, इसलिए अगले ही दिन से मैंने गर्भनिरोधक गोलिया लेना शुरू किया और हमारा सम्भोग सूख का आदान प्रदान शुरू हो गया.
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-11-2021, 12:31 PM

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