मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
07-20-2021, 12:14 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
" अच्छा आज पहले कौन चोदेगा ? ". कुछ देर बाद निहारिका ने खाते खाते पूछा. " आज आदित्य शाम को जल्दी घर आ जायेंगे... "

" मुझे कॉलेज जाना है भाभी... पहले मुझे करने दो ना. ". आशीष ने कहा.

" वैसे मैं आज कुछ और सोच रही थी... ". निहारिका ने कहा.

" क्या ? ". जेठ जी ने पूछा.

" देखती हूं... बताती हूं. " निहारिका ने कुछ सोचते हुए कहा.

" भाभी एक बात पूछूं ? . " आशीष बोला.

" बोलिये ना देवर जी... ".

" आपको बुरा नहीं लगता ? ".

" क्या देवर जी ? ".

" वही... आदित्य भैया के बारे में ! ".

निहारिका एकदम से चुप हो गई.

" बहु... तूमने फिर कभी Try किया था क्या ? ". इस बार ससुर जी ने कहा.

" रोज़ करती हूं बाबू जी... पर उनमें कोई हरकत ही नहीं होती. कोई उत्तेजना ही नहीं आती. ". निहारिका खाते खाते रुक गई.

" मन छोटा मत करो निहारिका... ". जेठ जी ने कहा.

" आदित्य भैया का लण्ड थोड़ा सा भी खड़ा नहीं होता क्या ??? ". आशीष ने पूछा, फिर ये सोच कर की कहीं भाभी को बुरा ना लगे, थोड़ा संभल कर बोला. " I Mean... Sorry भाभी... मेरा मतलब है आप इतनी सुंदर हो फिर भी... ".

" अगर होता तो आज मैं इस तरह से... ". कहते कहते निहारिका रुक गई. फिर मुस्कुरा का बोली. " मगर वो मुझे बहुत प्यार करते हैं... और मुझे इस बात की खुशी है. मेरे लिये इतना काफी है. ".

ससुर जी ने निहारिका के कंधे को सहलाते हुए उसे सांत्वना दी.

सबका नाश्ता खत्म हुआ तो निहारिका ने सारे Plates उठा लिये पर अपनी पैंटी वहीं टेबल पर छोड़ दी.

" वैसे भाभी आप कुछ बताने वाली थीं सोच कर... ". आशीष ने कहा.

" आकर बताती हूं... ". नंगी निहारिका वहाँ से जाते हुए बोली. देवर, जेठ जी और ससुर जी घर की बहु की थिरकते हुए चूतड़ देखते रहें.

निहारिका वापस Drawing Room में आई तो उसने देखा की उसके ससुर जी, देवर और जेठ जी अभी भी खाने के टेबल पर ही बैठे थें.

" कितने Lazy हो गये हो आप तीनों... ". निहारिका बोली.

वो अपनी पैंटी लेने आई थी पर उसने देखा की टेबल पर उसकी पैंटी नहीं थी.

" मेरी कच्छी कहाँ है ??? ". निहारिका ने पूछा और जवाब का इंतजार किये बिना ही आशीष का कान पकड़ कर ज़ोर से मरोड़ दिया, उसे पूरा यकीन था की ये हरकत उसके शैतान देवर की ही है.

" भाभी... मैंने नहीं लिया... I Swear ! ". आशीष बेचारे की गर्दन टेढ़ी हो गई.

निहारिका अपने ससुराल वाले इन मर्दों की आदतों से अच्छी तरह वाकिफ थी, वो चुपचाप अपने देवर को छोड़ कर अपने ससुर जी के पास गई तो उसने देखा कि उसके ससुर जी ने उसकी लाल पैंटी अपनी गोद में लुंगी में दबा रखी है. निहारिका ने नक़ली गुस्से भरी बड़ी बड़ी आँखों से अपने ससुर जी को देखा और अपनी पैंटी उठा ली.

" अभी मत लीजिये बाबू जी... एकदम नई है ना. पिछले Sunday को ही लाये थें आदित्य... ". अपने ससुर जी का मायूस चेहरा देख कर निहारिका को हँसी आ गई तो उसने उन्हें समझाते हुए कहा. " एक दो महीने पहन लूं , फिर दे दूंगी. "

" दे दीजिये पापा... पैंटी थोड़ी पुरानी पहनी हुई हो तो अच्छा रहता है... शरीर के अंदरुनी अंगों कि गंध उसमें समा जाती है. ". जेठ जी बोलें. " जैसे निहारिका कि ब्लैक कलर वाली पैंटी से अभी तक कितनी मादक महक आती है... ".

" भाभी ? राजेश भैया को आपने अपनी पैंटी दे रखी है ??? और मुझे ? ". आशीष ने कहा.

" हर बात में अपने पापा और भैया से Competition मत किया कीजिये देवर जी... वो लोग आपसे बड़े हैं ना. ". निहारिका बोली , और फिर डांटते हुए पूछा. " और कॉलेज क्यूं नहीं गये आप आज ? ".

आशीष के पास कोई जवाब नहीं था.

" ऐसा मत कीजिये देवर जी... मैं कहाँ भागी जा रही हूं ? ". निहारिका ने कहा, आशीष ने अपना सिर झुका लिया, निहारिका फिर अपने जेठ जी से बोली. " और आपका क्या बहाना है Showroom नहीं जाने का ? ".

" अरे बाबा... Market के एक दुकानदार कि मौत हो गई है, अभी दो दिन तक हम लोग कोई दुकान वगैरा नहीं खोलेंगे. ". राजेश ने कहा, उसका एक अच्छा खासा बड़ा कपड़ों का Showroom था उस शहर में.

निहारिका ने इस तरह से अपना सिर हिलाया जैसे कि बोलना चाह रही हो कि " आप लोग कभी नहीं सुधरोगे " पर बिना कुछ बोले अपनी पैंटी लेकर वहाँ से चली गई.

निहारिका घर में नंग धड़ग घुम रही थी और फिर भी उसके ससुर जी, देवर और जेठ जी का आचरन सामान्य था, इसका ये मतलब नहीं था कि वो सेक्सी नहीं थी, बल्कि बात तो ये थी कि उन सबको इसकी आदत पड़ चुकी थी अब !

वैसे 30 साल कि निहारिका देखने में खूबसूरत तो थी ही पर उसकी खासियत उसकी सुंदरता नहीं बल्कि उसका बदन था. उसकी चुचियाँ बड़ी बड़ी थीं लेकिन नीचे लटकी हुई ना होकर ऊपर कि ओर टाईट उठी हुई थीं. वो अपने कांख ( Armpit ) के बाल नियमीत रूप से शेव करती थी पर उसे चूत का झांट छीलना पसंद नहीं था. उसके झांट काफी घने आते थें, इसलिये वो उन्हें कैची से इस कदर Trim करके रखती थी की उसका तिकोना झांट उसकी बूर को ढंक कर भी रखे और थोड़ी बहुत चूत की फूली हुई Lips भी दिखे. उसका पेट, जो की हल्का सा निकला हुआ था और इसी वजह से सेक्सी लगता था, नीचे मुड़ कर उसकी चूत में जाकर गायब हो रहा था और पीछे की ओर बड़ी गांड़ में तबदील होकर बाहर निकला हुआ था. उसकी गदराई जांघे आपस में सटी हुई रहती थीं और इसी कारण अगर वो नंगी भी खड़ी रहती थी तो उसकी बूर उसकी जांघों के बीच इस कदर छुप जाती थी की उसके दर्शन हो पाना मुश्किल था.
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 07-20-2021, 12:14 PM

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