मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
07-22-2021, 12:50 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
" अच्छा चलो... कभी उसे पूर्णतः नग्न अवस्था में तो देखा ही होगा ??? की नहीं ??? ". राजकुमार देववर्मन ने अपनी पत्नि की चूचियाँ सहलाते हुए पूछा.

राजकुमार विजयवर्मन के सब्र का बाँध टूट चुका था, मगर फिर भी किसी तरह उन्होंने अपने गुस्से को काबू में करते हुए, जितना संभव हो सके, नम्र स्वर में अपने बड़े भाई से कहा.

" क्षमा चाहूंगा भैया... मगर अवंतिका सिर्फ मेरी ही नहीं, हम दोनों की छोटी बहन है. आपको उसके बारे में ऐसी अभद्र भाषा का प्रयोग करना शोभा नहीं देता !!! ".

" और आपको शोभा देता है अनुज ??? ". राजकुमार देववर्मन ने आँखे बाहर निकाल कर कहा.

" भाभी ने ठीक ही कहा है भैया... मैं अवंतिका से प्रेम करता हूँ. मेरे मन में उसके प्रति कोई गन्दी भावना या विचार नहीं है... ". राजकुमार विजयवर्मन ने अपना सिर उठाकर जवाब दिया.

राजकुमार देववर्मन ने अपने छोटे भाई की इस बात का कोई विरोध नहीं किया, चुप रहें, अपनी पत्नि को आगे बढ़कर चूम लिया, और फिर बोलें.

" वैसे मैंने सुना है की अभी अभी पुरोहित जी आकर गएँ हैं, माताश्री और पिताश्री से अवंतिका के विवाह के बारे में बात करने हेतु ! ".

" आपने बिल्कुल सही सुना है राजकुमार... ". चित्रांगदा ने अपने पति के चौड़े सीने के बालों में उंगली फेरते हुए, राजकुमार विजयवर्मन की ओर देखकर कहा. " मरूराज्य नरेश हर्षपाल के शौर्य की गाथा कौन नहीं जानता ? उम्र में थोड़े बड़े हैं, और उनकी 23 और भी रानीयां हैं, मगर हमारी अवंतिका जैसी रूप सौंदर्य वाली रानी कोई नहीं होगी, इसपर तो मैं किसी से भी शर्त लगा सकती हूँ !!! "

राजकुमार देववर्मन के चेहरे पर ख़ुशी की एक मुस्कान खेल गई, वो अपने छोटे भाई को देखते हुए इस बात पर उसकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करने लगें, मगर राजकुमार विजयवर्मन के मुँह से एक शब्द भी ना निकला, उन्हें पता था की ये सत्य है.

" अब आप क्या करेंगे अनुज ? आपकी प्रेमकथा तो प्रारम्भ होने से पहले ही समाप्त हो गई लगती है ! ". राजकुमार देववर्मन बोलें.

चित्रांगदा ने मुस्कुरा कर एक नज़र अपने देवर को देखा, फिर करवट बदल कर अपने पति के ऊपर चढ़ कर उनकी गोद में बैठ गई. उसकी टांगों से रगड़ खाकर राजकुमार देववर्मन के कमर से लिपटी चादर एक ओर खिसक गई, और उनका तना हुआ लण्ड छिटक कर बाहर निकल आया और चित्रांगदा के पेट से चिपक गया.

" हर्षपाल का तो पता नहीं, मगर देखो, अवंतिका ने मेरे लिंग की क्या दशा कर डाली है !!! ". राजकुमार देववर्मन ने बड़ी ही निर्लज्जतापूर्वक अपने लण्ड की ओर इशारा करते हुए अपने छोटे भाई से कहा.

राजकुमार विजयवर्मन ने घृणावश अपना मुँह घुमा लिया.
अपने ज्येष्ठ भ्राता से इस बात पर बहस करने के लिए उन्हें भी उनकी तरह ही नीचे गिर कर बात करनी होगी. नम्र स्वाभाव वाले राजकुमार विजयवर्मन को ना ही ये मंजूर था, और ना ही वो ऐसा करने में सक्षम थें. वैसे उन्हें पता था की उनके बड़े भैया ऐसी बातें क्यूँ कर रहें हैं और उनके मन में किस बात का द्वेष है . राजकुमार देववर्मन चित्रांगदा से अपने विवाह के पहले अपनी बहन अवंतिका को अनेको बार अपना प्रेम प्रस्ताव दे चुके थें, मगर राजकुमारी अवंतिका ने हर बार उन्हें बड़ी ही विनम्रता और शालीनता के साथ इंकार कर दिया था, क्यूंकि वो जानती थी की ये उनकी प्रेम इच्छा नहीं, बल्कि काम इच्छा थी ! अपने इस तिरस्कार और अस्वीकार से हुए अपमान को राजकुमार देववर्मन आजीवन नहीं भूल पाए थें. और उससे भी बड़ी बात जो उन्हें हमेशा खटकती थी, वो ये थी की, राजकुमारी अवंतिका का शुरु से ही राजकुमार विजयवर्मन के प्रति रुझान रहा था !!!

" वैसे मैंने राजकुमारी अवंतिका को नग्न अवस्था में देखा है... कई बार... और हर रोज़ देखती हूँ !!! ". चित्रांगदा ने अपने पति की गोद में बैठे हुए अपनी गांड़ धीरे धीरे हिलाते हुए कहा.

" कैसे... कैसे ??? ". उत्साहित होकर राजकुमार देववर्मन ने अपनी पत्नि की कमर पकड़ कर मरोड़ डाली .

" नहाते समय... हम स्त्रीयों के गुसलखाने में... और कहाँ ??? ". चित्रांगदा ने मुस्कुरा कर कहा.

" तनिक बताओ तो वो बिना वस्त्र के कैसी दिखती है. आपके देवर जी भी सुनना चाहेंगे, देखने का तो सौभाग्य उन्हें मिलने से रहा ! ". राजकुमार देववर्मन ने कहा.

" मुझे आज्ञा दीजिये... ". कहकर राजकुमार विजयवर्मन बिस्तर से उतरकर नीचे खड़े हो गएँ और अपने कपड़े उठाने ही वाले थें की उनके बड़े भाई ने उन्हें सख़्ती से रोक लिया.

" आप अभी यहीं रुकेंगे अनुज... सुन कर तो जाइये ! "

" मुझे कोई रूचि नहीं... ". राजकुमार विजयवर्मन ने धीरे से कहा.

" कोई बात नहीं... मैं आग्रह नहीं करूँगा ! ". राजकुमार देववर्मन झट से बोलें, फिर चित्रांगदा के कमर पर थप्पड़ मार कर उसे कुछ इशारा किया, इशारा समझते ही चित्रांगदा ने अपनी गांड़ थोड़ी सी ऊपर उठाई और एक हाथ से राजकुमार देववर्मन का लण्ड पकड़ कर अपनी चूत में घुसेड़ कर वापस उनकी गोद में बैठ गई. राजकुमार देववर्मन ने चित्रांगदा के जाँघों को सहलाते हुए वापस अपने छोटे भाई की ओर देखते हुए उनसे कहा. " कम से कम आज आपने अपनी भाभी का जो अपमान किया है, उसकी भरपाई तो करते जाइये. और हाँ, ये भी देखते जाइये, की मैं नपुंसक नहीं हूँ !!! ".

राजकुमार विजयवर्मन जहाँ थें, वहीँ खड़े रह गएँ, उन्हें पता था की उनके बड़े भाई ने एक बार जो आदेश दे दिया, तो बस दे दिया !

" अब अवंतिका के बारे में बताओ प्रिये !!! ". राजकुमार देववर्मन ने चित्रांगदा के गांड़ की दोनों गोलाईयों को अपने हाथों से दबाते हुए कहा.

चित्रांगदा ने आगे झुक कर अपने दोनों हाथ अपने पति के चौड़े सीने पर टिका दिये, और फिर धीरे धीरे अपनी गांड़ ऊपर नीचे करते हुए उन्हें चोदते हुए कहना शुरू किया.

" ननद जी कोई आम राजकुमारी नहीं, साक्षात् काम की देवी लगती हैं, जब वो निर्वस्त्र होकर नहाने के लिए पानी में उतरती है ! उनकी सुराहीदार गर्दन नीचे छोटे कंधो से होती हुई उनकी छाती तक पहुँचती है, जहाँ उनके कसे हुए वक्ष सदैव ऊपर कि ओर ही उठे हुए रहते हैं. ".

" रुको मत प्रिये... और बताओ ! ". राजकुमार देववर्मन ने गहरी साँसे लेते हुए कहा, और अपनी आँखे बंद कर ली.

चित्रांगदा उनकी गोद में बैठी अपनी कमर नचाते हुए कभी उन्हें तो कभी राजकुमार विजयवर्मन को देखते हुए बोलती रही.

" ऊँचे वक्षस्थल नीचे की ओर पतली लचकदार कमर में परिवर्तित हो गई है. उनकी नाभी गोल नहीं, बल्कि एक लम्बी संकरी छोटी सी लकीर मात्र है. "

" और... और... ". राजकुमार देववर्मन के मुँह से निकला.

उन्होंने अपनी आँखे बंद ही रखी थीं. ज़ाहिर था की अपनी पत्नि के मुँह से निकले अपने बहन के शरीर के वर्णन के शब्द उन्हें कामोत्तेजित कर रहें थें. चित्रांगदा ने अपनी कमर हिलाने की गति थोड़ी सी बढ़ा दी और फिर आगे कहना जारी रखा.

" उनकी नाभी से होते हुए उनका पेट नीचे ढलान से मुड़ कर उनकी योनि में जाकर विलीन हो जाता है, और पीछे की ओर विशालकाय, मगर गोल और सुडॉल नितंब में बदल कर बाहर की ओर पुनः निकल पड़ता है. "

" अअअअअहहहहहह ... प्रिये... बहुत खूब... ". राजकुमार देववर्मन के मुँह से गरम आह निकली.

चित्रांगदा ने महसूस किया की उनके पति का लण्ड उसकी चूत में हर क्षण फूलता ही जा रहा रहा था, उसने अपने पति को इतना ज़्यादा उत्तेजित कभी नहीं देखा था... जब उनके सामने राजकुमार विजयवर्मन उसे चोदते हैं, तब भी नहीं !!!

चित्रांगदा ने अपनी ननद राजकुमारी अवंतिका का दैहिक वर्णन जारी रखा.

" उनकी कोमल मांसल जांघे आपस में हमेशा सटी हुई रहती हैं और इसी कारणवश अगर वो आपके सामने आकर पूर्णतः नंगी भी खड़ी हो जायें, तो उनकी योनि उनकी जंघा के बीच इस भांति छुप जाती है की उसके दर्शन हो पाना दुर्लभ है ! "

" हम्म्म्म... मममममममम... अवंतिका !!! ". राजकुमार देववर्मन ने ऐसे कहा मानो उन्हें साँस लेने में कठिनाई हो रही हो.

राजकुमार विजयवर्मन चुपचाप खड़े सब कुछ देखते हुए बस इस घिनौने खेल के अंत की प्रतीक्षा कर रहें थें.

" राजकुमारी अवंतिका की योनि पर अवस्थित रेशम से भी ज़्यादा मुलायम काले घुंघराले केश ऐसे लगते हैं मानो... ".

" बस... बस... रुको प्रिये... बस !!! ".
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 07-22-2021, 12:50 PM

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