मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
07-22-2021, 12:52 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
" क्षमा कीजिये महाराज, पुष्पनगरी के राजा नंदवर्मन के ज्येष्ठ पुत्र राजकुमार देववर्मन आपके दर्शनाभिलाशी हैं... ". मरूराज्य नरेश हर्षपाल के शयनकक्ष में प्रवेश करते ही एक सैनिक ने कहा. " उन्होंने कहा है ये बहुत... ".

हर्षपाल अपने सैनिक कि बात बीच में ही काटकर ज़ोर से चिल्लायें.

" मूर्ख... बातें मत कर, उन्हें तत्काल आदरपूर्वक अंदर ले आ !!! ".

सैनिक डरते डरते सिर झुकाकर बाहर चला गया. एक पल के बाद ही कक्ष में देववर्मन ने प्रवेश किया, परन्तु अंदर सामने का दृश्य देखते ही वो ठिठक कर रुक गएँ, और सिर नीचे करके कहा.

" क्षमाप्रार्थी हूँ राजा हर्षपाल... मुझे ज्ञात ना था कि आप अपनी पत्नियों के संग हैं, वर्ना मैं किसी और समय पधारता ! ".

सामने एक विशालकाय सैया पर हर्षपाल पूरी तरह से निर्वस्त्र लेटे हुये थें, एक नग्न स्त्री उनकी फैली हुई टांगों के मध्य अपना मुँह घुसाये अपना चेहरा ऊपर नीचे कर रही थी. उसका चेहरा उसके काले लंबे केश से पूर्णत: ढंका हुआ था, सो कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था, परन्तु उसकी हरकते देखकर कोई भी अनुमान लगा ही लेता कि वो मुखमैथून में लिप्त है. एक दूसरी स्त्री हर्षपाल के समीप नंगी लेटी उनका बालों से भरा सीना सहला रही थी !

" पत्नि ??? ". हर्षपाल ठहाका मारकर हँस पड़े, और बोलें. " अरे नहीं नहीं... ये तो हमारी नर्तकी हैं. जब हमें ज्ञात हुआ की ये दोनों सुंदर नर्तकीयां नृत्य के अलावा और भी कई सारी कलाओ में निपुण हैं, तो हमने तुरंत ही इन्हे नृत्यालय से निकालकर अपने शयनकक्ष की सेविका बना लिया ! ".

देववर्मन अंदर ही अंदर क्रोधित होते हुये चुपचाप खड़े हर्षपाल की बकवास सुनते रहें.

" चार दिनों से हम अपने कक्ष से बाहर नहीं निकले हैं राजकुमार देववर्मन, अपनी पत्नियों से भी नहीं मिलें. अब तो लगता है की आपकी बहन राजकुमारी अवंतिका से विवाहोपरांत ही हमारा इन सुंदरीयों से साथ छूटेगा ! ".

देववर्मन कुछ ना बोलें.

" परन्तु आप चिंता ना करें राजकुमार... आपकी बहन के हमारे राजभवन में वधु बनकर आते ही हमारी ये सारी आदतें अपने आप छूट जाएंगी ! ".

" अवश्य राजा हर्षपाल... आप राजा हैं, आपको हर कुछ शोभा देता हैं ! ". देववर्मन ने हर्षपाल को चुप कराने के उदेश्य से खींझ कर कहा. फिर बोलें. " मुझे आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी थी ! ".

" अवश्य... अवश्य ! तभी तो आप इतनी दूर की यात्रा करके हमारे राज्य में पधारें हैं, आपका स्वागत है ! ".

" मेरा मतलब था, मुझे आपसे एकांत में बात करनी है... ".

" एकांत में ??? ". हर्षपाल ने वापस से प्रश्न किया, फिर कुछ सोचा, और फिर जो नर्तकी उनका लण्ड चूस रही थी, उससे कहा. " जल्दी करो रोहिणी... मेहमान को प्रतीक्षा कराना घोर पाप है ! ".

हर्षपाल की बात समझकर दूसरी नर्तकी उनके पास से उठी, और पहली नर्तकी के मुँह में घुसे उनके लण्ड के अंडकोष को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर दबाने लगी. हर्षपाल के चरमोत्कर्ष की अवधी को कम करने की उसकी ये तरकीब काम आई, जल्द ही वो छटपटाने लगें, उनके पैर अकड़ गएँ, और वो पहली नर्तकी के मुँह में अपना वीर्य भरने लगें.

देववर्मन चुपचाप खड़े इस नाटक को ना चाहते हुये भी देखते रहें.

पहली नर्तकी ने हर्षपाल के जाँघों के बीच से अपना चेहरा उठाया तो उनका झड़ा हुआ लण्ड उसके मुँह से फिसल कर बाहर निकल आया और ज़ोर ज़ोर से फड़कने लगा. स्पष्ट था की पहली नर्तकी उनका सारा का सारा वीर्य निगल चुकी थी ! दूसरी नर्तकी खिलखिलाकर हँसने लगी, फिर दोनों ने एक साथ हर्षपाल के लण्ड को चूमा. फूलते हुये साँस के साथ हर्षपाल उठें और दोनों नर्तकीयों के चूतड़ों पर एक साथ हल्के से थप्पड़ मारा, तो इशारा समझकर दोनों नर्तकीयां बिस्तर से उतरकर दौड़ते हुये कक्ष से बाहर भाग गईं.

हर्षपाल के चेहरे पर चरमसुख का संतोष साफ झलक रहा था. उन्होंने पास पड़े चादर से अपना ढीला पड़ रहा लण्ड ढंक लिया, परन्तु बिस्तर पर से उठें नहीं, और बोलें.

" आसन ग्रहण कीजिये राजकुमार... ".

देववर्मन बिस्तर के समीप रखे एक सिंहासन पर विराजमान हो गएँ.

" पहले जल ग्रहण कीजिये, भोजन कीजिये, थोड़ी मदिरा लीजिये... ".

" इन सबका समय नहीं है राजन !!! ".

" समय नहीं है ??? किसके पास समय नहीं है, आपके या हमारे ??? ". हर्षपाल ने आश्चर्य से पूछा.

" मैं आपको सारी बात बता देता हूँ राजन, फिर आप ही तय करें की इस परिस्थिति में समय का अधिक मूल्य किसके लिए है...आपके या मेरे ! ".

" ऐसी क्या बात हो गई ??? महाराज ठीक तो हैं ना... और अवंतिका ? ".

" अगर पिताश्री को पता चल गया की मैं आपसे मिलने आया हूँ तो उनके गुप्तचर मेरे प्राण हर लेंगे ! ".

" आपको यहाँ किसी का भय नहीं राजकुमार. परन्तु महाराजा नंदवर्मन आपके प्राण क्यूँ लेना चाहेंगे ??? पहेलियाँ ना बुझाईये... बताईये ! ".

" आपके साथ धोखा हुआ है राजा हर्षपाल !!! ".

" धोखा ??? कैसा धोखा ? ".

देववर्मन ने ऐसा नाटक किया मानो भय से उनकी साँस अटक रही हो, फिर बताने लगें.

" ध्यान से सुनिए राजन ! आपको तो ज्ञात ही है की मेरी बहन अवंतिका का आपके साथ विवाह होने से पहले उसके दोषनिवारण हेतु उसका विवाह सत्ताईस दिनों के लिए मेरे छोटे भाई विजयवर्मन से कर दिया गया था... ".

" हाँ राजकुमार... और मुझे इस पवित्र दोषनिवारण पूजा पाठ विधि से कोई आपत्ति नहीं थी... ".

" वही तो राजन, अवंतिका का दोष, उसका विवाह, ये सारा कुछ एक षड़यंत्र था ! सब मिथ्या था ! ये सारा का सारा नाट्य विजयवर्मन का रचा हुआ था. असल में मेरे छोटे भाई का... ". कहते कहते देववर्मन जानबूझकर रुकें, ये दर्शाने के लिए की वो आगे की बात बताने में हिचक रहें हैं, फिर बोलें. " मेरे छोटे भाई का हमारी बहन अवंतिका से अवैध सम्बन्ध था. ये बात हमारे परिवार में किसी को भी ज्ञात ना था. दोनों भाई बहन ने अपनी कामाग्नि जीवन भर के लिए मिटाने हेतु पुरोहित जी के साथ मिलकर ये स्वांग रचा. पुरोहित जी ने झूठमूठ अवंतिका का कोई अदभुत दोष बताकर दोनों भाई बहन के सत्ताईस दिन के लिए विवाह बंधन में बंधने का उपाय बताया. विजयवर्मन को पता था की अगर एक बार उसका अपनी बहन से विवाह हो जाये तो फिर दोनों को कोई भी अलग नहीं कर सकता. ".

हर्षपाल जड़ होकर देववर्मन की बात सुनते रहें.

" ये सत्ताईस दिन पूरे होने के बाद स्वयं विजयवर्मन ने ये बात हम सबों को बताई. परन्तु सबसे दुख और लज्जा की बात ये है की अब सारी बात जानने के बाद पिताश्री और माताश्री ने भी इस घृणित सम्बन्ध को स्वीकृती दे दी है, ये कहकर की अब जब दोनों का विवाह हो ही गया है तो फिर और किया भी क्या जा सकता है. जब मैंने इस बात का विरोध किया और कहा की हमें महाराज हर्षपाल को इस भांति अंधकार में रखकर उनके साथ छल नहीं करना चाहिए, तो पिताश्री ने ये कहकर मुझे सदैव के लिए चुप रहने का आदेश दिया, की राजपरिवार के मान सम्मान और गौरव की रक्षा के लिए हमें ये बात राजा हर्षपाल से किसी भी हालत में छुपानी पड़ेगी. वे लोग एक दो दिन में अवंतिका और विजयवर्मन को राज्य से बाहर दक्षिण में हमारे मामाश्री के साम्राज्य में भेंज देंगे. उनकी योजनानुसार कहें तो उसके कुछ दिन बाद आपको ये सन्देश दे दिया जायेगा की पुरोहित जी ने कहा है की अवंतिका का दोषनिवारण असफल रहा, और अब वो कभी भी किसी से विवाह नहीं कर सकती, क्यूंकि विवाहोपरांत उसके पति की मृत्यु तय है. इस बात को सुनकर आप खुद ही भय से पीछे हट जायेंगे और... ".
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 07-22-2021, 12:52 PM

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