मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
07-22-2021, 12:52 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
प्रथमत: कक्ष के द्वार पर टंगे परदे में एक साथ दो तीन तलवारें घुसी, फिर पूरा पर्दा ही फट कर चीथड़े चीथड़े होकर नीचे ज़मीन पर गिर पड़ा, इसके साथ ही परदे के चीथड़ों को अपने धूल धूसरित पैरों तले रौदते हुये एक साथ अनगिनत सैनिकों का एक पूरा जत्था ही कक्ष में वायु से भी तेज़ गति के साथ प्रवेश कर गया !!!

हर्षपाल के सैनिको के शरीर और तलवारों पर लगे खून के छींटे और धब्बे बता रहें थें कि बाहर उन्होंने मृत्यु का कैसा तांडव मचाया हुआ होगा !

इतने सारे सैनिकों को एक साथ कक्ष में प्रवेश करते देखकर अवंतिका और चित्रांगदा को भय से भी पहले साक्षात् मृत्यु के दर्शन हो गएँ. फेफड़ों में जितनी क्षमता थी, उतनी ताकत लगाकर दोनों एक साथ ज़ोर से चीख उठी, आँखे बंद कर ली, और एक दूसरे से लिपट पड़ी !!!

परन्तु अवंतिका के कक्ष में घुसपैठ करने वाले हर्षपाल के सैनिकों को ये ज्ञात नहीं था कि अंदर कोई साधारण सा सिपाही, कोई सैनिक, मंत्री, सेनापति, या राजा नहीं, वरन स्वयं विजयवर्मन उपस्थित हैं - वो विजयवर्मन जो वैसे तो मधुरभाषी हैं और कभी भी अनायास ही अपना स्वर ऊँचा करके बात भी नहीं करतें, परन्तु समय कि मांग हो तो अपने परिजनों कि रक्षा हेतु यमराज से भी भिड़ने से पीछे ना हटें, और इस समय स्पष्ट मायनों में अवंतिका और चित्रांगदा ही उनके परिजन थें !!!

अवंतिका और चित्रांगदा को जब अनुभूति हुई कि उनकी ओर आती हुई शत्रु सेना कि लहर अचानक से थम गई है, तो दोनों ने साहस करके अपनी आँखे धीरे धीरे खोली !

उनके सामने विजयवर्मन का भारी शरीर अभी भी अडिग खड़ा था. वो अपने स्थान से एक इंच तक नहीं हिले थें. रक्त से सनी उनकी तलवार हवा में उन्नत उठी हुई थी. उनके सामने ज़मीन पर तीस सैनिकों कि कटी फटी निर्जीव लाशें पड़ी हुई थीं. ये हर्षपाल के वो तीस सैनिक थें जिन्होंने कक्ष में प्रवेश करने के उपरांत उन तीनों कि ओर सबसे पहले बढ़ने का असीम साहस दिखाया था !!!

एक ही स्थान पर खड़े खड़े जब विजयवर्मन ने इतने सारे सैनिकों को पलक झपकते ही मौत के घाट उतार दिया, तो उन सैनिकों के पीछे घुसने वाले सैनिक खुद ब खुद ठिठक कर रुक गएँ ! भय से थर्राते हुये सैनिकों के तलवारों पर उनकी हाथों कि पकड़ ढीली पड़ने लगी. विस्मय से बाहर निकल आई उनकी आँखे कभी नीचे पड़े हुये उनके मरे हुये साथी सैनिकों को देखते, तो कभी सामने खड़े पुरुष को, जिसका नाम विजयवर्मन था !!!

हर्षपाल के ये सैनिक निडर थें या नहीं, ये तो समझ पाना कठिन था, परन्तु इतना तो स्पष्ट था कि वो वफ़ादार और स्वामीभक्त अवश्य ही थें, क्यूंकि अगर ऐसा ना होता तो फिर अपनी नियति ज्ञात होते हुये भी वो अपने सामने खड़ी मृत्यु के आलंगन को आगे कदम ना बढ़ाते ! उनकी मुट्ठीयों में थमी तलवार पर उनकी पकड़ फिर से जम गई, और सारे सैनिक एक साथ विजयवर्मन के ऊपर टूट पड़ें !!!

अवंतिका और चित्रांगदा ने पुनः अपनी आँखे बंद कर ली.

अगले कुछेक क्षणों तक अपने पैर ज़मीन पर एक ही जगह अडिग टिकाये हुये मात्र अपने हाथ और उसमें थमी तलवार को हवा में लहराते हुये विजयवर्मन अपनी ओर आ रहे हर्षपाल के सैनिकों को काटते रहें. उन्हें उनकी जगह से हटाना तो दूर, उन्हें अब तक कोई सैनिक स्पर्श भी ना कर पाया था. पूरे कक्ष कि ज़मीन सैनिकों कि लाशों और लाल रक्त कि छोटी सी नदी से भर गया !!!

एक के बाद एक सैनिकों का झुंड अंदर आता गया, परन्तु केवल अपनी मृत्यु से भेंट करने !

ना हिंसा, ना द्वेष, ना भय, ना घृणा, चेहरे पर कोई भी भाव लिए बिना विजयवर्मन शत्रु सेना का वध करतें गएँ !

बिजली से भी तेज़ गति से हवा में लहराती उनकी तलवार से और भी ना जाने कितने शत्रु धराशायी होतें, परन्तु तभी अचानक से विजयवर्मन कि कलाई एक मजबूत मुट्ठी कि जकड़ में आ गई, तो उनकी तलवार का वार रुक गया. इतने ताकतवर हाथ कि पकड़ आज तक विजयवर्मन ने महसूस नहीं कि थी. उनकी ओर बढ़ रहे सारे सैनिक भी रुक गएँ, तो विजयवर्मन ने सामने अपनी नज़रें उठाकर अपने इस सशक्त शत्रु को देखा.

क्रूर हर्षपाल से विजयवर्मन कि ये पहली मुलाक़ात थी !!!

सिर से लेकर पांव तक लोहे के कवच से सुसज्जित चौड़े शरीर वाले हर्षपाल ने विजयवर्मन कि आँखों में आँखे डालकर कहा.

" आप चाहें तो पूरा दिन हमारे सैनिकों का वध कर सकतें हैं राजकुमार, और हमें पूरा विश्वास है कि वो आपको हाथ तक ना लगा पाएंगे. परन्तु जब आपकी मृत्यु तय है तो फिर हम अपने वीर सैनिकों कि संख्या मात्र यूँ ही कम क्यूँ होने दें ??? ".

विजयवर्मन जब कुछ ना बोलें तो हर्षपाल ने धीरे से उनका हाथ और हाथ में थमी हुई तलवार को नीचे करते हुये कहा.

" अपना भाग्य स्वीकार करो राजकुमार ! हम वचन देते हैं कि इन स्त्रीयों को ना ही हम और ना ही कोई और स्पर्श करेगा !!! ".

स्त्रीयों को ना छूने वाली हर्षपाल कि बात मानकर विजयवर्मन थोड़े शांत हुये और उन्होंने अपनी तलवार नीचे कर ली.

" धन्यवाद राजकुमार... ". हर्षपाल ने मुस्कुराते हुये सिर झुकाकर कहा, और पीछे मुड़कर अपने सैनिकों को इशारा किया.

कपटी हर्षपाल कि चाल जब तक विजयवर्मन समझ पाते, तब तक देर हो चुकी थी !

हर्षपाल के पीछे से चार सैनिक निकल कर आगे बढ़ें, और दौड़ते हुये विजयवर्मन को पार करके अवंतिका और चित्रांगदा कि ओर लपकें !!!

अवंतिका और चित्रांगदा चीख पड़ी.

स्थिति का आकलन करते ही विजयवर्मन अत्यंत तीव्र गति से अपने पैरों पर पीछे मुड़े, और एक ही वार में झटके से अपनी तलवार चलाई !

अवंतिका और चित्रांगदा कि ओर बढ़ रहे चारों सैनिकों का एक एक हाथ उन दोनों को स्पर्श करने से पहले ही सूखी लकड़ी कि भांति कटकर ज़मीन पर गिर पड़ा, और चारों घायल लहूलुहान सैनिक वहीँ ज़मीन पर गिरकर छटपटाने लगें.

" अरे मूर्ख, पहले इसे पकड़ो ! ". हर्षपाल ने ज़ोर से चिल्लाते हुये विजयवर्मन कि ओर इशारा किया.

ध्यान भटक जाने कि वजह से विजयवर्मन इसके लिए तैयार ना थें. सैनिकों के एक पूरे झुंड ने उन्हें धर दबोचा तो उनके हाथ से उनकी तलवार छूटकर नीचे ज़मीन पर गिर गई. विजयवर्मन के काबू में आते ही कुछ सैनिकों ने अब अवंतिका और चित्रांगदा को भी पकड़ लिया, और तीनों को एक साथ हर्षपाल के सामने ला खड़ा किया !

" हमारे पिताश्री कहाँ हैं हर्षपाल ??? ". सैनिकों के हाथों बंधे खड़े विजयवर्मन ने शांत होकर पूछा.

" महाराज हर्षपाल कहो राजकुमार !!! अब हम ही आपके राजा हैं. मेरा तात्पर्य है कि जितनी देर भी आप जीवित हैं, उतनी देर तक तो अपने राज्य के इस नये राजा का सम्मान करें . और नंदवर्मन के बारे में हमें कुछ भी ज्ञात नहीं ! हमें तो युद्धभूमि में जाने कि आवश्यकता ही नहीं पड़ी ! हाँ... आपकी माताश्री को अवश्य ही बंदी बना लिया गया है ! ". हर्षपाल ने हँसते हुये कहा.

" क्या चाहिए तुम्हें ??? ".

" आपको नहीं लगता कि हमसे ये प्रश्न करने का समय अब निकल चुका है राजकुमार ? ". हर्षपाल ने अवंतिका कि ओर देखते हुये ब्यंग किया.

तभी कक्ष में देववर्मन ने प्रवेश किया !

" भैया ??? कहाँ थें आप ??? ". अपने बड़े भाई को इस प्रकार सकुशल और जीवित देख ख़ुशी से विजयवर्मन चिल्ला उठें.

" लीजिये राजकुमार... आपके ज्येष्ठ भ्राता भी आ गएँ, अब उन्ही से सारा समाचार पूछ लीजिये ! " हर्षपाल ने कहा, फिर देववर्मन से बोलें " राजा नंदवर्मन जीवित हैं या... ".
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 07-22-2021, 12:52 PM

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