SexBaba Kahan विश्‍वासघात
09-29-2020, 12:10 PM,
#33
RE: SexBaba Kahan विश्‍वासघात
कौशल ने अपना पीतल का मुक्का अपने दायें हाथ की उंगलियों पर चढ़ा लिया। कार की ड्राइविंग साइड के दरवाजे का लॉक खोलने के उपक्रम में जब दारा की उसकी तरफ पीठ हो गयी तो कौशल दबे पांव आगे बढ़ा। बिल्ली की तरह उसने चौड़ी सड़क पार की और दारा के सिर पर पहुंच गया। दारा नीचे झुककर कार में दाखिल होने ही लगा था कि कौशल ने अपने बायें हाथ से पीछे से उसका कन्धा थामकर उसे फिरकनी की तरह अपनी तरफ घुमाया, फिर उसने अपने मुक्का चढ़े हाथ का एक अत्यन्त शक्तिशाली प्रहार दारा पर किया। दारा की तुरन्त चेतना लुप्त हो गई और वह कार के दरवाजे के पास सड़क पर ढेर हो गया।
कौशल ने अपनी उंगलियों पर से मुक्का उतारकर जेब में डाल लिया और उकड़ू होकर दारा के अचेत शरीर के पास बैठ गया। उसने अपने दोनों हाथों से दारा का चेहरा थाम लिया और फिर अपने दोनों हाथों की उंगलियों को साथ-साथ मिलाकर उनके नाखूनों से दारा के दोनों गालों को नोच डाला। दारा के गालों में आठ खूनी लकीरें खिंच गयीं लेकिन उसके अचेत जिस्म में कोई हरकत न हुई। कौशल ने अपनी उंगलियों को जान-बूझकर बहुत करीब-करीब रखा था, ताकि दारा के गालों पर खिंची लकीरें किन्हीं जनाना हाथों की करामात लगतीं।
चाबियों का गुच्छा अभी भी दारा के हाथ में था। उसने गुच्छा वहां से निकाल लिया। उस गुच्छे में कार की चाबियों के अलावा और भी चाबियां दिखाई दे रही थीं। उन और चाबियों में से एक चाबी शर्तियां पायल के फ्लैट की भी होनी थी।
फिर उसने दारा की जेबें टटोलीं।
उसका पर्स उसके कोट की भीतरी जेब में था। उसने पर्स निकाल कर उसे खोला। वह नोटों से ठुंसा पड़ा था। सौ सौ के सारे नोट उसने पर्स में से निकाल लिए और पर्स वापिस दारा की जेब में रख दिया। पर्स में उसने दस और बीस के कुछ नोट ही छोड़े थे।
फिर दारा को वहीं कार के पहलू में अचेत छोड़ कर वह आगे बढ़ा। उसने इमारत की लॉबी में कदम रखा।
वह एक लिफ्ट में दाखिल हो गया।
लिफ्ट के तीसरी मन्जिल पर पहुंचने तक उसने दारा की जेब से निकाले नोट गिने।
पूरे चालीस नोट थे।
लिफ्ट तीसरी मंजिल पर जाकर रुकी तो उसने उसमें से बाहर निकलने का उपक्रम न किया। उसने लिफ्ट का दरवाजा बन्द करने वाला बटन दबाया और दरवाजों की पटड़ी के बीच अपना एक पांव रख दिया। दोनों दरवाजे उसके पांव के साथ टकरा कर रुक गए। अब लिफ्ट किसी और फ्लोर से बुलाई जाने पर भी वहां से हिल नहीं सकती थी। उसी स्थिति में पांव को टिकाए-टिकाए उसने अपना कोट कमीज और जेब वाली बनियान उतारी। कमीज और कोट को उसने दोबारा पहन लिया ओर बनियान को अपने कोट की एक बाहरी जेब में ठूंस लिया। उसने अपनी कमीज के ऊपरले तीन बटन जान-बूझ कर खुले छोड़ दिए। खुले कॉलर में से उसकी बालों भरी चौड़ी छाती बाहर झांकने लगी। फिर उसने लिफ्ट का दरवाजा खोलने वाला बटन दबाया और लिफ्ट से बाहर कदम रखा।
वह पायल के फ्लैट के मुख्यद्वार पर पहुंचा।
दारा की चाबियों में से एक चाबी से मुख्यद्वार का ताला खुल गया।
अपने पीछे दरवाजा खुला छोड़ कर वह दबे पांव फ्लैट में दाखिल हुआ। उसने ड्राइंगरूम में झांका।
वह खाली था।
वह पूर्ववत् दबे पांव चलता बैडरूम के दरवाजे पर पहुंचा।
भीतर पायल मौजूद थी। वह सम्पूर्ण नग्नावस्था में अपनी ड्रैसिंग टेबल के आदमकद शीशे के सामने खड़ी थी और बड़े मुग्ध भाव से अपने नौजवान, पुष्ट, सुडौल शरीर के प्रतिबिम्ब को निहार रही थी। जिन कपड़ों में उसने उसे दारा के साथ इमारत में दाखिल होते देखा था, वे एक ओर एक कुर्सी की पीठ पर पड़े थे। डबल बैड की हालत ऐसी थी जैसे उस पर दंगल हुआ था।
कौशल ने धीरे से बैडरूम में कदम रखा।
तभी शायद उसकी परछाईं पायल को शीशे में दिखाई दे गई। उसके मुंह से एक चीख सी निकली और वह तुरन्त कौशल की तरफ घूमी।
कौशल छलांग मारकर उसके सिर पर पहुंच गया। उसने पायल को उसके गले से पकड़ लिया और कहरभरे स्वर में बोला—“खबरदार! आवाज न निकले। नहीं तो गला घोंट दूंगा।”
आवाज उसके मुंह से न निकली लेकिन भयभीत वह इतनी थी कि उसकी आंखें अपनी कटोरियों में से उबली पड़ रही थीं।
कौशल उसे घसीटता हुआ पलंग तक ले आया। उसका गला छोड़े बिना उसने उसको पलंग पर धकेल दिया।
“कैसी हो़ पायल बाई?”—वह दांत निकाल कर हंसता हुआ बोला।
उसे हंसता देख कर पायल के चेहरे से भय के भाव गायब हो गए और उनका स्थान नफरत ने ले लिया। भयभीत अब वह इसलिए नहीं रही थी, क्योंकि वह कौशल के यूं वहां घुस आने का मतलब कुछ और ही समझ रही थी। लेकिन वह उसकी गलती थी और इसीलिए कौशल को हंसी आ गई थी।
एकाएक कौशल ने उसका गला दबाना शुरू कर दिया।
पायल फिर आतंकित हो उठी। उसके दोनों हाथ कौशल की नंगी छाती पर पड़े और वह अपनी पूरी शक्ति के साथ उसे अपने ऊपर से परे धकेलने की कोशिश करने लगी। कौशल ने उसके गले पर अपना दबाव और बढ़ाया तो पायल के हाथों के नाखुन कौशल की छाती में गड़ने लगे।
इसी बात की कौशल को अपेक्षा थी। इसी बात की कौशल को प्रतीक्षा थी।
पायल के नाखूनों के नीचे से खून और नुची हुई चमड़ी के अंश बरामद होना जरूरी था।
ज्यों ही उसे लगा कि उसका वह मन्तव्य पूरा हो गया था, उसने पायल का गला घोंट कर उसे मार डाला।
पायल पर बिना दोबारा निगाह डाले वह वहां से विदा हो गया। फ्लैट को उसने बदस्तूर ताला लगा दिया और लिफ्ट में पहुंचा।
वहां उसने कोट और कमीज उतार कर बनियान फिर पहन ली। पायल के नाखूनों से उसकी छाती पर आई खरोंचें उसके घने बालों में छुपी हुई थीं। उसने अपने कॉलर वाले बटन को छोड़ कर कमीज के सारे बटन बन्द कर लिए।
वह नीचे पहुंचा।
नीचे अभी भी सन्नाटा था। कहीं कोई नहीं था।
वह दारा की कार के पास पहुंचा।
दारा कार के पहलू में वैसे ही पड़ा था, जैसे वह उसे छोड़कर गया था। उसने उसकी कार की चाबियां दरवाजे के ताले में लटका दीं ओर वहां से हट गया। फिर लम्बे डग भरता वह कार से परे चलने लगा।
तभी उसके पीछे एक कार की हैडलाइट्स चमकीं।
वह फौरन एक पेड़ की ओट में हो गया और कार के सड़क पर से गुजर जाने की प्रतीक्षा करने लगा।
लेकिन कार वहां से गुजरने के स्थान पर दारा की कार के समीप रुक गई। कार में से चार आदमी बाहर निकले और दारा के इर्द गिर्द जमा हो गए। किसी ने कौशल की दिशा में निगाह तक न डाली।
कौशल पेड़ की ओट में से निकला और फिर लम्बे डग भरता फुटपाथ पर आगे बढ़ गया।
कनाट सर्कस की गोल सड़क पर उसका पहला कदम पड़ा तो उसने चैन की गहरी सांस ली।
अब उसे कोई खतरा नहीं था।
और अपना बदला उसने ले लिया था।
वह सन्तुष्ट था कि उसने यूं ही मार नहीं खा ली थी, वह यूं ही नहीं लुट गया था।
कनाट प्लेस पहुंच कर भी उसने पुरानी दिल्ली की तरफ जाने का उपक्रम न किया। वह रंगीला के घर जा सकता था लेकिन रंगीला उससे बहुत सवाल पूछता और अभी फिलहाल वह किसी पूछताछ के मूड में नहीं था।
जाने को वह अपने घर भी जा सकता था लेकिन उसके दिल ने गवाही न दी कि वह वहां जाता।
वह रीगल के करीब पहुंचा।
उसके बरामदे के एक खम्भे से लगी खड़ी एक लड़की उसे दिखाई दी। उसके खड़े होने का अन्दाज ऐसा था जैसे वह किसी सवारी के इन्तजार में हो लेकिन कौशल जानता था कि उसे किस चीज का इन्तजार था।
कौशल उसके समीप पहुंच कर ठिठका।
वह पच्चीस के करीब की थी और उसके नयन नक्श भी बुरे नहीं थे।
लड़की ने एक सरसरी निगाह कौशल पर डाली और फिर सामने सड़क पर देखने लगी।
“कितने?”—कौशल धीरे से बोला।
लड़की ने फिर उसकी तरफ देखा और उसे दो उंगलियां दिखाईं।
“अपना कोई ठिकाना है?”
लड़की ने सहमति में सिर हिलाया और फिर उसे तीन उंगलियां दिखाईं।
कौशल ने उसे दो उंगलियां दिखाई और धीरे से बोला—“ठिकाने समेत। सुबह तक।”
“फूट।”—लड़की दांत भीच कर बोली।
कौशल ने आगे कदम बढ़ाया।
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RE: SexBaba Kahan विश्‍वासघात - by desiaks - 09-29-2020, 12:10 PM

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