RE: SexBaba Kahan विश्वासघात
कार से निकलकर क्वार्टरों की तरफ जाते उन तीन आदमियों की तरफ किसी ने ध्यान न दिया। लोगबाग यूं कार पर क्वार्टरों में रहते रिश्तेदारों से मिलने-जुलने आते ही रहते थे।
फियेट कार मन्दिर मार्ग पुलिस स्टेशन से मुश्किल से एक फर्लांग दूर खड़ी थी, सारे शहर में उस नम्बर की फियेट की तलाश हो रही थी लेकिन फिर भी रात को सड़कों पर पुलिस की गश्त शुरू हो जाने के बाद कहीं जाकर किसी की तवज्जो उसकी तरफ गई। कार के समीप से गुजरते पुलिसियों में से एक ने इत्तफाकिया कार के भीतर झांका तो उसे भीतर पड़ी लाश दिखाई दी।
और आधे घण्टे में कौशल की लाश की बरामदी की खबर एसीपी भजनलाल और फिर उसके माध्यम से इन्स्पेक्टर चतुर्वेदी और इन्स्पेक्टर भूपसिंह तक पहुंची।
तुरन्त वे तीनों पुलिस अधिकारी मन्दिर मार्ग पुलिस स्टेशन पहुंचे।
उन्हें लाश दिखाई गई।
उन्होंने मार से विकृत हुए चेहरे पर निगाह डाली।
“वही है।”—भजनलाल बोला।
“बहुत बेरहमी से पीटा गया मालूम होता है इसे।”—इंस्पेक्टर भूपसिंह बोला।
“तुम्हारे खयाल से किसकी करतूत होगी यह?”
“दारा के आदमियों के अलावा और किसकी करतूत होगी?”—उत्तर चतुर्वेदी ने दिया—“उन्हीं हरामजादों ने दिन-दहाड़े बाराटूटी के इलाके से इसका अगवा किया था।”
“हमारे पास ऐसा कोई सबूत नहीं है”—भजनलाल बोला—“जिससे यह जाहिर हो सके कि यह काम दारा के आदमियों का था।”
“और किसका होगा, सर? उन लोगों के अलावा और किसी की इस आदमी में दिलचस्पी नहीं हो सकती। उन लोगों की निगाह में इस आदमी की वजह से उनका बॉस पुलिस के चंगुल में आया हुआ था। जरूर उन्होंने इससे पायल के कत्ल का अपराध जबरदस्ती कुबुलवाने की कोशिश की होगी।”
भजनलाल खामोश रहा। अब तक वे लोग कौशल का चेहरा ही देख रहे थे, भजनलाल ने आगे बढ़कर उसके ऊपर से चादर खींच दी तो कौशल का नग्न शरीर एड़ी से चोटी तक उन लोगों के सामने आ गया। उसके बाकी के सारे जिस्म पर भी ऐसे निशान थे जो साबित करते थे कि उसकी बुरी तरह से धुनाई की गई थी।
लेकिन घने वालों से भरी उसकी छाती पर बनी आठ लम्बी लम्बी खरोंचें नयी नहीं थीं।
तीनों अधिकारी लगभग ठीक हो चुके खरोंचनुमा जख्मों का मुआयना करने लगे।
“ये खरोंचे”—भजनलाल बोला—“कम-से-कम चार-पांच दिन पुरानी हैं।”
“यानी कि”—भूपसिंह यूं बोला जैसे उस बात को कुबूल करने को उसका जी न चाह रहा हो—“इसकी छाती पर ये खरोंचे मंगलवार रात को आयी हो सकती हैं।”
“और ये पायल नाम की उस लड़की की दस्तकारी हो सकती है जिसके कत्ल के इलजाम में दारा गिरफ्तार है।”
“यानी कि”—भूपसिंह भारी निराशापूर्ण स्वर में बोला—“दारा के खिलाफ केस की छुट्टी।”
“हमने बुधवार को इसके हाथों का, गर्दन का, गले का, चेहरे का मुआयना किया था लेकिन हमें इसकी छाती का मुआयना करने का भी खयाल आना चाहिए था।”
“अब हमें दारा को रिहा करना पड़ेगा।”
“अगर कौशल के कत्ल का रिश्ता दारा के गैंग से जोड़ सको, अगर यह साबित करके दिखा सको कि कौशल पर कातिलाना हमला दारा की शह पर हुआ था तो नहीं रिहा करना पड़ेगा। कत्ल करवाना भी उतना ही संगीन जुर्म है जितना कि कत्ल करना।”
“यह साबित करना आसान न होगा।”
“खासतौर से तब”—चतुर्वेदी बोला—“जब कि दारा अभी, इस वक्त भी हवालात में है।”
तभी कहीं टेलीफोन की घन्टी बजी।
कुछ क्षण बाद एक हवलदार दौड़ा हुआ वहां पहुंचा।
“सर”—वह भजनलाल से बोला—“हैडक्वार्टर से आपका टेलीफोन है। डिस्पैचर कह रहा है कोई बहुत जरूरी बात है।”
भजनलाल फौरन हवलदार के साथ हो लिया।
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