RE: SexBaba Kahan विश्वासघात
“मैं गिर पड़ूगी।”—वह लगभग रोती हुई बोली—“मैं सैंडलों में नहीं भाग सकती।”
“कोशिश करो। बस पास ही जाना है। अगर हम उन लोगों के हाथ में पड़ गए तो बहुत बुरा होगा।”
“मैं सैंडलें उतार लूं?”
“खबरदार! रुकना नहीं।”
लेकिन डेजी रुकने से बाज न आई।
वह रुकी तो राजन को मजबूरन रुकना पड़ा।
वह जोर जोर से हांफती हुई अपने एक पैर से सैंडल उतारने की कोशिश करने लगी।
राजन ने व्याकुल भाव से पीछे देखा।
यह देखकर उसके छक्के छूट गए कि उनमें से एक लम्बा-तगड़ा लड़का तो लगभग उनके सिर पर पहुंच ही चुका था।
राजन का जी चाहा कि वह डेजी को वहीं छोड़कर भाग खड़ा हो। वे लोग डेजी को क्या कहेंगे? उनकी अदावत तो उससे थी। लेकिन अगर वह उनके हाथ न आया तो उसका बदला वह डेजी से उतार सकते थे।
लम्बा लड़का उनके समीप आकर ठिठक गया। अपनी लंबी टांगों की वजह से वह अपने साथियों से पहले तो वहां पहुंच गया था, लेकिन अकेले कुछ करने की उसकी हिम्मत न पड़ी। वह ठिठका खड़ा अपने साथियों के वहां पहुंचने का इन्तजार करने लगा।
डेजी ने सैंडल उतारने की कोशिश छोड़ दी। वह सीधी हुई और राजन के कन्धे के साथ चिपक कर खड़ी हो गई। आतंकित नेत्रों से वह एक-एक, दो-दो करके वहां पहुंचते बाकी लड़कों को देखने लगी।
सब उनके सामने अर्द्धवृत बनाकर यूं खड़े हो गए, जैसे सोच रहे हों कि वे उन दोनों को फौरन ही जान से मार डालें या पहले उठा उठाकर पटकें।
सबसे पहले वहां पहुंचे लम्बे लड़के ने शायद यह सोचा कि क्योंकि उसने वहां पहुंचने में पहल की थी इसलिए अब उन लोगों की फजीहत की पहल भी उसे ही करनी चाहिए थी।
उसने आगे बढ़कर डेजी की बांह थाम ली और बड़े कुत्सित भाव से हंसते हुए उसे अपनी तरफ घसीटने की कोशिश की।
राजन का खून खौल गया। उसके दायें हाथ का एक प्रचंड घूंसा लम्बे लड़के के जबड़े पर पड़ा। डेजी की बांह पर से लम्बे लड़के की पकड़ छूट गई और वह भरभराकर अपने साथियों पर जाकर गिरा।
राजन दो कदम पीछे हटा। उसने डेजी को अपने पीछे कर लिया।
तभी अपने नथुनों से स्टीम इंजन की तरह सांस निकालता ड्रम की तरह लुढ़कता दामोदर वहां पहुंचा। वह अपने साथियों से आगे निकल आया और हांफता हुआ राजन से बोला—“अब क्या हाल है लमड़े यार?”
“अब भी अच्छा हाल है।”—राजन कठोर स्वर में बोला—“पहले भी अच्छा हाल था।”
“और आगे? आगे का क्या सोच रिया है?”
“आगे भी अच्छा ही हाल रहेगा।”
“और तेरी इस क्रिस्तान छोकरी का?”
“इसे यहां से जाने दे।”—राजन दांत पीस कर बोला—“फिर मैं तुझे भी देख लूंगा और तेरे हिमायतियों को भी।”
“हा... हा... हा।”—दामोदर गधे की तरह हिनहिनाया—“इसे जाने दे। इसे जाने दे कह रिया है अपना लमड़ा। अबे, हम तो तुझे मार कर भगा रिए हैं और इसे रख रिए हैं। क्यों बे, लम्बू? क्या कह रिया है?”
“खलीफा।”—लम्बा लड़का बोला—“लमड़िया थाम लो तो मैं अपनी बेइज्जती भूल जाऊंगा।”
“अगर”—राजन कहरभरे स्वर में बोला—“किसी ने इसको हाथ भी लगाने की कोशिश की तो मैं उसे जान से मार डालूंगा।”
“अबे, सुन रिए हो, पियारो।”—दामोदर ने फिर अट्हास किया—“अपना लमड़ा यार हमें जान से मार डालने की धमकी दे रिया है। यह अकेला हम सबको जान से मार डालेगा। हम तो आदमी न हुए, मुर्गी के चूजे हई गए।”
उसके साथी भी उसके साथ हंसे।
“मार के गेर दो स्साले को।”—दामोदर कहरभरे स्वर में बोला और फिर आगे बढ़ा।
उसके साथी भी आगे बढ़े।
तभी एकाएक राजन ने अपनी पतलून की जेब में मौजूद रिवॉल्वर निकाल ली और उसे अपनी तरफ बढ़ते लड़कों की तरफ तान दिया।
“खबरदार!”—वह फुंफकारा।
दामोदर ठिठका।
उसके साथी भी रुक गए।
“यह क्या है?”—दामोदर संदिग्ध भाव से बोला।
“तुझे क्या दिखाई देता, हरामजादे?”
“नकली तमंचा होगा।”—दामोदर बोला—“फिल्मों में काम आने वाला। मुम्बई से निशानी के तौर पर लाया होगा अपना अमिताभ बच्चन।”
“मोटे, भैंसे! अगर एक कदम भी और आगे बढ़ाया तो भेजा उड़ा दूंगा।”
अब राजन भयभीत नहीं था। रिवॉल्वर हाथ में आते ही जैसे उसमें नई शक्ति का संचार हो गया था। उसने रिवॉल्वर कभी चलाई नहीं थी लेकिन इतना वह खूब जानता था कि नाल का रुख दुश्मन की तरफ करके बस सिर्फ घोड़ा खींचना होता था, बाकी काम अपने आप हो जाता था। और दामोदर तो इतना मोटा था कि निशाना ठीक न भी बैठता तो भी उसे कहीं तो गोली लगती! उसे न लगती तो उसके आसपास खड़े उसके चमचों में से किसी को लगती। एक को गोली लगते ही, उसे मालूम था कि, बाकी सबने भीगी बिल्ली की तरह से वहां से भाग खड़ा होना था।
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