RE: SexBaba Kahan विश्वासघात
तभी एकाएक जैसे उसे अपनी कोहनी के पास से आवाज आई—“वही है।”
वह हड़बड़ाकर घूमा।
अपने पीछे नीमअन्धेरी गली में उसे दो आदमी दिखाई दिये। उनमें से एक को उसने फौरन पहचाना।
वह जुम्मन नाम का वह आदमी था जो मंगलवार रात को कौशल के पीछे लग लिया था और जिसकी तीनों ने लालकिले के पास धुनाई की थी।
दूसरा आदमी भी जरूर कोई दारा का ही आदमी था।
पता नहीं वे लोग इत्तफाक से उस गली में थे या किसी प्रकार उन्हें उसकी सलमान अली के मकान में मौजूदगी की भनक मिल गई थी।
रंगीला ने पहले वापिस सलमान अली के मकान में घुस जाने का खयाल किया लेकिन फिर उसे वैसा करना नादानी लगा। अब तो वह जान बूझकर चूहे के पिंजरे में फंसने जैसा काम होता। अब जब कि वे लोग उसे पहचान ही गये थे तो वहां तो वे बड़े इतमीनान से उससे खुद भी निपट सकते थे और उसे गिरफ्तार भी करवा सकते थे।
एक क्षण वह वहीं ठिठका खड़ा रहा, फिर वह लम्बे डग भरता गली से बाहर की तरफ चल दिया।
वे दोनों उसके पीछे लपके।
रंगीला समझ गया वे दोनों उसका लिहाज नहीं करने वाले थे। वे जरूर उसे पकड़ लेने की फिराक में थे।
वे जब उसके अपेक्षाकृत करीब पहुंच गये तो रंगीला एकाएक वापिस घूमा और दोनों पर झपट पड़ा। उसकी उस अप्रत्याशित हरकत से दोनों गड़बड़ा गये और उस पर आक्रमण करने के स्थान पर अपने बचाव की कोशिश करने लगे। रंगीला ने दोनों की गरदनें पकड़ लीं और पूरी शक्ति से उनकी खोपड़ियां आपस में टकरा दीं।
फिर वह वहां से भाग निकला।
गली से बाहर उसे दो और ऐसे आदमी दिखाई दिये जो कि जुम्मन के साथी हो सकते थे।
लगता था वह सलमान अली के मकान में दाखिल होता देख लिया गया था और हर कोई उसके बाहर निकलने की ही ताक में वहां मौजूद था।
प्रत्यक्षत: उनका उसको पुलिस के हवाले करने का कोई इरादा नहीं था। ऐसा होता तो वे कब के पुलिस के पास पहुंच चुके होते और उसे गिरफ्तार करवा चुके होते। जरूर वे उससे आसिफ अली रोड वाली चोरी का माल छीनने की फिराक में थे।
ऐसे तो मत छिनवाया मैंने माल—दृढ़ता से वह मन ही मन बोला।
उन दोनों ने उसे दायें बायें से थाम लेने की कोशिश की, लेकिन रंगीला उन्हें डॉज दे गया और दरीबे की तरफ भागा।
वे सब उसके पीछे लपके।
दरीबे की एक एक गली से रंगीला वाकिफ था। बाजार से गुजरने के स्थान पर वह बाजार पार करके एक संकरी गली में घुस गया।
एक आदमी ने गली में उसके पीछे छलांग लगाई। अपने हाथ में थमा डण्डा उसने रंगीला की खोपड़ी को निशाना बनाकर घुमाया। रंगीला झुकाई दे गया। उसने अपना सिर बैल की तरह उसकी छाती में हूला। वह आदमी भरभराकर अपने पीछे मौजूद अपने साथी के ऊपर जाकर गिरा।
रंगीला फिर गली में भागा।
छ: आदमी।
अब तक छ: आदमी उसे अपनी फिराक में दिखाई दे चुके थे और अभी पता नहीं और कितने थे।
कई संकरी गलियों में से गुजरता वह एस्प्लेनेड रोड पर जाकर निकला। उसे देखते ही एक कार में से तीन चार आदमी बाहर निकले और सब उसे घेरने की कोशिश करने लगे।
हे भगवान! वह उनसे अलग भागता हुआ सोचने लगा, क्या दारा का सारा गैंग उसी के पीछे पड़ गया था?
ऐसे लोगों से हिफाजत के लिए लोग पुलिस के पास जाते थे लेकिन वह किसके पास जाता?
वे जानते थे कि वह पुलिस की शरण में नहीं जा सकता था, तभी तो वे इतनी निडरता से उसके पीछे पड़े हुए थे।
अन्धेरे में वह सरपट आगे भागा।
तभी एक खाली टैक्सी उसकी बगल में मे गुजरी।
“टैक्सी!”—वह उच्च स्वर में बोला।
टैक्सी रुक गई।
वह झपटकर टैक्सी में सवार हो गया।
टैक्सी वाले ने हाथ बढ़ाकर मीटर डाउन किया और बोला—“कहां चलूं?”
“करोलबाग!”—रंगीला हांफता हुआ बोला।
टैक्सी आगे दौड़ चली।
रंगीला ने व्याकुल भाव से अपने पीछे देखा।
अपने पीछे उसे दारा का कोई आदमी दिखाई न दिया।
टैक्सी मेन रोड पर पहुंचकर घूमी। आगे लाल किला का चौराहा था। वहां से सिग्नल पर टैक्सी ने यू टर्न काटा और नेताजी सुभाष मार्ग पर दौड़ चली। एकाएक रंगीला की निगाह रियरव्यू मिरर पर पड़ी। उसने देखा टैक्सी वाला शीशे में से बड़ी गौर से उसे ही देख रहा था, शीशे में उससे निगाह मिलते ही उसने फौरन निगाह फिरा ली।
रंगीला के जेहन में खतरे की घण्टियां बजने लगीं।
कहीं टैक्सी वाले ने उसे पहचान तो नहीं लिया था?
आगे दरियागंज का थाना था जहां और दो तीन मिनट में टैक्सी पहुंच जाने वाली थी। थाना मेन रोड पर था। अगर ड्राइवर ने टैक्सी को सीधे थाने ले जाकर खड़ी कर दिया तो?
उसने टैक्सी से उतर जाने का फैसला किया।
तभी दो कारें टैक्सी के दायें बायें प्रकट हुईं और वे टैक्सी को घेरकर किनारे करने की कोशिश करने लगीं।
रंगीला ने घबराकर बारी बारी दोनों कारों की तरफ देखा। दोनों में दर्जन से ज्यादा आदमी लदे हुए थे और वे तकरीबन वही थे, जो पीछे किनारी बाजार में उसे थामने की कोशिश करते रहे थे। उनमें उसे जुम्मन भी दिखाई दिया। एक आदमी कार से बाहर हाथ निकाल कर टैक्सी वाले को रुकने का इशारा कर रहा था।
टैक्सी की रफ्तार कम होने लगी।
“गाड़ी मत रोकना।”—रंगीला आतंकित भाव से चिल्लाया।
“क्यों?”—ड्राइवर बोला।
“उन दोनों गाड़ियों में गुण्डे हैं, वे हमें मार डालेंगे।”
“सिर्फ तुम्हें। मुझे नहीं। एक गाड़ी में मुझे अपना उस्ताद रईस अहमद दिखाई दे रहा है। वह मुझे कुछ नहीं कहने का। उलटे अगर मैं गाड़ी नहीं रोकूंगा तो वह मेरा मुर्दा निकाल देगा।”
रईस अहमद!
वह नाम रंगीला ने सुना हुआ था, उसने कभी रईस अहमद की शक्ल नहीं देखी थी लेकिन उसने सुना हुआ था कि वह दारा के गैंग का कोई महत्वपूर्ण आदमी था।
टैक्सी रफ्तार घटाते घटाते साइड लेने लगी।
बदमाशों की दोनों कारें आगे निकल गईं।
रंगीला ने टैक्सी के रुकने से पहले उसका फुटपाथ की ओर का दरवाजा खोला और बाहर कूद गया। उसका कन्धा सड़क से टकराया, उसने दो लुढ़कनियां खाईं और फिर रबड़ के खिलौने की तरह उठकर अपने पैरों पर खड़ा हो गया।
बदमाशों की दोनों गाड़ियां अभी ठीक से रुक भी नहीं पाई थीं कि वह बगूले की तरह शान्ति वन को जाती सड़क पर भागा।
फिर बदमाश भी कारों में से निकलने लगे और दाएं बाएं फैलकर उसके पीछे भागे।
रंगीला लाल किले की तरफ मुड़ गया।
उन लोगों में से कुछ उसके पीछे सड़क पर भागे, कुछ मैदान के टीलों पर चढ़ गए ताकि उन्हें पार करके वे उससे पहले सड़क पर पहुंच सकते। कुछ कार में ही सवार रहे।
भागता हुआ रंगीला उस स्थान पर पहुंचा, जहां उन्होंने जुम्मन की धुनाई की थी।
वह वहां ठिठका।
अपनी धौंकनी की तरह चलती सांस पर काबू पाने की कोशिश करते उसने जेब से सलमान अली की पिस्तौल निकाल ली। पहले भीड़ में पिस्तौल चलाने का हौसला वह नहीं कर सकता था, लेकिन वहां सन्नाटा था, वहां वह निसंकोच गोली चला सकता था।
सबसे पहले जुम्मन और उसका साथी ही उसके सामने पहुंचे।
रंगीला ने पिस्तौल वाला हाथ अपनी पीठ के पीछे कर लिया और स्थिर नेत्रों से उन्हें देखने लगा।
“अब कहां जाएगा, बेटा?”—जुम्मन ललकारभरे स्वर में बोला।
“मैं कहां जाऊंगा!”—रंगीला सहज भाव से बोला—“मैं तो यहीं रहूंगा।”
“देखो तो स्याले को! रस्सी जल गई, बल नहीं गया।”
तभी टीले पर से उतरकर दो आदमी और वहां पहुंच गये। अब जुम्मन शेर हो गया।
“स्साले!”—वह दहाड़कर बोला—“मंगलवार जितनी मार तुम तीन जनों ने मुझे लगाई थी, उतनी मैंने अकेले तुझे न लगाई तो मेरा भी नाम जुम्मन नहीं। पकड़ लो हरामजादे को।”
चारों अर्द्धवृत्त की शक्ल में उसकी तरफ बढ़े।
एकाएक चारों के हाथों में कोई न कोई हथियार प्रकट हुआ। एक के हाथ में लोहे का मुक्का था, दो के पास चाकू थे और खुद जुम्मन के हाथ में साइकिल की चेन थी।
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