RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
तरुण की जबान पर तो जैसे ताला लग गया था। बड़ी मुश्किल से बोला, "दीपा मुझे माफ़ कर दो। मुझे पता नहीं था की तुम नहा रही हो। मैंने घंटी तो बजायी पर दरवाजे पर कोई न आया। मैंने धक्का मारा तो दरवाजा खुला पाया। दीपक ने फ़ोन किया था की तुम्हे मैगी के दो पैकेट चाहिए। वह देर से आयेगा इस लिए उसने यह पैकेट मुझे लाकर तुम्हे देने के लिए बोला।"
जब दीपा मैगी लेने करीब आयी तो तरुण ने दीपा को मैगी के दो पैकेट हाथ में थमाये। पर उसकी नजर तो दीपा के मम्मो पर अटकी हुयी थी। तरुण अपनी नजरें तौलिया और मेरी बीबी के आधे नंगे बदन के बिच में से हटा ही नहीं पा रहा था। हालाँकि दीपा ने तौलिया एकदम ताकत से पकड़ रखा था, दीपा के स्तन तौलिये में समा नहीं रहे थे और बाहर से ही उनके काफी बड़े हिस्से दिखायी दे रहे थे। दीपा की जांघे घुटने से काफी ऊपर तक नंगी थीं। अगर तरुण निचे झुकता और देखता तो उसे मेरी बीबी की रसीली चूत उसकी नज़रों के सामने साफ़ साफ़ दिख जाती। उस समय तरुण का मन किया की वह दीपा को अपने आहोश में कस कर जकड़ ले, उसके तौलिये को एक हाथ से खिंच कर खोल कर फेंक दे, दीपा को नंगी कर दे और वहीँ दीपा को सोफे पर सुला कर उस पर चढ़ जाय और चोद डाले। तरुण का तगड़ा लण्ड उसकी पतलून में खड़ा हो गया।
जब दीपा की नजर तरुण की टांगों के बिच गयी तो उसके होश उड़ गए। तरुण का लण्ड उसकी पतलून में बहोत बड़ा तम्बू बनाये हुए लोहे के हथोड़े की तरह खड़ा साफ़ साफ़ दिख रहा था। मैंने मेरी बीबी को तरुण के लम्बे लण्ड का जो विवरण दिया था वह याद कर मेरी बीबी के तो होश उड़ गए। दीपा को यह एक खतरे की घंटी से कम नहीं लग रहा था। अगर तरुण का दिमाग छटक गया तो यह तय था की तरुण एक झटके में दीपा के तौलिये को खिंच कर फेंक देगा और दीपा को नंगी कर अपना पतलून खोल कर अपना लण्ड बाहर निकालेगा। वह लण्ड एक तगड़ा हथियार बन दीपा की चूत में घुस कर दीपा की चूत को फाड़ के रख देगा। दीपा की जान यह सोच कर उसकी हथेली में आ गयी की अगर ऐसा हुआ तो दीपा की तो ऐसी की तैसी हो जायेगी।
तरुण दीपा के अधनंगे बदन को देख कर अपना नियंत्रण रख नहीं पाया। उसने आगे बढ़ कर दीपा को अपनी बाँहों में ले लिया। दीपा ने तो पहले से ही तरुण के मन के भाव भाँप लिए थे। उसने आपना तौलिया और ताकत से पकड़ा। दीपा की अपनी समस्या थी। वह एक हाथ में तौलिया पकडे थी और दूसरे हाथ में मैगी। वह तरुण का विरोध करने में असमर्थ थी। उसने अपने बदन को हिला हिला कर तरुण के बाहुपाश से छूटने की बड़ी कोशिश की, पर तरुण की ताकत के सामने उसकी एक न चली। दीपा ने देखा की तरुण का लण्ड फूल कर उसकी पतलून में बड़ा टेंट बना रहा था।
तरुण ने उसे अपनी बाहोँ में लपेट कर अपने होठ दीपा के होठ पर रखना चाहा। जब वह दूसरे हाथ से दीपा के तौलिये का एक छोर पकड़कर दीपा का तौलिया खोलने की कोशिश करने लगा तब दीपा ने एक हाथ में पकड़ा मैगी का पैकेट फेंक दिया और उस हाथ से तरुण को धक्का देकर दूर हटाया और भागती हुयी बैडरूम में चली गयी। अचानक उसे ध्यान आया की उसने अपने पीछे बैडरूम का दरवाजा तो बंद नहीं किया था। वह डर के मारे कांप रही थी की कहीं तरुण पीछे पीछे बैडरूम में न आ जाए। पर जब दीपा ने पीछे मुड़कर देखा तो तरुण भौंचक्का सा ड्राइंग रूम में बुत की तरह खड़ा उसे देख रहा था।
तब मेरी बीबी कुछ शांत हुई और उसने बैडरूम का दरवाजा बंद किया और थोड़ी देर में जल्दी से नाईट गाउन पहन कर बाहर आयी। तरुण ड्राइंग रूम में ही था। बरबस ही दीपा की नजर तरुण की टाँगों के बिच गयी। तरुण का तगड़ा लण्ड उस वक्त भी वैसे ही खड़ा का खड़ा था। दीपा ने अपने केश बाँधे नहीं थे। खुले बालों में वो फिर भी उतनी ही सेक्सी लग रही थी। तरुण ने देखा की गाउन के नीचे शायद दीपा ने कुछ और पहना नहीं था। क्योंकि उसके बदन के सारे उभार उसके गाउन में से साफ़ नजर आ रहे थे। उस वक्त तरुण की शक्ल रोनी सी हो गयी।
तरुण ने नीचे झुक कर दीपा से कहा, "भाभी मुझे माफ़ कर दीजिये। आप को उस हालत में देख कर मैं अपने आप को कण्ट्रोल नहीं कर पाया। मैंने बड़ी भारी गलती कर दी। जब तक आप मुझे माफ़ नहीं करेंगे तब तक मैं यहां से नहीं जाऊँगा। और दीपक को इस बारेमें मत बताइयेगा। कहीं वह मुझसे बोलना बंद न कर दे।"
दीपा तो जानती थी की उस ने ही तरुण को उकसाया था। उसे तो पता था की अगर तरुण ने उसे ऐसी हालत में देखा तो क्या होगा। वह शुक्र मना रही थी की तरुण उसके पीछे बैडरूम में नहीं आया। अगर वह आया होता तो दीपा उसे रोक नहीं पाती। दीपा की समझ में यह नहीं आया की दरवाजा तो उसने बंद किया था फिर वह खुल कैसे गया? दीपा ने देखा तो चिटकनी तो ऊपर तक चढ़ी हुई थी।
खैर भगवान का लाख लाख शुक्र की कुछ हुआ नहीं। दीपा ने राहत की साँस ली और थोड़ा सा मुस्करा कर बोली, "तरुण तुम कोई चिंता मत करो। जो हुआ इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है। मुझे भी उस हालात में ड्राइंग रूम में नहीं आना चाहिए था। तुम्हारी जगह कोई और भी तो हो सकता था। तब तो और भी मुसीबत हो जाती। मैं दीपक को कुछ नहीं बताऊंगी। मैं चिल्लाने के लिए शर्मिंदा हूँ। तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आती हूँ।" यह कह कर दीपा रसोई में से चाय बना कर ले आयी।
तरुण को चाय देते हुए दीपा ने तरुण से कहा, "माफ़ी तो मुझे भी तुमसे मांगनी है। मैंने तुम्हारी गिफ्ट को नकार दिया था उसके लिए प्लीज मुझे माफ़ कर देना। मैं तुम्हें गलत समझ रही थी। दीपक ने मुझे बताया की तुम वह गिफ्ट उसे पूछ कर ही मुझे दे रहे थे।"
फिर दीपा ने उसे शरारत भरे लहजे में कहा, "तरुण मुझे गिफ्ट देकर तुम ने घाटे का सौदा कर लिया है। अब मुझे वह गिफ्ट चाहिए। और वह ही नहीं और भी गिफ्ट लाते रहना।" ऐसा बोल कर दीपा हँस पड़ी।
तरुण ने भी उसी लहजे में कहा, "भाभी, आपके लिए गिफ्ट तो क्या, मेरी जान भी हाजिर है।"
दीपा ने भी उसी अंदाज में हँसते हुए कहा, "जान तो आप टीना के लिए ही रखना। मुझे तो सिर्फ गिफ्ट ही चाहिए।"
उस दिन जब मैं शाम को घर लौटा तो मैंने देखा की दीपा मुझसे कोई बात नहीं कर रही थी। खाना लगा दिया था तो उसने इशारे से ही बता दिया। काफी गुस्से में लग रही थी। मेरी आँखों से आँखें मिलाने से कतरा रही थी। मैं फ़ौरन समझ गया उस दिन कुछ ना कुछ तो हुआ था। मैं तरुण को तो जानता ही था। अगर मौक़ा मिला तो तरुण दीपा को छोड़ेगा नहीं। खैर जब दीपा का ध्यान नहीं था तब मैंने चिटकनी का ऊपर का हिस्सा फिर लगा दिया।
मैंने सोचा, हो भी सकता है की तरुण ने मेरी बीबी को तौलिये में देखकर कहीं उसे पकड़ कर चोद ही ना दिया हो। मैं चुप रहा। मैंने रात को सोते समय भी पूछने की बड़ी कोशिश की पर वह कुछ ना बोली, उलटा बेटे को हमारे बिच में सुलाकर खुद सो गयी। मैंने एक बार बच्चे के बदन के ऊपर से जब दीपा का हाथ पकड़ा तो दीपा ने मेरा हाथ जोर से झटका मार कर उसे हटा दिया।
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