RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
मैंने बाथरूम के बाहर से ही तरुण के पतलून में उसका खड़ा लण्ड देखा जिसको वह मेरी बीबी की दो टांगों के बिच में घुसाने की कोशिश में जैसे लगा हुआ था। शायद मेरी बीबी ने भी उसे महसूस किया होगा। पर उस समय दीपा इतनी घबराई और बौखलाई हुई थी की शायद उसने उस पर ध्यान नहीं दिया।
तरुण के कपाल से थोड़ा खून निकल रहा था। दीपा ने तरुण से कहा, "आओ पहले मैं तुम्हारे वह घाव पर एन्टी सेप्टिक लगा देती हूँ।"
दीपा ने बाथरूम में रखे प्राथमिक दवाई के डिब्बे में से थोड़ी रुई निकाली और खुद चप्पल निकाल कर नहाने के लिए रखे छोटे से स्टूल पर चढ़ गयी ताकि तरुण के सर में लगे घाव को ठीक तरह से देख कर साफ़ कर उस पर दवाई लगा सके। दीपा रुई में एंटी सेप्टिक डालकर तरुण के सर पर लगाने लगी।
दीपा के स्टूल पर खड़े रह कर ऊपर उठने से और तरुण के थोड़े झुकने से दीपा के ब्लाउज में दो टीलों से मदमस्त स्तन बिलकुल तरुण के मुंह के सामने प्रस्तुत हो गए। दीपा के अल्लड स्तनों को उसके ब्लाउज में निकले हुए देख कर तरुण के लिए अपने आप पर नियत्रण रखना काफी कठिन साबित हो रहा होगा। हालांकि तरुण कुछ कुछ देख सकता था पर ऐसे ढोंग कर रहा था जैसे उसे कुछ भी दिखाई नहीं देता हो। दीपा जब तरुण के कपाल पर दवाई लगा रही थी तब तरुण दीपा की मस्त चूँचियाँ जो उसके मुंह के सामने थी उन्हें बड़ी लालच से घूर रहा था।
मौक़ा मिलते ही जैसे वह लड़खड़ा गया हो वैसे तरुण अचानक आगे झुका और निचे की और गिरने का बहाना कर वह दीपा की छाती पर अल्लड खड़े हुए स्तनों पर उसने अपने मुंह चिपका दिया। छोटे से स्टूल पर खड़ी दीपा तरुणके धक्के से लड़खड़ा गयी। दीपा सम्हले और कुछ विरोध करे उसके पहले उसने चूँचि को अपने मुंह में ले कर उसे चूसना शुरू किया। दीपा ने दीवार का सहारा लिया और उसके सपोर्ट से खड़ी रही। तरुण का मुंह दीपा की छाती पर चिपका हुआ था और तरुण दीपा की चूँचियों को ब्रा और ब्लाउज के ऊपर से बड़े प्यार और इत्मीनान के साथ चूस रहा था। तरुण के मुंह की लार दीपा के ब्लाउज को गीला कर रही थी।
कुछ पलों के लिए असावध दीपा भौंचक्की सी रह गयी। तरुण को दीपा की असावधानी और भौंचक्का रहने के कारण कुछ वक्त मिल गया उसमें उसने दीपा की एक चूँचि को ब्लाउज के ऊपर से अपने मुंह में लिया हुआ था जिसे वह प्यार से चबा रहा था।
दीपा जब तक अपने आपको सम्हाल पाए और यह समझ पाए की तरुण क्या कर रहा था तब तक तरुण मजे से दीपा की चूँचियों को चूसता रहा। जब दीपा सम्हली तो दीपा ने तरुण को धक्का मार कर पीछे हटाया और कहा, "तरुण, तुम क्या कर रहे हो? तुम पागल हो गए हो क्या?"
तरुण ने जैसे तैसे अपने आपको सम्हाला और जैसे उसे कुछ समझ ही ना आया हो वैसे बड़ा भोला भाला अनजान बनता हुआ बोला, "माफ़ करना भाभी, मैं ज़रा लड़खड़ा गया। अचानक मेरे मुंह में कुछ नरम नरम सा महसूस हुआ। शायद तुम्हारी साड़ी का एक छोर मेरे मुंह में चला गया। क्या हुआ?"
तरुण ने इतने भोले और सीधे सादे अंदाज में दीपा से यह कहा की मेरी बुद्धू बीबी दीपा ने राहत की साँस ली और सोचा की तरुण को यह पता नहीं चला की जो नरम नरम कपड़ा तरुण के मुंह में था वह दीपा का स्तन था। तरुण को पीछे धक्का मार कर दीपा ने कहा, "नहीं कुछ नहीं। चलो हटो और सीधे खड़े रहो।"
तरुण ने कहा, "सॉरी भाभी।"
दीपा ने तरुण की आँखों से गीले कपडे से आटा पोंछा और पूछा, "खैर कोई बात नहीं। तरुण, क्या अब तुम्हें दिख रहा है?"
तरुण ने अपनी आँखों को पोछते हुए बड़े ही भोले बनते हुए कहा, "मेरी आँखों में काफी आटा चला गया है और आँखें जल रहीं हैं। शायद देखने में थोड़ा वक्त लग सकता है। भाभी आप क्यों तकलीफ कर रहे हो? हालांकि मैं देख नहीं सकता पर फिर भी कोशिश करता हूँ की अपनी कमीज और पतलून को झुक कर साफ़ कर देता हूँ।"
ऐसा कह कर तरुण आगे झुकने का ढोंग करने लगा। दीपा ने तरुण का हाथ थाम कर कहा, "कैसे करोगे? तुम्हारा हाथ भी तो मुड़ गया है। मैं साफ़ कर देती हूँ।" यह कह कर दीपा ने अपने हाथ ऊपर उठा कर तरुण के कॉलर, गले और कमीज पर लगा आटा साफ़ किया। जब यह हो गया तो दीपा ने तरुण को कमीज उतारने को कहा। तरुण ने फ़ौरन अपनी आँखें बंद रखते हुए अपने हाथ ऊपर कर अपनी कमीज उतार दी और बनियान में हाथ ऊपर उठाये वह खड़ा हुआ था।
तरुण का चौड़ा सीना और उसके बाजुओं के शशक्त स्नायु दीपा को दिख रहे थे। दीपा ने तरुण की बाँहों में से आटा साफ़ किया। दीपा उस वक्त पहले से काफी रिलैक्स्ड लग रही थी। जाने अनजाने में ही दीपा ने तरुण के बाजुओं के शशक्त स्नायु पर हाथ फिरा कर उन्हें महसूस किया। तरुण के कसरती फुले हुए बाइसेप्स महसूस कर मेरी बीबी के चेहरे पर प्रशंसात्मक भाव को मैंने छुपकर देखा।
दीपा ने मुस्कराते हुए तरुण के बाजुओं के मसल्स को दबाते हुए कहा, "तरुण, लगता है तुम जिम जाकर अच्छी खासी कसरत करते हो। तुम्हारे बाजू काफी सख्त और फुले हुए हैं।"
तरुण ने मौक़ा देखते ही बोला, "हाँ भाभी कसरत तो करता हूँ। भाभी, एक प्राइवेट बात कहता हूँ। सिर्फ मेरी बाजू ही नहीं, मेरा और भी सब कुछ सख्त, फौलादी, लंबा और फुला हुआ मोटा है।"
दीपा तरुण की बात सुनकर बौखला गयी। वह समझ गयी की तरुण क्या कहना चाहता था। दीपा ने तरुण के बदन से हाथ हटा लिया तब तरुण ने सोचा कहीं दीपा नाराज हो कर वहाँ से चली ना जाए। उसने कहा, "भाभी, मेरा मतलब है, मेरी छाती, पेट, जांघें, सब सख्त और करारे हैं भाभीजी। मेरा कोई और मतलब नहीं था।"
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