RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
तरुण का खड़ा इतना लंबा तगड़ा मोटा लण्ड अपने सामने पाकर मेरी बीबी का मुंह आश्चर्य और विस्मय से अनायास ही खुला का खुला रह गया। मैं मेरी बीबी के भाव देख कर दंग रह गया। तगड़ा मोटा लंबा खड़ा लण्ड जो की एक कमजोर पतली निक्कर में ढका हुआ था, उसे अपने मुंह के बराबर सामने देखकर मेरी सीधीसादी बीबी भौंचक्की सी अपने जबड़ों को खुला रखती हुई उसे देखने लगी। मैं पक्का तो नहीं कह सकता पर शायद दीपा का खुल्ला मुंह देख कर एकदम अचानक तरुण ने लड़खड़ाने का नाटक किया और अपने पेंडू को आगे की और एक धक्का दिया और मेरी बीबी के खुले हुए मुंह में अपना खड़े लण्ड वाला तम्बू घुसा दिया।
तरुण का खड़ा मोटा लण्ड जो की निक्कर में छिपा हुआ था वह सीधा अपने मुंह में पाकर दीपा काफी घबड़ायी। निक्कर में फैला हुआ तरुण का इतना मोटा लण्ड अपने थोड़े से खुले हुए मुंह में दीपा कैसे ले पाती? उसका गला रुंध गया और वह चाहते हुए भी खांस ना सकी। दीपा की आँखें यह अचानक हुई घटना से चौक गयीं। वह तरुण के लण्ड के मुंह में घुसने के कारण बोल नहीं पा रही थी। दीपा पर ऐसे धक्का लगने से पीछे की दिवार से सट गयी और पूरी तरह आवाज ना निकलने के कारण चौंकी बौखलाई हुई बड़ी बड़ी आँखों से तरुण को देखने लगी।
तरुण बार बार अपना पेंडू आगे पीछे करता हुआ जैसे मेरी बीबी के खुले मुंह को चोद रहा हो ऐसे करने लगा। दीपा तरुण की चाल समझ चुकी थी। उसने ने जोर लगाकर तरुण को एक धक्का मारा। तरुण पीछे खिसका और उस का लण्ड मुंह में से निकलते हुए ही दीपा हट कर खड़ी हो गयी और तरुण को डांटते हुए खांसते हुए पर बड़े धीमे आवाज में बोली (ताकि उसकी आवाज बाहर ना जा सके), "तरुण, तुमने तो हद करदी। यह क्या तमाशा है? सीधे खड़े रहो।"
तरुण ने एक बार फिर दिखाई ना देने का बहाना करते हुए कहा, "भाभी, सॉरी, मैं कुछ देख नहीं पा रहा हूँ और अचानक अपना संतुलन खो बैठा।" बाहर खड़ा हुआ मैं जानता था की कमीना तरुण अपना शारीरिक नहीं पर मानसिक संतुलन खो बैठा था और दीपा के करीब होने का पूरा फायदा उठा रहा था।
दीपा ने जब यह सूना तो एकदम बगैर कुछ सोचे समझे अनायास ही उसका हाथ तरुण के जांघिये के बेल्ट के ऊपर चला गया। एक पल के लिए मुझे लगा की कहीं मेरी बीबी तरुण के जांघिये के बेल्ट को खिंच कर जांघिए में देखने तो नहीं जा रही? फिर दीपा की समझ में तरुण की चाल आयी। दीपा ने अपना हाथ हटा दिया औरपीछे हट कर खड़ी हो गयी और बोली, "तरुण ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश मत करो। अब मेरा काम हो गया है। अब मैं चलती हूँ।"
तरुणने ऐसे नाटक किया जैसे उसके हाथ अब ठीक हो गए थे। अपने हाथ ऊपर उठाकर तरुण ने कहा, "भाभी, अब मेरे हाथ ठीक लग रहे हैं। अब मैं अपनी आँखें साफ़ कर देता हूँ।" यह कह कर तरुण वाश बेसिन की और मुड़ गया और पानी छिड़क कर उसने अपनी आँखें साफ़ की। बड़ी मुश्किल से खांसती हुई मेरी परेशान बीबी अपने आप को सम्हालते हुए ठीक सीधी खड़ी हुई।
तरुण ने आँखें खोल कर देखा की उसका मोटा लण्ड निक्कर के साथ अपने मुंह में लेनेके कारण दीपा का मुंह शर्म से लाल हो रहा था। दीपा समझ गयी की तरुण यह जान गया था की दीपा ने तरुण का लण्ड अपने हाथों में पकड़ा था, उसे सहलाया था और अपने मुंह में भी डाला था भले ही वह चंद पलों के लिए ही क्यों ना हो।
तरुण ने देखा की दीपा के चेहरे पर और उसकी साडी पर आटा बिखरा हुआ था। बिना कुछ पूर्व सूचना देते हुए, तरुण ने एकदम दीपा के हाथ में से कपड़ा छीन लिया और बोला, "भाभी आपके चेहरे ऊपर और आपकी साडी के ऊपर भी काफी आटा बिखरा हुआ है। अब आप मुझे भी सेवा का मौक़ा दीजिये।" यह कह कर तरुण उस कपडे से दीपा के चेहरे को साफ़ करने लग गया।
दीपा कुछ विरोध करे उसके पहले ही तरुण एक हाथ से तौलिया मेरी बीबी के चेहरे पर, गालों पर, गले पर और धीरे से ब्लाउज में उसके फुले हुए स्तनों पर रगड़ ने लगा और अपना दुसरा हाथ मेरी बीबी के स्तनों पर रख कर वह एक के बाद एक दीपा के फुले हुए अल्लड़ स्तनों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा। तरुण के उस उद्दंड और उच्छृंखल व्यवहार से दीपा कुछ देर तक बूत की तरह बिना हिले डुले भौंचक्की सी खड़ी रही और तरुण ने उन उद्दंड कारनामों को आश्चर्य से देखती ही रही। उसकी समझ में नहीं आ रहा था की वह इस आदमी का कैसे विरोध करे।
दीपा को आगे से साफ़ करने के बाद तरुण ने अचानक वह तौलिया एक तरफ फेंक दिया और दीपा को घुमा कर दीपा की कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर अपने आगे कर लिया और खुद मेरी बीबी के पीछे खड़े हो कर अपने फौलादी छड़ से खड़े हुए लण्ड के ऊपर मेरी बीबी दीपा की साड़ी में छिपी करारी गाँड़ को टिका दिया और पीछे से अपने पेंडू से अपने लण्ड को दीपा की गाँड़ में धकेलने लगा। हालांकि मेरी बीबी के स्तन बिलकुल साफ़ थे, तरुण दोनों हाथों को उसने दीपा के ब्लाउज और ब्रा के अंदर हाथ डाल कर उसकी चूँचियों को साफ़ करने का ढोंग करते हुए उद्दण्डता पूर्वक उन्हें दबाने और मसलते हुए बोलने लगा, "भाभी अब मुझे मौक़ा दो आपकी सफाई करने का।"
तरुण के ऐसे आवेग पूर्ण रवैये से दीपा की साँसें फूलने लगीं। दीपा की उभरी हुई छाती जोर से ऊपर निचे होने लगी। उसने सपने में भी नहीं सोचा था की तरुण उस हद तक जा सकता था। तरुण के ब्रा में हाथ डाल कर मसलने के कारण दीपा के उरोज ऊपर निचे हो रहे थे। पूरा दृश्य मेरे लण्ड को खड़ा कर देने वाला था। मेरी बीबी भयंकर असमंजस में थी। वह सोच रही थी की क्या वह चिल्लाये? क्या वह तरुण को एक जोरदार थप्पड़ मार कर उसकी उद्दण्डता का उसे एहसास दिलाये? वह चिल्लाना नहीं चाहती थी। कुछ ही समय पहले मैंने दीपा और तरुण को एकदूसरे पर चढ़ते हुए देख कर शरारत भरी टिपण्णी की थी। अगर वह चिल्लाई तो मैं भाग कर आऊंगा और फिर उन दोनों की हरकत को पकडूँगा। फिर क्या होगा यह वह सोच कर शायद दीपा घबड़ायी हुई थी।
दीपा तरुण की हरकतों से इतनी घबरा गयी थी की उसकी शक्ल रोने जैसी हो गयी। दीपा की समझ से बाहर था की वह तरुण को रोके तो रोके कैसे? अपनी शेरनी का रूप अगर वह दिखाए तो उसे दहाड़ना पडेगा। और वह चिल्लाई तो मैं वहाँ पहुंचूंगा और फिर दुबारा उन दोनों को उस हाल में देखा तो फिर तो मैं यह मान ही लूंगा की दीपा के उकसाने से ही तरुण ऐसी हरकतें कर रहा था, क्यूंकि दीपा ने तो तरुण को पहले से ही अच्छा कैरेक्टर सर्टिफिकेट दे दिया था। दीपा नहीं चाहती थी की मैं दुबारा उसको तरुण के साथ उस हाल में देखूं। वह मेरे मजाक का विषय नहीं बनना चाहती थी। वह शायद तरुण की ऐसी हरकतों के कारण हमारी दोस्ती को भी तुड़वाना नहीं चाहती थी।
दीपा को धीरे धीरे यह यकीन हो चुका था की उसके चिल्लाने से या दहाड़ने से तरुण उसका पीछा छोड़ने वाला नहीं था।
दीपा के दिमाग में इतनी उलझनें थी की जब दीपा को कुछ और रास्ता ना सुझा तो तंग आकार आखिर में स्त्रियों का एक कारगर ब्रह्मास्त्र जो उसके पास बचा था उसको मेरी प्यारी बीबी ने इस्तेमाल किया। दीपा रोने लग गयी। उसने अपने हाथ जोड़ कर तरुण से कहा, "तरुण, मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ। तुम मुझे इतना तंग क्यों कर रहे हो? प्लीज तुम मुझे जाने दो। प्लीज अभी मुझे और परेशान मत करो। अगर दीपक ने हमें ऐसे देख लिया तो तुम्हें तो कुछ नहीं कहेंगे पर मेरी तो वह ऐसी की तैसी कर देंगे। वैसे ही मेरी बहुत बदनामी हो चुकी है।"
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