RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
मैं टीना के घर गया उस समय वह नाईटी पहने हुए थी। उसने अंदर कुछ भी नहीं पहन रखा था। मुझे देखकर उसने अपने कंधे पर एक चुन्नी सी डाल दी और बोली, "देखो ना, मैं आपको इतनी देर रात को परेशान कर रही हूँ। पर क्या करूँ? तरुण नहीं है। खैर, वह होता तो भी क्या करता? वह तो दूसरे दिन प्लम्बर को बुलाऊंगा यह कह कर सो जाता। तुमने कहा था की मैं तुम्हे आधी रात को भी बुला सकती हूँ। तब फिर मैंने हिम्मत करके तुम्हे बुलाया। अगर यह अभी ठीक नहीं हुआ तो पूरी रात पानी जाता रहेगा और कल सुबह टंकी खाली हो जाएगी। फिर घर का सारा काम ठप्प हो जायगा।" टीना बेचारी बड़ी परेशान लग रही थी।
मैंने बाथरूम में जाकर देखा की नलके का वॉशर खराब था। मैं जब बाथरूम में घुसा तो टीना भी मेरे साथ बाथरूम में घुसी। मैं एक स्टूल सा लेकर बैठ गया। टीना आकर ठीक मेरे बगल में खड़ी हो गयी। मैं उसकी गरम साँसों को अपने गालों पर महसूस कर रहा था। एक दो बार मैंने अपनी कोहनी हटाई तो उसके बूब्स से टकराई। मेरे शरीर में जैसे एक झनझनाहट सी दौड़ गयी। मेरी धड़कनें तेज हो गयी। मेरा मेरा ध्यान काम पर कहाँ लगना था? वह इतनी करीब खड़ी थी की मेरी कोहनी उसके भरे हुए स्तन को छू रही थी। मेरी तो हालत ख़राब थी, पर टीना को तो जैसे कोई फरक नहीं पड़ता था। मैंने अपने पास से एक वॉशर निकाला और झटसे बदल दिया।
बस नलका टपकना बंद हो गया। टीना ऐसी खुश हुयी जैसे उसकी लाटरी लग गयी हो। जैसे ही मैं बाथरूम से बाहर निकला तो वह मुझसे लिपट गयी। मैं क्या बताऊँ मेरी हालत कैसी थी। मेरा लण्ड मेरी पतलून में ऐसे खड़ा हो गया था जैसे सैनिक परेड में खड़ा हो। टीना जब मुझसे लिपट गयी तब शायद उसने भी मेरे कड़क लण्ड को महसूस किया होगा। वह थोड़ी झेंप कर अलग हो गयी और बोली, "दीपक, मैं आज तुम्हे बता नहीं सकती की मैं कितनी खुश हूँ। आज शाम से मैं परेशान थी की मैं क्या करूँ। तुम्हें डिस्टर्ब करने के लिए मुझे माफ़ तो करोगे न? पता नहीं मैं तुम्हारा यह अहसान कैसे चुकाऊंगी।" टीना ने फिर मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और उसे सहलाते अपना आभार जताया।
मैंने यह बोलना चाहा की, "बस एकबार मुझसे चुदवालो, हिसाब बराबर हो जाएगा। " पर मैं कुछ बोल नहीं पाया।
मैंने टीना के कन्धों पर अपना हाथ रखा और बोला, "टीना, तरुण ने एक बार मुझसे कहा था की मैं दीपा में और तुम में फर्क न समझूँ, और तुम और दीपा, तरुण और मुझ में फर्क मत समझना। क्या तुम भी तरुण से सहमत हो?"
टीना ने अपनी मुंडी हिलायी और बिना बोले अपनी सहमति जतायी।
मैंने कहा, "तो फिर एहसान कैसा? अगर यही समस्या दीपा की होती तो क्या मैं उसके लिए इतना काम न करता?" मेरी यह बात सुनकर टीना थोड़ी सी इमोशनल हो गयी। वह मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाहर तक छोड़ने आयी। बाहर जाते जाते एक दो बार टीना के भरे हुए बड़े बडे मम्मे मेरी बाँहों पर टकराये। मैं समझ नहीं पाया की क्या यह टीना जान बुझ कर कर रही थी और मुझे कोई इशारा कर रही थी या चलते चलते चलते हिलते हुए वह अनायास ही मेरी बाहों से टकरा गए थे।
मैंने भी टीना को यह सन्देश दे डाला की वह मुझमें और तरुण में फर्क ना समझे। मैं बाहर जाकर अपनी बाइक पर बैठ कर वापस चला आया।
उसदिन के बाद कुछ दिनों तक कई बार मुझे अफ़सोस होता रहा की यदि उसदिन मैं चाहता तो शायद टीना को अपनी बाँहों में लेकर उसको किस करता उस के गोरे बदन को नंगा कर और शायद चोद भी पाता। परंतु मैं जल्द बाज़ी में हमारे संबंधों को बिगाड़ना नहीं चाहता था।
मैं जब वापस आया तब दीपा बिस्तरमें मेरा इंतजार कर रही थी। मैं जानता था की वह मुझसे वहाँ क्या हुआ यह सुनने के लिए बेताब थी। मैंने भी हाथ मुंह धोया और बिस्तर में उसके पास जाके अपने कपडे निकाल के लेट गया। उसने जब महसूस किया की मैं तो बिल्कुल नंगा बिस्तर में घुसा हुआ हूँ तो बोली, "लगता है आज कुछ तीर मार के आये हो तुम। बोलो, चिड़िया जाल में फँसी या नहीं।"
मैने दीपा को अपनी बाँहों में घेर लिया। मैं उसके नाइट गाउन को उतारने में लग गया। उसके नाइट गाउन को खोल कर उसे बाजू में रख कर फिर मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके मुंह पर मुंह लगा कर उसके रसीले होंठ चूसने लगा। मेरा खड़ा लण्ड उसकी चूत को टक्कर मार रहा था। वह कुछ बोलना चाहती थी, पर चूँकि मैंने उसके होठ होंठ कस कर दबाये हुए थे इसलिए वह कुछ बोल नहीं पायी।
मैंने धीरे से अपने होंठ हटाये और बोला, "चिड़िया जाल में तो फंस सकती थी, पर मैंने उसे नहीं फंसाया। मैं उसे आसानी से फंसा लूंगा अगर तुम सपोर्ट करो तो।"
"तुम्हे मुझसे, अपनी बीबी से सपोर्ट चाहिए, एक दूसरी औरत को फंसाने के लिए?" बड़े आश्चर्य से उसने पूछा।
मैंने उसे सहलाते हुए कहा, "हाँ। मुझे तुम्हारा सपोर्ट ऐसे चाहिए की हम कुछ ऐसा करें की जिससे ऐसा ना लगे की तरुण पर या तुम पर पर कोई ज्यादती हो रही है।"
दीपा बड़ी उत्सुकता से मेरी बात सुन रही थी। मैंने कहा, "अगर में आज टीना के साथ कुछ करता और अगर तुम्हे या तरुण को वह मालूम पड़ता, तो क्या तुम्हें मनमें एक तरह की रंजिश न होती? क्या तरुण इससे आहत न होता?" दीपा मेरी बात बड़े ध्यान से सुन रही थी। उसने अपना सर हिलाके हामी भरी।
मैंने फिर मेरी पत्नी को सारा किस्सा सुनाया। मैंने उससे कुछ भी नहीं छुपाया। मैंने कहा, "शायद यदि मैं चाहता तो टीना को अपनी बाँहों में आज जक़ड सकता था, चुम भी सकता था, और शायद चोद भी सकता था। पर मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया। मैं तुम्हे बताये बिना कोई ऐसा काम नहीं करूँगा जिससे तुम्हे चोट पहुंचे। "
|