RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
तरुण को तब पूरा यकीन हो गया की दीपा भाभी उससे चुदवाने के लिए अब लगभग मानसिक रूप से अपने आप को तैयार कर रही थी। इसी लिए तो उसने तरुण को डाँटा नहीं और ना ही कोई जबरदस्त गुस्सा किया। बल्कि वह तरुण को यह समझाने लगी की ऐसा करने के लिए वह जगह ठीक नहीं थी। मतलब अगर कोई सही जगह होती तो तरुण जो कर रहा था वह ठीक था।
पर तरुण कहा रुकने वाला था? उसने कहा, "भाभी, तुम्हारी बात सही है। ऐसा करने के लिए यह जगह ठीक नहीं है। भाभी मैं ऐसा काम करने के लिए आपको सही जगह पर जरूर ले जाऊंगा। पर अभी ऊपर ऊपर से तो कर लेने दो ना?
दीपा हैरानगी से तरुण के इस उद्दंड कार्यकलाप देखती रही। तरुण ने अपने होँठ से दीपा को उसके होँठ खोलने को मजबूर किया और फिर दीपा के कभी ऊपर के तो कभी निचे के होँठ चूसने लगा। तरुण के इस अचानक आक्रमण या हरकत से दीपा स्तंभित सी रह गयी। उसने आँखें घुमा कर जब घर की और देखने की कोशिश की। यह कोशिश क्या दीपा ने इस उम्मीद में की थी की काश मैं वहाँ जल्द ही पहुंचूं और दीपा को उस त्रास से बचाऊं, या फिर इस डर से की कहीं मैं घर से बाहर निकल कर उन दोनों की उस हरकत को देख ना लूँ? यह दीपा भी समझ नहीं पायी।
पर तरुण ने एक पल के लिए अपने होँठ हटा कर दीपा से कहा, "भाभी, चिंता मत करो। मैं देख रहा हूँ। भाई अभी भी फ़ोन पर ही लगे हुए हैं। अभी उनको निकलने में पंद्रह मिनट से भी ज्यादा लगेंगे। भाभी अभी जब तक भाई आ नहीं जाते तब तक आप मुझे मत रोकिये। प्लीज मुझे आपसे प्यार करने दीजिये। देखिये प्लीज रिलैक्स हो जाइये। कुछ ही मिनटों के लिए। बादमें पता नहीं मुझे आपको प्यार करने का मौका मिलेगा या नहीं?"
ऐसा कह कर तरुण ने फिर अपने होँठ दीपा के होंठों पर कस कर भींच दिए और पुरे जोश से उसे चूमने और चूसने लगा और साथ ही साथ दीपा को चोदने का छद्म प्रयास भी करता रहा। वह अपने लण्ड को कपड़ों के माध्यम से दीपा की चूत में घुसा कर दीपा को चोदने का प्रयास जैसे कर रहा था। दीपा और तो कुछ कर नहीं सकती थी, जब सर ओखल में रख ही दिया है तो मुसल से क्या डरना? पांच दस मिनट का तो सवाल था।
दीपा यह जानती थी की अगर तरुण अपनी जात पर उतर आये तो जबरदस्ती दीपा की साडी पूरी ऊपर उठा कर, उसकी पैंटी नीची कर और अपनी ज़िप खोल कर अपना लण्ड बाहर निकाल कर दीपा की गीली हुई चूत में अपना लण्ड घुसा कर दीपा को खड़े खड़े चोद भी सकता था। दीपा उसका कुछ भी नहीं कर पाती। दीपा को वहीँ खड़े खड़े उससे कुछ मिनटों के लिए ही सही, पर तरुण से चुदवाना ही पड़ता। दीपा उस वक्त बाहर रास्ते में खड़ी चिल्ला भी तो नहीं सकती थी। पर तरुण ने ऐसा कुछ नहीं किया यह दीपा के लिए एक राहत की बात थी। तरुण का चूमना कोई नयी बात तो थी नहीं तो दीपा ने भी मजबूरी में अपना मुंह खोल कर तरुण को चूमने देना ही ठीक समझा। दीपा को यह भी महसूस हुआ की तरुण की बीबी टीना के पिछले काफी दिन से तरुण के साथ न होने के कारण तरुण का हाल बुरा था। वह सेक्स के लिए तड़प रहा था।
दीपा को तरुण के हाल पर तरस आ गया। अगर वह कुछ मिनटों के लिए दीपा के बदन को कस कर दबा कर और अगर कपड़ों के ऊपर से धक्के मार कर अपनी सेक्स की भूख कुछ हद तक शांत कर सकता है तो दीपा ने सोचा की तरुण को रोकना ठीक नहीं। साथ साथ में जिस तरह तरुण दीपा को चुम रहा था और दीपा के होँठों को चाट रहा था और बार बार दीपा की जीभ को चूस रहा था, दीपा से रहा नहीं गया और बरबस ही उसने भी अपनी जीभ तरुण के मुंह में डाली और आवेश में दीपा भी तरुण का सर पकड़ कर उसे चूमने लगी।
मेरी बीबी की इस तरह की सकारात्मक प्रतिक्रया देख कर तरुण की आग और भड़क उठी। तरुण ने दीपा से थोड़ा हट कर पूछा, "भाभी क्या आप को याद है आपने कभी मुझे एक वचन दिया था?"
तरुण की बात सुन कर दीपा की जान हथेली में आ गयी। दीपा ने कुछ झिझकते हुए कहा, "हाँ याद है। उस सुबह बाथरूम में जब तुम मुझे बहोत परेशान कर रहे थे तब मैंने मजबूरी में तुम्हें वचन दिया था।"
तरुण ने कहा, "भाभी यह गलत बात है। उस टाइम पर तो आपने वचन दे दिया और अब आप कह रहे हो की वह आपने मज़बूरी में दिया था। आपने वचन तो दिया था ना, की मैं जो चाहूँगा या कहूंगा वह आप करोगे?"
दीपा ने घबड़ाते हुए पूछा, "हाँ कहा था। तो तुम्हें क्या चाहिए? तुम क्या करना चाहते हो?"
तरुण ने कहा, "पर भाभी, पहले यह बताओ की क्या आप अपना दिया हुआ वचन पूरा तो करोगे ना?"
दीपा ने कुछ संरक्षात्मक आवाज से पूछा, "मैं कभी अपने वचन से मुकरती नहीं हूँ। पर पहले यह तो बाताओ ना की तुम्हें क्या चाहिए?"
तरुण ने पट से जवाब देते हुए कहा, "भाभी, क्या आप समझ नहीं गए की मुझे क्या चाहिए? भाभी आज की रात हमारी रात है। आज की रात मैं आपको पूरी तरह से पाना चाहता हूँ। आज की रात मैं आपका तन और मन अपना बनाना चाहता हूँ। आज की रात आप मुझे मेरे मन की आस पूरी करने दीजियेगा, मुझे रोकियेगा नहीं। मैं चाहता हूँ की आज की रात आप प्लीज अपनी मर्जी से ख़ुशी से भाई के साथ साथ मुझ से भी चुदवाइये। भाभी आज अपना वचन पूरा कीजिये की आप मुझे कुछ भी करने से रोकोगे नहीं। बोलिये आप अपना वचन पूरा करोगे या नहीं? या यह कह कर मुकर जाओगे की वह वचन मज़बूरी में दिया था।"
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